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आयुष्मान भारत: प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना के 7 साल: 55 करोड़ से अधिक लोगों को मिला जीवन सुरक्षा कवच

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दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे प्रभावशाली स्वास्थ्य बीमा योजना, आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY- पीएमजेवाई) ने 7 साल पूरे कर लिए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना के 7 वर्ष पूरे होने पर इसे देश के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांति करार दिया। उन्होंने कहा कि इस योजना ने लाखों नागरिकों को वित्तीय सुरक्षा, सामर्थ्य और सम्मान प्रदान करते हुए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुंच को नए सिरे से परिभाषित किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर MyGovIndia की पोस्ट का जवाब देते हुए लिखा कि “आज आयुष्मान भारत के #7वर्ष पूरे हो रहे हैं! यह एक ऐसी पहल थी जिसने भविष्य की आवश्यकताओं का आकलन किया और लोगों के लिए उच्च-गुणवत्ता वाली और किफ़ायती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया। इसके कारण भारत सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में क्रांति का साक्षी बन रहा है। इस योजना ने लाभार्थियों के लिए वित्तीय सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित किया है। भारत ने दिखाया है कि कैसे इसका विस्तार, करुणा और तकनीक मानव सशक्तिकरण को और आगे बढ़ा सकते हैं।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई थी। अब यह योजना देश के गरीब-वंचितों के लिए वरदान साबित हो रही है। यह योजना केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं रही, बल्कि अब यह एक स्वास्थ्य क्रांति का प्रतीक बन चुकी है, जिसने 55 करोड़ से ज्यादा लोगों की जिंदगी में सीधा असर डाला है।

प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज
प्रधानमंत्री मोदी ने 23 सितंबर, 2018 को झारखंड की राजधानी रांची में इस ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना’ की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज 12.34 करोड़ से भी अधिक गरीब और वंचित परिवारों (या लगभग 55 करोड़ लाभार्थियों को) मुहैया कराना है। मोदी सरकार इस जन आरोग्य योजना को और सुगम और सरल बनाने की कोशिश में जुटी है, ताकि अधिक-से-अधिक गरीब परिवार इसका लाभ उठा सकें। इसके लिए एक वेबसाइट pmjay.gov.in और टोल फ्री नंबर 14555 नंबर की मदद से कोई भी जान सकता है कि उसका परिवार लाभार्थियों में शामिल है या नहीं।

Ayushman Bharat

अब इलाज के लिए कर्ज नहीं, सरकार का साथ
आयुष्मान भारत योजना का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है – वित्तीय सुरक्षा। देश में लाखों परिवार ऐसे थे जो इलाज का खर्च वहन नहीं कर पाते थे और कर्ज में डूब जाते थे। इस योजना के माध्यम से गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों को हर साल 5 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है। अब तक 42 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड जारी किए जा चुके हैं, जिससे करोड़ों परिवारों को निजी और सरकारी अस्पतालों में बिना एक रुपया खर्च किए इलाज का अधिकार मिल चुका है।

गरीबी से सुरक्षा: हर साल 6 करोड़ लोग बचाए गए
स्वास्थ्य व्यय के कारण आर्थिक बर्बादी का जोखिम देश के गरीब वर्ग को सबसे अधिक होता है। लेकिन आयुष्मान भारत योजना ने यह स्थिति बदल दी है। आंकड़ों के अनुसार, इस योजना ने हर वर्ष लगभग 6 करोड़ लोगों को गरीबी में गिरने से बचाया है। यह किसी भी योजना की दीर्घकालिक सामाजिक और आर्थिक सफलता का सबसे बड़ा प्रमाण है। अब स्वास्थ्य संकट, आर्थिक संकट में तब्दील नहीं हो रहा, और यही इस योजना की सबसे बड़ी ताकत है।

अब सरकार कर रही है इलाज का खर्च वहन
इस योजना के कारण देश के कुल स्वास्थ्य व्यय में सरकारी हिस्सेदारी 29 प्रतिशत से बढ़कर 48 प्रतिशत हो गई है। इसका सीधा अर्थ है कि अब सरकार देश के आम लोगों के स्वास्थ्य देखभाल की जिम्मेदारी खुद उठा रही है। इससे गरीबों को न केवल राहत मिली है, बल्कि उन्हें सम्मानजनक इलाज का अनुभव भी प्राप्त हो रहा है, जिसे पहले वे केवल सपना मानते थे।

बुज़ुर्गों को मिला विशेष लाभ: 70+ आयु वर्ग को प्राथमिकता
आयुष्मान भारत योजना ने वरिष्ठ नागरिकों, विशेषकर 70 वर्ष से ऊपर के नागरिकों के लिए भी राहत प्रदान की है। इस वर्ग को अब सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज मिल रही है। अब तक इस योजना के अंतर्गत 496 करोड़ रुपये से अधिक का मुफ्त इलाज केवल बुज़ुर्गों को दिया गया है। यह कदम बुज़ुर्गों को आत्मनिर्भरता, सुरक्षा और सम्मान देता है, जो पहले कई बार इलाज के अभाव में जीवन की अंतिम अवस्था में असहाय हो जाते थे।

डायलिसिस और सर्जरी अब आम नागरिक की पहुंच में
आयुष्मान भारत योजना के तहत अब डायलिसिस, कार्डियक सर्जरी, नी रिप्लेसमेंट, और अन्य महंगे ऑपरेशन जैसे गंभीर इलाज अब आम आदमी के लिए भी सुलभ हो गए हैं। ये वो उपचार हैं जिन्हें पहले केवल ऊंची आर्थिक स्थिति वाले लोग ही करवा सकते थे। लेकिन अब, योजना के तहत ये सेवाएं गरीबों के लिए भी बिना आर्थिक बोझ के उपलब्ध हैं।

 

आयुष्मान आरोग्य मंदिर: स्वास्थ्य सेवाओं का विकेंद्रीकरण
देशभर में 1.8 लाख से अधिक ‘आयुष्मान आरोग्य मंदिर’ (Health and Wellness Centers) स्थापित किए गए हैं। ये केंद्र गांव-गांव और कस्बों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। इन केंद्रों पर अब तक 5.7 करोड़ से अधिक वेलनेस सेशन आयोजित किए जा चुके हैं। यहां आयुष्मान भारत के लाभार्थियों को 14 से 63 तरह के टेस्ट मुफ्त में उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे प्रारंभिक अवस्था में बीमारियों की पहचान संभव हो पा रही है।

हाइपरटेंशन और डायबिटीज की जांच: रोकथाम को मिला बढ़ावा
आयुष्मान आरोग्य मंदिरों ने केवल इलाज तक सीमित न रहकर रोग की रोकथाम और जांच को भी प्राथमिकता दी है। अब तक इन केंद्रों पर 55 करोड़ से अधिक हाइपरटेंशन की जांचें और 48 करोड़ से अधिक डायबिटीज की जांचें की जा चुकी हैं। यह स्वास्थ्य क्षेत्र में रोकथाम आधारित नीति की सफलता का उदाहरण है, जो देश में Non-Communicable Diseases (NCDs) से लड़ने में एक क्रांतिकारी कदम है।

डिजिटल हेल्थ मिशन: घर बैठे मिले डॉक्टर की सलाह
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने भारत की स्वास्थ्य सेवाओं को एक डिजिटल रूपांतरण कर दिया है। अब तक 81 करोड़ से अधिक ABHA (Ayushman Bharat Health Account) बनाए जा चुके हैं। इन खातों से 72 करोड़ से अधिक डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड आपस में जुड़े हुए हैं, जिससे किसी भी अस्पताल में मरीज का पूरा इलाज इतिहास देखा जा सकता है। साथ ही, 41 करोड़ से अधिक टेली-कंसल्टेशन हो चुके हैं, जिससे लाखों नागरिकों को घर बैठे विशेषज्ञ डॉक्टरों से सलाह मिल रही है वो भी बिल्कुल मुफ्त।

सामाजिक बदलाव और नागरिक सशक्तिकरण
इस योजना ने समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता, सम्मानजनक इलाज का अधिकार, और सरकारी स्वास्थ्य सेवा में भरोसा पैदा किया है। अब स्वास्थ्य सेवा एक “सरकारी सुविधा” नहीं, बल्कि जनता का अधिकार बन चुकी है। इससे महिलाओं, बुज़ुर्गों, दिव्यांगों, ग्रामीणों और आदिवासी समुदायों को सीधा लाभ मिला है। यह योजना अब केवल बीमा योजना नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का आधार बन चुकी है।

‘स्वस्थ भारत’ की नींव पर खड़ा होता आत्मनिर्भर भारत
7 साल पहले शुरू हुई आयुष्मान भारत योजना आज भारत के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर का रीढ़ बन चुकी है। यह केवल एक स्वास्थ्य योजना नहीं, बल्कि हर नागरिक को गरिमापूर्ण जीवन देने का वादा है। इससे भारत न केवल बीमारियों से लड़ रहा है, बल्कि सशक्त, सुरक्षित और आत्मनिर्भर समाज की ओर बढ़ रहा है।

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