चालू वित्त वर्ष में डायरेक्ट टैक्स से जमा हुई रकम के आंकड़ों ने नोटबंदी के आलोचकों के मुंह पर जोरदार तमाचा जड़ा है। आरोप लगाए जा रहे थे कि सभी पुराने नोट सिस्टम में वापस लौट आए तो फिर कालाधान कहां सामने आया? लेकिन, फाइनेंसियल एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार अप्रैल से दिसंबर, 2017 तक नोटबंदी के चलते सिर्फ प्रत्यक्ष कर राजस्व में 18.2% का इजाफा हुआ है। यह आंकड़ा बजटीय अनुमान से ढाई गुना ज्यादा है। यानी नोटबंदी के तमाम फायदे सामने आने के बाद कालेधन जमा नहीं होने को लेकर फैलाई जा रही झूठ से भी पर्दा उठ चुका है।
नोटबंदी के चलते सरकारी खजाने में आमदनी बढ़ी
आंकड़े बता रहे हैं कि अप्रैल से दिसंबर, 2017 के बीच सिर्फ प्रत्यक्ष कर से सरकार के खजाने में लगभग 20,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त जमा हुए। इसके आधार पर पूरे वित्त वर्ष में अर्थव्यस्था को कुल 46,000 करोड़ के लाभ मिलने की संभावना बन गई है। जबकि, जीएसटी लागू होने के चलते प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों की आवक में और अधिक उछाल मिलना लगभग तय है। अगर सबकुछ मौजूदा अनुमानों पर चलता रहा तो चालू वित्त वर्ष के अंत में बजटीय घाटा 3.2% के बजटीय लक्ष्य के मुताबिक ही रहने वाला है। जिस दिन ऐसा होगा, नोटबंदी को ‘बुरा’ फैसला बताने वाले अर्थशास्त्रियों को मुंह छिपाने की जगह नहीं मिलेगी।
अबतक लगभग साढ़े तीन लाख ‘काली कंपनियों’ की दुकान बंद
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केंद्र सरकार ने और 1.20 लाख ‘काली कंपनियों’ का नाम आधिकारिक रिकॉर्ड से हटाने की घोषणा कर दी है। कालेधन पर लगाम लगाने के लिए इसे बहुत बड़ा कदम माना जा रहा है। मोदी सरकार इससे पहले भी पिछले साल दिसंबर तक लगभग 2.26 लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर चुकी है और उनसे जुड़े 3 लाख से ज्यादा डायरेक्टरों को अयोग्य घोषित किया है। दरअसल ये कंपनियां कालेधन को इधर से उधर करने के लिए ही बनाई गई थीं।
कालेधन पर ताबड़तोड़ प्रहार
नोटबंदी द्वारा हुए लाभों में से सबसे बड़ी सफलता कालेधन पर शिकंजा कसने में हासिल हुई। इसकी सहायता से 18 लाख संदिग्ध खातों की पहचान की जा सकी। अभी भी 2.89 लाख करोड़ रुपये जांच के दायरे में हैं। 3,500 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 900 से अधिक बेनामी संपत्तियां जब्त की गईं हैं। 22.23 लाख से ज्यादा अकाउंट्स जांच के दायरे में हैं। साढ़े चार लाख से ज्यादा के ऐसे ट्रांजेक्शंस की पहचान हुई जो संदेह के दायरे में हैं। यही नहीं कर व्यवस्था से जुड़ने वाले नए करदाताओं की संख्या बढ़कर 56 लाख से ज्यादा हो गई है।
डिजिटल पेमेंट बढ़ने से कालेधन पर लगाम
भारत इंटरफेस फॉर मनी यानी BHIM एप के हालिया आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल दिसंबर में यूपीआई प्लेटफॉर्म पर 14.5 करोड़ ट्रांजेक्शन के जरिए लगभग 13,174 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। यह पहली बार है कि एक महीने में यूपीआई के जरिए ट्रांजेक्शन का आंकड़ा 14 करोड़ के पार पहुंच गया। उसके पहले नवंबर, 2017 में इसके जरिए 10.5 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए थे, और लगभग 9,669 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था। इसी प्रकार अक्टूबर, 2017 में कुल 7.69 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए थे और लगभग 7,075 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था। यानी आंकड़ों से साफ है कि हर महीने यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट की संख्या में अच्छी-खासी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। यूपीआई को अगस्त, 2016 में ही लांच किया गया था, लेकिन लेनदेन की संख्या में बढ़ोतरी 8,नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद से हुई है।
महीना | डिजिटल ट्रांजेक्शन की संख्या | यूपीआई के जरिए लेनदेन |
अक्टूबर,2017 | 7.69 करोड़ | 7,075 करोड़ रुपये |
नवंबर, 2017 | 10.5 करोड़ | 9,669 करोड़ रुपये |
दिसंबर, 2017 | 14.5 करोड़ | 13,174 करोड़ रुपये |
40 प्रतिशत बढ़े NEFT
जेफरीज के अनुसार नोटबंदी के बाद बैंक उपभोक्ताओं द्वारा डिजिटल पेमेंट बढ़ा है। नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (NEFT) में 30 प्रतिशत की बढ़त हुई है। प्रति लेनदेन के हिसाब से भी NEFT में 10 प्रतिशत की बढ़त हुई है। इस तरह कुल मिलाकर NEFT में 40 प्रतिशत की बढ़त हुई है।
IMPS में 100 प्रतिशत की वृद्धि
जेफरीज की रिपोर्ट के अनुसार IMPS में भी बढ़त देखने को मिली है। इसके तहत 24X7 के लेनदेन की उपलब्धता और आकर्षक पेमेंट्स सिस्टम की वजह से इसमें अभी भी 100 प्रतिशत से अधिक की बढ़त देखने को मिल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद प्वाइंट ऑफ सेल (POS) मशीनों पर भुगतान तीन गुना बढ़ा है।
कार्ड स्वाइप भुगतान में भी बढ़ोतरी
08 नवंबर, 2016 को डिमोनिटाइजेशन के बाद डेबिट कार्ड स्वाइप कर भुगतान करने में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में भी 40 प्रतिशत से अधिक की बढ़त देखी गई है।
Rupay का इस्तेमाल बढ़ा
जेफरीज के अनुसार ई-कॉमर्स के लिए Rupay का इस्तेमाल बढ़ा है। इसके साथ ही ई-कॉमर्स पर किए जाने वाला खर्च भी दोगुना से अधिक बढ़ा है। गौरतलब है कि Rupay वीजा और मास्टरकार्ड की ही तरह घरेलू कार्ड पेमेंट सिस्टम है। नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री द्वारा डिजिटल सोसाइटी बनाने के आह्वान का देश के लोगों पर असर हो रहा है अब इसके प्रत्यक्ष उदाहरण सामने आ रहे हैं।
कालेधन में कमी के चलते घरों की कीमतें घटीं
नोटबंदी के बाद कई स्थानों पर अचल संपत्ति की कीमतों में कमी आ रही है। इसका कारण ये है कि लेनदेन में पारदर्शिता आने से रियल एस्टेट में कालेधन के निवेश पर बहुत बड़ी मार पड़ी है। इसका सकारात्मक परिणाम ये हुआ है कि अपने घर का सपना अब आम लोगों के लिए सच्चाई में परिवर्तित होने लगा है। 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक 8 प्रमुख शहरों में अचल संपत्ति का औसत मूल्य 8 नवंबर, 2016 के बाद गिर गया। दरअसल संपत्ति खरीदने और बेचने में नकद लेनदेन के लिए कालेधन के इस्तेमाल में रियल एस्टेट क्षेत्र कुख्यात था।