Home समाचार चीन के विशेषज्ञ ने की बैंकिंग सुधार के लिए प्रधानमंत्री मोदी की...

चीन के विशेषज्ञ ने की बैंकिंग सुधार के लिए प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ

SHARE

चीन के एक विशेषज्ञ ने बैंकिंग सेक्टर में सुधार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में युन्नान अकैडमी ऑफ सोशल साइंसेज के डेप्युटी डायरेक्टर चेन लिजुन ने लिखा है कि बैंकिंग प्रणाली में किए जा रहे सुधारों के चलते भारत कर्ज संकट से बच जाएगा। उन्होंने लिखा है कि अल्पकालिक नकारात्मक प्रभाव के बावजूद पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से बैंकिग सिस्टम में किए जा रहे सुधारों का सकारात्मक असर दिखा है। उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी के बैंकों के एकीकरण से जुड़े कदमों से अर्थव्यवस्था कम समय के लिए प्रभावित हो सकती है, लेकिन लंबे समय में इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

मोदी सरकार बैंकिंग प्रणाली को सुधारने और एनपीए पर लगाम लगाने के लिए गंभीरता से काम कर रही है। मोदी सरकार ऐसी व्यवस्था बनाना चाहती है, जिससे एनपीए की समस्या ही पैदा न हो। वित्त मंत्री अरुण जेटली के अनुसार सरकार संस्थागत व्यवस्था को इस तरह तैयार कर रही है, ताकि नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स यानी एनपीए पैदा न हो सके। यह समस्या यूपीए शासन में देखने को मिली थी। इसके साथ ही बैंकिंग सेक्टर में सुधार और भ्रष्टाचार पर लगाम के लिए मोदी सरकार ने कई कदम उठाए हैं। आइए एक नजर डालते हैं उन कदमों पर-

सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों को सरकार देगी 1 लाख करोड़
हाल ही में मोदी सरकार ने पीएसयू बैंकों में 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की पूंजी डालने का एलान किया है। वित्त मंत्री ने कहा कि पुनर्पूंजीकरण के जरिए जो पैसा दिया जाना है, उसे बैंकों के प्रदर्शन के आधार पर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बैंक को कामकाज के उच्च स्तरीय मापदंड बनाने चाहिए। केंद्र सरकार ओर से एसबीआई में 8800 करोड़ रुपये, पीएनबी में 5473 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा में 5375 करोड़ रुपये, केनरा बैंक में 4865 करोड़ रुपये और यूनियन बैंक में 4524 करोड़ रुपये की पूंजी डाली जाएगी। सिंडिकेट बैंक में 2839 करोड़ रुपये, आंध्रा बैंक में 1890 करोड़ रुपये, पंजाब एंड सिंध बैंक में 785 करोड़ रुपये, आईडीबीआई बैंक में 10610 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ इंडिया में 9232 करोड़ रुपये, यूको बैंक में 6507 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक में 5158 करोड़ रुपये, आईओबी में 4694 करोड़ रुपये, ओबीसी में 3571 करोड़ रुपये, देना बैंक में 3045 करोड़ रुपये और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 3173 करोड़ रुपये की पूंजी डाली जाएगी। यूनाइटेड बैंक में 2634 करोड़ रुपये, कॉरपोरेशन बैंक में 2187 करोड़ रुपये, इलाहाबाद बैंक में 1500 करोड़ रुपये और विजया बैंक में 1277 करोड़ रुपये की पूंजी डाली जाएगी।

पासपोर्ट की जानकारी जरूरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार कर्ज लेकर देश से बाहर भागने के मामलों पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठी रही है। वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों को 45 दिनों के भीतर उन सभी कर्जदारों के पासपोर्ट का ब्योरा लेने को कहा है जिन्होंने 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज ले रखा है। इसका मकसद नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे लोगों को देश छोड़कर भागने से रोकना है। पासपोर्ट के बारे में जानकारी नहीं होने पर बैंक कर्ज नहीं लौटाने वालों को देश छोड़कर जाने से रोकने के लिए समय पर कदम नहीं उठा पाते। इसके साथ ही वित्त मंत्रालय ने बैंकों को उन सभी फंसे कर्ज वाले खातों की जांच करने को कहा जिनमें बकाया 50 करोड़ रुपये से अधिक है। साथ ही मामले के अनुसार इसकी सूचना सीबीआई को देने को कहा। इसके अलावा बैंकों से 250 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज पर नजर रखने को भी कहा गया है।

भगोड़ा आर्थिक अपराध विधेयक मंजूर
केंद्रीय कैबिनेट ने आर्थिक फ्रॉड करने वाले बड़े अपराधियों पर नकेल कसने के लिए भगोड़ा आर्थिक अपराध बिल को मंज़ूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया। इस बिल में भारत में इकोनॉमिक फ्रॉड कर विदेश भागने वाले अपराधियों की संपत्ति को जब्त करने समेत कई सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं। इस विधेयक में भारतीय न्‍यायालयों के कार्यक्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय कानूनी प्रक्रिया से बचने वाले आर्थिक अपराधियों की प्रवृत्‍ति को रोकने के लिए कड़े उपाय करने में मदद मिलेगी।

विधेयक के मुख्य प्रावधान

  • यह प्रावधान 100 करोड़ रुपये से अधिक की बकाया राशि अथवा बैंक कर्ज की वापसी नहीं करने वालों, जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले कर्जदारों और जिनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है उन पर लागू होगा।
  • विधेयक में यह भी प्रावधान है कि ऐसे भगोड़े आर्थिक अपराधी की संपत्ति को उसके दोषी ठहराये जाने से पहले ही जब्त किया जा सकेगा और उसे बेचकर कर्ज देने वाले बैंक का कर्ज चुकाया जाएगा।
  • इस विधेयक के माध्यम से विदेशों में मौजूद संपत्ति को जब्त करने का भी प्रावधान किया गया है हालांकि इसके लिए संबंधित देश के सहयोग की भी जरूरत होगी।

राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण को मंजूरी
इसके साथ ही नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी  यानि NFRA के गठन को भी मंजूरी दे दी गई। NFRA इंडिपेंडेंट रेग्युलेटर के रूप में काम करेगा। चार्टर्ड अकाउंटेंट अधिनियम के सेक्शन 132 के तहत चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और उनके फर्म की जांच को लेकर NFRA का कार्यक्षेत्र सूचीबद्ध और बड़ी गैर-सूचीबद्ध कंपनियों पर लागू होगा।  यानि एनएफआरए के तहत चार्टर्ड एकाउंटेंट्स और उनकी फर्मों की सेक्शन 132 के तहत जांच होगी। एनएफआरए स्वायत्त नियामक सस्था के तौर पर काम करेगा।

संपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा (Asset Quality Review)
मोदी सरकार ने कर्ज नहीं चुकाने वाले बड़े बकायेदारों की जिम्मेदारी तय की है और विभिन्न उपायों के जरिए बैंकों को मजबूत किया जा रहा है। नियमित रूप से कर्ज की वापसी नहीं करने के बावजूद 2008- 2014 के बीच बड़े कर्जदारों को बैंकों से कर्ज देने के लिये दबाव डाला जाता रहा। वास्तव में जो कर्ज NPA श्रेणी में जा चुके थे उन्हें नियमित कर्ज बनाये रखने के लिए कॉरपोरेट ऋण पुनर्गठन के तहत उनका पुनर्गठन किया गया। 2015 की शुरुआत में, वर्तमान सरकार ने एसेट क्वालिटी रिव्यू (एक्यूआर) के बाद एनपीए की समस्या को मानते हुए वर्गीकृत किया। पीएसबी में एनपीए की सही मात्रा की मान्यता ने मार्च 2017 तक एनपीए की रकम 2.78 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7.33 लाख करोड़ रुपये की कर दी।

इंसोल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड
इंसोल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड 2016 (आईबीसी) के कानून बन जाने से दिवालिया कंपनियों के प्रोमोटर्स की मुश्किलें बढ़ गई हैं और वे दोबारा कंपनियों में हिस्सेदारी नहीं खरीद पा रहे हैं। बैंकरप्सी कानून में होने वाले बदलाव से सरकारी बैंकों को बड़ा फायदा हो रहा है। मोदी सरकार ने 2016 में बैंकरप्सी को बैंकरप्सी कोड के तहत लाया है। सरकार ने कोड 1 अक्टूबर, 2017 को नियामक के रूप में भारतीय दिवालियापन और दिवालियापन बोर्ड (आईबीबीआई) की स्थापना की थी।

पीएसबी पुनर्पूंजीकरण (PSB Recapitalisation)
24 अक्टूबर 2017 को, अगले दो वर्षों में 2.11 लाख करोड़ रूपये की एक पूर्ण पीएसबी पुनर्पूंजीकरण योजना की घोषणा की गई। इसमें पूंजी अधिग्रहण योजना (capital infusion plan) का प्रमुख घटक (64%) के रूप में पुनर्पूंजीकरण बांड की घोषणा की गई। 24 जनवरी, 2018 को 88,000 करोड़ रुपये की पूंजी योजना की घोषणा के साथ, बैंक पुनर्पूंजीकरण की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हुई।

एफआरडीआई विधेयक (FRDI Bill)
ड्राफ्ट एफआरडीआई विधेयक एक और सक्रिय कदम है, जहां एक संकल्प निगम (आरसी) प्रस्तावित किया गया है, जो कि वित्तीय संस्थानों में संकट की शुरुआती चेतावनी के संकेतों की पहचान करेगा। यह भविष्य में दिवालिया होने से वित्तीय संस्थानों की रक्षा करेगा, और यदि ऐसा हो, तो निपटने के लिए एक ढांचा प्रदान करेगा। आज तक कोई ऐसी प्रणाली भारत में मौजूद नहीं है।

पूंजी अधिग्रहण योजना
24 अक्टूबर 2017 को, अगले दो वर्षों में 2.11 लाख करोड़ रूपए की एक पूर्ण पीएसबी पुनर्पूंजीकरण योजना की घोषणा की गई। इसमें पूंजी अधिग्रहण योजना (capital infusion plan) का प्रमुख घटक (64%) के रूप में पुनर्पूंजीकरण बांड की घोषणा की गई। 24 जनवरी, 2018 को 88,000 करोड़ रुपये की पूंजी योजना की घोषणा के साथ, बैंक पुनर्पूंजीकरण की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हुई।

FRDI विधेयक
प्रस्तावित वित्तीय संकल्प और जमा बीमा (एफआरडीआई) विधेयक, 2017 में जमाकर्ताओं के ‘वर्तमान अधिकारों की सुरक्षा की गई है और उसे बढ़ाया गया है और वित्तीय कंपनियों के व्यापाक और कुशल समाधान शासन लाने की कोशिश है। दरअसल वर्तमान में समाधान के लिए कोई व्यापक और एकीकृत कानूनी ढांचा नहीं है, जिसमें ‘भारत में वित्तीय कंपनियों का तरलीकरण भी शामिल है। एफआरडीआई विधेयक एक ‘समाधान निगम’ और एक व्यापक शासन स्थापित करने का प्रस्ताव करता है ताकि एक असफल वित्तीय फर्म को समयबद्ध और व्यवस्थित समाधान के लिए सक्षम किया जा सके।

बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम
Benami Transactions (Prohibition)Act भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है, जो बेनामी लेनदेन पर रोक लगाता है। 1988 के में 1 नवंबर, 2016 को संशोधित कर कानून को कड़ा बनाया है। संशोधित बिल में बेनामी संपत्तियों को जब्त करने और उन्हें सील करने का अधिकार है। इसके साथ ही जुर्माने के साथ कैद का भी प्रावधान है। भारत में काले धन की बढ़ती समस्या को खत्म करने की दिशा में एक और कदम है। दरअसल बेनामी संपत्ति वह है जिसकी कीमत किसी और ने चुकाई हो लेकिन नाम किसी दूसरे व्यक्ता का हो। यह संपत्ति पत्नी, बच्चों या किसी रिश्तेदार के नाम पर खरीदी गई होती है।

Leave a Reply