राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। उन्होंने संसद भवन में राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल के दफ्तर में नामांकन भरा। नामांकन के दौरान एनडीए की एकजुटता भी नजर आई। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और योगी आदित्यनाथ, शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर, हिमंत बिस्व सरमा, पुष्कर सिंह धामी समेत बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एनडीए के तमाम बड़े नेता मौजूद रहे।
कभी नहीं सोचा था उम्मीदवार बनाया जाएगा-द्रौपदी मुर्मू
बीजेपी अध्यक्ष नड्डा ने जब 21 जून को द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा की, तब वो ओडिशा के मयूरभंज के अपने गांव माहूलडिहा में अपने घर पर थीं। घोषणा से पहले तक उन्होंने सोच नहीं होगा कि वो देश के सबसे बड़े पद के लिए सत्ता पक्ष की तरफ़ से प्रत्याशी बनाई जाने वाली हैं। अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद द्रौपदी मुर्मू ने स्थानीय मीडिया से कहा कि मैं आश्चर्यचकित हूं और खुश भी क्योंकि मुझे राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया गया है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे इस पद का उम्मीदवार बनाया जाएगा।
झोपड़ी से रायसीना हिल की ओर सफर
उम्मीदवार बनाए जाने की घोषणा के बाद द्रौपदी मुर्मू की बेटी इतिश्री ने बताया कि उस दिन शाम को प्रधानमंत्री का एक कॉल आया। उन्होंने जो भी कहा हो, लेकिन मां उसके बाद चुप हो गईं। आंखों में आंसू थे, कुछ भी बोल न सकीं। थोड़ी देर बाद बस धन्यवाद कह पाईं और वो भी बहुत मुश्किल से। इतिश्री ने आगे बताया कि मां ने उनसे कहा कि यह सपने जैसा है। झोपड़ी से सर्वोच्च पद तक का दावेदार बनने तक का सफर सिर्फ सपना ही हो सकता है। आदिवासी समुदाय के लोग ऐसा सपना तक नहीं देखते हैं। बाद में मीडिया से बात करते हुए द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि यह क्षण मेरे, आदिवासी और महिलाओं के लिए ऐतिहासिक है। किसी समय एक शिक्षक के रूप में काम कर चुकीं आदिवासी महिला मुर्मू पहली बार रायसीना हिल की सीढ़ियां चढ़ेंगी।
नाम की घोषणा होने पर द्रौपदी मुर्मू सबसे पहले ओडिशा के रायरंगपुर में स्थित शिव मंदिर में पहुंचीं। यहां उन्होंने खुद झाड़ू से मंदिर की साफ-सफाई की और स्वच्छता का संदेश भी दिया। वे आदिवासी पूजा स्थल जहिरा भी पहुंचीं। केंद्र सरकार ने उन्हें जेड प्लस कैटेगरी की सुरक्षा दे दी है और अब सीआरपीएफ के जवान उनकी सुरक्षा में तैनात होंगे। द्रौपदी मुर्मू का एक वीडियो भी सामने आया है। इसमें उन्हें मंदिर के आंगन में झाड़ू लगाते हुए देखा जा सकता है।
#WATCH | Odisha: NDA’s presidential candidate Draupadi Murmu sweeps the floor at Shiv temple in Rairangpur before offering prayers here. pic.twitter.com/HMc9FsVFa7
— ANI (@ANI) June 22, 2022
गरीब आदिवासी परिवार में संघर्षमय जीवन
20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में जन्मी द्रौपदी मुर्मू ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है। उनका परिवार बहुत गरीब था। शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने पति और अपने दोनों बेटों को खो दिया। घर चलाने और बेटी को पढ़ाने के लिए मुर्मू ने एक शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और फिर उन्होंने ओडिशा के सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक यानि क्लर्क के पद भी नौकरी की। पति और दो बेटों को खो चुकी द्रौपदी मुर्मू के पास बस एक बेटी इति मुर्मू है, जिसे उन्होंने नौकरी से मिलने वाले वेतन से घर खर्च चलाया और बेटी इति को पढ़ाया लिखाया।