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ई-नाम से किसानों के चेहरों पर रौनक, बदल रही है मंडियों की सूरत

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मोदी सरकार की किसानोन्मुखी नीतियों से किसानों के चेहरों पर रौनक आई हुई है। किसान कृषि से जुड़ी नई तकनीकों और प्रौद्योगिकी को अपना रहे हैं। ऐसी ही एक प्रणाली का नाम है ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजारों के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म), जो मंडियों की सूरत बदलने वाला ऑनलाइन प्लेटफॉर्म साबित हो रहा है। ई-नाम से एक तरफ किसानों के चेहरों पर खिले हुए हैं, वहीं इससे व्यापारियों को भी लाभ पहुंच रहा है। किसानों को अपनी नजदीकी मंडी में बिक्री के लिए अधिक विकल्प उपलब्ध हो रहे हैं। वहीं यह स्थानीय व्यापारियों को व्यापार के लिए बड़े राष्ट्रीय बाजार प्रदान करता है।

ई-नाम मंडियों के लिए एक ऑनलाइन व्यापारिक पोर्टल है। मंडियों में खुले रूप में अपनी उपज बेचने वाले किसान अब इसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से निकट के बाजारों में बेचने में सक्षम हो गए हैं। वहीं स्थानीय व्यापारियों की पहुंच राष्ट्रीय बाजार तक हो गई है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जो मंडियों के राष्ट्रीय नेटवर्क का निर्माण करती है जो इन मंडियों तक किसानों और व्यापारियों की ऑनलाइन पहुंच को सुनिश्चित करती है।

नीलामी से उच्चतम बोली
इस व्यवस्था को लाभ यह है कि इसमें किसानों को नीलामी के जरिए कम समय में ही उच्चतम बोली मिल जाती है। किसान की उपज हासिल करने के लिए कई व्यापारी एक साथ बोली लगाते हैं और सर्वाधिक बोली लगाने वाले किसान की बोली को स्वीकार कर लिया जाता है। किसान कंप्यूटर या मोबाइल एप पर बोली के परिणाम स्वयं देख सकते हैं। इसलिए किसी धोखेबाजी के लिए कोई जगह नहीं बचती है। पुरानी व्यवस्था की बजाए नीलामी की प्रक्रिया केवल कुछ घंटों में ही पूरी हो जाती है। जबकि खुले तौर पर उपज बेचने के लिए किसानों को दिन-रात एक करना पड़ता था।

शीघ्र भुगतान प्रणाली
ई-नाम के माध्यम से किसानों को उनकी उपज का शीघ्र भुगतान संभव हुआ है। पारंपरिक बाजार बिक्री में जहां भुगतान में 10-15 दिन तक का समय लग जाता था, वहीं ई-नाम के जरिए केवल कुछ घंटों में भुगतान सुनिश्चित हो जाता है। इस प्रणाली को अपनाने वाले राज्यों हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्यप्रदेश, तेलंगाना और मध्यप्रदेश के किसानों के लिए इस व्यवस्था वरदान साबित हो रही है। किसानों के अलावा व्यापारी भी भरपूर लाभ उठा रहे हैं।

सभी हितधारकों के लिए फायदेमंद
यह प्लेटफॉर्म किसानों को उपज की गुणवत्ता के अनुरूप मूल्य, ऑनलाइन भुगतान तथा बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद की उपलब्धता के जरिए किसान को राष्ट्रव्यापी बाजार की पहुंच उपलब्ध करवाता है। वहीं उपभोक्ता को उचित मूल्य पर उत्पाद उपलब्ध हो जाता है। ई-नाम बाजारों के एकीकरण के माध्यम से अंतिम उपभोक्ता को सस्ते कृषि उत्पाद उपलब्ध करवाती है मध्यस्थता का खर्च कम करती है। 

सूदखोरों और बिचौलियों से मुक्ति
पारंपरिक बाजार व्यवस्था की बजाए ई-नाम के माध्यम से पारदर्शिता बढ़ी है। किसानों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं को इसका लाभ मिल रहा है। वहीं किसानों को सूदखोरों और बिचौलियों से मुक्ति मिली रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे ई-नाम का प्रचलन बढ़ेगा, वैसे-वैसे बाजार से सूदखोर और बिचौलिये घटते जाएंगे और पारदर्शिता बढ़ती जाएगी।

कई स्तर पर मिलेंगे लाभ
ई-नाम से राज्यों की सभी प्रमुख मंडियों का क्रमिक एकीकरण होने से लाइसेंस जारी करने की सामान्य प्रक्रियाओं, शुल्क एकत्र करने और उपज की अन्य गतिविधियां सुगम हो जाएंगी। किसानों को उपज को लेकर अलग-अलग मंडियों में दौड़ना नहीं पड़ेगा। इससे भविष्य में खरीददारों के लिए न्यूनतम लेन-देन एवं कीमत की स्थिरता जैसे लाभ मिलेंगे। इससे देश में कृषि उत्पादों की कीमत में एकरूपता आएगी और भंडारण को बढ़ावा मिलेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने ई-नाम के शुभारंभ के अवसर पर कहा था कि यह कृषि समुदाय के लिए एक बड़ा बदलाव है। उनकी यह बात अब पूरी तरह से सच सिद्ध हो रही है। उन्होंने यह भी कहा था कि हमें कृषि क्षेत्र को समग्र रूप में देखना होगा तभी किसानों को अधिकतम लाभ सुनिश्चित किया जा सकता है। ई-नाम कृषि को इस समग्रता के साथ लाभ पहुंचा रही है। अभी तक देश की 417 मंडियों के एकीकरण के प्रस्तावों को सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है।

भारत सरकार के कृषि एवं किसान विकास कल्याण मंत्रालय ने छोटे किसानों को कृषि व्यवसाय कंसोर्टियम (एसएफएसी) ई-नाम की प्रमुख कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में नियुक्त किया है। एसएफएसी चयनित साझेदार के साथ मिलकर ई-नाम प्लेटफॉर्म का संचालन का कार्य बखूबी कर रहा है। 

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