Home समाचार संसदीय व्यवस्था की गरिमा बढ़ाना समय की मांग: प्रधानमंत्री

संसदीय व्यवस्था की गरिमा बढ़ाना समय की मांग: प्रधानमंत्री

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एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार वेंकैया नायडू के भाषणों लेखों के संकलन ”Tireless Voice Relentless journey:Key speeches & articles of Venkaiah Naidu” का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विमोचन किया। शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर उन्होंने वेंकैया नायडू के आचरण और विचारों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हमें उच्च सदन में वेंकैया नायडू जैसा मार्गदर्शक मिलने जा रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि आज संसद की गतिविधियों की आलोचना हो रही है। उन्होंने कहा, ”संसदीय व्यवस्था, संसदीय मर्यादा, संसदीय आचरण और संसदीय गरिमा का बहुत बड़ा महत्व है और इसकी गरिमा को बचाए रखना हम सबकी जिम्मेवारी है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रजीवन में 2017 से 2022 का कालखंड महत्वपूर्ण है।

संसदीय व्यवस्था की गरिमा बढ़ाएं
पीएम मोदी ने कहा कि एक बेटी जब बहू बनती है तो 24 घंटे पहले उसके पूरे व्यवहार में एकदम से बदलाव महसूस होता है। एक नई जिम्मेवारी के साथ बेटी के बहू बनने से जो बदलाव अपने भीतर अनुभव करती है वही बदलाव हम जनप्रतिनिधियों को भी अनुभव करना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा, ”हम भी एक जन प्रतिनिधि हैं यह हमारे भीतर इवोल्व करना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि वेंकैया नायडू अभी उपराष्ट्रपति नहीं बने हैं लेकिन इस जिम्मेदारी के अहसास के साथ ही उनमें बदलाव दिखने लगा है। पीएम मोदी ने कहा कि संसदीय मर्यादा, संसदीय आचरण, संसदीय गरिमा का बहुत बड़ा महत्व है और संसदीय व्यवस्था की गरिमा बढ़ाना समय की मांग है।

राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठे उच्च सदन
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश के संसद की गतिविधियों की आलोचना हो रही है। हमलोगों का एक दायित्व बनता है कि हम सब मिलकर संसद की गरिमा को कैसे ऊपर उठाएं जो लोकतंत्र के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा, ”संसद की गरिमा अपर हाउस में चर्चा का स्तर, व्यवहार क्या हो, अपर हाउस किस प्रकार से गाइड करे। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर कोई कार्य कर सकता है तो यह अपर हाउस है।

वेंकैया जी का साथ देने का संकल्प लें
पीएम मोदी ने कहा कि आज संसदीय गरिमा को लेकर निराशा का वातावरण है इस निराशा के दौर से बाहर निकालने की जगह उच्च सदन है। उन्होंने कहा, हम कमिटमेंट और क्लीयर विजन के साथ तय कर लें कि क्या करना है तो निराशा का दौर खत्म होगा। दायित्व बड़ा है लेकिन सफलता तय है। उन्होंने वोटिंग के दौरान लकीर खींचने की बात को सदस्यों के संकल्प से जोड़ दिया। पीएम मोदी ने कहा, ”कल होने वाली लकीर कागजी लकीर नहीं है यह हमारे भीतर के संकल्प की लकीर है कि हम वेंकैया जी के साथ खड़े रहेंगे।”

2017-2022 में आएगा चमत्कारिक बदलाव
पीएम मोदी ने कहा, 2017-2022 राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का नया कालखंड है लेकिन राष्ट्र जीवन का एक बड़ा महत्वपूर्ण कालखंड है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से 1942 से 1947 के कालखंड में देश में बड़ा चमत्कारिक बदलाव आया था, जिसने हमें आजादी दिलाई थी, मैं 2017-2022 को उसी रूप से देखता हूं।

शीर्ष पदों पर समान विचारों के लोग
प्रधानमंत्री ने कहा, ”ऐसे समय में समान संस्कारों और समान विचारों से पले बढ़े राष्ट्रपति हो, उपराष्ट्रपति हो, पार्लियामेंट के स्पीकर हो या हम सब लोग जो हैं, जिनको ये दायित्व मिला है, एक ही परंपरा से, एक ही कुनबे के लोग हैं। ऐसा अवसर आजादी के बाद शायद पहली बार आया है।”

पांच सालों में देश को बहुत कुछ देंगे
पीएम मोदी ने कहा कि देश में अधिकतर समय कांग्रेस का शासन रहा है और कांग्रेस पार्टी हमेशा एक मिली जुली व्यवस्था रही है। कांग्रेस हर कुनबे के अंब्रेला का रूप रहा है। लेकिन हमलोगों का रूप अलग है इसलिए संभावना बहुत है कि हम अगले पांच सालों में देश को बहुत कुछ दे पाएंगे।

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