Home समाचार भारत की सख्‍ती के सामने झुका कनाडा, 41 राजनयिकों को बुलाया वापस,...

भारत की सख्‍ती के सामने झुका कनाडा, 41 राजनयिकों को बुलाया वापस, वियना कन्वेंशन के उल्लंघन के आरोप पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने दिया करारा जवाब

SHARE

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत का दबदबा पूरी दुनिया में बढ़ रहा है। दुनिया का कोई भी देश भारत पर दबाव डालकर अपनी बात मनवाने की कोशिश नहीं कर सकता। अगर कोई दुस्साहस करता है, तो उसको उसी की भाषा में करारा जवाब मिलता है। यहां तक कि नया भारत दुश्मन को उसके घर में घुसकर मारता है। कनाडा को भी भ्रम था कि वो खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर दबाव बनाकर अपनी शर्तें मनवा लेगा। लेकिन भारत की जवाबी कार्रवाई ने उसके भ्रम को तोड़ दिया है। मोदी सरकार के सख्त स्टैंड ने कनाडा को अपने 41 राजनयिकों को वापस बुलाने के लिए मजबूर कर दिया। कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने गुरुवार (19 अक्टूबर, 2023) को आधिकारिक तौर पर राजनयिकों को वापस बुलाने की जानकारी दी।

भारत की कार्रवाई की वजह से राजनयिकों को वापस बुलाना पड़ा- जोली

कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कि भारत ने राजनयिकों को शुक्रवार तक देश छोड़ने का आदेश दिया था। उन्हें कहा गया था कि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनके राजनयिक दर्जे को रद्द कर कर दिया जाएगा। जोली ने कहा कि भारत की कार्रवाई की वजह से हमारे राजनयिकों की सुरक्षा को देखते हुए हमने उन्हें बुला लिया है। भारत के सख्त स्टैंड से कनाडा के तेवर नरम पड़ते दिख रहे हैं। मेलानी जोली ने कहा कि अगर हम राजनयिक प्रतिरक्षा के लिए बनाए गए नियम को टूटने देते हैं, तो दुनिया में कोई भी राजनयिक सुरक्षित नहीं रहने वाला है। इस वजह से हम भारत की कार्रवाई पर कोई जवाबी कार्रवाई नहीं करेंगे। मेलानी जोली ने स्वीकार किया कि भारत के फैसले से दोनों देशों में वाणिज्य दूतावासों की सेवाओं पर असर पड़ेगा। उन्हें चंडीगढ़, मुंबई और बेंगलुरु में अपने वाणिज्य दूतावासों में सभी व्यक्तिगत सेवाओं पर रोक लगानी पड़ी है।

अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उल्लंघन के आरोप पर भारत का सख्त जवाब

कनाडा की विदेश मंत्री जोली ने भारत पर वियना कन्वेंशन के उल्लंघन का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राजनयिक विशेषाधिकार और छूट की एकतरफा समाप्ति अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत है। यह राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन का स्पष्ट उल्लंघन है, और ऐसा करने की धमकी देना अनुचित और अपमानजनक है। कनाडा के विदेश मंत्री के इस आरोप के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि भारत ने इसके कार्यान्वयन के विवरण और तौर-तरीकों पर काम करने के लिए पिछले महीने कनाडा के साथ बातचीत की है, जिसमें कहा गया है कि समानता को लागू करने में भारत की कार्रवाई राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन के अनुच्छेद 11.1 के साथ पूरी तरह से सुसंगत है।

राजनयिकों की संख्या और ग्रेड में समानता चाहता है भारत

गौरतलब है कि भारत ने कनाडा को 10 अक्टूबर तक अपने 41 राजनयिकों को वापस बुलाने का अल्टीमेटम दिया था। इस अल्टीमेटम की समयसीमा निकलने के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 12 अक्टूबर, 2023 की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस बात पर जोर देते हुए कहा था कि हम अपनी राजनयिक उपस्थिति में समानता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है। 21 सितंबर, 2023 को भी विदेश मंत्रालय ने समानता सुनिश्चित करने पर जोर दिया था। भारत में कनाडा के 62 राजनयिक थे, जिसे घटाकर 21 करने के लिए भारत ने कहा था। भारत ने कई बाहर दोहराया था कि कनाडा में भारत की राजनयिक की तुलना में भारत में कनाडा के राजनयिक बहुत ज्यादा है। जिसे वियना कन्वेंशन के तहत बराबर होना चाहिए।

राजनयिक दर्जा खत्म होने के बाद नहीं मिलती राजनयिक छूट

भारत सरकार ने समय सीमा खत्म होने के बाद राजनयिक दर्जा वापस लेने की चेतावनी दी थी। किसी व्यक्ति को राजनयिक दर्जा मिलने पर उसे कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं। लेकिन राजनयिक दर्जा खत्म होते ही राजनयिक भी आम नागरिक बन जाते हैं। राजनयिक छूट विदेश में तैनात राजनयिकों को किसी भी मामले में गिरफ्तारी से छूट देती है। अगर किसी देश का राजनयिक कोई अपराध भी करता है, तो भी उसे न तो गिरफ्तार किया जा सकता है और न ही हिरासत में लिया जा सकता है। वियना कन्वेंशन के अनुच्छेद 29 के तहत प्रावधान किया गया है कि किसी राजनयिक को हिरासत में या गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। उसे पूरी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। अनुच्छेद 22 के तहत किसी देश के दूतावास की संपत्ति की न तो कुर्की की जा सकती और न ही उसकी तलाशी ली जा सकती है। 

मुंबई, बेंगलुरु और चंडीगढ़ में स्थित है कनाडा के दूतावास

भारत में कनाडाई राजनयिकों की संख्या भारत के कनाडा में राजनयिकों की संख्या से ज्यादा थी। इसलिए इसे कम करने पर जोर दिया गया, क्योंकि प्रत्येक देश दूसरे देश में तैनात राजनयिकों की संख्या और ग्रेड में समानता चाहता है। कनाडा, भारत में तीन वाणिज्यिक दूतावास संचालित करता है जो मुंबई, बेंगलुरु और चंडीगढ़ में स्थित हैं। इसके अलावा नई दिल्ली में कनाडा का उच्चायोग स्थित है। वहीं भारत, कनाडा में राजधानी ओटावा, टोरंटो और वैंकूवर में उच्चायोग और वाणिज्यिक दूतावासों को संचालित करता है। 

कनाडा के खिलाफ भारत का चौथा सबसे बड़ा एक्शन

भारत की ओर से कनाडा के खिलाफ यह चौथा एक्शन है। कनाडा द्वारा एक भारतीय राजनयिक को निष्कासित करने के बाद भारत ने अगले ही दिन जवाबी कार्रवाई की। सबसे पहले कनाडा के एक खुफिया अधिकारी को देश छोड़ने का आदेश दिया। फिर वीजा सेवाओं को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया और कनाडा के नागरिकों की भारत में एंट्री पर रोक लगा दी। इसके अलावा भारत सरकार ने कनाडा की यात्रा करने वाले भारतीयों के लिए एडवाइजरी भी जारी की थी। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी यूएनजीए के मंच से और वाशिंगटन डीसी में मीडिया से बात करते हुए भारत के सख्त इरादे स्पष्ट कर दिए थे। उन्होंने कहा था कि अब दोहरा मानदंड नहीं चलेगा। कुछ देश राजनीतिक सुविधाओं को देखते हुए आतंकवाद से निपट रहे हैं, जो अब चलने वाला नहीं है।

कनाडा पर कार्रवाई कर भारत ने दूसरे देशों को भी दिया सख्त संदेश

भारत ने अपनी इस कार्रवाई से कनाडा के साथ ही दुनिया को संदेश दिया है कि सिर्फ आरोप लगाने से भारत दबाव में आने वाला नहीं है। जो भी भारत पर आरोप लगाएगा उसे भारत की तरफ से पलटवार के लिए तैयार रहना होगा। भारत ने बार-बार कहा है कि अगर कनाडा के पास कोई सबूत है तो वो साझा करें। बिना सबूतों के बात नहीं हो सकती है। कनाडा-भारत विवाद शुरू होने पर अमेरिका भी सावधानी से कदम आगे बढ़ा रहा था। अमेरिका ने ट्रूडो के बयान को नकारते हुए कहा था कि जांच पूरा होने तक आरोप लगाना सही नहीं। लेकिन अब कनाडा से करीबी दिखाते हुए अमेरिका ने भारत से कहा है कि वह कनाडा के साथ निज्जर हत्याकांड की जांच में सहयोग करें। इसको देखते हुए भारत ने भी सख्त संदेश दे दिया है कि वह किसी भी कीमत पर किसी के दबाव में आने वाला नहीं है।  

चंडीगढ़ स्थित कनाडाई दूतावास के संचालन में खालिस्तानियों की भूमिका

कनाडा के चंडीगढ़ स्थित वाणिज्यिक दूतावास के बारे में लगातार शिकायतें मिल रही थीं। वीजा देने में बड़ा खेल हो रहा था। खालिस्तानी विचारधारा वाले लोगों को प्राथमिकता दी जा रही थी। उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन दिए जाते थे। खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक कनाडा में बैठे खालिस्तानी पंजाब के युवाओं को छोटी-मोटी नौकरी का लालच देकर बुलाते हैं। इन युवाओं का वीजा वगैरह खालिस्तानी आतंकी ही तैयार करवाते हैं। कहा जाता है कि शिरोमणि अकाली दल-अमृतसर कनाडा में राजनीतिक शरण चाहने वाले युवाओं से 1-2 लाख रुपये लेकर लेटर जारी करता हैं। लेटर में बताया जाता है कि भारत में उनका धार्मिक उत्पीड़न हो रहा है। कनाडा पहुंचने पर खालिस्तानी उन्हें प्‍लंबर, ट्रक ड्राइवर का काम दिलाते हैं। जिन युवाओं को कोई रोजगार नहीं मिलता है तो उन्हें सेवादार, पाठी या रागी बनकर गुरुद्वारों में एडजस्ट किया जाता है। इस तरह खालिस्तानियों के चंगुल में फंसे युवाओं का इस्तेमाल भारत विरोधी प्रदर्शनों में किया जाता है।

कनाडा के दूतावास से गैंगस्टरों को आसानी से मिलता है वीजा 

गैंगस्टरों को वीजा दिलाने में कनाडाई दूतावास काफी अहम भूमिका निभाते हैं। पंजाब से भागकर कनाडा जाने वाले गैंगस्टर को खालिस्तानियों और ट्रूडो सरकार का पूरा संरक्षण मिलता है। कनाडा में बैठकर ये गैंगस्टर पंजाब में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। पंजाब में भारत समर्थक सिखों, हिन्दुओं और ईसाइयों की लक्षित हत्याओं को अंजाम देते हैं। जिस हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत-कनाडा के बीच विवाद बढ़ा है, वह भी एक हिन्दू पुजारी की हत्या के बाद कनाडा फरार हो गया था। कनाडा अब निज्जर के सहयोगी भगत सिंह बराड़, पैरी दुलाई, अर्श दल्ला, लकबीर लांडा को संरक्षण दे रहा है। ये गैंगस्टर पंजाब में ड्रग्स लाने और उसकी सप्लाई करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इनकी वजह से पंजाब के युवा ड्रग्स की चपेट में आ रहे हैं, वहीं इससे होने वाली कमाई को खालिस्तानी आंदोलन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही ये गैंगस्टर पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी के इशारोंं पर भारत के खिलाफ काम करते हैं।

कनाडा के तत्कालीन रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन ने किया था चंडीगढ़ दूतावास का उद्घाटन

हालांकि वर्तमान में कनाडा के रक्षा मंत्री बिल ब्लेयर है, लेकिन अप्रैल 2017 में कनाडा के तत्कालीन रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन ने चंडीगढ़ में कनाडा के नए महावाणिज्य दूतावास कार्यालय का उद्घाटन किया था। हरजीत सिंह सज्जन पंजाब में जन्म लेने वाले पहले विदेशी रक्षा मंत्री थे। जब वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन हुआ तो उस समय दूतावास द्वारा दी जाने वाली विभिन्न सेवाओं के बारे में जानकारी दी गई थी। इनमें कनाडाई लोगों को सहायता, वीज़ा सेवाएं, कंपनियों को कनाडा में व्यापार करने में मदद करने वाली सेवा शामिल है और यह कनाडाई कंपनियों को सेवाएँ प्रदान करती है। इसके अलावा, यह लोगों को कनाडा की यात्रा करने और वीज़ा के लिए आवेदन करने के तरीके के बारे में मार्गदर्शन देकर मदद करता है। लेकिन समय के साथ इसमें खालिस्तानी तत्वों का दबदबा बढ़ता गया और यह दूतावास खालिस्तानी गतिविधियों को बढ़ावा देने का प्रमुख माध्यम बन गया।

कैप्टन अमरिंदर ने हरजीत सिंह सज्जन से मिलने से कर दिया था इनकार

तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस दौरान कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन से मिलने से इनकार कर दिया था। क्योंकि वह वर्ल्ड सिख संगठन से जुड़े थे और इस संगठन का भारत के प्रति रिकॉर्ड अच्छा नहीं था। उन्होंने तब कहा था कि सज्जन खालिस्तानी समर्थक थे और उनके पिता भी खालिस्तानी समर्थक थे। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2018 में जस्टिन ट्रूडो की भारत यात्रा के दौरान जो आतंकियों की लिस्ट सौंपी थी, उसमें गुरजीत सिंह चीमा, मलकीत सिंह फौजी, गुरजिंदर सिंह पन्नू, गुरप्रीत सिंह जैसे आतंकवादियों के नाम शामिल थे। भारत की सुरक्षा एजेंसिया और सरकारें खालिस्तानियों और गैंगस्टरों के गठजोड़ को लेकर लगातार कनाडा सरकार को आगाह करती रहीं। लेकिन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। 

Leave a Reply