भारतीय सेना के जवानों ने जहां एक तरफ गलवान घाटी में चीन को करारा जबाव दिया है, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी राजनीतिक और कूटनीतिज्ञ तरीके से चीनी की दादागिरी का जवाब दे रहे हैं। 59 चाइनीज ऐप्स पर प्रतिबंध लगाना इसका ताजा उदाहरण है। इसके अलावा दूरदर्शन भी चीन की दादागिरी की लगतार पोल खो रहा है, जिससे चीन परेशान हो गया है।
दरअसल, साल 2020 के जनवरी माह में दूरदर्शन ने ताइवानी राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन पर अपना एक स्पेशल शो ऑन एयर किया था। इस शो में उनसे जुड़ी कई बातें बताई गईं थी। इसी शो में यह भी बताया गया था कि त्साई ने चीन के ‘एक देश, दो सिस्टम’ मॉडल को खारिज कर दिया है। 13 जनवरी को हुए इस प्रोग्राम में दूरदर्शन ने ताइवान के प्रतिनिधि तीन चुंग-क्वांग को भी भारत आमंत्रित किया था, जिन्होंने चीन के एक देश दो सिस्टम वाले मॉडल को खारिज किया था।
इसी बात से नाराज भारत में मौजूद चीनी एंबेसी ने दूरदर्शन को पत्र लिखा और प्रोग्राम प्रसारण पर अपना आपत्ति जताई। सूत्रों के मुताबिक भारत के चीनी एंबेसी ने 16 जनवरी 2020 को अपने एक ईमेल में दावा किया कि ताइवान की स्वतंत्रता को मंच प्रदान करके दूरदर्शन ने वन चाइना पॉलिसी का उल्लंघन किया है लेकिन चीनी दूतावास के असंतुष्ट होते हुए भी दूरदर्शन ने ताइवान पर अपना प्रसारण जारी रखा। फरवरी में दूरदर्शन ने चीन की आपत्ति जानने के बाद भी ताइवान के खास त्योहार पर अपना कार्यक्रम किया और फिर मार्च के बाद तिब्बत पर भी अपना एक विशेष कार्यक्रम एयर किया। इस शो में दूरदर्शन ने भारत में निर्वासित तिब्बतियों के बारे में विस्तार से दिखाया गया।
आपको बता दें कि 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के बाद चीन ने ताइवान पर नियंत्रण कर लिया था। हालांकि, ताइवान ने इस दौरान चीनी नियमों को मानने से इंकार किया लेकिन फिर भी चीन ने ताइवान पर अपना नियंत्रण जारी रखा। इसके अलावा तिब्बत पर भी चीन ने कब्जा कर लिया है। निर्वासित तिब्बती भारत में शरण लेने को मजबूर हैं।