भारतीय राजनीति को जानने-समझने वालों को यह बात बहुत अच्छी तरह पता है कि कांग्रेस पार्टी का सत्ता के बिना वही हाल है जो बिना पानी के मछली का होता है। सत्ता हाथ में न हो तो कांग्रेसी बेचैन हो जाते हैं और इसे पाने के लिए तमाम साजिशें रचने लगते हैं। कांग्रेस की राजनीति का सबसे बड़ा पहलू ‘बांटो और राज करो’ की नीति रही है। आइये हम देखते हैं कि कांग्रेस पार्टी सत्ता के लिए कौन-कौन से तिकड़म करती है।
हिंदुओं को जाति में बांटती रही है कांग्रेस
कांग्रेस की ‘कुटिल’ राजनीति का सबसे अधिक खामियाजा हिंदू समुदाय को भुगतना पड़ रहा है। दरअसल कांग्रेस ने इस समुदाय को जातियों के जंजाल में इतना उलझा दिया है कि वह इससे छुटकारा नहीं पा रहा है। जाट, यादव, बाल्मीकि, जाटव, खटीक, पंडित, कुम्हार, राजपूत, ठाकुर, जैन, बौद्ध, सिख, भूमिहार, नाई, कायस्थ, तेली, लोहार, निषाद, बनिया जैसी जातियों को आपस में बांटकर हमेशा हिंदू समुदाय को कमजोर करने का काम किया है। समाज में इन जातियों को एक दूसरे के पूरक होने की सनातन परंपरा को तार-तार कर कांग्रेस ने हमेशा बांटकर रखा है और अपनी राजनीति चमकाई है। हाल में ही देखें तो गुजरात में पटेल, राजस्थान में गुर्जर, महाराष्ट्र में मराठा, हरियाणा में जाट और यूपी में दलितों के नाम पर साजिशें रचीं।कर्नाटक सरकार द्वारा लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा दिया जाना और वीर शैव को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाना कांग्रेस की हिंदुओं को बांटने वाली राजनीति का ही हिस्सा है।
बहुसंख्यकों को अपमानित करती रही है कांग्रेस
हिंदू समुदाय को जातियों में बांटने के साथ ही कांग्रेस ने हमेशा बहुसंख्यकों को अपमानित करने का काम भी किया है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी अपनी किताब ‘द कोलिशन इयर्स’ में ये खुलासा किया है कि 2004 में शंकराचार्य की गिरफ्तारी के पीछे सोनिया गांधी हाथ था और इसके मूल में हिंदू विरोध की साजिश रही है।
- इसी तरह समझौता ब्लास्ट केस में भगवा आतंकवाद शब्द का गढ़ा जाना भी कांग्रेस की साजिश है।
- प्रभु राम के अस्तित्व को ही नहीं मानने का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में देकर कांग्रेस ने 100 करोड़ हिंदुओं की आस्था पर आघात किया।
- तीन तलाक के मामले में सुनवाई के दौरान प्रभु राम की आस्था की तुलना कर कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल ने हिंदुओं का अपमान किया।
धर्म के नाम पर भेदभाव करती है कांग्रेस
यह हमेशा देखा गया है कि कांग्रेस की सरकारों ने धर्म के आधार पर हिंदुओं के साथ भेदभाव करती है।
- 2005 में सोनिया गांधी के दबाव में मनमोहन सिंह सरकार ने संविधान में 93वें संशोधन के जरिए अनुसूचित जाति और जनजाति को भी यह छूट दिलवा दी।
- इस संशोधन का मतलब था कि सरकार किसी हिंदू के शिक्षा संस्थान को कब्जे में ले सकती है, लेकिन अल्पसंख्यकों और हिंदुओं की अनुसूचित जाति और जनजाति के संस्थानों को छू भी नहीं सकती।
- आम संस्थानों को 25 प्रतिशत गरीब छात्रों को दाखिला देना जरूरी कर दिया गया, जबकि अल्पसंख्यक संस्थानों पर ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। यहां तक कि उन्हें अनुसूचित जाति और जनजातियों को आरक्षण देना भी जरूरी नहीं किया गया।
- सोनिया-मनमोहन की सरकार ने जब शिक्षा का अधिकार लागू किया तो उसके नियमों में ऐसी चालबाजी की गई कि देश में हिंदुओं के शिक्षा संस्थान धीरे-धीरे पूरी तरह खत्म हो जाएं। आज हालत ये है कि केरल में 14 में से 12 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज मुस्लिम संस्थाओं के हैं।
देश में दंगा करवाती रही है कांग्रेस
कभी गोवध के नाम पर तो कभी धार्मिक जुलूस के नाम पर कांग्रेस देश में दंगा करवाती रही है।
- 1964 के राउरकेला और जमशेदपुर के दंगे में 2000 मासूम लोगों ने अपनी जान गंवाई और उस समय कांग्रेस की सरकार थी।
- 1967 के रांची दंगे में 200 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया यहां भी कांग्रेस की सत्ता|
- 1980 में मोरादाबाद के दंगा में 2000 लोग मारे गए, वहां भी कांग्रेस की सरकार थी।
- 1984 में दिल्ली में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2733 लोगों को मौत के घाट उतारा गया।
- 1985 में अहमदाबाद में 300 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया, यहां भी कांग्रेस शासन में थी।
- 1989 में भागलपुर दंगा तो अभी भी लोगों के जेहन में है, जहां 1000 से अधिक लोग मारे गए और कांग्रेस की सरकार के नाक के नीचे नरसंहार किए गए।
देश की अखंडता को दांव पर लगाती है कांग्रेस
कश्मीर को धारा 370 के जरिये देश की मुख्यधारा से जुड़ने नहीं देने का गुनाह कांग्रेस पार्टी पर है। वहीं दक्षिण में द्रविड़नाडु जैसे आंदोलन, जो देश को उत्तर और दक्षिण भारत को अलग करने की मंशा से चलाए गए थे, कांग्रेस ने शह दी थी। अभी कर्नाटक में अलग झंडे को कांग्रेस ने मंजूरी देकर देश में अलगावाद की नई आवाज को हौसला दिया है। इसी तरह पूर्वोत्तर क्षेत्रों में आबादी का संतुलन बिगाड़कर देश के टुकड़े-टुकड़े करने की मंशा से कांग्रेस ने लगातार राजनीति की है।
प्रदेशों के बीच झगड़ा लगवाती है कांग्रेस
नदियों के जल बंटवारे का मामला हो या फिर राज्यों के सीमांकन का… कांग्रेस ने यहां भी राजनीति की है। इसी का नतीजा है कि आज भी जल बंटवारे के नाम पर तमिलनाडु और कर्नाटक आमने-सामने होते हैं तो पंजाब, हिमाचल और राजस्थान भी एक दूसरे के खिलाफ तलवारें निकाल लेते हैं। हालांकि मोदी सरकार इन समस्याओं के समाधान की तरफ बढ़ तो रही है लेकिन कांग्रेस ने इसे उलझा कर रख दिया है। दूसरी ओर सीमांकन के नाम पर यूपी-बिहार, बिहार-बंगाल, असम-बंगाल के बीच तनातनी की शिकायतें आती रहती हैं।
क्षेत्रवाद के नाम पर बंटवारा करती है कांग्रेस
हाल-फिलहाल में ही मेघालय में कांग्रेस पार्टी ने हिंदी विरोध का झंडा बुलंद किया है। राज्यपाल गंगा राम के अभिभाषण का बॉयकाट कर कांग्रेस ने पूर्वोत्तर में हिंदी के नाम पर झगड़ा लगवा दिया है। इसके साथ ही असम, पश्चिम बंगाल समेत देश के पूर्वोत्तर इलाके में आबादी का संतुलन बिगाड़कर देश तोड़ने की साजिश रची जा रही है, जिसका सूत्रधार कांग्रेस रही है। कांग्रेस ने बांग्लादेशियों को असम समेत पूर्वोत्तर में नागरिकता दी, वोटर कार्ड दिए, राशन कार्ड दिए। ऐसे जनसांख्यिकीय असंतुलन से देश की एकता अखंडता को खतरा उत्पन्न हो रहा है। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक असम में मुसलमानों की आबादी में सबसे तेज बढ़ोतरी हुई है और अब आबादी के आधार पर भारत के एक और विभाजन की तस्वीर बनती दिख रही है।