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राहुल गांधी के इशारे पर कांग्रेसी सांसद ने किया भगवान राम का अपमान!

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हिंदू समुदाय और हिंदू धर्म से घृणा की परम्परा को निभाते हुए कांग्रेस ने एक बार फिर भगवान श्री राम का अपमान किया है। राज्यसभा में चर्चा हो रही थी तीन तलाक और हलाला की, लेकिन कांग्रेस हिंदू देवी-देवताओं को इस चर्चा में ले आई। पार्टी के सांसद हुसैन दलवई ने कहा, ‘’हमारे समाज में पुरुष वर्ग का महिलाओं पर वर्चस्व है। यहां तक कि श्रीरामचंद्र जी ने भी एक बार शक करते हुए अपनी पत्नी सीता जी को छोड़ दिया था।‘’

दरअसल हुसैन दलवई राहुल गांधी के बेहद करीबी हैं और ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने इस मुद्दे को कांग्रेस अध्यक्ष के इशारे पर ही उठाया है। यह इसलिए कि हलाला और तीन तलाक के मुद्दे को साम्प्रदायिक रंग दिया जा सके और इसका राजनीतिक लाभ लिया जा सके। गौरतलब है कि हाल में ही राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है। 

सवाल उठ रहा है कि अगर ऐसा नहीं है तो वे यह मानते हैं कि समाज में महिलाओं के विरुद्ध अत्याचार होते हैं तो उन्हें तीन तलाक और हलाला का पुरजोर विरोध करना चाहिए था, न कि हिंदू देवी-देवताओं की आड़ में अपने काले कानून का समर्थन करना चाहिए।

बहरहाल उन्होंने जो तथ्य प्रस्तुत किए वह भी अर्धसत्य है। क्योंकि माता सीता को भगवान श्री राम ने शक के आधार पर नहीं बल्कि एक प्रजा द्वारा सवाल उठाने पर ‘अग्निपरीक्षा’ के लिए कहा था। ऐसा इसलिए कि तब राम राज्य था और जनता को यह ना लगे कि राजा अपने परवार के प्रति पक्षपात करता है।बहरहाल इस पर वर्तमान समय में चर्चा उचित नहीं है क्योंकि न तो हम उस काल की परिस्थितियों को जानते हैं और न ही समझते हैं। सत्य सिर्फ यह है कि देश के 100 करोड़ हिंदू भगवान श्री राम में अकूत आस्था रखते हैं और माता सीता की पूजा करते हैं। 

यह भी एक तथ्य है कि हिंदू धर्म में महिलाओं का बड़ा सम्मान है और अनेकों समाज सुधारक भी हुए हैं जिन्होंने कुरीतियों के विरूद्ध समय-समय पर समाज को सही दिशा भी दिखाई है। 

इसके साथ एक तथ्य यह भी जो हुसैन दलवई जैसों को समझना चाहिए, वह यह कि तीन तलाक और हलाला जैसी कुप्रथाएं मुस्लिम समाज में ही हैं और उस समाज के बुद्धिजीवियों को आगे आना चाहिए। हालांकि मुसलमान कट्टरपंथी मौलानाओं की गिरफ्त में है और उसके तथाकथित बुद्धिजीवी भी उसी राह पर हैं। 

हुसैन दलवई का यह बयान कांग्रेस की उसी परंपरा की अगली कड़ी है जिसमें कांग्रेसी नेता समय-समय पर भगवान राम के प्रति अपनी अनास्था प्रदर्शित करते रहते हैं। आइये हम कुछ ऐसे ही तथ्यों पर नजर डालते हैं

भगवान राम के अस्तित्व को नकारा
वर्ष 2013 में जब सुप्रीम कोर्ट में सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट पर बहस चल रही थी तो कांग्रेस पार्टी ने अपनी असल सोच को जगजाहिर किया था। पार्टी ने एक शपथ पत्र के आधार पर भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया था। इस शपथ पत्र में कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि भगवान श्रीराम कभी पैदा ही नहीं हुए थे, यह केवल कोरी कल्पना ही है। ऐसी भावना रखने वाली कांग्रेस भगवान श्री राम के अस्तित्व को नकार कर क्या सिद्ध करना चाहती थी?

रामसेतु को तोड़ने का कांग्रेस का इरादा
कांग्रेस ने व्यावसायिक हित के लिए देश के करोड़ों हिंदुओं की आस्था पर कुठराघात करने की तैयारी कर ली थी। जिस राम सेतु के अस्तित्व को NASA ने भी स्वीकार किया है, जिस राम सेतु को अमेरिकी वैज्ञानिकों ने भी MAN MAID यानि मानव निर्मित माना है, उसे कांग्रेस पार्टी तोड़ने जा रही थी। दरअसल हिंदुओं के इस देश में ही कांग्रेस पार्टी ने हिंदुओं को ही दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया है। यही वजह रही कि वह एक अरब से अधिक हिंदुओं की आस्था पर आघात करने की तैयारी कर चुकी थी।

भगवान राम की तुलना ट्रिपल तलाक और हलाला से
16 मई, 2016 को तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी। बहस सामान्य थी कि ट्रिपल तलाक और हलाला मुस्लिम महिलाओं के लिए कितना अमानवीय है, लेकिन सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता और AIMPLB के वकील कपिल सिब्बल ने तीन तलाक और हलाला की तुलना राम के अयोध्या में जन्म से कर डाली। कपिल सिब्बल ने दलील दी है जिस तरह से राम हिंदुओं के लिए आस्था का सवाल हैं उसी तरह तीन तलाक मुसलमानों की आस्था का मसला है। साफ है कि भगवान राम की तुलना, तीन तलाक और हलाला जैसी घटिया परंपराओं से करना कांग्रेस और उसके नेतृत्व की हिंदुओं की प्रति उनकी सोच को ही दर्शाती है।

मंदिर के विरोध में कांग्रेस 
अयोध्या में राम मंदिर बनाने के मामले को कांग्रेस ने हमेशा से ही उलझाए रखा है। जबकि देश का हर नागरिक अब राम जन्म भूमि पर मंदिर बनने का सपना देख रहा है। अब यह कोई नहीं चाहता कि अयोध्या का हल नहीं निकले, लेकिन कांग्रेस की भूमिका को लेकर कई प्रकार के सवाल खड़े हो रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेसी मानसिकता को उजागर करते हुए अभी हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय में कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर अब जुलाई 2019 के बाद सुनवाई हो। सिब्बल के बयान से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस ने लम्बे समय से राम के नाम पर घिनौनी राजनीति का प्रदर्शन किया है। एक ऐसी राजनीति जिसने राम मंदिर मुद्दे को उलझाने का काम किया।  

भगवान राम के विरोध में कांग्रेस का अखबार
कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड अखबार ने एक ऐसी महिला का पक्ष लिया है, जिसने भगवान राम को अपशब्द कहे हैं। दरअसल Audrey Truschke नाम की एक विवादास्पद विदेशी महिला, जिसे संस्कृत का विद्वान बताया जा रहा है, उसने एक ट्वीट किया है, जिसमें उसने दावा किया है कि वाल्मीकि रामायण में अग्निपरीक्षा के समय माता सीता ने भगवान राम को महिला से द्वेष करने वाला और असभ्य बताया था।

Audrey Truschke के विवादास्पद ट्वीट के बाद भारत में लोगों ने इसकी आलोचना की और ट्वीटर पर उसकी काफी खिंचाई की।

भगवान राम के बारे में उल्टा-सीधा और विवादास्पद ट्वीट करने वाली महिला के खिलाफ कांग्रेस ने कुछ नहीं कहा, उल्टे उसके समर्थन में उतर आई। इतना बेहूदा ट्वीट करने वाली महिला की ट्वीटर पर खिंचाई राहुल गांधी के अखबार नेशनल हेराल्ड को हजम नहीं हुई और वो Audrey Truschke नाम की इस कथित इतिहासविद् के समर्थन में उतर आया। कांग्रेस पार्टी के इस मुखपत्र ने न सिर्फ इस महिला के पक्ष में ट्वीट किया बल्कि अपने अखबार में एक लेख भी छापा।

इस पूरे वाकये से एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सिर्फ मंदिर जाने और हिंदूवादी होने का ढोंग करते हैं। असल में राहुल गांधी घोर हिंदू विरोधी हैं और उनकी हिंदुओं के भगवान राम में कोई आस्था नहीं है। आपको बता दें कि इससे पहले भी कांग्रेस पार्टी कोर्ट में भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठा चुकी है। 

हालांकि कुछ देर बार कांग्रेस को अपनी गलती का ऐहसास हो गया और उसके अखबार ने ट्वीट और लेख दोनों डिलीट कर दिया।

इसाई धर्म का प्रचार-प्रसार कर रही हैं सोनिया गांधी !
जब से सोनिया गांधी सत्ता के शीर्ष को हैंडल कर रही हैं तब से ही वह हिंदुओं की धार्मिक-सांस्कृतिक आस्थाओं को कुचलने में लगी हैं। हिंदुओं के सामाजिक ताने-बाने को भी तार-तार करने में लगी हैं। अरुणाचल प्रदेश में 1951 में एक भी ईसाई नहीं था। 2001 में इनकी आबादी 18 फीसदी हो गई। 2011 की जनगणना के मुताबिक अब अरुणाचल में 30 फीसदी से ज्यादा ईसाई हैं। अरुणाचल में धर्मांतरण का सिलसिला 1984 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही शुरू हो गया था। तब पहली बार सरकार ने वहां पर ईसाई मिशनरियों को अपने सेंटर खोलने की इजाज़त दी थी। माना जाता है कि राजीव गांधी पर दबाव डालकर खुद सोनिया ने वहां पर ईसाई मिशनरियों को घुसाया था।

हिंदू धर्माचार्यों पर जुल्मो-सितम की कांग्रेस की नीति

  • नवंबर 2004 में कांग्रेस के सत्ता में आने के कुछ महीनों के अंदर ही दिवाली के मौके पर शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को हत्या के एक केस में गिरफ्तार करवाया गया।
  • यूपीए सरकार के दौरान मालेगांव ब्लास्ट मामले में उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को फंसाने की साजिश रची गई थी।
  • समझौता ब्लास्ट केस में पाकिस्तानी आतंकवादी पकड़ा गया था, उसने अपना गुनाह भी कबूल किया था, लेकिन महज 14 दिनों में उसे चुपचाप छोड़ दिया। इसके बाद इस केस में स्वामी असीमानंद को फंसाया गया। 

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