इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने गुरुवार को दैनिक भास्कर के आवासीय और व्यावसायिक परिसरों पर छापेमारी की। मुंबई, दिल्ली, भोपाल, इंदौर, जयपुर, कोरबा, नोएडा और अहमदाबाद सहित 32 से ज्यादा परिसरों में छापे मारे गए। ये छापे टैक्स चोरी के आरोपों के साथ आयकर अधिनियम की धारा 132 के तहत मारे गए। लेकिन छापे के साथ ही विपक्ष और सरकार विरोधी पक्षकारों ने प्रेस की आजादी पर हमला और इमरजेंसी जैसे हालात का विधवा विलाप करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं कांग्रेस के करीबी वामपंथी मीडिया हाउस एनडीटीवी के साथ इंटरव्यू में दैनिक भास्कर के एडिटर ओम गौड़ ने कहा कि इनकम टैक्स वालों ने उन्हें काम करने से रोका। वो आए और बैठ गए। उन्होंने खबर पब्लिश करने से पहले दिखाने के लिए कहा। उन्होंने स्टोरी देखी, बदलाव करने के लिए कहा और उसके बाद ही पब्लिश की गई।
What exactly was the Income Tax team doing when they raided the Dainik Bhaskar office? They were suggesting changes in their web stories and taking editorial calls. Stunning revelation by the natl editor of the newspaper Mr Om Gaur. ? pic.twitter.com/8hoVRDjLLl
— Sanket Upadhyay (@sanket) July 22, 2021
इस इंटरव्यू के वायरल होने के बाद आयकर विभाग ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर इन आरोपों को खारिज कर दिया है। विभाग ने ट्वीट किया है कि मीडिया के कुछ वर्गों की ओर से ये आरोप लगाए जा रहे हैं कि एक प्रकाशन के दफ्तरों में तलाशी के दौरान आयकर विभाग के अफसरों ने खबरों में बदलाव करने को कहा और संपादकीय से जुड़े फैसले खुद लेने लगे। ये आरोप बिल्कुल झूठे हैं और आईटी विभाग द्वारा इसका पूरी तरह से खंडन किया जाता है।
Certain allegations have appeared in some sections of media that ITDept officials were suggesting changes in stories &taking editorial decisions during their search on offices of a certain publication.These allegations are absolutely false &are categorically denied by ITDept(1/3)
— Income Tax India (@IncomeTaxIndia) July 22, 2021
अगले ट्वीट में इनकम टैक्स विभाग ने कहा है कि विभाग के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए जांच टीम ने सिर्फ कर चोरी से संबंधित समूह के वित्तीय दस्तावेजों और लेन-देन की पड़ताल की है।
In keeping with the Department’s protocol, the Investigation team only looked into the financial transactions of the group related to tax evasion.(2/3)
— Income Tax India (@IncomeTaxIndia) July 22, 2021
एक और ट्वीट में विभाग ने एनडीटीवी के साथ इंटरव्यू का जिक्र करते हुए लिखा कि मीडिया को दिए अपने साक्षात्कार के अनुसार ओम गौड़ लखनऊ में हैं। आयकर विभाग इस बात पर जोर देकर कह रहा है कि समूह के लखनऊ दफ्तर पर छापेमारी ही नहीं की गई है। ओम गौड़ से पूछताछ तक नहीं किए गए हैं। जो आरोप लगाए जा रहे हैं वे बिलकुल निराधार हैं और प्रायोजित लग रहे हैं।
Shri Om Gaur is based in Lucknow as per his interview to media. It is emphasised that Lucknow office of the publication was not searched by the Income Tax team. Sh Om Gaur was not even questioned. The allegations being made have no basis & in fact seem to be highly motivated(3/3)
— Income Tax India (@IncomeTaxIndia) July 22, 2021
दैनिक भास्कर ग्रुप पर छापेमारी को लेकर जो विपक्षी नेता और पक्षकार सवाल उठा रहे हैं उनके लिए यह जानना जरूरी है कि यह समूह मीडिया बिजनेस के साथ ही दूसरे कारोबार से भी जुड़ा हुआ है। दैनिक भास्कर समूह का कारोबार विभिन्न क्षेत्रों में है। समूह में होल्डिंग और सहायक कंपनियों सहित 100 से अधिक कंपनियां हैं। यह मीडिया संस्थान के अलावा कई अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी संचालित करता है। इनमें मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा भोपाल स्थित डीबी सिटी मॉल, फैक्ट्री, ज्वेलरी, कपड़ा, बिजली, नमक, माइनिंग, रियल स्टेट आदि व्यवसाय शामिल हैं। यह व्यवसाय मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात के साथ देश के अलग-अलग स्थानों पर किए जाते हैं।
दैनिक भास्कर समूह सालाना 6000 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करता है। बताया जा रहा है कि फर्जी खर्च और शेल संस्थाओं के जरिए समूह पर भारी कर चोरी के आरोप हैं। आरोप है कि समूह ने कर चोरी के लिए अपने कर्मचारियों के साथ शेयरधारकों और निदेशकों के रूप में कई पेपर कंपनियां बनाई हैं। सूत्रों के अनुसार मॉरीशस स्थित संस्थाओं के माध्यम से शेयर प्रीमियम और विदेशी निवेश के रूप में निकाले गए धन को विभिन्न व्यक्तिगत और व्यावसायिक निवेशों में वापस भेज दिया जाता है। पनामा लीक मामले में परिवार के सदस्यों के नाम भी सामने आए हैं।
दैनिक भास्कर समूह के मालिक अग्रवाल बंधुओं सुधीर अग्रवाल, गिरीश अग्रवाल और पवन अग्रवाल के घर सहित भास्कर के प्रमोटर्स के आवास और दफ्तरों पर भी आयकर विभाग की टीम ने छापेमारी की। बताया जाता है कि फर्जी खर्च और नकली संस्थाओं के नाम पर खरीद का दावा करके समूह ने भारी कर चोरी की है। समूह से जुड़े लोगों का नाम पनामा लीक पेपर मामले में भी सामने आया है। बताया जा रहा है कि कर चोरी के मामले में आयकर विभाग समूह की तरफ से दिए गए दस्तावेजों से संतुष्ट नहीं था। इसके बाद कर चोरी मामले की जांच के लिए यह छापेमारी की गई है।
छापेमारी के बाद प्रेस की स्वतंत्रता और बोलने की आजादी पर लगाम लगाने का नारा लगा कर आप कुछ भी नहीं कर सकते। मीडिया की आड़ में आपको गैरकानूनी काम करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता। देखिए भास्कर के संपादक रहे एल एन शीतल का इस बारे में क्या कहना है। उन्होंने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा है-

