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सांस्कृतिक विरासत को सहेज रही है मोदी सरकार, ऑस्ट्रेलिया से भारत लाई जाएंगी चोरी हुईं 14 प्राचीन वस्तुएं

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फोटो सौजन्य

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की कोशिशों के कारण ऑस्ट्रेलिया में कैनबरा स्थित नेशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 14 प्राचीन विरासत वस्तुएं लौटाने का फैसला किया है। इन 14 महत्वपूर्ण कलाकृतियों में कांसे और पत्थर की मूर्तियां, चित्रित स्क्रॉल और तस्वीरें शामिल हैं। इनकी कीमत 30 लाख डॉलर बताई जा रही है। केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि मैं इस मौके पर माननीय प्रधानमंत्री के प्रयासों के लिए धन्यवाद करना चाहती हूं, जिसके कारण 14 चुराई हुई विरासत वस्तुओं को वापस लाया जा रहा है। नेशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया (एनजीए) के निदेशक निक मित्जेविच ने कहा कि न्यूयॉर्क के कुख्यात डीलर सुभाष कपूर से खरीदी हुईं 13 वस्तुओं को भारत सरकार को लौटाया जाएगा। डीलर कपूर को 2011 में चोरी के षड्यंत्र के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। नवभारत टाइम्स के अनुसार उन्होंने कहा कि जब भारतीय पुलिस ने 2012 में कपूर को गिरफ्तार किया तो उन्होंने चुरायी गयी वस्तुओं में शिव की नृत्य वाली मूर्ति को भी सूचीबद्ध किया और जल्द ही यह साफ हो गया कि यह मूर्ति दक्षिण भारत में एक मंदिर से निकाली गयी थी। 2014 में तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने यह मूर्ति प्रधानमंत्री मोदी को सौंप दी थी।

सोने की चिड़िया कहलाने वाले भारत को लगभग 800 वर्षों तक लुटा गया है। लूट का जो सिलसिला मोहम्मद गोरी ने शुरू किया था, वो अंग्रेजों के दौर तक या कुछ परिस्थितियों में उसके बाद तक भी बरकरार रहा। लेकिन पिछले तीन साल में देश की लूटी गई विरासत को एक-एक करके सहेजने का प्रयास हुआ है। जो अति-प्राचीन और बेशकीमती मूर्तियां चुराकर विदेशों में भेजी गई थीं, उन सबको फिर से वापस लाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अपने कार्यकाल में अबतक अनेकों प्राचीन मूर्तियों और बाकी वस्तुओं को वापस लाने में सफलता पाई है।

विदेशों से प्राचीन धरोहरों को वापस लाने में जुटी है मोदी सरकार
2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार के प्रयासों से जो वस्तुएं या मूर्तियां विदेशों से वापस लाई गई हैं, उसमें चोल शासकों के समय की श्रीदेवी की धातु की मूर्ति और मौर्य काल की टेराकोटा की महिला की मूर्ति शामिल हैं। पिछले दिनों 24 चर्चित प्राचीन धरोहरों को वापस लाने का काम किया गया, उनमें से 16 अमेरिका से, 5 ऑस्ट्रेलिया से और एक-एक कनाडा, जर्मनी और सिंगापुर से लाई गई हैं। इन प्रतिमाओं में बाहुबली की धातु की प्रतिमा और नटराज की एक-एक प्रतिमाएं भी शामिल हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अनुसार संत मन्निक्कावचाका की कांस्य प्रतिमा, गणेश और पार्वती की धातु की प्रतिमाएं भी अमेरिका से वापस आई हैं। अमेरिका ने दुर्गा की पत्थर की प्रतिमा, नृत्य की भाव-भंगिमा में नटराज की पत्थर की एक प्रतिमा भी वापस भेज दी हैं। जबकि ऑस्ट्रेलिया ने बैठे हुए भगवान बुद्ध की एक मूर्ति, नटराज और अर्द्धनारीश्वर की प्रतिमाएं भेजी हैं। सिंगापुर से उमा परमेश्वरी, कनाडा से एक पैरट लेडी और जर्मनी से जम्मू-कश्मीर से चुराई गई ‘महिष मर्दनी’ की प्रतिमाएं वापस लाई हैं। जबकि ऑस्ट्रेलिया की नेशनल गैलरी ने जिन प्राचीन कलाकृतियों को वापस किया, उनमें बैठे हुए बुद्ध, 900 साल पुरानी देवी प्रत्यांगिरा और मथुरा की ध्यानस्थ बुद्ध की मुद्रा वाली मूर्तियां शामिल हैं।

आगे भी सरकार के प्रयास जारी हैं

एएसआई के हवाले से कहा गया है कि ढेरों पुरातनकालीन वस्तुएं अब भी बाकी हैं जिन्हें स्विट्जरलैंड समेत दूसरे देशों से वापस लाया जाना है। जानकारी के अनुसार सरकार भारत से चोरी करके ले जाई गयीं प्राचीन वस्तुओं को कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से वापस लाने पर जोर दे रही है।खास बात ये है कि पिछले दिनों लंदन में भारतीय उच्चायोग को ब्रह्मा और ब्रह्माणी की मूर्तियां सौंप भी दी गयीं।

प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में अबतक सैकड़ों मूर्तियों और कलाकृतियों को वापस देश लाए गे ङैं। इन सांस्कृतिक धरोहरों का वापस आना आज भी जारी है। प्रधानमंत्री जब भी अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों की यात्रा पर गये हैं, उन्होंने देश की सांस्कृतिक विरासत को वापस लाने का विशेष प्रयास किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में अमेरिका से 200 देवी-देवाताओं की मूर्तियों और कलाकृतियों को वापस लाने का विशेष प्रयास किया, जिसमें वो सफल रहे। 7 जून, 2016 को वॉशिंगटन में एक समारोह में अमेरिका की एटार्नी जनरल लोरेटा लिंच ने, 2000 साल से भी पुरानी इन मूर्तियों और कलाकृतियों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपा। इसके पहले शायद ही किसी प्रधानमंत्री ने सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए इस मनोयोग से काम किया है।

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