Home नरेंद्र मोदी विशेष मोदी के नेतृत्व का कमाल, हर चुनाव में भाजपा का धमाल

मोदी के नेतृत्व का कमाल, हर चुनाव में भाजपा का धमाल

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फाइल फोटो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व का ही परिणाम है कि आज भाजपा अखिल भारतीय स्तर पर एक सर्वमान्य विजेता पार्टी बनकर उभरी है। विधानसभा चुनावों से लेकर पंचायत और निगमों तक के चुनावों में भाजपा का विजय पताका लहरा रहा है। जिन राज्यों में कभी पार्टी का कोई मजबूत संगठन भी नहीं था, वहां भी आज भाजपा या तो सत्ता में है या प्रमुख विपक्ष की भूमिका निभा रही है। उत्तर में कश्मीर से लेकर देश के दक्षिणतम भाग अंडमान-निकोबार तक, पश्चिम में कच्छ के रण से लेकर पूरब में असम और अरुणाचल तक कमल ही कमल खिला है। भाजपा को देश की विजेता पार्टी बनाने का श्रेय सिर्फ और सिर्फ मोदी जी को जाता है। आइए जानते हैं कि वो कौन से कारण हैं जिससे प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा को एक विजेता पार्टी बना दिया है।

मोदी जी के लिए राष्ट्र सर्वोपरि
मोदी जी ने हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि माना है। जहां राष्ट्रहित का मामला उठता है प्रधानमंत्री सिर्फ उसी पर ध्यान देते हैं, उसी के लिए सोचते हैं। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद से दुनियाभर में भारत की जो शानदार छवि बनी है उसके बारे में सोचकर ही जनता गदगद हो जाती है। मोदी जी दुनिया में किसी भी देश के दौरे पर पहुंचते हैं उनकी लोकप्रियता देखकर दूसरे देश के नेता भी हैरान रह जाते हैं। विश्व के हर मंच पर भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने अपनी बातें दमदार तरीके से रखी हैं। तय है कि अगर उन्होंने अपने नेतृत्व काल में विश्व भर में देश का मान-सम्मान और गौरव बढ़ाया है तो ये सब देख-सुन कर देश की जनता भी अपने को गौरवांवित और सम्मानित महसूस करती है। देश की इस बुलंद होती छवि के पीछे मोदी जी का व्यक्तित्व निहित है और उनका यही व्यक्तित्व अंकुरित होकर चुनावों में भाजपा के लिए कमल खिला रहा है।

मोदी विरोध का मतलब बना राष्ट्र विरोध
गुजरात में मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी जी के कार्यकाल को याद कीजिए। नरेंद्र मोदी ने गुजरात की कमान संभाली तो राज्य कई विपत्तियों से जूझ रहा था। एक तरफ भुज और कच्छ में भूकंप से तबाही मची थी, तो दूसरी तरफ राज्य का सत्तर प्रतिशत इलाका सूखे से त्रस्त था। एक साथ कई चुनौतियों के बावजूद नरेंद्र मोदी ने नये गुजरात के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी। लेकिन बनते-बढ़ते गुजरात की फिक्र छोड़ विपक्ष ने मोदी विरोध की राजनीति शुरू कर दी। कहते हैं कि इतिहास अपने आपको दोहराता है। जब से मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं देश की राजनीति में भी गुजरात वाली कहानी ही दोहराई जा रही है। प्रधानमंत्री दिन-रात देश के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, न्यू इंडिया का सपना लेकर के चल रहे हैं, देश में विकास की गति को देखकर दुनिया दंग हो रही है। लेकिन, विपक्ष के पास मोदी विरोध के अलावा कोई मुद्दा ही नहीं है। इस मोदी विरोध को देश की सामान्य जनता देश की अस्मिता से जोड़ रही है, देश के सम्मान से जोड़ रही है। राष्ट्र गौरव की यही भावना का लाभ भाजपा को मिल रहा है।

मोदी के समावेशी विचार का लाभ
मोदी के नेतृत्व ने जैसे गुजरात में भाजपा को अजेय पार्टी बना दिया, वैसी ही तस्वीर अब अखिल भारतीय स्तर पर बनकर उभरी है। मोदी जी की सोच आसमान की तरह ऊंची है। वो जब भी बात करते हैं तो उनके हृदय में सवा सौ करोड़ देशवासियों की चिंता होती है। विरोधी चाहे जितना भी भ्रम फैलाएं, वो सबके लिए सोचते हैं। ‘सबका साथ-सबका विकास’ उनकी सरकार की नीतियों के मूल में है। जैसे-जैसे आम नागरिकों तक मोदी जी की ये भावना पहुंच रही है वो उनसे एक अपनापन एवं लगाव महसूस करने लगते हैं। तय है कि मोदी जी की इसी छवि का फायदा उनकी पार्टी को भी मिल रहा है और वो हर चुनाव में अपने प्रदर्शन को बेहतर से बेहतर करती चली जा रही है

प्रधानमंत्री होकर भी प्रधानसेवक जैसी सोच
स्वतंत्रता के 70 साल के इतिहास में जनता ने किसी ऐसे प्रधानमंत्री को नहीं देखा जो बिना एक भी छुट्टी लिए 16 से 20 घंटे तक लगातार बिना रुके, बिना थके काम करता हो। देश के जन-जन ने जैसे-जैसे इस बात को महसूस किया है, उनका मोदी जी के नेतृत्व पर भरोसा बढ़ता चला गया है। इसीलिए जब भी मतदान का समय आता है तो मोदी जी चाहे प्रचार करें या न करें, लेकिन मतदाता मोदी जी के नाम पर कमल का बटन दबा कर चले आते हैं। मोदी जी के व्यक्तित्व पर देश की गरीब से गरीब जनता अपने से ज्यादा भरोसा करती है। उन्हें लगता है कि ये ऐसा इंसान है जो सिर्फ और सिर्फ देश के लिए सोचता है, जिम्मेदारी निभाते हुए चलता है, देश के आम नागरिकों की हित के बारे में सोचता है।

नकारात्मक राजनीति से परहेज
विरोधी दल के लोग चाहे जितनी भी कोशिश करें, प्रधानमंत्री मोदी निगेटिव पॉलिटिक्स के दलदल में नहीं फंसते। वो सिर्फ देश, आम नागरिक, विकास, जिम्मेदारी की बात करते हैं और मिशन के तौर पर उन्हीं जिम्मेदारियों को निभाने में जुटे रहते हैं। यही वजह है कि विरोधी चाहे जितनी भी झूठी बातें फैलाएं, गंदी राजनीति करें, लेकिन देश की पब्लिक है जो सब जानती है। यही वजह है कि मोदी जी के नेतृत्व वाली भाजपा को अपार जन समर्थन मिल रहा है।

मोदी का प्रचंड और सामर्थ्यवान नेतृत्व
दूर दृष्टा, दिव्य सोच, कुशल प्रशासक, सूक्ष्म पर्यवेक्षक, मन की शक्ति से भरे, नेतृत्व कौशल, टीम लीडर, आत्मविश्वास से भरपूर, टेक्नोफ्रेंडली, स्मरण शक्ति से ओतप्रोत, अच्छे कम्यूनिकेटर और बेहतरी के लिए बदलाव की सोच रखने वाले सारे गुणों की खान हैं नरेंद्र मोदी। उनके इन्हीं गुणों का लाभ देश को मिल रहा है, देश की जनता को मिल रहा है और आखिरकार वही वोट में परिवर्तित होकर भाजपा को एक विजेता पार्टी बना दिया है।

जो देश में हो रहा है वही गुजरात में हो चुका है
भारतीय जनता पार्टी 1998, 2002, 2007, 2012 में गुजरात के लोगों के भरपूर समर्थन से सत्ता में आई है। इस बार भी पार्टी की जीत की संभावना व्यक्त की जा रही है। यानी साफ लग रहा है कि इस बार भी विपक्ष के लिए वहां मौका नहीं  है। बड़ा सवाल ये है कि आखिर गुजरात में विपक्ष क्यों नहीं उभर पा रहा है? आखिर क्या वजह है जो भाजपा दिन ब दिन वहां मजबूत होती जा रही है? आखिर क्या वजह है जो विपक्ष पर लोगों को भरोसा नहीं हो रहा है? आखिर क्या वजह है जो गुजरात में विपक्ष नाम की कोई चीज नहीं रह गई है?

मोदी ने की विकास की राजनीति, विपक्ष ने की जाति-धर्म की सियासत
विकास के जिस गुजरात मॉडल की चर्चा हर तरफ होती है उसके शिल्पकार देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। नरेंद्र मोदी ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में सुनियोजित, समेकित और एकीकृत रूप से गुजरात को गढ़ने का सिलसिला शुरू किया। ढांचागत सुधार, खेती-किसानी, पशुपालन, सड़क, बिजली, उद्योग व्यापार से लेकर कानून व्यवस्था के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम हुए। लेकिन दूसरी तरफ विपक्ष रचनात्मक राजनीति से भागता रहा। एक के बाद विवादित मुद्दों को हवा देने की कोशिश की। विकास पथ पर बढ़ रहे गुजरात को रोकने की साजिश रची। जाति-धर्म के चश्मे से देखने के अपने नजरिए के तहत गुजराती समाज को टुकड़ों में बांटने की साजिश करता रहा। जाहिर है विकास की गति के सामने विनाश की रूपरेखा को गुजराती जनमानस ने स्वीकार नहीं किया।


विपक्ष ने किया दंगों का दुष्प्रचार, मोदी ने किया विकास
2002 में गोधरा कांड के बाद हुए सांप्रदायिक दंगे को विपक्ष ने अपने लिए राम बाण माना और इसे सियासी मुद्दा बना लिया। गुजराती जनमानस को झकझोर देने वाले दंगे पर राजनीति कर रहे विपक्ष की नीति आम जनता ने स्वीकार नहीं की। दूसरी तरफ विकास के अग्रदूत नरेंद्र मोदी ने सूखे कच्छ में पानी पहुंचाया, सौराष्ट्र को सिंचित करने की योजना बनाई, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए मातृवंदना जैसी कई योजनाएं बनाईं, बालिकाओं की पढ़ाई के लिए कन्या केलवणी जैसी योजना लेकर आए, बेटी बचाओ अभियान चलाया और वाइब्रेंट गुजरात का आयोजन करवाया। 2004-05 से 2011-12 के बीच गुजरात ने 10.08 प्रतिशत की दर से ग्रोथ करता रहा। लेकिन विपक्ष गुजरात दंगों के तार नरेंद्र मोदी के नाम से जोड़ने के जुगत में लगा रहा।

मुद्दा विहीन हुए विरोधी दल
12 वर्ष तक नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात कृषि क्षेत्र में देश सबसे ज्यादा 10 प्रतिशत से ज्यादा ग्रोथ रेट के साथ आगे बढ़ता रहा। वहीं उद्योग और व्यापार में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई। गुजरात के सभी 18 हजार 66 गांवों को सड़कों से जोड़ दिया गया और ग्राम ज्योति योजना के तहत घर-घर बिजली पहुंचा दी गई। कच्छ और सौराष्ट्र जैसे सूखे क्षेत्रों में हर साल औसतन तीस हजार करोड़ रुपये का विदेशी निवेश होने लगा। ऐसे में गुजरात के विपक्षी दलों के पास जनता का मुद्दा नहीं बचा और वे संप्रदाय और जाति की राजनीति के जाल में ही उलझे रहे।

नरेंद्र मोदी का दमदार नेतृत्व
दूरदर्शी सोच के साथ विकास पुरुष के तौर पर नरेंद्र मोदी ने नये गुजरात का निर्माण किया। ओजस्वी वक्ता के रूप में नरेंद्र मोदी की प्रतिभा ने उन्हें गुजरात की छह करोड़ जनता से जोड़े रखने में मदद की और सरकार का भरोसा कायम रखा। इसके साथ ही राजनीति के कुशल कारीगर के तौर पर उन्होंने पार्टी के भीतर किसी गुट को पनपने नहीं दिया। केशु भाई पटेल जैसे नाराज नेता को भी वो साधने में कामयाब रहे। इसके साथ ही उन्होंने नयी पीढ़ी की नब्ज पकड़ी और आने वाले कई सालों की राजनीतिक पृष्ठभूमि तैयार कर दी। टेक्नोफ्रेंडली नरेंद्र मोदी सोशल साइट के जरिये लोगों से जुड़े रहे और जमीनी सच्चाई से रूबरू होते रहे। इन तमाम विशेषताओं ने नरेंद्र मोदी को एक दमदार नेतृत्व के तौर पर पहचान दी। वहीं विपक्ष नरेंद्र मोदी के सामने कोई विकल्प नहीं दे पाया।

कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति
गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी के खिलाफ एसआइटी का गठन हो या इशरत जहां एनकाउंटर में नरेंद्र मोदी का नाम घसीटने की कोशिश। दलितों की पिटाई मामले में गुजरात सरकार को घेरने की कोशिश हो या फिर नरेंद्र मोदी के किए विकास कार्यों को नकारने की रणनीति। इन तमाम प्रकरणों ने कांग्रेस को ही कठघरे में खड़ा किया। नरेंद्र मोदी जब तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस उनपर हमलावर रही। लेकिन छह करोड़ जनता की उम्मीद नरेंद्र मोदी को टारगेट करना कांग्रेस के लिए अच्छे नतीजे नहीं ला पाया।


हर तबके में बनी समरसता
नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने से पहले गुजरात गांव और शहर के विकास की विभाजक रेखा से बंटा हुआ था। हिंदू और मुसलमान, अगड़े और पिछड़ों लेकिन उन्होंने सर्वसमावेशी दृष्टि के साथ विकास को एक आंदोलन का रूप दे दिया। मोदी ने जहां नगरपालिकाओं और कॉरपोरेशन में ई-गवर्नेंस को पूरी तरह से लागू किया गया। वहीं गांवों में समरस पंचायत बनाया। अर्बन हेल्थ पॉलिसी लागू करने वाला गुजरात पहला राज्य बना तो गुजरात पहला राज्य बना जहां के 590 विलेज काउंसिल कंप्यूटर नेटवर्क से जोड़े गए और 13,693 पंचायत या विलेज काउंसिल में कम्प्यूटर मुहैया कराया गया।

मुझे गुजरात का विकास एकांगी नहीं करना है। दो-चार स्थानों पर गुजरात विकसित हो, यह स्थिति मुझे स्वीकार नहीं है। मुझे तो गुजरात के प्रत्येक गांवों का विकास करना है, छोटे-से-छोटे मानव का विकास करना है। इस विकास की गंगा गांव-गांव में पहुंचे, यही मेरी प्रतिज्ञा है।
– नरेंद्र मोदी

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