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लालू के सामने अब घोटाला और भ्रष्टाचार जैसे शब्द भी बेमानी हैं !

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दशकों से कांग्रेस नेतृत्व के सियासी चहेते बने आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव अपने ही पापों के जाल में उलझ चुके हैं। वो एक कारनामे को दबाने की सोचते हैं कि उनका दूसरा गुनाह सामने आ जाता है। लेकिन लगता है कि अब उनके लिए घोटालों और भ्रष्टाचार को छिपाना आसान नहीं रहा। रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने देश के खजाने को जो चूना लगाया अब उसके हिसाब देने का समय आ गया है। सीबीआई ने उनके और उनके परिवार के कई सदस्यों के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

लालू के ठिकानों पर सीबीआई का छापा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शुक्रवार को सीबीआई ने लालू और उनके परिवार से जुड़े 12 ठिकानों पर छापेमारी की। ये छापेमारी दिल्ली, पटना, रांची, पुरी और गुरुग्राम स्थित उनके ठिकानों पर की गई। आरोपों के अनुसार लालू ने 2006 में मनमोहन सरकार में रेल मंत्री रहते हुए रांची और पुरी स्थित रेलवे के दो होटलों को लीज पर देने में भी घोटाला कर लिया। इस मामले में लालू, उनकी पत्नी राबड़ी देवी समेत 8 लोगों पर धारा 420 और 120बी के तहत केस दर्ज किया गया है। जानकारी के अनुसार रांची और पुरी के चाणक्य बीएनआर होटल रेलवे के हेरिटेज होटल थे। लेकिन लालू ने उसे अपने करीबियों को औने-पौने दामों में सौंप दिया। सबसे बड़ी बात है कि पूरा रेनोवेशन हो जाने के चलते उस का ऐतिहासिक महत्व भी खत्म किया जा चुका है।

लीज घोटाले के पैसों से मॉल का अवैध निर्माण !

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक दिन पहले ही बिहार सरकार ने पटना हाईकोर्ट में स्वीकार किया है कि पटना में बनने वाला लालू परिवार का मॉल पूरी तरह से गैर-कानूनी है। गौरतलब है कि पटना के सगुना मोड़ पर बन रहे डिलाइट मॉल को लेकर भी बहुत विवाद है। लालू यादव पर पटना में सबसे बड़ा मॉल बनवाने के लिए परिवार के नाम पर 200 करोड़ की जमीन भ्रष्ट तरीके से हड़पने का आरोप है। कहा जाता है कि ये जमीन लालू ने रेलमंत्री रहते हुए रांची और पुरी में रेलवे के दो होटलों को लीज पर देने के एवज में ही गैर-कानूनी तरीके से हथियाई है। जिस कंपनी के नाम जमीन का मालिकाना हक है उसके डायरेक्टर लालू के बेटे और बेटियां हैं। दिलचस्प बात है कि मॉल की इसी जमीन की मिट्टी को लेकर भी लालू यादव और उनके परिवार पर 80 लाख रुपये के मिट्टी घोटाले का भी आरोप है। इसके अनुसार लालू के दबाव में पटना के चिड़िया घर को यहां की मिट्टी जबरन बेची गई। लेकिन सारे दस्तावेज होने के बावजूद नीतीश सरकार में एक्शन लेने की हिम्मत नहीं है। यानि पहले जमीन घोटाला किया और फिर घोटाले वाली जमीन से निकली मिट्टी से भी घोटाला कर लिया। हालांकि राज्य सरकार ने पहली  बार हाईकोर्ट में माना है कि मॉल का जो निर्माण हो रहा है वो गैर-कानूनी है।

कई जमीन घोटालों को दबा चुके हैं लालू
लालू प्रसाद यादव जब रेल मंत्री थे तब उनपर लोगों से जमीन के बदले नौकरी देने का आरोप लगा था। ग्रुप सी और डी की कई नौकरियां रेवड़ियों की तरह बांटी गई थी, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने आंखें मूंद रखीं थी। लालू एंड परिवार पर इसके साथ ही कई जमीन गलत कागजात के आधार पर खरीदने का आरोप है। करोड़ों रुपये की इन जमीनों की खरीद की जांच करवाने से बिहार सरकार मुंह चुरा रही है। बड़ी बात है कि इस तरह की हेराफेरी से लालू यादव पर हजारों करोड़ की बेनामी संपत्ति जुटाने के आरोप हैं।

घूस में जमीन लेकर मंत्री बनवाने का भी आरोप 

लालू यादव पर आरोप है कि यूपीए- 1 के दौरान उन्होंने मनमोहन सरकार में मंत्री बनवाने के एवज में रिश्वत के तौर पर जमीन लिखवाई। लालू पर जिन लोगों से जमीन लेकर मंत्री बनवाने का आरोप है वो हैं रघुनाथ झा और कांति सिंह। ये दोनों मनमोहन सरकार में मंत्री रह चुके हैं। दोनों नेताओं ने माना भी है कि उन्होंने लालू यादव के परिवार को गिफ्ट में जमीनें दी हैं। हालांकि लालू को क्या कमी थी कि उन्हें जमीन मांगने की नौबत आ गई, इसका जवाब उनके पास नहीं है।

नौकरों के नाम भी खरीदी बेनामी जमीन !
बिहार बीजेपी के नेता और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी लालू-राबड़ी पर आरोप लगा चुके हैं कि राबड़ी के एक नौकर ने जनवरी, 2014 में उन्हें पटना के सगुना मोड़ में 1,088 वर्ग फीट की एक जमीन मुफ्त में दी, जबकि उसकी कीमत तब करीब 31 लाख रुपये थी। आरोपों के अनुसार दरअसल ये मामला बेनामी संपत्ति का है और लालू इस तरह के कारनामा करने में कुख्यात रहे हैं। 

लालू की बेटी पर भी जमीन घोटाले का आरोप
दस्तावेजों के अनुसार मीसा भारती और उनके पति शैलेश कुमार ने दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट के पास बिजवासन इलाके में एक फार्म हाउस सिर्फ 1.41 करोड़ रुपये में खरीद लिया। ये वो इलाका जहां कई प्रभावशाली लोगों की प्रॉपर्टी है। जमीन की इस डील की प्रक्रिया बहुत ही संदेहास्पद है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के रेकॉर्ड के अनुसार, मीसा और शैलेश कम से कम चार प्राइवेड लिमिटेड कंपनियों के डायरेक्टर हैं। दोनों ने दिसंबर, 2002 में मिशैल पैकर्स एंड प्रिंटर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई और इसका रजिस्ट्रेशन लालू के सरकारी बंगले 25, तुगलक रोड, नई दिल्ली पर कराया गया। कंपनी की बैलेंस शीट के अनुसार इसकी व्यापारिक गतिविधियां 2006 में बंद हो गईं और फिर उसका प्लांट और उसके मशीनें भी बेच दी गईं। लेकिन फिर भी 2008-09 में इसी कंपनी ने बिजवासन के 26, पालम फार्म्स में एक फॉर्महाउस खरीदा। इसके लिए फंड कंपनी के 1,20,000 शेयर्स बेच कर जुटाए गए। खटकने वाली बात ये है कि 10 रुपये प्रति शेयर कीमत वाले इन शेयरों को वीके जैन और एसके जैन नाम के दो कारोबारियों ने 90 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से खरीद लिया। यहां ये बताना आवश्यक है कि इसी साल मार्च में कालेधन के खिलाफ हुई कार्रवाई में दोनों जैन भाइयों की भी गिरफ्तारियां हुई थीं।

लालू की बेटी का दूसरा जमीन घोटाला
लालू के बेटी और दामाद का दिखावे की एक और कंपनी के माध्यम से दिल्ली में एक और संपत्ति खरीदने का भी मामला है। आरोपों के अनुसार KHK होल्डिंग्स नाम की इस कंपनी का उपयोग सैनिक फार्म्स में 2.8 एकड़ का फार्म हाउस खरीदने के लिए किया गया। यह कंपनी असल में विवेक नागपाल नाम के एक व्यक्ति की थी। लेकिन, 2014 में विवेक ने कंपनी के 10,000 शेयर सिर्फ एक लाख रुपये में मीसा और शैलेश को ट्रांसफर कर दिए। नापगाल ने KHK होल्डिंग्स के माध्यम से ही सैनिक फार्म्स की संपत्ति खरीदी थी। माना जा रहा है कि इस प्रॉपर्टी की कीमत भी 50 करोड़ रुपये से अधिक होगी।

दिल्ली में लालू परिवार की कई संदिग्ध संपत्ति

लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर दिल्ली में अवैध तरीके से 115 करोड़ की संपत्ति अर्जित करने के आरोप पहले भी लग चुके हैं। इसके अनुसार लालू का परिवार डिलाइट मार्केटिंग, ए़ के इंफोसिस्टम की तर्ज पर ए़ बी एक्सपोर्ट्स कंपनी के भी मालिक हैं। इस कंपनी के सभी शेयरधारक और निदेशक पद पर लालू के परिवार के लोगों का कब्जा है। इतना ही नहीं दिल्ली के सबसे पॉश इलाके में जमीन खरीदने के लिए मुंबई के पांच बड़े ज्वेलर्स, सोने के व्यापारियों ने ए़ बी एक्सपोर्ट्स कंपनी को वर्ष 2007-2008 में एक-एक करोड़ के यानि पांच करोड़ रुपये बिना ब्याज के कर्ज दिए। इसी पांच करोड़ रुपये से उसी वर्ष नई दिल्ली के डी-1088, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में 800 वर्ग मीटर जमीन मकान सहित पांच करोड़ रुपये में खरीदा गया। आज इस जमीन की कीमत 55 करोड़ से ज्यादा है और इस जमीन पर लालू परिवार का चार मंजिला मकान बनकर लगभग तैयार है, जिसकी वर्तमान कीमत लगभग 60 करोड़ रुपये है।

औरंगाबाद में लालू के बेटे के नाम पर संदिग्ध जमीन
लालू यादव के बड़े बेटे और अब बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव पर शेयर की जानकारी छिपाने का आरोप है। 2010 में लारा डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से 45 डेसि‍मल जमीन, 53.34 लाख रुपये में खरीदी और इस जमीन पर एक मोटरसाइकिल कंपनी का शोरूम भी शुरू किया गया। इस शोरूम को शुरू करने के लिए 2.29 करोड़ रुपये कर्ज लिए गए, तब तेजप्रताप इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर थे। हालांकि 2015 में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद तेजप्रताप यादव ने इस कंपनी के प्रबंध निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन चुनाव आयोग को दिए गए ब्योरे में तेजप्रताप यादव ने न अपने शेयर की जानकारी दी और न कर्ज का कोई उल्लेख किया।

मंत्री बेटे ने धांधली से पेट्रोल पंप हथिया लिया था
आरोपों के अनुसार बिहार के स्वास्थ्य मंत्री और लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप ने पटना के न्यू बाइपास पर बेऊर के पास गलत कागजों के आधार पर अधिकारियों की मिलीभगत से 2011 में भारत पेट्रोलियम का एक पेट्रोल पंप अपने नाम आवंटित करा लिया था। जिस समय तेजप्रताप ने पेट्रोल पंप के लिए आवेदन किया और इंटरव्यू दिया, उस समय नेशनल हाईवे-30 पर न्यू बाइपास की 43 डिसमिल जमीन उनके पास नहीं थी। सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि पटना के बिहटा में बीयर फैक्ट्री लगाने वाले अमित कत्याल ने 9 जनवरी, 2012 को एके इंफोसिस्टम कंपनी के निदेशक के नाते लालू के छोटे बेटे और नीतीश सरकार में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को पेट्रोल पंप लगाने के लिए 136 डिसमिल जमीन लीज पर दी थी। यानि पेट्रोल पंप के लिए आवेदन तेजप्रताप ने किया था, लेकिन पेट्रोल पंप की जमीन की लीज तेजस्वी के नाम थी। फिर भी तेजप्रताप को पेट्रोल पंप कैसे आवंटित किया गया ? हालांकि हाल ही में इसका आवंटन रद्द किया जा चुका है। 

शपथपत्र में भी पेट्रोल पंप की जानकारी छिपा ली
सबसे बड़ी बात है कि किसी भी पेट्रोल पंप लेने की प्रक्रिया से पहले एक शपथपत्र देना पड़ता है, जिसमें यह लिखा जाता है कि आवेदक किसी भी निजी और सरकारी पद पर आसीन नहीं होगा। किसी भी तरह के सरकारी पद का लाभ नहीं लेगा। लेकिन फिर भी तेजप्रताप नीतीश सरकार में मंत्री बने हुए हैं, वेतन लेते हैं, सरकारी गाड़ी,और बाकी सुविधाओं का उपयोग करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने जो अपनी संपत्ति का ब्योरा उपलब्ध कराया है, उसमें भी इस पेट्रोल पंप का जिक्र नहीं है।

950 करोड़ का चारा खा चुके हैं लालू
90 के दशक में जब लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने बिहार की जनता के खून पसीने की कमाई लूट ली। 950 करोड़ चारा घोटाला के नाम से मशहूर इस स्कैम का डायरेक्ट कनेक्शन लालू प्रसाद से निकला और अदालत ने उन्हें सजा भी सुनाई है। सजायाफ्ता लालू प्रसाद चुनाव तो नहीं लड़ सकते, लेकिन भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों के गठबंधन से देश को बर्बाद करने की कोई कसर नहीं छोड़ते। 

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