Home विशेष डिजिटल पेमेंट में बढ़ोतरी से पारदर्शी शासन को मिल रही ‘शक्ति’

डिजिटल पेमेंट में बढ़ोतरी से पारदर्शी शासन को मिल रही ‘शक्ति’

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भ्रष्टाचार से निपटने, पारदर्शी और प्रभावी शासन उपलब्ध कराने और गरीब-अमीर के बीच खाई को पाटने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया का कंसेप्ट सामने रखा है। डिजिटल पेमेंट को प्रचलन में लाना भी इसी व्यवस्था का हिस्सा है। इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म जेफरीज ने एक रिपोर्ट में कहा है कि बैंक उपभोक्ताओं द्वारा डिजिटल पेमेंट बढ़ा है।

40 प्रतिशत बढ़े NEFT
जेफरीज के अनुसार नोटबंदी के बाद बैंक उपभोक्ताओं द्वारा डिजिटल पेमेंट बढ़ा है। नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (NEFT) में 30 प्रतिशत की बढ़त हुई है। प्रति लेनेदेन के हिसाब से भी NEFT में 10 प्रतिशत की बढ़त हुई है। इस तरह कुल मिलाकर NEFT में 40 प्रतिशत की बढ़त हुई है।

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IMPS में 100 प्रतिशत की वृद्धि
जेफरीज के रिपोर्ट के अनुसार IMPS में भी बढ़त देखने को मिली है। इसके तहत 24X7 के लेनेदेन की उपलब्धता और आकर्षक पेमेंट्स सिस्टम की वजह से इसमें अभी भी 100 प्रतिशत से अधिक की बढ़त देखने को मिल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद प्वाइंट ऑफ सेल (POS) मशीनों पर भुगतान तीन गुना बढ़ा है।

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कार्ड स्वाइप भुगतान में बढ़ोतरी
08 नवंबर, 2016 को डिमोनिटाइजेशन के बाद कार्ड स्वाइप कर भुगतान करने में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) और सरकार की तरफ से लाए गए BHIM मोबाइल ऐप का इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ा है। वहीं क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में भी 40 प्रतिशत से अधिक की बढ़त देखी गई है।

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Rupay का इस्तेमाल बढ़ा
जेफरीज के अनुसार ई-कॉमर्स के लिए Rupay का इस्तेमाल बढ़ा है। इसके साथ ही ई-कॉमर्स पर किए जाने वाला खर्च भी दोगुना से अधिक बढ़ा है। गौरतलब है कि Rupay वीजा और मास्टरकार्ड की ही तरह घरेलू कार्ड पेमेंट सिस्टम है। प्रधानमंत्री द्वारा डिजिटल सोसाइटी बनाने के आह्वान का देश के लोगों पर असर हो रहा है अब इसके प्रत्यक्ष उदाहरण सामने आ रहे हैं।

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23 गुना बढ़ गए डिजिटल ट्रांजेक्शन
नीति आयोग के मुताबिक मार्च 2017 में 63,80,000 डिजिटल ट्रांजेक्शन्स हुए जिनमें 2,425 करोड़ रुपयों का लेनदेन हुआ। नवंबर 2016 से अगर इसकी तुलना की जाए तो उस वक्त 2,80,000 डिजिटल लेनदेन हो रहे थे जिनमें 101 करोड़ रुपयों का लेनदेन हुआ था। यानि इसमें 23 गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जाहिर है पांच महीने में बढ़ोतरी दर्शाता है कि लोग डिजिटल ट्रांजेक्शन्स के साथ सहज होते जा रहे हैं।

लेस कैश व्यवस्था बनाना उद्देश्य
रिजर्व बैंक के अनुसार 4 अगस्त तक लोगों के पास 14,75,400 करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थे। जो वार्षिक आधार पर 1,89,200 करोड़ रुपये की कमी दिखाती है। जबकि वार्षिक आधार पर पिछले साल 2,37,850 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की गई थी। इस प्रकार, बिना किसी प्रतिबंध के, नोटबंदी के बाद कैश का प्रचलन कम हो रहा है।

मोबाइल वॉलेट लेन-देन में भी बढ़ोतरी
एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक यह रफ्तार आनेवाले दिनों में और तेज होगी। कंसल्टेंसी कंपनी डिलॉयट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सालाना 126 प्रतिशत की दर से बढ़ते हुए मूल्य के हिसाब से मोबाइल वॉलेट से लेनदेन 2022 तक 32,000 अरब रुपये पर पहुंच जाएगा। मोबाइल वॉलेट से लेनदेन की संख्या में हर साल 94 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है।

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