लोकसभा चुनाव 2024 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है डीप स्टेट ने पीएम मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए भारत पर चौतरफा हमला शुरू कर दिया है। वे देश को आंदोलन की आग में झोंककर तख्तापलट का ख्वाब देख रहे हैं। इसी क्रम में वे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से खालिस्तान मुद्दे को हवा देकर भारत को अस्थिर करना चाहते हैं। खालिस्तान का नया चेहरा अमृतपाल सिंह जो कि दुबई में अपना व्यवसाय कर रहा था, अचानक पैराशूट से भारत में उतरा और आंदोलन का चेहरा बन गया। उसने भिंडरावाले का चोला भी धारण कर लिया। जिस तेजी से उसके सोशल मीडिया हैंडल बने और फालोअर्स बढ़े उससे इस साजिश को समझा जा सकता है कि वह यह सब विदेशी फंडिंग और विदेशी ताकत के इशारे पर हो रहा है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। 6 यूट्यूब चैनल ब्लॉक कर दिया गया, अमृतपाल के सोशल मीडिया हैंडलर को हिरासत में लिया गया और अमृतपाल के 2 बॉडीगार्ड्स के आर्म्स लाइसेंस रद्द कर दिया गया।
अमृतपाल लगातार अलगाववादी सुरों को हवा दे रहा
‘वारिस पंजाब दे’ का चीफ अमृतपाल लगातार अलगाववादी सुरों को हवा दे रहा है। कभी वह कहता है पंजाब एक अलग देश है तो कभी वो संविधान पर सवाल उठाता है। 80 के दशक में पंजाब में उग्रवाद का चेहरा रहे जरनैल सिंह भिंडरावाले जैसी वेशभूषा रखने वाले अमृतपाल एक इंटरव्यू में कहा है कि लोकतंत्र में अगर कोई खड़े होकर कहे कि इस देश से हमारा संबंध नहीं है तो उसको सम्मान देना भी लोकतंत्र की भावना में आता है। अमृतपाल और उसके समर्थकों ने हाल ही में अमृतसर के अजनाला थाने के बाहर हिंसक प्रदर्शन किया था।
खालिस्तान समर्थक 6 यूट्यूब चैनल ब्लॉक
केंद्र सरकार के अनुरोध के 48 घंटों के अंदर कथित तौर पर खालिस्तान समर्थक भावनाओं को बढ़ावा देने वाले कम से कम छह यूट्यूब चैनल ‘ब्लॉक’ किए गए हैं। सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने बताया कि विदेश से संचालित किए जा रहे छह से आठ यूट्यूब चैनल पिछले 10 दिनों में ‘ब्लॉक’ किए गए हैं। उन्होंने बताया कि पंजाबी भाषा में सामग्री प्रसारित करने वाले ये चैनल सीमावर्ती राज्य में संकट पैदा करने की कोशिश कर रहे थे।
पंजाबी भाषा में अपलोड किए जा रहे वीडियो
सरकार ने यूट्यूब से आपत्तिजनक सामग्री की स्वचालित (ऑटोमैटिक) रूप से पहचान करने और ब्लॉक करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और एल्गोरिदम का इस्तेमाल करने के लिए भी कहा है। भारत के मामले में यूट्यूब समस्या का सामना कर रहा है, क्योंकि सामग्री (कंटेंट) क्षेत्रीय भाषाओं में अपलोड की जा रही है और सिस्टम अंग्रेजी भाषा में सामग्री की पहचान करने के लिए हैं।
सीमावर्ती राज्य में तनाव पैदा करने की कर रहे थे कोशिश
सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्र ने कहा कि बीते दस दिनों में विदेश से संचालित होने वाले छह यूट्यूब चैनल को ब्लॉक किया गया है। उन्होंने बताया कि पंजाबी भाषा में सामग्री वाले चैनल सीमावर्ती राज्य में तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे थे।
अमृतपाल सिंह के 2 बॉडीगार्ड्स के आर्म्स लाइसेंस रद्द
खालिस्तान समर्थक संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के जत्थेदार अमृतपाल सिंह पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सख्त कार्रवाई की है। राज्य की पुलिस ने अमृतपाल के दो बॉडीगार्ड्स के शस्त्र लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। ये लाइसेंस जम्मू-कश्मीर से ही जारी किए गए थे। जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ और रामबन के डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि अमृतपाल सिंह के दो बॉडीगार्ड्स के जारी हथियारों के लाइसेंस को रद्द कर करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। इनमें 19 सिख रेजिमेंट से रिटायर्ड सैनिक वरिंदर सिंह और 23 बख्तरबंद पंजाब से रिटायर्ड सैनिक तलविंदर सिंह का नाम शामिल है। वरिंदर सिंह को पंजाब पुलिस गिरफ्तार भी कर चुकी है।
अमृतपाल का साथी गुरिंदर हिरासत में, विदेश भागने की फिराक में था
पंजाब पुलिस ने अमृतपाल के करीबी गुरिंदर सिंह को हिरासत में लिया है। वो देश छोड़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पुलिस ने धर दबोचा। उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस पहले ही जारी किया जा चुका था, ऐसे में देश छोड़ना उसके लिए वैसे भी मुश्किल था। पंजाब पुलिस ने गुरु रामदास एयरपोर्ट से गुरिंदर सिंह को डिटेन किया है। वो लंदन भागने की फिराक में था, लेकिन उसे हिरासत से ले लिया गया।
अमृतपाल के 9 करीबियों के हथियारों के लाइसेंस रद्द होंगे
पंजाब पुलिस ने जिला प्रशासन को एक चिट्ठी लिखी है जिसमें कहा गया कि अमृतपाल के 9 करीबियों के हथियारों के लाइसेंस रद्द किए जाएं। ये भी साफ कहा गया था कि पहले भी जो हथियार दिए गए थे, वो आत्मरक्षा के लिए दिए गए थे। अमृतपाल के लिए ये दूसरा बड़ा झटका है। इससे पहले उसका करीबी गुरिंदर डिटेन कर लिया गया है।
अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने पुलिस थाने पर बोला था धावा
सरकार की ओर से यह कार्रवाई ऐसे समय में की गई है, जब हाल ही में कट्टरपंथी खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने अजनाला में अपने एक सहयोगी की रिहाई की मांग को लेकर तलवारों और बंदूकों के साथ एक पुलिस थाने पर धावा बोल दिया था।
#WATCH | Our aim for Khalistan shouldn't be seen as evil & taboo. It should be seen from an intellectual point of view as to what could be its geopolitical benefits. It's an ideology &ideology never dies. We are not asking for it from Delhi: 'Waris Punjab De' chief Amritpal Singh pic.twitter.com/NKKVeEjVkG
— ANI (@ANI) February 24, 2023
डीप स्टेट ने आईएसआई के जरिये किस तरह खालिस्तान मुद्दे को हवा देना शुरू किया इस पर एक नजर-
अमृतपाल सिंह की ‘पैराशूट एंट्री’ के पीछे आईएसआई
खालिस्तान मुद्दे को हवा देने के पीछे भी अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और डीप स्टेट एजेंट जार्ज सोरोस हैं। सोरोस ने राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए 100 करोड़ रुपये देने का खुलेआम ऐलान किया था। यह सर्वविदित है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई दशकों से खालिस्तान समर्थकों को उकसाती रही है और खालिस्तान से जुड़े लोगों से उसके नजदीकी संबंध रहे हैं। इसे देखते हुए सीआईए ने आईएसआई को यह काम सौंप दिया। यह भी अपने आप में दिलचस्प है कि जो पाकिस्तान आज दाने-दाने को मोहताज है उसकी खुफिया एजेंसी भारत में खालिस्तान मुद्दे को भड़काकर अपने आका अमेरिकी एजेंसी सीआईए को खुश करने में जुटी है। खासकर जिस तरह से अमृतपाल सिंह की खालिस्तान मुद्दे पर ‘पैराशूट एंट्री’ हुई है उससे यह बात साबित हो जाती है कि इस साजिश के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई है।
अमृतपाल का उभार, भिंडरावाले की याद दिलाई
अमृतपाल ने जिस तरह से साथी को छुड़ाने के लिए थाने पर हमला किया उस मंजर ने पंजाब में 80 के दशक के उन भयानक पलों की याद दिला दी है, जिनमें जरनैल सिंह भिंडरावाले का उभार हुआ और राजनीतिक सरपरस्ती में वो दमदमी टकसाल के मुखी से एक आतंकी में तब्दील हो गया। अब ये राजनीतिक सरपरस्ती अमृतपाल को भी मिल रही है, जिसने पंजाब में खतरे की घंटी तो बजा ही दी है। क्योंकि अगर बात आगे बढ़ी तो फिर किसी के रोके नहीं रुकेगी और पंजाब में आतंक के उभार का इतिहास एक फिर दोहराया जाएगा।
अमृतपाल के जरिये भिंडरावाले की कहानी दोहराने की साजिश
30 साल का अमृतपाल सिंह संधू करीब 10 साल तक दुबई में रहा और जब भारत लौटा तो खालिस्तान का झंडा बुलंद कर पंजाब सरकार और देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बन गया। उसके बयान, उसके कारनामे और उसकी वेशभूषा अब इस बात की गवाही देते हैं कि अगर इसे जल्द ही रोका नहीं गया तो फिर ये पंजाब का दूसरा जरनैल सिंह भिंडरावाले बन सकता है, जिसकी वजह से ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ और जिसके कारण प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या तक हो गई थी। पंजाब का अमृतसर जिला स्वर्ण मंदिर के कारण पूरी दुनिया में अपनी विशेष पहचान रखता है। दुनियाभर के सिखों के लिए यहां की धरती स्वर्ग के समान है। इसी धरती से अमृतपाल सिंह का भी ताल्लुक है। वह अमृतसर की बाबा बकाला तहसील के जल्लूपुर खैरा का रहने वाला है।
किसान आंदोलन का समर्थक, वेशभूषा भिंडरावाले की
वर्ष 2019 में शुरू हुए किसान आंदोलन का भी उसने खुलकर समर्थन किया था, जिसने उसे पंजाब में एक नई पहचान दी थी। लेकिन यह सब वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर कर रहा था। दीप सिद्धू की सड़क हादसे में मौत के बाद वो दुबई में अपना कारोबार छोड़कर ‘वारिस पंजाब दे’ का मुखिया बनने के लिए भारत लौटा और खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले के गांव पहुंचा। यहीं खालिस्तानी नारेबाजी के बीच उसकी ताजपोशी हुई। इस ताजपोशी के दौरान उसकी पूरी वेशभूषा जरनैल सिंह भिंडरावाले की तरह ही थी।
‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का मुखिया बनकर भारत लौटा
वर्ष 2022 से पहले अमृतपाल सिंह की कोई खास पहचान नहीं थी। लेकिन ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का मुखिया बनकर भारत लौटा। उसने सबसे पहले पंजाब में ड्रग्स के विरोध में अभियान चलाया। अमृत प्रचार अभियान शुरू किया, जिसका मकसद लोगों को निहंग सिख का हिस्सा बनाना था। दूसरे शब्दों में कहें तो अमृतपाल सिंह ने घर वापसी का अभियान शुरू कर दिया।
भारत में इस तरह बढ़ा अमृतपाल का कारवां
अमृत प्रचार अभियान का पहला आयोजन उसने राजस्थान के गंगानगर में किया, यहां उसने 647 लोगों को अमृत चखाकर निहंग सिख में बदल दिया। फिर उसने आनंदपुर साहिब में कुल 927 हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों को अमृत चखाया और निहंग सिख बनाया। उसके इस कारनामे को देखकर हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ने उसे अपना समर्थन दे दिया। इसके बाद उसका कारवां बढ़ता ही गया।
ड्रग्स मुक्त बनाने की मुहिम के बहाने युवाओं को खालिस्तान के लिए प्रेरित किया
भिंडरावाले को अपना आदर्श मानने वाले अमृतपाल सिंह का कहना है, “मैं जरनैल सिंह भिंडरावाले की पैरों की धूल के बराबर भी नहीं हूं। मैं तो सिर्फ भिंडरवाले के दिखाए रास्ते पर चलने की कोशिश कर रहा हूं।” 23 नवंबर 2022 वो तारीख थी, जिसने अमृतपाल सिंह को पंजाब में एक नई पहचान दे दी। इस दिन वो तमाम जिलों में रोडशो करते हुए हजारों की संख्या में अपने अनुयायियों के साथ श्रीअकाल तख्त पहुंचा। पंजाब को ड्रग्स मुक्त बनाने की मुहिम के बहाने उसने बड़ी संख्या में युवाओं को अपने साथ जोड़ा और उन्हें खालिस्तान के लिए प्रेरित किया।
साल 2022 खत्म होते-होते बना ली समर्थकों की बड़ी फौज
साल 2022 खत्म होते-होते उसने समर्थकों की एक बड़ी फौज खड़ी कर ली, जिसने धार्मिक उन्माद भड़काने के साथ ही पंजाब की पुलिस को भी चुनौती देनी शुरू कर दी। अक्टूबर 2022 में उसने जीसस क्राइस्ट के खिलाफ टिप्पणी की थी, जिसकी वजह से ईसाई समुदाय के लोग भड़क गए थे और अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी की मांग की। खालिस्तान का समर्थन करने की वजह से ही उसका ट्विटर अकाउंड तक सस्पेंड कर दिया। 15 फरवरी 2023 को अमृतसर के अजनाला थाने में अमृतपाल सिंह और उसके 6 समर्थकों के खिलाफ किडनैपिंग और मारपीट समेत कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज हुआ।
लाल किला हिंसा के आरोपी रहे दीप सिद्धू ने बनाई थी ‘वारिस पंजाब दे’
अमृतसर में हिंदू नेता सुधीर सूरी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या के बाद अमृतपाल सिंह का नाम खूब चर्चा रहा। परिवार अमृतपाल सिंह पर केस दर्ज करने की मांग करता रहा। ‘वारिस पंजाब दे’ संस्था किसान आंदोलन और फिर दिल्ली में लाल किला हिंसा के आरोपी रहे दीप सिद्धू ने बनाई थी। किसान आंदोलन के ट्रैक्टर मार्च के दौरान लाल किला हिंसा के बाद दीप सिद्धू ने सितंबर 2021 को वारिस पंजाब संस्था बनाने का ऐलान किया था। लेकिन फरवरी 2022 में कार एक्सीडेंट के दौरान उनका देहांत हो गया।
दीप सिद्धू के देहांत के बाद खाली था जत्थेदार का पद
फरवरी 2022 को दीप सिद्धू की कार का एक्सीडेंट हो गया। जिसमें उनकी मौत हो गई। इसके बाद से ही वारिस पंजाब दे संस्था में जत्थेदार का पद खाली थी। इससे पहले व बाद में भी वारिस पंजाब दे पंजाब में इतनी अधिक पॉपुलर नहीं हुई। लेकिन सितंबर में अमृतपाल सिंह के आने के बाद वारिस पंजाब दे संस्था लाइम लाइट में आ गई।
सितंबर 2022 से ही वारिस पंजाब दे के लिए अमृतपाल के नाम की चर्चा
29 साल के अमृतपाल सिंह का जन्म अमृतसर के बाबा बकाला तहसील के जल्लूपुर खेड़ा में हुआ था। 12वीं के बाद उनका परिवार दुबई चला गया। जहां उनका ट्रांसपोर्ट का बिजनेस रहा। इसी साल अमृतपाल पंजाब लौटा और सोशल मीडिया पर उसकी वीडियो काफी तेजी से वायरल हुईं। सितंबर 2022 में अचानक से ही वारिस पंजाब दे के जत्थेदार पद पर अमृतपाल सिंह का नाम जुड़ने लगा।
अमृतपाल के जत्थेदार बनाए जाने का हुआ विरोध
अमृतपाल सिंह के जत्थेदार के पद पर आने के साथ ही विवाद भी उसके साथ जुड़ने लगा। दीप सिद्धू के पारिवारिक सदस्य भी उसके चयन पर सवाल उठा चुके हैं। परिवार ने बार-बार यही कहा कि अमृतपाल का चयन गलत तरीके से हुआ है। लेकिन अमृतपाल ने इसका विरोध किया और सदस्यों की रजामंदी के बाद ही इस पद पर बैठने की बात कही। उसके लिए गांव रोडे में खास समागम आयोजित किया गया था, जिसमें सिख नेताओं के साथ साथ रेडिकल सोच के नेता भी पहुंचे थे।
गृह मंत्री अमित शाह को दे चुका है धमकी
इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक बयान दिया कि पंजाब में खालिस्तान समर्थित गतिविधियों पर सरकार की नजर है। गृहमंत्री के इस बयान पर 19 फरवरी को अमृतपाल ने शाह को ही धमकी दे दी। उसने कहा, “शाह को कह दो कि पंजाब का बच्चा-बच्चा खालिस्तान की बात करता है। जो करना है कर ले। हम अपना राज मांग रहे हैं, किसी दूसरे का नहीं। हमें न इंदिरा हटा सकी थी और न ही मोदी या अमित शाह हटा सकता है। दुनिया भर की फौजें आ जाएं, हम मरते मर जाएंगे, लेकिन अपना दावा नहीं छोड़ेंगे। इंदिरा ने भी हमें दबाने की कोशिश की थी, क्या हश्र हुआ। अब अमित शाह अपनी इच्छा पूरी कर के देख लें।”
अमृतपाल के बयान पर विवाद बढ़ा तो बात से पलटा
अमृतपाल के इस बयान पर विवाद बढ़ा तो 22 फरवरी को वह अपनी बात से पलट गया, लेकिन उसका लहजा खालिस्तान के लिए नरम नहीं हुआ। उसने कहा, “हिन्दू राष्ट्र की बात करने पर सरकारें कोई कार्रवाई नहीं करती, लेकिन जब सिख खालिस्तान और मुस्लिम जिहाद की बात करते हैं तो सरकार तुरंत एक्शन ले लेती हैं।”
तूफान सिंह की गिरफ्तारी के विरोध में हिंसक प्रदर्शन
इस बात पर विवाद चल ही रहा था कि पुलिस ने उसके साथी तूफान सिंह को गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के विरोध में 23 फरवरी की सुबह अमृतपाल सिंह ने अपने हजारों समर्थकों के साथ अजनाला थाने पर चढ़ाई कर दी। पुलिस के साथ उसके समर्थकों की झड़प भी हुई, जिसमें 6 पुलिसवाले भी घायल हो गए। उसने पंजाब सरकार को एक घंटे के भीतर तूफान सिंह को छोड़ने का अल्टीमेटम दिया।
पंजाब पुलिस को तूफान सिंह को रिहा करना पड़ा
अमृतपाल के अल्टीमेटम पर पंजाब सरकार ने झुकते हुए तूफान सिंह को रिहा कर दिया। इस पूरे हंगामे के बाद अमृतसर के पुलिस कमिश्नर जसकरण सिंह ने कहा, “तूफान को छोड़ा जा रहा है। उसके समर्थकों ने उसकी बेगुनाही के पर्याप्त सबूत दिए हैं। मामले की जांच के लिए एसपी तेजबीर सिंह हुंदल की अगुवाई में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई गई है।”
भिंडरावाले की याद ताजा हुई, पुलिस के रवैये से उठे सवाल
पुलिस के इस रवैये ने पंजाब की बिगड़ती स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 80 के दशक में भी ऐसे ही हालात थे। तब पंजाब में कांग्रेस ने अकाली दल को कमजोर करने के लिए जरनैल सिंह भिंडरावाले पर भरोसा जताया था। वो उस वक्त दमदमी टकसाल का मुखिया था। वह सिखों को कट्टरपंथी बना रहा था। इसी कारण उसकी निरंकारियों से दुश्मनी हो गई थी। इस दुश्मनी में दोनों समुदायों के बीच काफी हिंसा हुई। 24 अप्रैल 1980 को हुई निरंकारी संप्रदाय के तीसरे गुरु गुरुबचन सिंह की हत्या में भी भिंडरावाले और उसके लोगों का ही नाम सामने आया था। पंजाब केसरी अखबार के संपादक रहे लाला जगत नारायण की हत्या में भी भिंडरावाले का ही हाथ था।
भिंडरावाले को गिरफ्तारी के दो दिन अंदर रिहा करना पड़ा
गुरु गुरुबचन सिंह और लाला जगत नारायण की हत्याओं की वजह से कांग्रेस ने जरनैल सिंह भिंडरावाले को गिरफ्तार करवा दिया। इंदिरा गांधी के आदेश पर भिंडरावाले को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके विरोध में पंजाब जल उठा और पुलिस को दो दिन के अंदर ही भिंडरावाले को रिहा करना पड़ा। इसके बाद पूरा पंजाब उग्रवाद की आग में जलने लगा। 25 अप्रैल 1983 को उसने पंजाब पुलिस के डीआईजी अवतार सिंह अटवाल की हत्या करा दी। भिंडरावाले के डर से 2 घंटे तक डीआईजी का शव किसी ने छुआ तक नहीं था। जब भिंडरावाले ने बॉडी उठाने की इजाजत दी, तभी पुलिस अपने अधिकारी के शव को उठाया था।
भिंडरावाले के समय दरबारा सिंह की सरकार को भंग कर दिया गया था
5 अक्टूबर, 1983 को भिंडरावाले के लोगों ने ढिलवान बस नरसंहार को अंजाम दिया, जिसमें एक बस को घेरकर छह हिंदुओं की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद इंदिरा गांधी की सरकार ने कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे दरबारा सिंह की सरकार को भंग कर दिया और पंजाब में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। कांग्रेस सरकार ने भिंडरावाले से बात करने की भी कोशिश की. लेकिन नाकामयाबी ही हाथ लगी और तब आखिर में भारतीय सेना को ऑपरेशन ब्लू स्टार करने की मंजूरी दे दी गई।
3 जून 1984 को हुआ ऑपरेशन ब्लू स्टार
इस ऑपरेशन में भारतीय सेना के जवानों के साथ ही सीआरपीएफ, बीएसएफ और पंजाब पुलिस के भी जवान शामिल थे। ऑपरेशन की कमान संभाली लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह ब्रार ने, जो खुद एक सिख थे। 3 जून 1984 को भारतीय सेना ने पूरे गोल्डेन टेंपल को चारों तरफ से घेर लिया। सिखों की धार्मिक भावनाएं आहत न हों, इसके लिए लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह ब्रार ने ऑपरेशन शुरू होने से पहले जवानों को संबोधित करते हुए कहा, “ये ऐक्शन न तो सिखों के खिलाफ है और न ही सिख धर्म के खिलाफ। ये ऐक्शन आतंकवाद के खिलाफ है। अगर किसी को भी लगता है कि उसकी धार्मिक भावनाएं इससे आहत हो रही हैं या फिर और भी कोई दूसरी धार्मिक वजहें हैं तो वो खुद को इस ऑपरेशन से अलग कर सकता है और इस अलगाव का किसी भी अधिकारी या जवान के करियर के ऊपर कोई असर नहीं होगा।”
ऑपरेशन ब्लू स्टार में बड़ी तादाद में सिख अधिकारी और जवान भी शामिल थे
ऑपरेशन में शामिल किसी भी अधिकारी या जवान ने खुद को इससे अलग नहीं किया। और इसमें बड़ी तादाद में सिख अधिकारी और जवान भी शामिल थे। 3 जून की शाम तक लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह ब्रार ने कोशिश की कि भिंडरावाले सरेंडर कर दे। बार-बार लाउडस्पीकर से ऐलान किया जाता रहा। बार-बार भिंडरवाले और उसके समर्थकों को समझाने की कोशिश की जाती रही। लेकिन कोई हल नहीं निकला। उल्टे भिंडरावाले की ओर से सेना के टैंक और तोपों पर हमला कर दिया गया। फिर सेना ने जवाबी कार्रवाई की। करीब 24 घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद भिंडरावाले मारा गया। इस ऑपरेशन के दौरान सेना के 83 जवान शहीद हो गए और कुल 249 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। वहीं इस ऑपरेशन में 493 आतंकी मारे गए और 1500 से ज्यादा गिरफ्तार हो गए।
31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा की हत्या हुई
इस ऑपरेशन से नाराज दो सिखों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद पूरे देश में सिख विरोधी दंग भड़क गए, जिसमें कम से कम 3000 सिखों की हत्या कर दी गई और लाखों सिखों को घर-बार छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।
भिंडरावाले की कहानी दोहरा रहा है अमृतपाल
यह सब इसलिए हुआ कि भिंडरावाले ने अपनी गिरफ्तारी के दो दिनों के अंदर ही समर्थकों के जरिए इतना उत्पात मचा दिया कि सरकार को झुकना पड़ा। और अब अमृतपाल के साथ भी यही हो रहा है। उसके एक साथी को पुलिस ने गिरफ्तार किया तो उसने थाने पर ही हमला कर दिया। बिना गोली चलाए पंजाब पुलिस को झुकने पर मजबूर कर दिया और ऐलानिया तौर पर कहा कि मैं अपने साथियों को जेल में सड़ने नहीं दे सकता।
अमृतपाल की लोकप्रियता संदेह के घेरे में
यह बहुत आश्चर्य की बात है कि 29 साल का दुबई से आया हुआ एक व्यक्ति कैसे रातों-रात इतना प्रसिद्ध हो गया। भिंडरावाले तो एक धार्मिक नेता भी था। हम जानते हैं कि एक राजनीतिक पार्टी ने उसे खड़ा किया था। लेकिन अमृतपाल की इस कदर लोकप्रियता रहस्यमयी नज़र आती है। सवाल यह भी उठता है कि क्या वजह है कि इतने लोग उनके साथ खड़े हो जाते हैं? कुछ यही बात इस ओर इशारा करती है कि उसे विदेशी ताकतों का समर्थन है और वह उनके हाथों में खेल रहा है।
पाकिस्तान की ISI का नया प्यादा है अमृतपाल सिंह
इंटेलिजेंस एजेंसियों का मानना है कि अमृतपाल के पीछे पाकिस्तान के आईएसआई का हाथ है, जो पंजाब में अशांति फैलाने की कोशिश में है। अधिकारी बताते हैं कि केंद्रीय इंटेलिजेंस एजेंसियां अमृतपाल को संभावित खतरे के रूप में देखती है और उसके भारत आने के पहले दिन से ही एजेंसियों ने यह चेतावनी दी। एजेंसियां उसे भिंडरावाले और बुरहानवानी जैसा मानती है, जिसका भारत में अशांति फैलाने के लिए आईएसआई ने प्यादे के रूप में इस्तेमाल किया।
अमृतपाल को ISI कर रही अप्रत्यक्ष फंडिंग और समर्थन
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) खालिस्तान समर्थक नेता और ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह को सोशल मीडिया पर समर्थन दे रही है। अगस्त 2022 में दुबई से भारत आने के बाद से ही अमृतपाल भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी अप्रत्यक्ष ‘फंडिंग रूट’ के माध्यम से सिंह का समर्थन कर रही है।
आईएसआई के निशाने पर भारत के युवा सिख
आईएसआई सोशल मीडिया के माध्यम से 18 से 25 साल के युवा सिखों को फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भारत में सिखों पर कथित ‘अत्याचार’ और ‘दमन’ की झूठी तस्वीरें दिखाकर टारगेट कर रही है। जानकारी के मुताबिक, ऐसी पोस्ट पर कमेंट्स भारत के पंजाब से नहीं बल्कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से हैं जो वीपीएन के माध्यम से भारत में दिखाई दे रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय गृह मंत्रालय पंजाब की स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है। एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि सिंह को फंडिंग कौन कर रहा है।
अमृतपाल की सुरक्षा में लगे 20-25 बंदूकधारी
अमृतपाल की मंशा को देखते हुए इंटेलिजेंस एजेंसियां पंजाब पुलिस के साथ लगातार कॉन्टेक्ट में थी और चेतावनी दे रही थी। एजेंसियों ने पंजाब पुलिस के साथ नियमित रूप से अपडेट साझा किया और चेतावनी दी कि अमृतपाल की चरमपंथी सिखों के बीच बढ़ती लोकप्रीयता समस्या पैदा कर सकता है। हैरानी की बात ये है कि अमृतपाल अपनी सुरक्षा भी बढ़ा रहा है और अब उसकी सुरक्षा में 4-5 नहीं, बल्की 20-25 बंदूकधारी देखे जा सकते हैं।
पंजाब पुलिस ने नहीं की हथियारों की जांच
अमृतपाल की ‘प्राइवेट आर्मी’ जाहिर तौर पर उसकी खास सुरक्षा के लिए हैं। हालांकि, यह भी आरोप लगाया जाता है कि कट्टरपंथी चरमपंथियों का एक बजाब्ता एक समूह है, जो सिख शुद्धवाद को बनाए रखने के नाम पर आम लोगों को धमकाते हैं और गुरुद्वारों में कथित रूप से तोड़फोड़ करते हैं। मीडिया रिपोर्ट में सूत्र के हवाले से बताया गया है कि अमृतपाल के बंदूकधारी समर्थकों ने शुरू में सिर्फ लाइसेंसी हथियार रखने का दावा किया था, लेकिन पंजाब पुलिस के किसी भी अधिकारी ने इन हथियारों की जांच नहीं की है।
खालिस्तानी समर्थकों के सामने पंजाब पुलिस का आत्मसमर्पण
पंजाब के अंमृतसर में 23 फरवरी, 2023 जो कुछ हुआ, उसने भिंडरावाले की याद ताजा कर दी। ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह अपने समर्थकों के साथ अजनाला पुलिस थाने के बाहर खूब तांडव किया। सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि हिंसक हो चुके अमृतपाल के समर्थक पूरी तरह हथियारों से लैस थे। इनके हाथ में लाठी, बंदूकें और तलवारें थीं। इन्होंने पुलिस के बैरिकेड्स भी तोड़ दिए। पुलिस वालों पर भी हमला किया, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। अमृतपाल समर्थकों की भीड़ और आक्रोश देखकर पुलिसकर्मियों ने उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद भीड़ जबरन पुलिस स्टेशन के अंदर घुस गई। ये सभी किडनैपिंग केस में गिरफ्तार अपने एक साथी लवप्रीत तूफान की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे। आखिरकार पुलिस ने आरोपी को रिहा कर दिया। इस घटना ने साबित कर दिया कि पंजाब में सरकार पूरी तरह पंगु हो चुकी है और खालिस्तानी सरकार चला रहे हैं।
पंजाब में AAP की मान सरकार खालिस्तान के प्रति नरम क्यों
पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद से इस सरहदी राज्य में खालिस्तानी शक्तियां फिर से सिर उठा रही हैं। विदेशों में बैठे खालिस्तानी आतंकियों से स्थानीय लोगों के ‘गठजोड़’ की कहानियां कई बार सामने आने के बावजूद मान सरकार बंद आंख से तमाशा देखने में मशगूल है। पंजाब से लेकर दिल्ली तक और आस्ट्रेलिया से लेकर कनाडा और अन्य देशों तक खालिस्तानी समर्थक राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने में लगे हैं। पंजाब में तो सरकार की नाक के नीचे खालिस्तानी समर्थकों ने खुलेआम जुलूस निकाला था। इसे रोकना तो दूर पंजाब की भगवंत मान सरकार ने इसे बकायदा पुलिस प्रोटेक्शन दिया। आप सरकार के ऐसे ही सहयोगात्मक रवैये का ही दुष्परिणाम हाल ही में दिल्ली और ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी समर्थकों की सक्रियता को लेकर सामने आया है। एक ओर केंद्र की पीएम मोदी सरकार की आतंक, आतंकियों और राष्ट्र-विरोधी तत्वों पर प्रहार करने के लिए जीरो टोलरेंस नीति लगातार जारी है। दूसरी ओर आप की दिल्ली और पंजाब की सरकार राष्ट्र विरोधी खालिस्तानी समर्थकों के लिए पलक-पांवड़े बिछा रही है।
केजरीवाल स्वतंत्र राष्ट्र खालिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं- विश्वास
आप और खालिस्तानी समर्थकों का गठजोड़ कोई नई बात नहीं है। पंजाब में विधानसभा चुनाव से चार दिन पहले भी पूर्व आप नेता कुमार विश्वास ने सनसनीखेज खुलासा किया था कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को खालिस्तानी अलगाववादियों की मदद लेने में भी कोई परहेज नहीं है। विश्वास का आरोप था कि केजरीवाल पंजाब में चुनाव जीतने और आप की सरकार बनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। क्योंकि अरविंद केजरीवाल पंजाब में अलगाववादियों के समर्थक हैं। कुमार विश्वास ने कहा कि एक बार केजरीवाल ने उनसे कहा था कि वे या तो पंजाब के मुख्यमंत्री बनेंगे या स्वतंत्र राष्ट्र खालिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बनकर अपना पीएम बनने का सपना साकार करेंगे। इसीलिए केजरीवाल को अलगाववादियों की मदद लेने में भी कोई परहेज नहीं है। विश्वास ने कहा कि एक ऐसा आदमी जिसे एक समय मैंने ये तक कहा था कि अलगाववादियों का साथ नहीं लीजिए। तो उन्होंने कहा था कि नहीं-नहीं हो जाएगा।
मान के राज में बठिंडा में खालिस्तान के समर्थन में नारे और होशियारपुर में निकाली रैली
कवि कुमार विश्वास की बातों में दम इसलिए नजर आने लगा है, क्योंकि पंजाब में मान सरकार बनने के बाद खालिस्तान समर्थक एक बार फिर सक्रिय नज़र आ रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य के बठिंडा में वन विभाग के दफ्तर की दीवार पर खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखे पाए गए हैं, तो वहीं होशियारपुर में खालिस्तान समर्थक रैली निकाली गई। और तो और इसमें भारत विरोधी और पंजाब बनेगा खलिस्तान जैसे नारे लगाए गए। इन नारों के पीछे प्रतिबंधित खालिस्तानी आतंकी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ की भूमिका सामने आई। ये दावा खुद इस आतंकी संगठन के चीफ गुरपतवंत सिंह पन्नू ने किया है। हैरानी की बात यह है कि होशियारपुर में खालिस्तान समर्थक रैली राज्य पुलिस की मौजूदगी में ही निकाली गई। अब इस पर फिल्ममेकर अशोक पंडित ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को घेरा था। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि यह अरविंद केजरीवाल का खालिस्तानियों के लिए उधार चुकाने का समय है, क्योंकि खालिस्तान वालों ने ही चुनाव के समय केजरीवाल जी का समर्थन किया था।
राहुल गांधी और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की भाषा एक जैसी क्यों है?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मई 2022 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ बातचीत में भारत को राज्यों का संघ के रूप में वर्णित किया। कांग्रेस नेता ने कहा कि “भारत एक राष्ट्र नहीं है, बल्कि राज्यों का एक संघ है।” इस पर कइयों ने आपत्ति जताई थी। आईआरटीएस एसोसिएशन के एक सिविल सेवक और कैम्ब्रिज में सार्वजनिक नीति के विद्वान सिद्धार्थ वर्मा ने राहुल गांधी को टोकते हुए कहा था कि भारत राज्यों का संघ नहीं बल्कि राष्ट्र है। हालांकि राहुल गांधी अपनी बात पर अड़े रहे। इस पर वर्मा ने कहा था कि आपका विचार न केवल त्रुटिपूर्ण और गलत है, बल्कि विनाशकारी भी है। फरवरी 2022 में भी राहुल गांधी ने भारतीय संसद में कहा था कि भारत सिर्फ “राज्यों का संघ” है, न कि एक राष्ट्र। जिस तरह राहुल गांधी भारत को राष्ट्र नहीं मानते उसी तरह खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह का कहना है कि वह भारत की परिभाषा नहीं मानता और पंजाब एक अलग देश है। खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह जब इस तरह की बात करता है तो यह समझ में आता है कि वह भटका हुआ युवक है और विदेशी हाथों में खेल रहा है। लेकिन राहुल गांधी भी अगर वही भाषा बोल रहे हैं तो इसका सीधा मतलब यही है कि वह भी विदेशी ताकतों के इशारे पर नाच रहे हैं।