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गोडसे के पुजारी बाबूलाल चौरसिया को कांग्रेस ने लगाया गले, पार्टी के अंदर मचा घमासान, सोशल मीडिया पर लोगों ने कांग्रेस के गांधीवाद पर उठाया सवाल

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महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के ‘भक्त’ को अपनी कांग्रेस में शामिल कराकर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ घिरते नजर आ रहे हैं। ग्वालियर में बुधवार को कमलनाथ की मौजूदगी में बाबूलाल चौरसिया कांग्रेस में शामिल हुए। इसे लेकर कांग्रेस पार्टी के अंदर बवाल मच गया है। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कमलनाथ पर सवाल खड़े किए हैं। वहीं इसने बीजेपी को कांग्रेस पर निशाना साधने का अच्छा मौका दे दिया है।

बाबूलाल चौरसिया के कांग्रेस में शामिल होने के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस ने ट्वीट करके कहा, ‘ हिन्दू महासभा के नेता कांग्रेस में शामिल, ग्वालियर के वार्ड 44 के पार्षद एवं हिन्दू महासभा के नेता श्री बाबूलाल चौरसिया आज प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ जी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए, श्री चौरसिया जी का कांग्रेस परिवार में स्वागत है।’

बाबूलाल चौरसिया के कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी के अंदर ही बवाल मचा हुआ है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे अरुण यादव ने कांग्रेस के अंदर के मतभेदों को बाहर लाने का काम किया है। अरुण यादव ने ट्वीट कर कहा, ‘बापू हम शर्मिंदा हैं। महात्मा गांधी अमर रहें।’ ग्वालियर दक्षिण पश्चिम से कांग्रेस के विधायक प्रवीण पाठक ने अरुण यादव के ट्वीट पर पलटवार करते हुए कहा कि गांधी आज शर्मिंदा नहीं बल्कि खुश हुए होंगे। गोडसे की विचारधारा के ऊपर गांधी की विचारधारा हावी होती आज साफ तौर पर दिखाई दे रही है। 

कांग्रेस में शामिल होने के बाद बाबूलाल चौरसिया ने कहा कि मैं जन्मजात कांग्रेसी हूं। हिंदू महासभा ने उन्हें अंधेरे में रखकर गोडसे की पूजा कराई थी। पिछले 2-3 साल से वे इस तरह के कार्यक्रम से दूरी बनाकर चल रहे थे। उनके मन में हिंदू महासभा की विचारधारा समाहित नहीं हो सकी। मैं फिर से अपने परिवार के साथ जुड़ गया हूं।

अब विडंबना देखिए कि गांधी-नेहरू की विचारधारा के बूते राजनीति करती रही कांग्रेस में गोडसे भक्त का स्वागत हो रहा है। आदर और पुरस्कार दिया जा रहा है। बीजेपी पूछ रही है क्या कांग्रेस इतनी विचार शून्य हो गई कि उसे गोडसे भक्त मे सियासी संभावनाएं दिखने लगी है। मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि इससे कांग्रेस का दोहरा चरित्र समझ में आता है। यह कांग्रेस की वास्तविक स्थिति का परिचायक है। उसके लिए गांधी के नाम पर इंदिरा, सोनिया या राहुल ही प्रासंगिक है। गांधी केवल वोट और नोट के लिए हैं।

वहीं सोशल मीडिया पर लोगों ने कांग्रेस के गांधीवाद पर सवाल उठाते हुए कहा कि गोडसे को पूजने वाले हिंदू महासभा के बाबूलाल चौरसिया कांग्रेस में शामिल हो गए। कमलनाथ ने यह नेक काम करवाया। ढोंगी, सत्ता लोलुप और विक्षिप्त कांग्रेस के लिए गांधी सिर्फ नोट और वोट वसूलने का जरिया है।

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