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संकट के दौर से गुजर रही है कांग्रेस, कुनबा बचाना हुआ मुश्किल, केरल से कश्मीर तक… जिधर देखो बगावत ही बगावत

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देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। जहां क्षत्रप एक-दूसरे के खिलाफ लड़ाई में उलझे हुए हैं, वहीं आलाकमान बेबस और लाचार नजर आ रहा है। पार्टी के अंदर से ही गांधी पारिवार से आजादी की आवाज उठ रही है। पुराने और वरिष्ठ नेता पार्टी के अंदर ही मोर्चा खोले हुए हैं, तो राज्यों में पार्टी की गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। पंजाब में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू खुद पार्टी के लिए भास्मासुर बनते नजर आ रहे हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के बीच की लड़ाई अब दिल्ली पहुंच चुकी है। लेकिन पंजाब और छत्तीसगढ़ की तरह देश के दूसरे राज्यों में भी कांग्रेस के भीतर लावा उबल रहा है, कब ज्वालामुखी का रूप ले ले कहना मुश्किल है।  

पंजाब में कैप्टन और सिद्धू में जंग

पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच खींचतान अब कांग्रेस आलाकमान के लिए सिरदर्द बन गया है। अमरिंदर सिंह के बढ़ते कद को थामने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू को आगे बढ़ाया गया है। लेकिन सिद्धू की महत्वाकांक्षा ने अमरिंदर सिंह के साथ साथ कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन गया है। सिद्धू ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर आपने मुझे निर्णय नहीं लेने दिया तो आपको छोड़ूंगा नहीं, ईंट से ईंट बजा दूंगा।’ हालांकि यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि सिद्धू ने किस को चतावनी दी है, लेकिन इससे स्पष्ट है कि आगामी विधानसभा चुनाव तक कैप्टन और सिद्धू की इस जंग में और भी सियासी दांव-पेंच और ड्रामे देखने को मिल सकते हैं।

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बदलने को लेकर घमासान 

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर सह-मात का खेल चल रहा है। राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बदलने का वादा किया था जो अब उनकी गले ही हड्डी बन गया है। जहां भूपेश बघेल टीएस सिंह देव की स्थिति कमजोर करने के लिए उनके प्रभाव वाले इलाके में नेताओं को भड़का रहे हैं, वहीं सिंह देव राहुल गांधी को उनका वादा याद दिला रहे हैं। इसी बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव और कई विधायक दिल्ली आ धमके हैं। उनकी राहुल गांधी से मुलाकात होने वाली है। लेकिन मुख्यमंत्री बघेल का विधायकों के बीच पकड़ को देखते हुए उन्हें बदलना राहुल गांधी के लिए मुश्किल लग रहा है।

राजस्थान में ‘वफादारों’ और ‘गद्दारों’ की लड़ाई

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की लड़ाई जगजाहिर है। सचिन पायलट के बगावत के बाद किसी तरह ममले को सुलझा लिया गया, लेकिन आग अभी धधक रही है। जहां सचिन पायलट वादा पूरा करने की मांग कर रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक दिल्ली नेतृत्व को ‘गद्दारों’ की पीठ पर हाथ रखकर वफादारों को चिढ़ाने का आरोप लगा रहे हैं। प्रदेश प्रभारी अजय माकन दोनों के बीच के विवाद को खत्म करने के लिए जुलाई में जयपुर गए और हरेक विधायक से अकेले में मुलाकात की। उन्होंने पार्टी को दिल्ली नेतृत्व को संदेश दिया कि राजस्थान कैबिनेट में बदलाव किया जाए। लेकिन बदलाव का मामला अभी अधर में लटका हुआ है।

हरियाणा में हुड्डा और शैलजा के बीच लड़ाई

हरियाणा में पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कुमारी शैलजा के बीच लड़ाई जारी है। यहां दोनों धड़े के लोग कई बार कांग्रेस के राज्य प्रभारी के साथ ही कांग्रेस के संगठन महासचिव के पास शिकायत कर चुके हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि हुड्डा चाहते हैं कि उनके बेटे को प्रदेश प्रमुख बनाया जाए। यह बात शैलजा समर्थकों को नागवार गुजर रही है।

नाना पटोले को लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस में घमासान 

बीजेपी से लौटे नाना पटोले को महाराष्ट्र कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया तो टीम राहुल के ‘वफादारों’ को नागवार गुजरा। नितिन राउत समेत कांग्रेस के अन्य मंत्रियों के साथ पटोले का मनमुटाव भी सार्वजनिक हो चुका है। मुंबई कांग्रेस में आंतरिक कलह को हवा संजय निरुपम और गुरुदास कामत के झगड़े से मिली थी। कामत की अब मृत्यु हो चुकी है। उसके बाद यूथ कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सूरज ठाकुर ने मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस समिति (MRCC) और भाई जगताप के साथ अनबन के कारण पद से इस्तीफा दे दिया।

 अंदरूनी कलह से जूझ रही है गुजरात कांग्रेस 

2019 में लोकसभा चुनाव हुआ तो कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। वहां पार्टी की हार का सिलसिला आगे बढ़ा और स्थानीय निकायों के चुनावों में भी कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी। अब पार्टी में आंतरिक कलह जोरों पर है। जब पाटीदार नेता हार्दिक पटेल कांग्रेस में शामिल हुए थे, तो ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि उनकी वजह से राज्य में कांग्रेस को फायदा होगा। लेकिन कांग्रेस अब उनसे पीछा छुड़ाने की कोशिश में लगी है। हार्दिक पटेल अब पार्टी के अंदर गुटबाजी का शिकार हो रहे हैं। कार्यकारी अध्यक्ष होने के बाद भी पीसीसी और जिला अध्यक्ष की मीटिंग में भी उन्हें नहीं बुलाया जाता है। उनकी गैरहाजिरी से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में कई तरह की सुगबुगाहट है।

उत्तर प्रदेश में बुजुर्ग नेताओं को किनारे लगा दिया गया

प्रशांत किशोर के साथ 2017 विधानसभा और संदीप सिंह के साथ 2019 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के नेतृत्व में लड़ाई हारने के बाद अभी भी कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में उद्धार नहीं दिख रहा। कई बुजुर्ग नेताओं को किनारे लगा दिया गया। जितिन प्रसाद ने कांग्रेस को छोड़ अब बीजेपी के साथ हैं।

बिहार में नेतृत्व को लेकर गुटबाजी

बिहार की बात करें तो यहां प्रदेश प्रमुख किसे नियुक्त किया जाए, इसे लेकर दलित और उच्च जाति समुदाय के बीच मामला फंसा हुआ है। इस तरह की रिपोर्ट्स भी आती रही हैं कि कांग्रेस विधायकों का एक गुट नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड के संपर्क में है और पाला बदलने को लेकर बातचीत चल रही है।

झारखंड में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद बढ़ी कलह

नए प्रदेश प्रमुख की नियुक्ति के बाद से कांग्रेस में अंदरूनी कलह बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि कई कांग्रेस विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं और बगावत के स्पष्ट संकेत दिखे हैं। अब देखना ये है कि कांग्रेस इस मसले को कैसे संभालती है। अगर मसले को जल्द नहीं संभाला गया तो इसका असर झारखंड की गठबंधन सरकार पर भी पड़ सकता है। जेएमएम के साथ गठबंधन वाली उसकी सरकार भी संकट में आ सकती है।

गोवा में नेतृत्व परिवर्तन की मांग

गोवा में कांग्रेस के करीब 6 नेता पूर्व सीएम और प्रदेश प्रमुख हैं। ऐसे में सभी लोगों को साथ लेकर चलने में पार्टी को दिक्कत आ रही है। हाल ही गोवा कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी से मिलकर राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की मांग की थी। गौरतलब है कि टीम राहुल ने गिरीश चोडंकर, चंद्रकांत कावलकर और चेल्लाकुमार (अब उनकी जगह दिनेश गुंडुराव आ गए हैं) को क्रमशः पार्टी प्रमुख, विधानसभा में कांग्रेस संसदीय दल का नेता और पार्टी प्रभारी बनाया। इससे वहां के वरिष्ठ कांग्रेसियों में बगावत हो गई और कई विधायकों ने पार्टी छोड़ दी। 

कर्नाटक कांग्रेस में सीएम चेहरे को लेकर गुटबाजी

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव 2023 को होने हैं लेकिन कांग्रेस के भीतर मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर गुटबाजी अभी से ही सामने आने लगी है। हाल ही में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के खेमे से उठी मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर आवाज के बाद कर्नाटक कांग्रेस प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने चेतावनी दी थी कि नेता केवल कांग्रेस की जीत की ओर काम करें ना कि गुटबाजी की ओर। कांग्रेस नेता जमीर अहमद ने सिद्धारमैया को सीएम बनाने की वकालत करते हुए कहा कि सिद्धारमैया ही राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे क्योंकि जनता उन्हें ही मुख्यमंत्री देखना चाहती है न कि डीके शिवकुमार को। चेतावनी के बावजूद जिस तरह से कांग्रेस नेता खुलकर अपने अपने नेता की वकालत करते दिख रहे हैं, उससे विवाद थमता हुआ नहीं दिख रहा है।

केरल कांग्रेस में पार्टी पर पकड़ को लेकर गुटबाजी

जब से गांधी परिवार ने केसी वेणुगोपाल को किनारे कर ओमन चांडी और रमेश चेन्नीथला को तरजीह दी है तब से के सुधाकरण और वीडी सतीसन गुट आपस में लड़ने में लगे हुए हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन का एक कारण यह भी रहा। ऐसे में केरल कांग्रेस की हालत यह हो गई है कि नई धुरी पार्टी पर चांडी-चेन्निताला की पकड़ मजबूत करना चाहता है तो सुधाकरण-सतीशन की जोड़ी किसी भी सूरत में अपनी पकड़ ढीली नहीं होने देना चाहती है।

असम कांग्रेस में आंतरिक कलह से पार्टी छोड़ रहे नेता

असम विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई चरम पर पहुंच गई। यहां तक कि राहुल गांधी की वफादार सुष्मिता देव ने कांग्रेस छोड़कर टीएमसी का दामन थाम लिया। असम के कुछ कांग्रेसी विधायकों और नेताओं ने भी पार्टी छोड़ दी। पार्टी पाला बदल रहे नेताओं से त्रस्त है। 

जम्मू-कश्मीर में गुलाम नबी आजाद की बढ़ी नाराजगी

जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस पार्टी गुलाम नबी आजाद से किनारा करने की कोशिश कर रही है। गुलाम अहमद मीर को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से गुलाम अली आजाद जैसे नाराज जान पड़ते है। आजाद की पिछली दो यात्राओं के दौरान ऐसा दिखा है कि वह अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे हों। कांग्रेस को यहां भी दोनों पक्षों को साथ लेकर चलने में परेशानी हो रही है। 

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