भारत-चीन तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीन दिवसीय रूस दौरे के लिए रवाना हो गए हैं। इस दौरान वह शीर्ष रूसी राजनेताओं से मुलाकात करेंगे और देशों के बीच रक्षा और रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा होने की उम्मीद है। लद्दाख की स्थिति और चीन के अतिक्रमण पर भी बातचीत हो सकती है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया ट्वीट
मास्को रवाना होने से पहले सिंह ने ट्वीट किया, ‘तीन दिवसीय यात्रा पर मास्को रवाना हो रहा हूं। यह यात्रा भारत-रूस रक्षा और सामरिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए बातचीत का अवसर देगी। मुझे मास्को में 75वीं विजय दिवस परेड में भी शामिल होना है।’
मास्को रवाना होने से पहले सिंह ने ट्वीट किया, ‘तीन दिवसीय यात्रा पर मास्को रवाना हो रहा हूं। यह यात्रा भारत-रूस रक्षा और सामरिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए बातचीत का अवसर देगी। मुझे मास्को में 75वीं विजय दिवस परेड में भी शामिल होना है।’
Leaving for Moscow on a three day visit. The visit to Russia will give me an opportunity to hold talks on ways to further deepen the India-Russia defence and strategic partnership. I shall also be attending the 75th Victory Day Parade in Moscow.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) June 22, 2020
सैन्य सहयोग बढ़ाने को लेकर होंगी बैठकें
अधिकारियों ने कहा कि चीन के साथ सीमा पर तनाव होने के बावजूद सिंह ने रूस की यात्रा स्थगित नहीं की क्योंकि रूस के साथ भारत के दशकों पुराने सैन्य संबंध हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री रूस के उच्च अधिकारियों के साथ दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग बढ़ाने को लेकर कई बैठकें करेंगे। भारतीय सशस्त्र सेनाओं के तीनो अंगों का सम्मिलित 75 सदस्यीय एक दस्ता परेड में हिस्सा लेने पहले ही मास्को पहुंच चुका है।
रक्षा उपकरणों की अर्जेंट सप्लाई की मांग
सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस यात्रा के दौरान रक्षा मंत्री रूस से सुखोई-30 एमकेआई, मिग-29, टी-90 टैंक और किलो क्लास सबमरीन के लिए इक्विपमेंट की अर्जेंट सप्लाई की मांग करेंगे। पहले इन उपकरणों की सप्लाई समुद्री रास्ते से होनी थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण यह पिछले कुछ समय से अटकी हुई है। राजनाथ सिंह अब रूस से कहेंगे कि वह समुद्री रास्ते की बजाय हवाई मार्ग के जरिए जल्द से जल्द इन सामानों की सप्लाई करे। साथ ही भारत एस-400 ट्रायम्फ एंटी मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी में तेजी लाने के लिए रूस से कह सकता है।
500 करोड़ का इमरजेंसी फंड जारी
उधर मोदी सरकार ने युद्ध की तैयारियों के मद्देनजर तीनों सेनाओं के लिए 500 करोड़ का इमरजेंसी फंड जारी किया है। सेना इस फंड से कोई भी हथियार जरूरत पड़ने पर खरीद लेगी। सीमा पर तनातनी के बीच सेना को मिली यह बड़ी आर्थिक मदद है। सुरक्षाबल, डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स की सहमति के साथ जरूरी समझने पर किसी भी तरह के हथियार खरीद सकेंगे। सेनाएं जिन हथियारों की कमी से जूझ रही हैं उन्हें भी खरीदने की इजाजत मिल जाएगी।
आपात स्थिति में हथियारों की खरीद संभव
दरअसल, पूर्वी लद्दाख में चीन ने अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है। ऐसे में चीनी सेना की आक्रामकता और वास्तविक नियंत्रण रेखा यानि एलएसी पर बड़ी संख्या में अपने सैनिकों की तैनाती के बाद सरकार की ओर से आपात स्थिति में हथियारों की खरीद की शक्ति सेना को देने की जरूरत महसूस की गई थी। इसी के मद्देनजर उक्त फैसला लिया गया है। सरकार ने सेनाओं को यह अधिकार पहली बार नहीं दिए हैं। इससे पहले उड़ी हमले के बाद भी सशस्त्र बलों को इसी तरह की वित्तीय शक्तियां प्रदान की गई थीं। उस वक्त वायुसेना ने बालाकोट एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया था।
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