CAA के नाम पर विपक्ष देश भर में लोगों में भ्रम फैलाने और उकसाने में लगा हुआ है, वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इस कानून का समर्थन कर मोदी सरकार के इस फैसले की सराहना की है।
सत्ता के लिए फैलाया जा रहा है भ्रम
हैदराबाद के मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU) चांसलर फिरोज बख्त अहमद ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का समर्थन किया है। फिरोज ने कहा कि सत्ता के लिए इसका विरोध किया जा रहा है, सीएए और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के बीच कोई संबंध नहीं है फिर भी कुछ लोग सत्ता के लिए दोनों को जोड़कर गलतफहमी फैला रहे हैं।
Firoz Bakht Ahmed, Chancellor, Mulana Azad National Urdu University, Hyderabad: There is no direct connection between CAA & NRC, however, a misunderstanding has been created by people who want to come in power&by some opposition parties & leaders. pic.twitter.com/Z14sO4iUsC
— ANI (@ANI) January 30, 2020
मोदी और उनके साथियों को सलाम
फिरोज के मुताबिक इन प्रदर्शनों के पीछे कुछ विपक्षी और नेता शामिल हैं, उन्होंने सीएए पारित कराने के लिए पीएम मोदी की तारीफ की। उन्होंने कहा कि मोदी और उनके साथियों को इसके लिए सलाम कि उन्होंने लोगों को नागरिकता देने का निर्णय लिया है।
गौरतलब है कि बीते दिनों जगह-जगह सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। हालांकि सरकार ये बात साफ कर चुकी है कि सीएए भारतीय नागरिकों से कोई लेना-देना नहीं है लेकिन इसके बावजूद दिल्ली के शाहीन बाग सहित लखनऊ के घंटाघर के कई इलाकों में लोग चक्का जाम कर इसका विरोध कर रहे हैं।
विरोध-प्रदर्शन के मंसूबों पर उठते सवाल
कई पार्टियों के राजनेता सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में अपना पूरा समर्थन दे रहे हैं और मोदी सरकार को घेरने के लिए लोगों को भड़का भी रहे हैं। सीएए विरोध पर देश के कई शहरों में हिंसा भी हुई है और हिंदुओं के खिलाफ नारे लगे हैं जिससे विरोध-प्रदर्शन के मंसूबों पर सवाल उठते हैं। वहीं देशद्रोह में आरोप में गिरफ्तार किए गए शाहीन बाग के मास्टरमाइंड शरजील इमाम के देश तोड़ने के लिए मुसलमानों को उकसाने वाले वीडियो भी सामने आ चुके हैं।
देश के 62 प्रतिशत लोगों ने किया CAA का समर्थन
आज देशभर में राजनीतिक पार्टियों और कुछ लोगों द्वारा सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) और एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) को लेकर भ्रम और अफवाह फैलाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन देश के 62 प्रतिशत लोगों ने सीएए का समर्थन किया है। वहीं ज्यादातर लोग इस कानून को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के साथ खड़े हैं। आईएएनएस-सीवोटर सर्वेक्षण में शनिवार को इस बात की जानकारी सामने आई। यह सर्वे देशभर में तीन हजार नागरिकों में 17 से 19 दिसंबर के बीच कराया गया था।
रिपोर्ट में पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण भारत से 57.3, 64.2, 67.7 और 58.5 प्रतिशत लोगों ने क्रमश: कानून के पक्ष में होने की बात कही। पिछले हफ्ते पूर्वोत्तर में इस कानून का भारी विरोध हुआ था, रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि यहां 50.6 प्रतिशत लोग कानून के समर्थन में हैं।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि मुस्लिमों में 63.5 प्रतिशत लोग इसके खिलाफ हैं, जबकि 35 प्रतिशत इसका समर्थन करते हैं और 0.9 प्रतिशत का कहना है कि वह इस बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं। यदि हिंदुओं की बात करें तो 66.7 प्रतिशत लोग इसका समर्थन करते हैं, जबकि 32.3 प्रतिशत इसके विरोध में हैं। इसी प्रकार अन्य धर्मो की बात की जाए तो 62.7 इसके पक्ष में है, वहीं 36 प्रतिशत सीएए का विरोध कर रहे हैं।
सर्वे में कहा गया कि पूरब, पश्चिम और उत्तर भारत में 69, 66, 72.8 प्रतिशत लोगों को क्रमश: ऐसा लगता है कि यदि दूसरे देशों से लोग भारत में आकर बसे तो सुरक्षा को खतरा हो सकता है। हालांकि, दक्षिण भारत के 47.2 प्रतिशत लोग इस बात से सहमत हैं, जबकि 50 प्रतिशत को ऐसा लगता है कि अन्य देशों के यहां बसने से देश को कोई खतरा नहीं होगा।
पूर्वोत्तर राज्यों में केवल 59.8 प्रतिशत लोगों का मानना है कि घुसपैठियों से देश को खतरा हैं। जबकि 35.7 प्रतिशत इस बात का विरोध करते हैं। इस बीच असम की बात करें तो 73.4 प्रतिशत लोगों को ऐसा लगता है कि यदि विदेशी भारत में आकर बसे तो वह समाज और सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकते हैं। वहीं, 21.8 प्रतिशत लोगों को ऐसा नहीं लगता है।
सीएए को लेकर सरकार और विपक्ष के समर्थन के सावाल पर 58.6 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह सरकार के साथ हैं, जबकि 31.7 प्रतिशत ने विपक्ष को अपना समर्थन दिया है। इसी प्रकार से पूरब, पश्चिम, उत्तर और पूर्वोत्तर भारत के अधिकतर लोगों ने सरकार का समर्थन किया है, वहीं दक्षिण भारत के 47.2 प्रतिशत लोगों ने इस बात को लेकर विपक्ष का साथ दिया है। सीएए को लेकर सरकार के साथ खड़े होने के मामले में हिंदू और मुस्लिम बंटे हुए हैं। 67 प्रतिशत हिंदू इसका समर्थन करते हैं, जबकि 71.5 प्रतिशत मुस्लिम सरकार को छोड़ विपक्ष का साथ देते नजर आ रहे हैं।
नीचे दिए गए 10 प्वाइंट में समझिए कि आखिर नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर से डरने की क्यों जरूरत नहीं है।
CAA और NRC को 10 प्वाइंट्स में समझें
1. CAA पड़ोसी देशों से आए उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है। इसका NRC से कुछ भी लेना देना नहीं है।
2. असम में NRC की प्रक्रिया असम समझौते और माननीय सर्वोच्च नयायायल के आदेश पर की जा रही है।
3. यह गलत अफवाह है कि NRC सिर्फ मुस्लिमों के लिए ही होगा। NRC के जरिए मुस्लिमों से भारतीय होने का सबूत मांगने की भी बात गलत है।
4. NRC के लिए आपको अपना कोई भी पहचान पत्र या अन्य दस्तावेज देना होगा जैसा कि आप आधार कार्ड या मतदाता सूची के लिए देते हैं।
5. अगर NRC लागू होगा तो आपको अपने जन्म का विवरण से जन्म की तारीख, माह, वर्ष और स्थान के बारे में जानकारी देना ही पार्याप्त होगा।
6. अगर NRC लागू होता है तो 1971 से पहले की वंशवाली साबित नहीं करना होगा। इस बारे में सिर्फ भ्रम फैलाया जा रहा है।
7. असम के 19 लाख लोग NRC के तहत बाहर इसलिए हो गए क्योंकि वहां घुसपैठ की समस्या लंबे समय से चल रही है।
9. NRC के लिए मुश्किल और पुराने दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे, जिन्हें जुटा पाना बहुत मुश्किल होगा।
10. अगर कोई व्यक्ति पढ़ा लिखा नहीं है और उसके पास दस्तावेज नहीं है तो उसे गवाह, Community Verification के अलावा अन्य सुविधाएं दी जाएगी।
इसके बावजूद अब भी अगर आपके जहन में कोई शंका है तो इन सवाल-जवाब से अपने भ्रम और डर को दूर कर सकते हैं-