Home समाचार आखिर राम मंदिर पर कब तक मिलती रहेगी तारीख पर तारीख ?

आखिर राम मंदिर पर कब तक मिलती रहेगी तारीख पर तारीख ?

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अयोध्या में राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई एक और तारीख के लिए टाल दी गई। अब 29 जनवरी को कोर्ट यह तय करेगा कि राम मंदिर पर सुनवाई के लिए नई बेंच की रूपरेखा क्या हो। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन के द्वारा संविधान पीठ और जस्टिस यूयू ललित पर सवाल खड़े करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी तक मामले को टाल दिया है। इसके पहले भी 4 जनवरी को कोर्ट ने मामले की सुनवाई 10 जनवरी यानी आज के लिए टाल दी थी।

कांग्रेस चाहती है तारीख पर तारीख 

सवाल उठता है कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण जैसे संवेदनशील मसले पर इस तरह का रवैया कितना उचित है? करीब सात दशकों से यह मामला अदालत की फाइलों और तारीखों के जाल में उलझा हुआ है। देश का सनातन समाज जब आस्था के इस मामले पर किसी निर्णायक स्थिति की उम्मीद कर रहा हो, तो देश की न्यायिक व्यवस्था यह तय करने में लगी है कि इस मामले की सुनवाई करने वाली बेंच कौन सी होगी ! कपिल सिब्बल जैसे कांग्रेस पार्टी से जुड़े वकीलों ने मामले को टालते रहने की पैरवी की है। यह वही कांग्रेस है, जिसके अध्यक्ष कभी मुस्लिम तुष्टीकरण की राह पर चलते हैं, तो कभी खुद को ब्राह्मण करार देते हुए अपना गोत्र बताते हैं।     

सनातन समाज में बढ़ रहा है रोष

यही वजह है कि लोग इस हीलाहवाली से उबने लगे हैं। देश के सामने दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पैदा होने लगी है। आज तो कोर्ट के बाहर लोगों ने प्रदर्शन किया। मंदिर निर्माण में हो रही देरी को लेकर नारेबाजी भी हुई। पूरा हिन्दू समाज यह सवाल करने लगा है कि राम का मंदिर अयोध्या में नहीं तो कहां बनेगा ?     

70 साल से अटकाया-लटकाया-भटकाया जा रहा

दरअसल, अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़ा केस अदालत में 1950 में चल रहा है। किसी भी विवाद को सुलझाने के लिए सात दशक बहुत लंबा समय होता है। 70 साल में पीढ़ियां बदल जाती हैं, लोग बदल जाते हैं और तो और, देश की सियासत बदल जाती है। देशों का दोबारा निर्माण हो जाता है, लेकिन इस विवाद का कोई हल नहीं निकल सका है।  ऐसे में क्या दशकों पुराने इस मामले का फैसला 2019 में आएगा या फिर अभी और इंतजार करना पड़ेगा ? 

 

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