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कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने बिहार के मतदाताओं का किया अपमान, कहा- वोटर को लिबरल वैल्यू की कद्र नहीं

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बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बन गई है। इससे सत्ता में वापसी के सपना संजोए कांग्रेस को गहरा आघात लगा है। चुनाव के नतीजे आने के बाद से कांग्रेस के भीतर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। महागठबंधन में शामिल पार्टियों में सबसे खराब प्रदर्शन कांग्रेस का रहा है। इसको लेकर कांग्रेस के नेता एक-दूसरे को जिम्मेदार बता रहे हैं। वहीं सलमान खुर्शीद ने फेसबुक पोस्ट किया है, जिसमें आखिरी मुगल सम्राट के उदार मूल्यों के आधार पर कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं को समझाने की कोशिश की है, वहीं कांग्रेस की फजिहत के लिए बिहार की जनता को ही जिम्मेदार बताकर अपमान किया है।

सलमान खुर्शीद ने बिहार की जनता पर आरोप लगाया है कि उन्हें उदारवादी मूल्यों की कदर नहीं है। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “अगर मतदाता का मूड उन लिबरल वैल्यू को स्वीकारने का नहीं है, जिनका हम समर्थन करते हैं या जिन्हें हम पोषित करते हैं तो हमें सत्ता में लौटने के लिए छोटे रास्तों पर फोकस करने की बजाए लंबा संघर्ष करना होगा।”

सलमान खुर्शीद ने कपिल सिब्बल जैसे उन कांग्रेसी नेताओं पर भी अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा, जो चुनाव के बाद से पार्टी नेतृत्व की आलोचना कर रहे हैं। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा कि जब हम अच्छा करते हैं तो निश्चित रूप से उसे बहुत हद तक बहुत आसान समझ लिया जाता है। मगर जब हम बुरा भी नहीं, बस थोड़ा कमजोर प्रदर्शन करते हैं, वह फौरन कमियां निकालने लगते हैं। ऐसा लगता है कि इससे भावी निराशाओं के लिए कम कमियाँ बचेंगी। क्या यह ऐसा मामला है, जहाँ एक खराब कर्मी अपना गुस्सा अपने उपकरणों पर निकाले?

सलमान खुर्शीद ने पार्टी के साथियों को पार्टी की आलोचना करने से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अगर हम स्पष्ट रूप से या निहित रूप से सत्ता हासिल करने के लिए अपने सिद्धांतों के साथ समझौता करने को तैयार हैं तो हमें अपना बोरिया बिस्तर भी समेटने के लिए तैयार रहना होगा। ये बात और है कि उनकी (कांग्रेस) राजसी राजनीति के समेकन में किसी भी वजह की तरह, समय-समय पर पुन: मूल्यांकन और रणनीति व लॉजिस्टिक में पुन: लेखन की आवश्यकता है।

सलमान खुर्शीद ने अपने फेसबुक पोस्ट में आखिरी मुगल सम्राट की प्रशंसा करते हुए उनके उदारवादी मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में अपनी पार्टी के नेताओं को समझाने की कोशिश की है। लंब-चौड़े इस पोस्ट में खुर्शीद ने किंग लियर के शब्दों का भी उल्लेख किया है। खुर्शीद ने लिखा है कि उदार भारत की लड़ाई को कमज़ोर दिल से नहीं लड़ा जा सकता है। 

गौरतलब है कि कांग्रेस ने सत्ता में लौटने के लिए महागठबंधन से हाथ मिलाया लेकिन तब भी यह युक्ति उन्हें जीत दिलाने में काम नहीं आई। बिहार में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन केवल 19 सीट किसी तरह जीत पाई। जहां कांग्रेस को 9.5 प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन मिला, वहीं कांग्रेस की जीत का स्ट्राइक रेट 27.1 प्रतिशत रहा है।

इस प्रदर्शन पर मंथन करने के बजाय कांग्रेस के नेता हार का ठीकरा मतदाताओं और ईवीएम पर फोड़ रहे हैं। इससे पता चलता है कि कांग्रेस के नेता जमीनी हकीकत से अनजान थे और आज भी है। वे जनता का मूड भांपने में पूरी तरह नाकाम रहे। बिहार की जनता शांति और समृद्धि चाहती है। वह किसी लालच और बहकावे में आने वाली नहीं है। इसी तरह गुजरात, मणिपुर, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मतदाता भी कांग्रेस के बहकावे में नहीं आए और बीजेपी को अपना समर्थन दिया। इससे कांग्रेस को सबक लेने और जनता के मूड को समझने की जरूरत है, नहीं तो जनता ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ जल्द बना देगी। 

 

 

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