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किसानों के लिए क्रांति के कम नहीं है मोदी सरकार की सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सहकारी क्षेत्र में शुरू की गई विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना किसानों के लिए एक क्रांति के समान है। इस महत्वाकांक्षी योजना को 31 मई 2023 को पायलट प्रोजेक्ट के तहत मंजूरी दी गई। इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 11 राज्यों की प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) में लागू किया जा चुका है। इस योजना के तहत गांव-गांव में आधुनिक भंडारण केंद्र, कस्टम हायरिंग सेंटर और प्रसंस्करण इकाइयां बनाई जा रही हैं। इससे किसानों को बेहतर मूल्य मिलने के साथ-साथ उनके अनाज की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित होती है। मोदी सरकार की यह पहल कृषि अवसंरचना को मजबूत करने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित हो रही है।

इस योजना में मुख्य रूप से इन सरकारी योजनाओं को शामिल किया गया है:
-कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ)
-कृषि विपणन अवसंरचना योजना (एएमआई)
-कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (एसएमएएम)
-प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण योजना (पीएमएफएमई)

परियोजना की प्रमुख उपलब्धियां और प्रगति
11 राज्यों की 11 पीएसीएस में गोदाम निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, जिसमें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड, असम, तेलंगाना, त्रिपुरा और राजस्थान शामिल हैं। इन गोदामों की कुल भंडारण क्षमता 9,750 मीट्रिक टन है। इसके अलावा, गोदाम निर्माण के लिए 500 से अधिक पीएसीएस की पहचान की गई है। इसे पूरा करने के लिए दिसंबर 2026 तक का लक्ष्य रखा गया है।

इस योजना के माध्यम से किसानों को स्थानीय स्तर पर भंडारण सुविधाएं मिलेंगी। इससे अनाज के परिवहन में लगने वाला खर्च और हानि दोनों कम होंगी। किसान सीधे भंडारण केंद्रों का उपयोग कर बेहतर मूल्य पा सकेंगे और मध्यस्थों पर निर्भरता कम होगी।

गोदाम के साथ ही कस्टम हायरिंग सेंटर, प्रसंस्करण इकाइयां और उचित मूल्य की दुकानें भी स्थापित की जाएंगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के साथ रोजगार का सृजन हो सके।

सहकारी संस्थाओं को मजबूत बनाना
सरकार ने देश के सभी पंचायतों और गांवों तक पहुंचने के लिए अगले पांच वर्षों में 2 लाख से अधिक बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां स्थापित करने की योजना बनाई है। यह पहल नाबार्ड, एनडीडीबी, एनएफडीबी और राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश सरकारों के सहयोग से क्रियान्वित की जा रही है।

19 सितंबर 2024 को हितधारकों के लिए ‘मार्गदर्शिका’ जारी की गई है, जिसमें ठोस लक्ष्य और समय-सीमा निर्धारित की गई है। 15 फरवरी 2023 से 30 जून 2025 तक पूरे देश में 22,933 नई सहकारी समितियां पंजीकृत की जा चुकी हैं, जिनमें 5,937 एम-पैक्स भी शामिल हैं।

तकनीकी नवाचार एवं डिजिटल एकीकरण
पीएसीएस के आधुनिकीकरण के लिए सरकार ने कुल 2925.39 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रस्ताव के साथ इसमें कम्प्यूटरीकरण परियोजना को मंजूरी दी है। इस परियोजना के अंतर्गत सभी सक्रिय पीएसीएस को एक साझा ईआरपी आधारित राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म पर लाना और उन्हें नाबार्ड के माध्यम से राज्य सहकारी बैंकों से जोड़ना शामिल है।

अब तक लगभग 59,920 पीएसीएस को ईआरपी सॉफ्टवेयर पर जोड़ा जा चुका है। 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 73,492 पीएसीएस के लिए हार्डवेयर खरीद भी पूरी हो चुकी है। उदाहरण के तौर पर, कर्नाटक में 5,628 पीएसीएस को स्वीकृति मिली है, जिनमें से 3,765 को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा जा चुका है और 5,491 को हार्डवेयर वितरण किया गया है।

मोदी सरकार और सहकारिता क्षेत्र में उनकी पहल
2014 से लेकर अब तक मोदी सरकार ने सहकारी क्षेत्र को नई दिशा देने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। पारंपरिक सहकारी समितियों को आधुनिक तकनीक से जोड़कर, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार कर और स्थानीय स्तर पर किसानों और उत्पादकों की भागीदारी बढ़ाकर उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने का प्रयास किया गया है।

पीएसीएस को मजबूत बनाने के साथ-साथ सरकार ने बहुउद्देशीय सहकारिता समितियों को बढ़ावा दिया है, जो किसानों के लिए वित्तीय सेवाएं, कृषि यंत्रीकरण, भंडारण, विपणन और प्रसंस्करण जैसे अनेक कार्यों को संभव बनाती हैं। डिजिटलाइजेशन और कम्प्यूटरीकरण से पारदर्शिता बढ़ी है और किसानों को बेहतर सेवाएं प्राप्त हो रही हैं।

सरकार ने कई योजनाओं को समेकित कर ग्रामीण क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा, रोजगार सृजन और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का रोडमैप तैयार किया है। सहकारी समितियां अब किसान समुदाय की आर्थिक खुशहाली का एक मजबूत आधार बन रही हैं।

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