राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज तबलीगी जमात पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर ऑडियो वायरल हो रहे हैं, जो अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं। इससे निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के करीब 1500 लोगों के लॉकडाउन की वजह से फंसे होने के मरकज के झूठ का पर्दाफश हो गया है। वायरल ऑडियो में तबलीगी जमात के आयोजक मौलाना मोहम्मद साद कई बातें कहते सुनाई दे रहे हैं। वह कोरोना संक्रमण को साजिश बताते हुए कह रहे हैं कि क्या तुम मौत से भाग जाओंगे ? इससे साफ है कि उन्हें पहले से पता था कि ऐसे जुटने से कोरोना का खतरा है।
ये ख्याल बेकार है कि मस्जिद में जमा होने से बीमारी पैदा होगी-साद
ऑडियो में कुछ लोग खांसते हुए सुनाई देते हैं, जिससे लगता है कि वहां कोरोना पहले ही पहुंच चुका था, लेकिन उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया गया। यहां तक कि मौलाना साद ऑडियो में कहते सुनाई देते हैं कि ये ख्याल बेकार है कि मस्जिद में जमा होने से बीमारी पैदा होगी, मैं कहता हूं कि अगर तुम्हें यह दिखे भी कि मस्जिद में आने से आदमी मर जाएगा तो इससे बेहतर मरने की जगह कोई और नहीं हो सकती।
बीमारी की डर से मस्जिद बंद नहीं होगी- साद
वायरल ऑडियो में साद आगे कहते हैं कि अल्लाह पर भरोसा करो, कुरान नहीं पढ़ते अखबार पढ़ते हैं और डर जाते हैं, भागने लगते हैं। साद आगे कहते हैं कि अल्लाह कोई मुसीबत इसलिए ही लाता है कि देख सके कि इसमें मेरा बंदा क्या करता है। साद आगे कहते हैं कि कोई कहे कि मस्जिदों को बंद कर देना चाहिए, ताले लगा देना चाहिए क्योंकि इससे बीमारी बढ़ेगी तो आप ख्याल को दिल से निकाल दो। साद के इस अपील के बाद न सिर्फ लोग मस्जिद में आए, बल्कि बढ़ते खतरे और लगातार निर्देश और बड़े फैसले के बाद भी काफी तादाद में लोग वहां जमे रहे।
रात 2 बजे साद से मिले डोभाल
जब तेलगांना में तबलीगी जामात के कई लोगों के संक्रमण और मौत की खबर आई तो केंद्र और राज्य सरकारें हरकत में आ गईं। पुलिस और सरकार के निर्देश के बावजूद मस्जिद को खाली नहीं किया गया। मस्जिद के मौलाना साद दिल्ली पुलस और सुरक्षा एजेंसियों के आग्रह को ठुकरा चुके थे। साद अपनी जिद पर अड़े हुए थे। हालात की संवेदनशीलता को देखते हुए आधी रात डोभाल को मनाने के लिए जाना पड़ा। ऐसे में गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से आग्रह किया कि वह जमात को मस्जिद खाली करने के लिए राजी करें।
समझाने के बाद अस्पताल में भर्ती होने पर हुए सहमत
सुरक्षा एजेंसियों ने मरकज में कोरोना संक्रमण का संदेश अगले ही दिन सभी राज्यों और पुलिस को भेज दिया था। NSA डोभाल के समझाने के बाद मरकज 27, 28 और 29 मार्च को 167 तबलीगी वर्कर्स को अस्पताल में भर्ती कराने पर सहमत हुआ। डोभाल के हस्तक्षेप के बाद ही जमात नेता मस्जिद की भी सफाई को राजी हुए। डोभाल ने मुसलमानों के साथ अपने पुराने संपर्कों का इस्तेमाल कर इस काम को अंजाम दिया। देश की सुरक्षा के लिए रणनीति बनाने के लिए मुस्लिम उलेमा उनके साथ मीटिंग कर चुके थे।
कोरोना टेस्ट के लिए डोभाल ने समझाया
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, गृह मंत्री के आग्रह पर डोभाल 28-29 मार्च की दरम्यानी रात 2 बजे मरकज पहुंचे। गृह मंत्रालय के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि डोभाल ने मौलाना साद को समझाया और वहां मौजूद लोगों का कोविड-19 टेस्ट कराने को कहा साथ ही लोगों को क्वारंटीन में रखने की बात भी कही। शाह और डोभाल को स्थिति की गंभीरता का पता था क्योंकि सुरक्षा एजेंसियों ने करीमनगर में इंडोनेशिया के 9 कोरोना पीड़ित लोगों की पहचान कर चुकी थी।
निजामुद्दीन स्थित मरकज से करीब 1,548 लोगों को निकाला गया है। इनमें से 441 में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं और इन्हें एलएनजेपी, राजीव गांधी सुपर स्पेशिलिटी और जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके अलावा 1,107 लोगों को नरेला में आइसोलेशन में रखा गया है।

निजामुद्दीन मरकज मामले में दिल्ली पुलिस ने मौलाना साद, डॉ जीशान, मुफ्ती शहजाद, एम सैफी, युनूस और मोहम्मद सलमान के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की है। इस बीच, मौलान साद 28 मार्च के बाद से लापता है। पुलिस ने उसे नोटिस भेजा है। साद की तलाश जारी है।
