अमेरिका के बायडेन प्रशासन ने कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ चल रहे अंतरराष्ट्रीय प्रोपेगेंडा की हवा निकाल दी है। अमेरिका ने बुधवार को मोदी सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को अपना समर्थन दिया। बायडेन प्रशासन ने बयान जारी कर कहा कि वो उन कदमों का स्वागत करता है, जो भारत के बाजारों की कुशलता में सुधार करेंगे और निजी क्षेत्र में अधिक निवेश को आकर्षित करेंगे। साथ ही अमेरिका ने यह भी स्वीकार किया कि कृषि कानूनों पर शांतिपूर्ण विरोध एक संपन्न लोकतंत्र की एक बानगी है।
अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा, “हम मानते हैं कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किसी भी संपन्न लोकतंत्र की पहचान हैं। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी यही कहा है। हम पार्टियों के बीच किसी भी तरह के मतभेदों को बातचीत के माध्यम से हल करने का ही समर्थन करेंगे। सामान्य तौर पर, संयुक्त राज्य अमेरिका ऐसे कदमों का स्वागत करता है जो भारत के बाजारों की दक्षता में सुधार करेंगे और निजी क्षेत्र के अधिक निवेश को आकर्षित करेंगे।”
Not to be lost in this, State Dept broadly appears to back India’s agricultural reforms amid #FarmersProtests: “In general, the United States welcomes steps that would improve the efficiency of India’s markets and attract greater private sector investment.” https://t.co/phU9UVHR9n
— Sabrina Siddiqui (@SabrinaSiddiqui) February 3, 2021
इससे पहले वर्ड बैंक और आईएमएफ भी भारत के तीन नए कृषि कानूनों का समर्थन कर चुका है। आईएमएफ ने भारत के नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में सुधारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया था। आईएमएफ की कम्युनिकेशन निदेशक गेरी राइस ने कहा था कि हम मानते हैं कि भारत में कृषि सुधारों के लिए खेत के बिल एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता रखते हैं। यह उपाय किसानों को विक्रेताओं के साथ सीधे अनुबंध करने में सक्षम बनाएगा, जिससे किसानों को बिचौलियों की भूमिका को कम करके अधिशेष के अधिक से अधिक हिस्से को बनाए रखने की अनुमति मिलेगी।
अमेरिका का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब भारत में नए कृषि कानूनों को लेकर बड़े पैमाने पर किसानों का प्रदर्शन चल रहा है। पिछले दिनों किसानों के प्रदर्शन के दौरान राजधानी दिल्ली में जमकर हिंसा हुई थी। किसानों के प्रदर्शन के समर्थन में दुनिया की पॉप स्टार रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग के आने के बाद भारत के नामचीन लोगों ने उनको भी करारा जवाब दिया है।
गौरतलब है कि कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 26 नवंबर से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हिंसा भी हुई थी।प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली में प्रवेश करने के लिए बैरिकेड्स तोड़ दिए और राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों में उत्पात मचाया। इसके बाद कई जगहों पर इंटरनेट सेवा को बाधित किया गया।