वीवीआईपी कल्चर के खिलाफ मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है। वीवीआईपी कल्चर की प्रतीक गाड़ियों पर लगने वाली लाल बत्ती पर सरकार ने रोक लगा दी है। बुधवार को मोदी कैबिनेट की बैठक में गाड़ियों पर लाल बत्ती के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई है।
कैबिनेट के इस फैसले के बाद अब किसी को भी एक मई मजदूर दिवस से लाल बत्ती लगाकर चलने की इजाजत नहीं होगी। इस रोक के बाद केंद्रीय मंत्री और सरकारी अफसर अपनी गाड़ियों पर लाल बत्ती का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि एक मई से देश में किसी को भी लाल बत्ती लगाने की अनुमति नहीं होगी। इस मामले में कोई भी अपवाद नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कुछ आपात सेवाओं के लिए नीली बत्ती का इस्तेमाल होगा। पुलिस, एंबुलेस और फायर ब्रिगेड को नियम से छूट दी गयी है।
वीआईपी कल्चर खत्म करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी गंभीर है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की आगवानी के लिए वीवीआईपी कल्चर को दरकिनार कर सामान्य ट्रैफिक में लोककल्याण मार्ग से लेकर दिल्ली एयरपोर्ट कर का सफर तय किया था।
लाल बत्ती पर रोक लगने के साथ ही सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर लोगों ने इस फैसले पर खुशी जाहिर की।
Lal Battis have for long symbolized India’s VVIP culture. Kudos to @PMOIndia for moving against Red Beacons. Let’s turn all Lal Battis off.
— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) April 19, 2017
Historic decision by @narendramodi sarkar! Removal of Red Beacons mark the start of end of VVIP Culture in our country! #OnlyModiCanDoIt
— Maheish Girri (@MaheishGirri) April 19, 2017
Superb decision : end of Lal batti culture hopefully : only pm president speaker and Vice President to get Lal batti
— pallavi ghosh (@_pallavighosh) April 19, 2017
What good news that flashing red lights and screeching sirens will no longer be ubiquitous in the streets of Delhi!!
— Tavleen Singh (@tavleen_singh) April 19, 2017
Welcome and applaud PM @narendramodi decision to get rid of the “Lal Batti” culture starting May 1st. Hope it’s the first of many steps.
— Advaita Kala (@AdvaitaKala) April 19, 2017
हिंदी में भाषण
वीवीआईपी कल्चर खत्म करने की दिशा में एक कदम हिंदी को बढ़ावा देना भी है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हाल ही में संसदीय समिति की उन सिफारिशों को मंजूरी दी है जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति और मंत्रियों सहित गणमान्य लोगों को हिंदी में भाषण देना होगा। राजभाषा पर संसद की समिति की यह 9वीं रिपोर्ट 2011 में सौंपी गई थी। सिफारिश में कहा गया है कि राष्ट्रपति और मंत्रियों सहित सभी गणमान्य व्यक्तियों, खासकर हिंदी पढ़ने और बोलने में सक्षम लोगों को अपना भाषण या बयान हिंदी में देना चाहिए।
इसके साथ ही अब विमानों में पहले हिंदी और फिर अंग्रेजी में घोषणाएं करनी होंगी। विमानों में आधी अध्ययन सामग्री के तौर पर हिंदी अखबार और पत्रिकाएं होंगी। एयर इंडिया और पवन हंस हेलीकॉप्टरों के सभी टिकटों पर हिंदी का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
मोदी का ऑस्ट्रेलियाई पीएम के साथ मेट्रो का सफर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल 10 अप्रैल को एक साथ दिल्ली मेट्रो का सफर किया। दोनों नेता करीब 4 बजे मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन पहुंचे और अक्षरधाम तक की यात्रा की। दोनों प्रधानमंत्री को एक कॉमन मैन की तरह मेट्रो में सफर करते हुए देख कर आम लोग हैरत में पड़ गए। प्रधानमंत्री मोदी ने मेट्रो से सफर का इसलिए फैसला किया ताकि उनकी वजह से आम लोगों को ट्रैफिक जाम की समस्या का सामना न करना पड़े।
अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन पर पहुंचकर दोनों देशों के प्रधानमंत्री अक्षरधाम मंदिर में दर्शन करने पहुंचे।
नॉर्मल ट्रैफिक से गुजर कर एयरपोर्ट पहुंचे पीएम
हाल ही में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का स्वागत करने के लिए पीएम मोदी को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट जाना था। प्रधानमंत्री आवास लोक कल्याण मार्ग से लेकर एयरपोर्ट तक पीएम का काफिला आम लोगों की गाड़ियों के बीच से ही गुजरता रहा। कहीं भी पीएम मोदी के लिए सामान्य ट्रैफिक को नहीं रोका गया और न ही कोई बदलाव किया गया। आमतौर पर जब किसी रूट से पीएम का काफिला गुजरता है तो सुरक्षा कारणों से काफी देर पहले ही नॉर्मल ट्रैफिक रोक दी जाती है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर बांग्लादेश की पीएम को रिसीव करने एयरपोर्ट जा रहे थे, तो उन्हें लगा कि अगर उनके लिए ट्रैफिक रोकी गई तो आम नागरिकों को काफी परेशानी होगी। इसीलिए उन्होंने खुद भी सामान्य ट्रैफिक में ही आम नागरिक की तरह ही सफर करने का फैसला किया।
पहले भी ट्रैफिक बाधित किए बिना एयरपोर्ट जा चुके हैं पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने लिए किसी जनता को परेशान नहीं करना चाहते। उन्हें लगता है कि अगर लोक कल्याण मार्ग से लेकर लेकर एयरपोर्ट के बीच की ट्रैफिक को बाधित की गई, तो जनता बेवजह परेशान होगी, उसे बड़ी मुश्किल होगी। जानकारी के मुताबिक जब अबू धाबी के शहजादे शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान दिल्ली आए थे, तब भी उनके स्वागत के लिए पीएम सामान्य ट्रैफिक में किसी तरह रुकावट डाले बिना एयरपोर्ट पहुंचे थे।
जनता के लिए ही पहली बार दिल्ली मेट्रो में किया सफर
25 अप्रैल 2015 की बात है। प्रधानमंत्री मोदी को नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसी के एक समारोह में शामिल होना था। उन्होंने सोचा कि अगर वो सड़क के रास्ते जाएंगे, तो ट्रैफिक अस्त-व्यस्त हो जाएगी इसीलिए उन्होंने एयरपोर्ट लाइन पर धौलाकुआं से द्वारका तक मेट्रो में सफर किया। दिल्ली मेट्रो में प्रधानमंत्री का ये पहला सफर था।
जनता के साथ, जनता के लिए दिल्ली मेट्रो की सवारी
2015 की ही बात है, 6 अप्रैल को पीएम मोदी को दिल्ली-फरीदाबाद मेट्रो लाइन का उद्घाटन करने फरीदाबाद जाना था। प्रधानमंत्री ने सोचा की पहले से ही ट्रैफिक समस्या से परेशान इस रूट पर अगर उनका काफिला निकला तो लोग बहुत परेशान होंगे। इसलिए वो दिल्ली के जनपथ स्टेशन से मेट्रो में सवार होकर ही फरीदाबाद पहुंचे और उद्घाटन करने के बाद फिर मेट्रो में सवार होकर दिल्ली लौटे। खास बात ये रही कि इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आम लोगों के साथ ही बैठे हुए थे और सहयात्री अपने प्रधानमंत्री के साथ घुल-मिलकर बातें कर रहे थे।
अमृसर के स्वर्ण मंदिर में लंगर खिलाया
पिछले साल 3 दिसंबर को ‘हार्ट ऑफ एशिया कॉन्फ्रेंस’ के लिए प्रधानमंत्री अमृतसर पहुंचे थे। उनके साथ अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी भी अमृतसर पहुंचे हुए थे। इस यात्रा के दौरान पीएम स्वर्ण मंदिर पहुंचे और मत्था टेका। इसके बाद पीएम मोदी ने लोगों को अपने हाथों से लंगर खिलाकर सेवा की। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री को इस तरह से सेवाभाव में लीन जिसने भी देखा वो हैरान रह गया।
शास्त्री जी के घर पैदल ही पहुंच गए
पिछले दिनों पीएम मोदी वाराणसी यात्रा पर गए थे। इस दौरान उनका पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के पैतृक आवास पर जाने का कार्यक्रम था। वो रामनगर पहुंचे और वहां शास्त्री जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। फिर देखा की शास्त्री जी घर की ओर जाने वाली गलियां काफी तंग हैं। फिर क्या वो पैदल ही चलकर शास्त्री जी के घर पहुंचे। मोदी जी को पैदल आते देख शास्त्री जी के परिजन भी हैरान रह गए।
राजपथ पर सुरक्षा घेरा तोड़कर लोगों के बीच पहुंचे
जनता से सीधा संवाद करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व का एक बहुत ही अहम हिस्सा है। व्यस्तता से भरी अपनी दिनचर्या के बीच उन्हें जब भी मौका मिलता है वो लोगों से मिलना-जुलना और उनके नजदीक पहुंचकर करीब से बात करना पसंद करते हैं। देश आज उनके इसी विनम्र व्यक्तित्व का कायल है। इसी साल गणतंत्र दिवस की बात है। समारोह खत्म होने के बाद पीएम का काफिला राजपथ पर बढ़ रहा था। अचानक उनकी गाड़ी रुकी और पीएम मोदी बाहर आकर लोगों के बीच पहुंच गए। दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों को उम्मीद नहीं थी कि प्रधानमंत्री इस तरह से उनके बीच पहुंच जाएंगे। देश के प्रधानमंत्री को जनता के बीच देखकर लोग गदगद हो गए।
स्वतंत्रता दिवस पर बच्चों के बीच पहुंच जाते हैं
जब से मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं, हर बार 15 अगस्त को लालकिले के प्राचीर से तिरंगा फहराने के बाद वो अपनी सुरक्षा की चिंता किए बिना बच्चों के बीच पहुंचते रहे हैं। उन्होंने इसे एक परंपरा सी बना दी है। अब बच्चे उनका भाषण खत्म होने के बाद अपने बीच आने का इंतजार करते रहते हैं। पीएम मोदी की यही खासियत है, वो अपने लिए नहीं देश के लिए सोचते हैं, खुद के लिए नहीं देश के लिए जीते हैं।
फावड़ा उठाकर की गंगा घाट की सफाई
पीएम मोदी एक बार अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी पहुंचे थे। यहां के अस्सी घाट पर उन्होंने खुद अपने हाथों में फावड़ा लेकर सफाई अभियान की शुरुआत की। देश के प्रधानमंत्री में इतनी विनम्रता, इतनी सहजता, जिसने भी देखी वो दंग रह गया। लेकिन मोदी जी का व्यक्तित्व ही ऐसा है, वो जनता के लिए सोचते हैं, जनता की तरह सोचते हैं और उसी के लिए दिनरात परिश्रम करते हैं।
झाड़ू भी लगाया, कूड़ा भी उठाया
पीएम ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरुआत खुद अपने हाथों से की थी। देश को स्वच्छ बनाना है, ये सोच उन्होंने देश पर थोपा नहीं, बल्कि उन्होंने अपने हाथों से इसकी शुरुआत की। सबसे पहले उन्होंने दिल्ली की वाल्मिकी बस्ती में खुद अपने हाथों से झाड़ू लगाया और कूड़ा उठाया। ये कोई दिखावा नहीं था, स्वच्छता मोदी जी के व्यक्तित्व में शामिल है, वो बचपन के दिनों से इसके प्रति सजग रहे हैं और प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनमें ऐसा करने में लेस मात्र की झिझक नहीं है। वो एकबार अचानक दिल्ली के मंदिर मार्ग थाने पहुंचे तो वहां उन्होंने गंदगी देखी और खुद झाड़ू लेकर सफाई में जुट गए।
विदेशों में भी अपने लोगों के बीच पहुंच जाते हैं
जनता के बीच पहुंचना, उनसे बातें करना, उसकी समस्याएं सुनना, राय जानना पीएम मोदी की पहचान रही है। भारत में ही नहीं, विदेश यात्राओं के दौरान भी वो जहां भी जाते हैं, भारतीय समुदाय के लोगों से खुलकर मिलना पसंद करते हैं। इसके लिए वो इतने उत्साहित हो जाते हैं कि उन्हें विशाल सुरक्षा घेरे से बाहर निकल जाने का भी एहसास नहीं होता।