नए कृषि सुधार कानूनों के विरोध में कुछ किसान संगठन सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन नए कृषि कानूनों ने किसानों की जिंदगी बदल कर रख दी है। जहां बिचौलिए के खत्म होने से अब उन्हें अपने उत्पादों की पूरी कीमत मिल रही है, वहीं कानून लागू होने बाद कई किसान उत्पादक संगठन इसका लाभ उठा रहे हैं। आकाशवाड़ी के जयपुर केंद्र ने ट्विटर पर बारां के अंता किसान उत्पादक संगठन के सीईओ मोहम्मद असलम से नए कृषि कानून के संबंध में बातचीत का अंश शेयर किया है।
बाजार भाव से ज्यादा मूल्य पर किसानों से सोयाबीन की खरीद
आकाशवाड़ी के जयपुर केंद्र से बात करते हुए मोहम्मद असलम ने कहा कि नए कृषि कानूनों के प्रभावी होने के बाद से उनकी संस्था ने किसानों से 40 टन सोयाबीन की खरीद उनके गांव जाकर की है और बाजार भाव से ज्यादा मूल्य दिया है।
#बारां – अंता किसान उत्पादक संगठन के सीईओ मोहम्मद असलम ने @airnews_jaipur को बताया कि नए कृषि कानूनों के प्रभावी होने के बाद से उनकी संस्था ने किसानों से 40 टन सोयाबीन की खरीद उनके गांव जाकर की है और बाजार भाव से ज्यादा मूल्य दिया है। @DDNewsRajasthan @PIBJaipur @ROBRajasthan pic.twitter.com/MRKDAAqB01
— AIR NEWS JAIPUR (@airnews_jaipur) December 3, 2020
मोहम्मद असलम का कहना है कि उनके संगठन से अब तक 750 किसान जुड़े हैं और वे खाद, बीज ,दवाई के अलावा किसानों की फसलों के मंडी भाव भी वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से किसानों को बता रहे हैं।
बिचौलिए खत्म होने से हिमाचल के सेब उत्पादकों को अधिक कमाई
उधर हिमाचल प्रदेश के शिमला में सेब उत्पादकों का कहना है कि बिचौलियों के खत्म होने से अब निजी सेब खरीद केंद्र उन्हें अधिक कमाई करने में मदद कर रहे हैं। अब उन्हें दिल्ली जाने की जरूरत नहीं पड़ती। अब वे सीधे खरीद केंद्र को सेब बेचते हैं। इससे उन्हें फायदा हो रहा है।
Himachal Pradesh: Apple growers in Shimla say that private apple procurement centres in the district is helping them earn more, as they don’t have to deal with middlemen anymore. A farmer, Layak Ram says, “Earlier we had to go to Delhi. Now we sell apples directly to the centre.” pic.twitter.com/jfPwlOnmvF
— ANI (@ANI) November 29, 2020
महाराष्ट्र के किसानों को मिल रहा कृषि बिल का लाभ
महाराष्ट्र के किसानों ने सितंबर 2020 में केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि बिल का लाभ लेना शुरू कर दिया है। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सोयाबीन किसान कृषि बिलों के पारित होने के बाद एपीएमसी सौदों से अधिक प्राप्त करने में सफल रहे हैं। महाराष्ट्र में किसान उत्पादक कंपनियों (FPCs) की अम्ब्रेला संस्था MahaFPC के अनुसार, चार जिलों में FPCs ने तीन महीने पहले पारित हुए कानूनों के बाद मंडियों के बाहर व्यापार से लगभग 10 करोड़ रुपए कमाए हैं।
पिछले 3 महीनों में, एफपीसी ने अपने किसानों से सीधे खरीद के लिए खाद्य तेल विलायक, अर्क और पशु चारा निर्माताओं से व्यापार में वृद्धि को पंजीकृत किया है। इस प्रत्यक्ष लेन-देन ने परिवहन पर कम खर्च करके बढ़ी हुई बचत के मामले में किसानों की मदद की है। नए कृषि कानून से लाभान्वित होने वाले किसानों में से एक ने कहा कि नए बिलों ने न केवल परिवहन लागत बचाने में किसानों की मदद की, बल्कि वजन का भी मुद्दा नहीं था। दूसरी ओर, कंपनियों ने मंडी कर का भुगतान नहीं करने का दावा किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक मराठवाड़ा के सबसे अधिक 19 एफपीसी में से 2693.58 टन कंपनियों के साथ मंडी व्यापार दर्ज किया गया है। इन 19 एफपीसी में से, लातूर से 13 ने 2165.863 टन की आपूर्ति की है। इसी तरह उस्मानाबाद के चार एफपीसी ने 412.327 टन की आपूर्ति की है। हिंगोली और नांदेड़ में एफपीसी ने क्रमश: 96.618 टन और 18.78 टन तिलहन की आपूर्ति निजी कंपनियों को की है।