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कांग्रेस का दोहरा रवैया: संविधान बदलने का आरोप लगाने वाली पार्टी खुद कर रही इसकी मूल भावना से खिलवाड़

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कांग्रेस का दोहरा रवैया एक बार फिर देश के सामने आया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अक्सर हाथ में संविधान की प्रति लेकर बीजेपी पर इसे बदलने का आरोप लगाते रहे हैं। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे लोगसभा चुनाव के समय अपनी हर सभा में इस आरोप को दोहराते रहे कि अगर बीजेपी फिर से सत्ता में आई तो संविधान बदल कर आरक्षण खत्म कर देगी, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बीजेपी पर संविधान बदलने का आरोप लगाने वाली कांग्रेस आज खुद संविधान बदलने की बात कर रही हैं।

ताजा मामले में पार्टी ने संविधान की मूल भावना के खिलाफ जाकर धर्म के आधार पर आरक्षण देने का काम किया है। पार्टी ने तुष्टिकरण की नीति अपनाते हुए कर्नाटक में मुस्लिमों को 4 प्रतिशत आरक्षण दे दिया है। जबकि संविधान में साफ कहा गया है कि देश में धर्म के आधार पर किसी को कोई आरक्षण नहीं दिया जाएगा। ऐसे में कर्नाटक में कांग्रेसी सरकार के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को चार प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का समर्थन करते हुए कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो इसके लिए संविधान भी बदल देंगे।

राहुल गांधी के करीबी कर्नाटक के डिप्टी सीएम के बयान को सुनकर लोग हैरत में हैं। लोग संविधान के खिलाफ धर्म के आधार पर आरक्षण देने की कांग्रेस की कोशिश का विरोध कर रहे हैं। धर्म के आधार पर मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक में संविधान की धज्जियां उड़ा दी है। संविधान में बाबा साहेब ने साफ लिखा है कि आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं होगा। लेकिन कांग्रेस की सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट में 4 पर्सेंट के आरक्षण को पारित किया है। कर्नाटक सरकार ने इसको लेकर बिल पास किया है। वहां के डेप्युटी चीफ मिनिस्टर में विधानसभा में बयान दिया है कि जरूरत पड़ी तो हम संविधान को भी बदलेंगे।

संविधान बदलने के डीके शिवकुमार के बयान पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि कांग्रेस का असली चेहरा सामने आ गया है। राहुल का हिडेन एजेंडा समाने आ गया है। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमान को आरक्षण देने के लिए राहुल गांधी संविधान बदलना चाहते हैं। राहुल गांधी देश को इस्लामिक देश बनाना चाहते हैं, डीके शिवकुमार तो बस एक कठपुतली हैं।

इस मामले पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे कांग्रेस नेता कहते हैं कि मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए संविधान बदला जाएगा। लेकिन संविधान के अनुसार मुस्लिमों के लिए आरक्षण नहीं हो सकता।

धर्म के आधार पर आरक्षण के लिए संविधान बदलने के कांग्रेस नेता के बयान पर बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने कहा कि, ‘कांग्रेस का असली चेहरा आज सामने आ गया है। डीके शिवकुमार कोई साधारण नेता नहीं हैं। गांधी परिवार के खास नेता हैं। राहुल गांधी के करीबी हैं। यह संविधान के साथ खिलवाड़ है। नेहरू जी ने अपनी महत्वाकांक्षा को जीवित रखने के लिए देश का बंटवारा किया था। खुद पीएम बनने के लिए उन्होंने धर्म के आधार पर मां भारती के दो टुकड़े कर दिए। आज गांधी परिवार वही कर रहा है। वे भारत के संविधान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, मुस्लिम आरक्षण को संविधान में जगह दे रहे हैं, बाबा साहेब अंबेडकर इसके खिलाफ थे। वे एक बार फिर भारत का बंटवारा चाहते हैं, क्योंकि राहुल गांधी राजनीतिक रूप से अनफिट हैं। वे देश को तोड़ करके और देश के संविधान को बदलकर नेता बनने की साजिश कर रहे हैं। भारत इसे बर्दाश्त नहीं करेगा।’

भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस भारतीय संविधान के लिए सबसे बड़ा खतरा है। ये वही लोग हैं जो संविधान को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने इस पर कहा है कि मुस्लिमों को आरक्षण असंवैधानिक हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम वोटबैंक के लिए ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ‘डीके शिवकुमार ने कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो हम संविधान बदल देंगे। जब हंगामा हुआ तो वह कह रहे हैं कि मेरे बयान को गलत कोट किया गया है। आप पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण दे सकते हैं, लेकिन मुस्लिमों को सीधे आरक्षण देंगे तो ये असंवैधानिक है। मुस्लिम वोटबैंक के लिए ऐसा किया जा रहा है. हम इसकी भर्त्सना करते हैं। ये कांग्रेस पार्टी का एक हिडेन एजेंडा है।’

देश का संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है, लेकिन कांग्रेस बार-बार मुस्लिम आरक्षण की वकालत कर संविधान की मूल भावना को चुनौती देती रही है। अदालत इस पर रोक लगा पार्टी को झटका देती रही है, फिर भी कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति के कारण इसे अक्सर उठाती रही है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पोते राहुल गांधी की पार्टी का रवैया आरक्षण को लेकर रवैया समय-समय पर बदलता रहा है। कभी उसने संविधान संशोधन की बात की, तो कभी आरक्षण का विरोध किया, तो कभी धर्म के आधार पर आरक्षण देने के प्रयास भी किए। आरक्षण को लेकर कांग्रेस का दोहरापन देखना हो तो इससे देखिए-

*1953 में गठित काका कालेलकर आयोग ने पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की सिफारिश की थी, लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसे लागू नहीं किया।

* 1961 में जवाहरलाल नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में नौकरियों में आरक्षण को लेकर असहमति जताई थी और इसे ‘अक्षम्यता को बढ़ावा’ देने वाला बताया था।

*1980 में कांग्रेस सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को करीब एक दशक तक लागू नहीं किया, और इसे लटका कर रखा।

*1981- इंदिरा गांधी सरकार ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को लेकर एएमयू संशोधन अधिनियम के जरिए दलितों और पिछड़ों के लिए आरक्षण समाप्त कर दिया था।

*1994 और 2004 कांग्रेस सरकार ने आंध्र प्रदेश में 4-5% मुस्लिम आरक्षण देने की घोषणा की, जिसे बाद में अदालत में चुनौती दी गई।

*2010 में कांग्रेस ने ओबीसी महिलाओं के लिए सब-कोटा का विरोध किया था, लेकिन 2023 में बीजेपी राज में उसने इसका समर्थन कर दिया।

*2012 में उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने मुस्लिम समुदाय को 5 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही।

*2014 में महाराष्ट्र की पृथ्वीराज चव्हाण सरकार ने मुस्लिमों को आरक्षण देने की घोषणा की, लेकिन यह कानूनी रूप से स्थगित हो गया।

*इतना ही नहीं क 2024 में राहुल गांधी ने आरक्षण के लिए 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा को तोड़ने का वादा भी किया।

*और अब 2025 में कर्नाटक में मुस्लिमों को 4 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। हालांकि संविधान धर्म के आधार पर रिजर्वेशन की अनुमति नहीं देता, लेकिन राज्य के उपमुख्यमंत्री डी. शिवकुमार ने कहा है कि अगर जरूरी हुआ, तो वे आरक्षण बढ़ाने के लिए संविधान बदल देंगे।

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