”कमिंग सून- अमेठी अचार- एक ब्रैंड जन्मा, विकसित हुआ और अमेठी की महिलाओं द्वारा अप्रैल 2017 में खुले प्रधानमंत्री कौशल केंद्र (पीएमकेके) में आगे बढ़ रहा है।”
Coming soon – Amethi Pickles – a brand conceived, developed and nurtured by women of Amethi at Pradhan Mantri Kaushal Kendra (PMKK) centre inaugurated in April 2017. pic.twitter.com/IBuLc0fwOF
— Smriti Z Irani (@smritiirani) 16 February 2018
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने इस ट्वीट से ये बात बताई है कि अमेठी में विकास कार्य शुरू ही नहीं हुए बल्कि ये धरातल पर दिखने भी लगे हैं।
स्वाबलंबन की ओर बढ़ीं अमेठी की महिलाएं
अचार के ब्रैंड से लेकर इसे बनाने और पैक करने का काम जिले की महिलाओं ने ही किया है। पिछले साल अप्रैल महीने में यहां प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत सेंटर स्थापित किया गया था जिसके तहत स्थानीय महिलाओं ने यहां अचार तैयार किया है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को अप्रैल 2015 में लॉन्च किया गया था। इस योजना का लक्ष्य युवाओं को रोजगारपरक कौशल विकास के लिए प्रोत्साहित करना है।
‘Amethi Pickles’ showcasing ability and entrepreneurial skills of women of Amethi will be exhibited at ‘World on a Platter – Skill India Pavilion’ to be organised in New Delhi on 17-18 February 2018. pic.twitter.com/1drCXEwDdY
— Smriti Z Irani (@smritiirani) 16 February 2018
बदल रही अमेठी की पहचान
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी की पहचान अब तक गांधी परिवार के कारण बनी रही, लेकिन अब जल्द ही अमेठी का अचार जिले की नई पहचान के रूप में सामने आ रहा है। बहरहाल हम जानते हैं कि किस तरह गांधी परिवार के संरक्षण में होने के बावजूद अमेठी का विकास नहीं हो पा रहा था। टूटे-फूटे मकान, कच्ची सड़कें, बेहाल किसान और उद्योग धंधों का नामो निशान तक नहीं था।
अमेठी को मिली अपनी कचहरी
2011 में कचहरी बनवाने का एलान किया गया था, लेकिन 2017 तक ये नहीं बन पाया था। जब राज्य में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो ही कचहरी का निर्माण हो पाया। अमेठी के गांवों में आते ही कच्ची सड़कें, बिलबिलाती कीचड़ के बीच फंसती गाड़ियां, इंदिरा आवास योजना होने के बावजूद कच्चे मिट्टी के घर ये साबित करते हैं कि विकास के मामले में अमेठी कितना पिछड़ा है।
पिपरी गांव को मिला बांध
जनता की उपेक्षा का आलम यह था कि पिपरी और उसके आस पास के गांव गोमती नदी की कटान में निरंतर कट रहे थे। लोगों ने राहुल गांधी से कई बार कहा, लेकिन उन्होंने अनसुना कर दिया। बांध नहीं बनने की वजह से पिपरी के मतदाताओं ने 2014 के चुनाव का बहिष्कार किया था। योगी सरकार आते ही इसके लिए 15 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिये और एक करोड़ रुपये रिलीज भी हो गए हैं।
भाजपा सरकार में विकास को मिली तेज रफ्तार
ऊंचाहार से रेल लाइन का वादा पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और राहुल गांधी ने किया तो जरूर, लेकिन उस योजना के लिए सर्वे और 190 करोड़ का आवंटन पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में पूरा हुआ है। इसके साथ ही अस्पताल में टीबी का यूनिट भूमि परीक्षण प्रयोगशाला, एफएम रेडियो स्टेशन, जैसी योजनाएं भी धरातल पर उतर रही हैं।
31 वर्ष बाद परसौली में बनी सड़क
अमेठी विधानसभा के परसौली में बीते 31 वर्षों से सड़क नहीं थी, इसी कारण यहां के लोगों ने विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार भी किया था। प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आते ही सबसे पहले सड़कों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की और परसौली को भी सड़क मिल गया है। बहरहाल हम ये भी जानने का प्रयास करते हैं कि गांधी परिवार के शासनकाल में विकास की दौड़ में अमेठी किस तरह पिछड़ा हुआ था और इसकी वजह क्या थी।
योजनाओं के नाम पर जमीन हड़पने का खेल
राहुल गांधी के समय ही अमेठी के जगदीशपुर को इंडस्ट्रियल हब के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव पास हुआ था। दावा किया गया था कि यहां 300 से अधिक फैक्ट्रियां लगेंगी, लेकिन कुछ लोगों ने वहां जमीनों के नाम पर सरकार से सब्सिडी ली और फरार हो गए। अब अधिकतर जमीनें खाली पड़ी हैं। मेगा फ़ूड पार्क, हिंदुस्तान पेपर मिल, आईआईआईटी, होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट जैसी तमाम योजनाएं लाई गईंं जो केवल जमीन हड़पने के लिए ही इस्तेमाल की गईं।
राजीव गांधी ट्रस्ट के नाम पर जमीन कब्जा
अमेठी के जायस के रोखा गांव में 1.0360 हेक्टेयर जमीन जिसे जिला प्रशासन ने स्वयं सहायता समूहों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिये दिया था, उसे कागजों में हेराफेरी करके राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम दिया। एक लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद अमेठी जिला प्रशासन को अब दोबारा इस पर कब्जा मिला है।
टूरिस्ट के तौर पर अमेठी आते हैं राहुल
राहुल गांधी जब भी अमेठी आते हैं वह एक राजनीतिक पर्यटन की तरह होता है। कई बार तो लोगों ने उनके लापता होने की पोस्टर तक लगा दिए हैं। अमेठी के राजनीतिक-सामाजिक हलकों में यह बात आम हो गई है कांग्रेस के युवराज केवल ‘राजनीतिक पर्यटक’ के तौर पर ही उत्तर प्रदेश आते हैं।
अमेठी को अपनी मिलकियत समझते हैं राहुल गांधी
दरअसल यह सब इसलिए है कि गांधी परिवार ने अमेठी को एक संसदीय क्षेत्र के तौर पर नहीं बल्कि अपनी जागीर माना है। कोई आपदा या मृत्यु में भी वह चार-छह महीने के बाद पहुंचते हैं। यही नहीं बल्कि वे अमेठी दौरे पर हमेशा ही चुनिंदा जगह ही पहुंचते हैं। वह भी उनके कुछ खास लोग तय करते हैं कि उन्हें कहां जाना है या कहां जाना चाहिए।