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कांग्रेस के खास चहेते हैं विजय माल्या, बैंकों पर दबाव बनाकर दिलवाए कर्ज

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बेनामी संपत्ति अधिनियम में संशोधन हो या फिर नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदम… भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने की हर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने भ्रष्टाचार को संस्थागत रूप दे दिया था। बोफोर्स घोटाला, कोयला घोटाला, नेशनल हेराल्ड घोटाला, कॉमनवेल्थ स्कैम और लैंड डील न जाने कितने ही घोटालों की पहाड़ पर बैठी है कांग्रेस। सबसे चौंकाने वाली बात उनके शीर्ष नेताओं का भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से उनका कनेक्शन। रिपब्लिक टीवी ने जो खुलासा किया है उससे तो साफ जाहिर होता है कि विजय माल्या पर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं हाथ था इसलिए ही वे लगातार एक के बाद एक घोटाला करने में सफल होते चले गए और देश का 9000 करोड़ लेकर विदेश में जाकर बैठ गए हैं।

सोनिया गांधी एंड फैमिली को माल्या देते थे विशेष सुविधाएं
रिपब्लिक टीवी की एक रिपोर्ट से साफ होता है कि विजय माल्या ने सोनिया गांधी और फारुक अब्दुल्ला जैसे नेताओं को फेवर किया था। रिपब्लिक टीवी ने खुलासा किया है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के ऑफिस से उनके और उनके संबंधियों का टिकट मुफ्त में Upgrade करने के लिए लिखा था।
यह भी खुलासा हुआ है कि सोनिया गांधी के पीए ने Upgrade के लिए किंगफिशर एयरलाइंस से संपर्क किया था। SFIO (Serious Fraud Investigation Office) की रिपोर्ट के अनुसार, सोनिया गांधी या उनके संबंधियों ने जब भी किंगफिशर एयरलाइंस की सेवा ली, उन्हें मुफ्त में Upgrade की सुविधा दी गई।

माल्या के हस्ताक्षर से सोनिया एंड फैमिली को मिली विशेष सुविधा
दरअसल किंगफिशर एयरलाइंस सेल्स टीम के विजय अरोड़ा की ओर से CFO और दूसरों के भेजे गए मेल से साफ हो जाता है कि सोनिया गांधी और उनके परिवार को कम पैसों में ही हाइयर क्लास का टिकट दिया गया। मेल से यह भी खुलासा होता है कि किंगफिशर एयरलाइंस ने कैसे उनके economy class के टिकट को बिना ज्यादा पैसे लिए first class tickets में upgrade कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि टिकट को अपग्रेड करने की अनुमति विजय माल्या ने स्वयं दी। सबसे खास यह है कि ऐसा उस समय हो रहा था जब UPA-2 की सरकार एक के बाद एक घोटालों में उलझती जा रही थी।

फारूक अब्दुल्ला को विजय माल्या ने खुद दी थी चार्टर सुविधा
माल्या ने फारूक अब्दुल्ला को मुफ्त में चार्टर सेवा देने के लिए खुद हस्ताक्षर किया था। SFIO के गोपनीय दस्तावेज के अनुसार 2008 में जम्मू-कश्मीर चुनाव के दौरान फारूक अब्दुल्ला द्वारा इस्तेमाल चार्टर सेवा का भुगतान नहीं किया गया। उसी दिन, किंगफिशर एयरलाइंस ने chopper operator को लिखा था कि, फारूक अब्दुल्लाह के बकाये का भुगतान उनके मित्र विजय माल्या द्वारा मंजूर किया गया है। दरअसल 29 नवंबर, 2008 की एक मेल में अरुण सिंह, ए रघुनाथन, सीएफओ और विजय माल्या के बीच आंतरिक पत्राचार का विवरण है। इस मेल से साफ होता है कि फारुक अब्दुल्ला को हेलिकॉप्टर के लिए भुगतान नहीं करना था।

कांग्रेस के दबाव के कारण विजय माल्या को मिले 2000 करोड़ के कॉरपोरेट कर्ज
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के बड़े कद्दावर नेताओं से माल्या के कनेक्शन के कारण ही वे आज भी लंदन में मौज की जिंदगी जी रहे हैं। कांग्रेस सरकार के भीतर माल्या की कितनी पैठ थी इसका अंदाजा इस बात से भी लगता है कि 2000 करोड़ रुपये का कॉरपोरेट कर्ज तो केवल बाहरी दबाव (कांग्रेस) के कारण दे दिया गया था। सीबीआई द्वारा जब्त कंप्यूटर के ई-मेल्स से SFIO ने ये भी खुलासा किया है कि कैसे वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने किंगफिशर एयरलाइंस को ऋण स्वीकृति के लिए भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया जैसे बैंकों को सलाह दी थी। ई मेल से ये भी खुलासा होता है कि वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी की सलाह के से माल्या 2009 में पूर्व एसबीआई के वरिष्ठ अधिकारी से मिले थे, जिन्होंने माल्या को 500 करोड़ रुपये का ऋण देने का आश्वासन दिया था।

कांग्रेस शासन में डीजीसीए से पहले माल्या को पता रहती थी नीतियां
SFIO ने ये भी खुलासा किया है कई ऐसे निर्णय जो सरकार के अधिकारियों को भी नहीं पता होता था वो माल्या को पता होता था। इसका कारण होता था कि डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) के अधिकारियों से पहले ही माल्या को यात्रियों की संख्या, बाजार हिस्सेदारी जैसी जानकारियां पहले मिल जाया करती थीं। इस जानकारी के आधार पर माल्या अपनी विमान कंपनी का किराया से लेकर तमाम तरह की नीतियां तय कर लेते थे। इस एवज में वे बड़े नेताओं को अपने विमानों में बिजनेस क्लास, फर्स्ट क्लास की सीट और चार्टर्ड हेलीकॉप्टरों के किराये पर खर्च का भुगतान करते थे। कई मौकों पर वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को उन्होंने विदेश यात्रा के लिए टिकटों की कीमतें 50 प्रतिशत तक कम कर दी थीं। यही कारण था कि वित्त मंत्रालय के अधिकारी माल्या द्वारा की गई अनियमितताओं पर कोई सवाल नहीं उठाते थे।

ऑडिट टीम ने माल्या के घोटालों पर कभी सवाल क्यों नहीं उठाए?
भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोप के बावजूद भी किंगफिशर द्वारा किए गए परिवर्तनों पर ऑडिट कमिटी भी माल्या की कंपनी पर सवाल नहीं उठाते थे। ऐसा लगता है कि वे इस मामले में जानबूझकर अनजान बने रहते थे। कई स्वतंत्र निदेशकों ने कंपनी और केएमपी (key management persons) से परिचालनों की आर्थिक व्यवहार्यता और बैठकों में लेनदारों और ऋणों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने की क्षमता पर सवाल नहीं किया। गौरतलब है कि किंगफिशर पर एसबीआई, आईडीबीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया सहित कम से कम 17 उधारदाताओं को 9000 करोड़ रुपये का बकाया है।

 

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