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बदलते भारत की तस्वीर: कभी भारत को बोफोर्स बेचने वाली कंपनी आज भारत से खरीद रही है धनुष तोप

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा क्षेत्र में भारत की ताकत लगातार बढ़ रही है। यूपीए काल में स्वीडन की कंपनी से बोफोर्स खरीदने वाला भारत मोदी काल में उसी कंपनी को कानपुर की फील्ड गन फैक्ट्री में बनी धनुष तोप बेच रहा है। मेक इन इंडिया मिशन के तहत पूरी स्वदेशी तकनीक से तैयार धनुष तोप मारक क्षमता सहित कई मामलों में बोफोर्स तोप से काफी बेहतर है। बोफोर्स तोप की मारक क्षमता जहां 27 किलोमीटर है, वहीं धनुष 42 किलोमीटर तक मार कर सकती है।

बोफोर्स का ऑपरेशन ऑटोमेटिक नहीं हैं, जबकि धनुष तोप स्वचालित है। धनुष का बैरल कई घंटों तक फायरिंग करने के बाद भी गरम नहीं होता। स्वदेशी धनुष को इस तरह तैयार किया गया है कि यह पुराने गोला बारूद के साथ नई पीढ़ी के गोला-बारूद को भी दाग सकता है, जबकि बोफोर्स से सिर्फ पुराना गोला-बारुद ही दागा जा सकता है।

धनुष तोप कई मायने में बोफोर्स से काफी बेहतर है। धनुष तोप दूर तक मार करने के साथ मुश्किल भरे रास्तों पर भी आसानी से चल सकती है। यह रात में भी सटीक निशाना लगा सकती है। इसका मैदान, रेगिस्तान के साथ सियाचिन जैसी सर्वाधिक ऊंची पोस्ट पर भी कई बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है।

इतना ही नहीं, बोफोर्स बनाने वाली यह स्वीडिश कम्पनी, सुपर रैपिड गन माउंट को पहले इटली से खरीदती थी, लेकिन अब वह इसे भी भारत से खरीदेगी । ये उन लिबरलों के मुंह पर तमाचा है जो हर बात पर हल्ला करने लगते हैं कि ‘मोदी ने यह बेच दिया, वह बेच दिया’। इस तरह का हल्ला करने वालों को यह भी याद करना चाहिए कि यह सब सिर्फ पिथले छह-सात सालों से ही क्यों सुनने को मिल रहा है? आखिर डीआरडीओ, इसरो, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री, गन फैक्ट्री तो पहले से ही कांग्रेसी राज के समय से है, तो फिर हमें हथियार क्यों खरीदने पड़ते थे ?

आइए देखते हैं प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किस तरह रक्षा क्षेत्र में भारत की ताकत लगातार बढ़ रही है…

प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों का असर है कि भारत पहली बार वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में शामिल हुआ है। हथियारों के निर्यातक के मामले में भारत ने 23वें नंबर से शुरुआत की है, लेकिन जल्दी ही रैंकिंग में सुधार होने की संभावना है। भारत के सबसे बड़े हथियार ग्राहक म्यांमार (46 प्रतिशत), श्रीलंका (25 प्रतिशत) और मॉरीशस (14 प्रतिशत) हैं। हथियार निर्यात में इस समय भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 0.2 प्रतिशत है। जिसके पांच साल के भीतर बढ़ाकर 5 अरब डॉलर करने का लक्ष्य है।

18 देशों को बुलेटप्रूफ जैकेट निर्यात कर रहा भारत
भारत 18 देशों को बुलेटप्रूफ जैकेट निर्यात कर रहा है। 15 कंपनियों को बुलेटप्रूफ जैकेट बनाने के लिए लाइसेंस दिया गया है। घरेलू और निर्यात जरूरतों की पूर्ति के लिए देश में हर साल 10 लाख बुलेटप्रूफ जैकेट उत्पादन करने की क्षमता है। रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने का ही नतीजा है कि आज दुनिया भर में भारत में बनी बुलेटप्रूफ जैकेट की मांग है। भारत की मानक संस्था ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) के मुताबिक, बुलेटप्रूफ जैकेट खरीददारों में कई यूरोपीय देश भी शामिल हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी के बाद भारत चौथा देश है, जो राष्ट्रीय मानकों पर ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की बुलेटप्रूफ जैकेट बनाता है। भारत में बनी बुलेटप्रूफ जैकेट की खूबी है कि ये 360 डिग्री सुरक्षा के लिए जानी जाती है। 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नीति आयोग के निर्देश के बाद बीआईएस ने बुलेटप्रूफ जैकेट के लिए मानक तैयार किया था। मानक दिसंबर 2018 में प्रकाशित हुआ। अब सभी इसका पालन कर रहे हैं। मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत अब बुलेटप्रूफ जैकेट उत्पादन के लिए वैश्विक सुविधाएं और डिजाइनें हैं।

अर्मेनिया को बेचेगा 280 करोड़ रुपये का हथियार
अब तक हथियारों का आयात करने वाला भारत अब हथियारों का निर्यात कर रहा है। हाल ही में भारत ने रूस और पौलेंड की पछाड़ते हुए अर्मेनिया के साथ रक्षा सौदा किया। इस करार में भारत रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित और भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा निर्मित 40 मिलियन डॉलर (करीब 280 करोड़ रुपये) का हथियार अर्मेनिया को बेचेगा। इसमें ‘स्वाती वेपन लोकेटिंग रडार’ सिस्टम शामिल है। इन हथियारों का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ के तहत किया गया है। स्वाति वेपन लोकेटिंग रडार 50 किमी के रेंज में दुश्मन के हथ‍ियारों जैसे मोर्टार, शेल और रॉकेट तेज, स्वचालित और सटीक तरीके से पता लगा लेता है।

लाइटवेट एंटी-सबमरीन टॉरपीडो म्यांमार को किया गया निर्यात
लाइटवेट एंटी-सबमरीन शायना टॉरपीडो की पहली बैच को म्यांमार भेजा गया है। एडवांस्ड लाइट टॉरपीडो (TAL) शायना भारत की पहली घरेलू रूप से निर्मित लाइटवेट एंटी-सबमरीन टॉरपीडो है। इसे DRDO के नौसेना विज्ञान और तकनीकी प्रयोगशाला द्वारा विकसित किया गया है और इस टॉरपीडो का निर्माण भारत डायनेमिक्स लिमिटेड ने किया है। भारतीय हथियार उद्योग के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है। टीएएल शायना टॉरपीडो के पहले बैच को 37.9 मिलियन डॉलर के निर्यात सौदे के हिस्से के रूप में म्यांमार भेजा गया है, जिस पर 2017 में हस्ताक्षर किए गए थे। इस आपूर्ति के साथ भारत और म्यांमार के बीच बढ़ते संबंधों में और मजबूती आने की उम्मीद है।

मिसाइलों का निर्यात
इसके साथ ही भारत अब दक्षिण पूर्व एशिया और खाड़ी के देशों को मिसाइलों का निर्यात करने जा रहा है। ब्रह्मोस एरोस्पेस के एचआर कोमोडर एसके अय्यर ने कहा कि कई दक्षिण पूर्व एशियाई देश हमारी मिसाइलों को खरीदने के लिए तत्पर हैं। इसके साथ ही हमारी मिसाइलों में खाड़ी के देश भी रुचि दिखा रहे हैं।

इसके अलावा भी कई ऐसी रक्षा परियोजनाएं हैं जिनमें पीएम मोदी की पहल पर मेक इन इंडिया को बढ़ावा दिया जा रहा है। डालते हैं एक नजर-

नौसेना के बेड़े में शामिल हुई स्वदेशी करंज पनडुब्बी
रक्षा क्षेत्र में प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना ‘मेक इन इंडिया’ की एक और उपलब्धि के रूप में बुधवार, 10 मार्च को स्कॉर्पिीन क्लास की पनडुब्बी आईएनएस करंज को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। यह पनडुब्बी मेक इन इंडिया मिशन के तहत मझगांव डॉक लिमिटेड ने बनाई है। यह पनडुब्बी कम आवाज से दुश्मन के जहाज को चकमा देने में माहिर है। यह रडार की पकड़ में नहीं आती, समंदर से जमीन पर और पानी के अंदर से सतह पर हमला करने में सक्षम है। 67.5 मीटर लंबी, 12.3 मीटर ऊंची और 1565 टन वजन वाली इस पनडुब्बी में ऑक्सीजन भी बनाया जा सकता है। यह बड़ी आसानी से दुश्मन के घर में घुस कर उसे तबाह कर सकती है। यह किसी भी मौसम में कार्य करने में सक्षम है। इसे समुद्र में भारत का ब्रह्मास्त्र माना जा रहा है। नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के अनुसार मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के तहत वर्तमान में 42 शिप और सबमरीन बन रहे हैं, उनमें से 40 नेवी के शिपयार्ड में बन रहे हैं।पनडुब्बी बढ़ाएगी नौसेना की ताकत
मेक इन इंडिया के तहत नौसेना के लिए भारत में ही करीब 45 हजार करोड़ रुपये की लागत से छह पी-75 (आई) पनडुब्बियां बनाई जाएंगी। पनडुब्बियों के निर्माण की दिशा में स्वदेशी डिजाइन और निर्माण की क्षमता विकसित करने के लिए नौसेना ने संभावित रणनीतिक भागीदारों को छांटने के लिए कॉन्ट्रैक्ट जारी कर दिया है। रणनीतिक भागीदारों को मूल उपकरण विनिर्माताओं के साथ मिलकर देश में इन पनडुब्बियों के निर्माण का संयंत्र लगाने को कहा गया है। इस कदम का मकसद देश को पनडुब्बियों के डिजाइन और उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है।

देश में बनेगा अपाचे जैसा हेलिकॉप्टर
पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी ‘मेक इन इंडिया’ योजना के तहत भारत में अपाचे जैसा हेलिकॉप्टर के विनिर्माण का रास्ता खुला है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने भारतीय सेना के लिए युद्धक हेलिकॉप्टर बनाने के मेगा प्रॉजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। एचएएल के मुताबिक 10 से 12 टन के ये हेलिकॉप्टर दुनिया के कुछ बेहतरीन हेलिकॉप्टर्स जैसे बोइंग के अपाचे की तरह आधुनिक और शक्तिशाली होंगे। एचएएल के प्रमुख आर माधवन ने कहा है कि जमीनी स्तर पर काम शुरू किया जा चुका है और 2027 तक इन्हें तैयार किया जाएगा। इस मेगा प्रॉजेक्ट का लक्ष्य आने वाले समय में सेना के तीनों अंगों के लिए 4 लाख करोड़ रुपये के सैन्य हेलिकॉप्टर्स के आयात को रोकना है। माधवन ने कहा कि डिजाइन, प्रोटोटाइप के उत्पादन पर 9,600 करोड़ रुपये खर्च होंगे। 

सेना के जवान अब पहनेंगे स्‍वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेट
केंद्र सरकार ने सेना की जरूरतों को देखते हुए 1.86 लाख स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदने के लिए अनुबंध किया है। सेना के लिए कारगर बुलेट प्रूफ जैकेटों की जरूरत को युद्ध क्षेत्र के लिए सफलतापूर्वक आवश्यक परीक्षण करने के बाद पूरा किया गया है। ‘भारत में बनाओ, भारत में बना खरीदो’ के रूप में इस मामले को रखा गया है। स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेटें अत्याधुनिक हैं, जिनमें रक्षा का अतिरिक्त स्तर और कवरेज क्षेत्र है। श्रम-दक्षता की दृष्टि से डिजाइन की गई बुलेट प्रूफ जैकेटों में मॉड्यूलर कलपुर्जे हैं, जो लम्बी दूरी की गश्त से लेकर अधिक जोखिम वाले स्थानों में कार्य कर रहे सैनिकों को संरक्षण और लचीलापन प्रदान करते हैं। नई जैकेटें सैनिकों को युद्ध में पूरी सुरक्षा प्रदान करेंगी।

मेक इन इंडिया के तहत क्लाश्निकोव राइफल
मेक इन इंडिया के तहत अब दुनिया के सबसे घातक हथियारों में से एक क्लाश्निकोव राइफल एके 103 भारत में बनाए जाएंगे। असास्ट राइफॉल्स एके 47 दुनिया की सबसे कामयाब राइफल है। भारत और रूसी हथियार निर्माता कंपनी क्लाश्निकोव मिलकर एके 47 का उन्नत संस्करण एके 103 राइफल बनाएंगे। सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसे भारत में बनाया जाएगा। इसे भारत से निर्यात भी किया जा सकता है।

भारत में लड़ाकू विमान बनाना चाहती है लॉकहीड मार्टिन
अमेरिकी रक्षा कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने अमेरिका से अपनी चौथी पीढ़ी के बहुआयामी विमान एफ-16वी के प्रोडक्शन लाइन को भारत में ट्रांसफर करने की पेशकश की है। यह प्रधानमंत्री मोदी के मेक-इन-इंडिया प्रोजेक्ट की कामयाबी के तौर पर देखा जा सकता है। कंपनी का दावा है कि एफ-16वी बाजार में उसके इस श्रेणी के उत्पादों में सबसे उन्नत एवं आधुनिक है। भारत इन विमानों का अपनी वायुसेना में इस्तेमाल करने के साथ ही इसका निर्यात भी कर सकेगा। अगर ऐसा होता है तो डिफेंस इंडस्ट्री में नए रोजगार पैदा होंगे और हजारों इंजीनियरों को बेहतर अवसर मिलेगा।

रक्षा क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करने पर जोर
अगस्त 2018 में बेंगलुरु में डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज का आयोजन किया गया था, जिसमें मोदी सरकार ने लेजर हथियारों और 4G लैन (लोकल एरिया नेटवर्क) जैसी 11 तकनीकी चुनौतियों को स्टार्टअप शुरू करनेवाले उद्यमियों के सामने रखा । इन चुनौतियों में ज्यादातर ऐसी हैं, जो सुरक्षा बलों से जुड़ी हैं। सरकार ने देश में स्टार्टअप को शुरू करने और उसे आगे बढ़ाने में सहयोग देने वाली केंद्र सरकार की नीति की घोषणा करते हुए उद्यमियों को रक्षा क्षेत्र में निवेश करने और इसमें हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया।

नीतिगत पहल और निवेश
रक्षा मंत्रालय स्वदेशी को बढ़ावा देकर करोड़ों रुपये की बचत कर रहा है। रक्षा उत्पादों का स्वदेश में निर्माण के लिए मोदी सरकार ने 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दी हुई है। इसमें से 49 प्रतिशत तक की FDI को सीधे मंजूरी का प्रावधान है, जबकि 49 प्रतिशत से अधिक के FDI के लिए सरकार से अलग से मंजूरी लेनी पड़ती है।

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