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ममता के एक और सांसद पर कसा शिकंजा, 1,900 करोड़ के घोटाले में ईडी ने किया तलब

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पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के एक और सांसद पर शिकंजा कस गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 1,900 करोड़ रुपये से ज्यादा के एक कथित पोंजी घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के सांसद केडी सिंह को तलब किया है। सांसद को धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत तलब किया गया है। उनकी कंपनी अलकेमिस्ट ग्रुप के खिलाफ एक साल पहले मामला दर्ज किया गया था। केडी सिंह इस कंपनी के निदेशक हैं। आरोप है कि कंपनी ने पोंजी या चिटफंड योजना शुरू कर 2015 से पहले जनता से 1,916 करोड़ रुपये जमा किए थे। कंपनी ने कथित रूप से सेबी की मंजूरी के बिना योजना शुरू की और भोलेभाले निवेशकों को ठगा। नारदा घोटाले में भी केडी सिंह का नाम आया था।

जनता के दुख-दर्द की बात करने वाली ममता बनर्जी भरसक ईमानदार दिखने की भी कोशिश करती हैं, लेकिन उनके झूठ की पोल इस बात से भी खुल जाती है वे घोटाले के आरोपियों को बचाने में लगी रहती हैं। नारदा, सारदा और रोजवैली स्कैम में उनपर आम लोगों के सैकड़ों करोड़ रुपये इधर से उधर करने के आरोप हैं। इन सभी मामलों की जांच चल रही है। ये जांच अदालतों की अगुवाई में केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं। एक जमाने में तृणमूल के नेताओं ने ही सारदा समूह को फलने-फूलने के लिए खाद-पानी मुहैया कराया। अब उसका वही दांव उल्टा पड़ गया है। पार्टी के कई सांसद सीबीआई की गिरफ्त में हैं और कई पूर्व मंत्री और टीएमसी नेता सलाखों के पीछे डाले जा चुके हैं।  

सारदा घोटाले में ममता का डायरेक्ट कनेक्शन !
सीबीआई ने इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईआरसीटीसी) और सारदा ग्रुप के बीच तार जुड़े होने का खुलासा किया है। सारदा ग्रुप और आईआरसीटीसी के बीच एक अनुबंध उस समय हुआ जब ममता बनर्जी रेल मंत्री थीं। रिपोर्ट के मुताबिक आईआरसीटीसी और सारदा ग्रुप ने वर्ष 2010 में टूरिज्म परियोजना को लेकर एक अनुबंध किया था। सीबीआई के अनुसार सारदा टूर्स एवं ट्रेवल्स ने भारत तीर्थ योजना के तहत आधिकारिक रूप से आईआरसीटीसी के लिए दक्षिण भारत पैकेज टूर का आयोजन किया था। भारत तीर्थ योजना की शुरुआत ममता बनर्जी ने 2010-11 में अपने रेल बजट में की थी।

मुखौटा कंपनियों को कार्रवाई से बचाने की कोशिश
पश्चिम बंगाल की सबसे अधिक कंपनियां मुखौटा कंपनियों के खिलाफ की जा रही जांच के घेरे में हैं। आयकर विभाग और गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआइओ) कुल 331 संदिग्ध मुखौटा कंपनियों की जांच कर रही है। इनमें कम से कम 145 कंपनियां कोलकाता में रजिस्टर्ड हैं और 127 कंपनियां गंभीर जांच के घेरे में हैं। इन फर्जी कंपनियों में से कई के तार सत्ताधारी दल से जुड़े हैं। पूंजी बाजार नियामक यानी सेबी ने शेयर बाजारों से इनमें से अधिकतर कंपनियों के कारोबार पर रोक लगा दी है।

फर्जीवाड़ों पर पर्दा डालने की ममता की कोशिश
भारत में बीते तीन साल में दो करोड़ 33 लाख फर्जी राशन कार्ड रद्द कर दिए गए हैं, जिससे सरकार को हजारों करोड़ रुपये की बचत हुई है, लेकिन हैरत वाली बात यह है कि सबसे ज्यादा फर्जी राशन कार्ड ममता बनर्जी के ही पश्चिम बंगाल से ही पकड़े गए हैं। 66 लाख 13 हजार 961 फर्जी राशन कार्ड पश्चिम बंगाल में पकड़े गए हैं और वे सभी के सभी अवैध बांग्लादेशियों के नाम पर हैं। अरबों रुपये का ये घोटाला पश्चिम बंगाल में सरकार के नाक के नीचे चल रहा था, या यूं कहिए कि सरकार की शह पर हो रहा था। एक सच यह भी है कि ये सारे फर्जी राशन कार्ड अवैध बांग्लादेशियों के हैं जो फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनवाकर भारत का नागरिक बन गए हैं।

काले कारोबार का कच्चा चिट्ठा खुल जाने का डर
जब से 500 और 1000 के नोट बंद हुए हैं तब से देश के लोगों को बहुत परेशानी हुई है, लेकिन सबसे ज्यादा इसका दुःख ममता बनर्जी को ही है। दरअसल नोटबंदी की वजह से मुर्शिदाबाद और मालदा में जाली नोटों का धंधा पूरी तरह से ठप पड़ गया है। पाकिस्तान से जाली नोट वाया बांग्लादेश भारत में प्रवेश करता है तो उसका सबसे बड़ा ट्रांजिट प्वाइंट मालदा एवं मुर्शिदाबाद ही है। यह जाली नोट तस्करों का मुख्य कॉरिडोर है और यह ममता बनर्जी का यह वर्ग मुख्य वोट बैंक भी है। जाली नोटों का लगभग 90 प्रतिशत बांग्लादेश के रास्ते होते हुए मालदा और मुर्शिदाबाद से भारत के अन्य शहरों में पहुंचता है। केवल यही नहीं इन्ही क्षेत्रों में अफीम और हथियारों का गैरकानूनी धंधा भी सबसे ज्यादा होता है।

भतीजे को जांच से बचाने की कोशिश
ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक पर घोटाले के आरोप हैं। उनकी कंपनी ‘लीप्स ऐंड बाउंड्स प्राइवेट लिमिटेड’ को राज किशोर मोदी नाम के एक शख्स ने भुगतान किया। प्रोपर्टी डीलिंग का काम करने वाले राज किशोर मोदी पर जमीन हथियाने और हत्या की कोशिश में शामिल होने जैसे आपराधिक आरोप हैं और उसके खिलाफ जांच भी चल रही है। कागजातों से पता चलता है कि राज किशोर ने लीप्स ऐंड बाउंड्स प्राइवेट लिमिटेड में डेढ़ करोड़ रुपयों से ज्यादा का निवेश किया। अभिषेक जब इस कंपनी के डायरेक्टर थे, तब उन्हें कमिशन भी दिया गया था। अभिषेक की कंपनी के निदेशक, जिनमें अभिषेक की पत्नी भी शामिल हैं, मुख्यमंत्री बनर्जी के आधिकारिक निवास ’30 बी, हरिश चटर्जी रोड, कोलकाता’ में रहते हुए दिखाए गए हैं। यानी अभिषेक पर लग रहे आरोपों को ममता के करीब ले आया है।

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