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‘मैन ऑफ द मोमेंट’ और ‘नीड ऑफ द आवर’ हैं पीएम मोदी-आरिफ मोहम्मद खान

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राजनीति ऐसी चीज है जो अपनों को भी दुश्मन बना देती है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनके धुर विरोधी भी उनकी प्रशंसा करने से खुद को रोक नहीं पाते। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘Man of the Moment’ और ‘Need of the Hour’ बताया है। एक अखबार में छपे आलेख में आरिफ मोहम्मद खान ने अपनी बात बेबाकी से रखी है।

”समय की आवश्यकता हैं पीएम मोदी”
पूर्व कांग्रेस नेता और केंद्रीय मंत्री रहे आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, ”प्रकृति के नियम के मुताबिक, कुछ तत्वों को आवश्यकतानुसार तैयार किया जाता है। मोदीजी ‘समय की आवश्यकता’ हैं और इस युग के लिए ही हैं। इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश में जो कुछ भी हो रहा है, वह समय की आवश्यकता है, और मेरी इच्छाओं या उम्मीदों के अनुसार यह नहीं बदलेगा।”

”पीएम मोदी की मदद से मिली जीत”
आरिफ मोहम्मद खान वही हैं जिन्होंने 1986 में शाहबानो प्रकरण में कट्टरपंथियों के आगे झुकने पर राजीव गांधी मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया था। वे मुस्लिमों के भीतर तीन तलाक, बहुविवाह और हलाला जैसी कुप्रथाओं को खत्म करने के लिए लगातार प्रयासरत रहे हैं। अब जबकि केंद्र सरकार के कड़े स्टैंड से देश में तीन तलाक का कानून खत्म हो चुका है तो आरिफ मोहम्मद खान ने प्रसन्नता जताई है। उन्होंने कहा, ”असली हीरो मैं नहीं बल्कि सामान्य मुस्लिम महिलाएं हैं जिन्होंने ‘तीन तलाक’ की कुप्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ी। मैं इन महिलाओं की मदद करने के लिए पीएम मोदी की तारीफ करता हूं जिसके चलते कानूनी लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके हक में आया।”

”मनमोहन सिंह ने किया था तुष्टिकरण”
कांग्रेस के साथ उनके करीबी संबंधों के बावजूद, उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा कहे गए उस बयान को खतरनाक कहा जिसमें उन्होंने देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का होने की बात कही थी। उन्होंने कहा, “यह संविधान धर्म के आधार पर भेदभाव की अनुमति नहीं देता है। इसके लिए ‘सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ापन’ ही पैमाना है। अगर यह काम नहीं करता है, तो आप एक नया संविधान पूरी तरह से अपना सकते हैं। अल्पसंख्यक समुदाय को आरक्षण देकर मुसलमानों और हिंदुओं के बीच टकराव ही पैदा करेगा।”

आरिफ मोहम्मद खान वर्तमान विश्व के अनुसार धार्मिक विचारों में सुधार करने में सक्रिय हैं। उन्होंने ट्रिपल तलाक को खत्म करने की वकालत करते हुए एक बार कोर्ट से कहा भी था कि ‘अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ को खत्म कर दिया जाए। बहरहाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपनी बात बेबाकी से रखी है और पीएम मोदी की जमकर प्रशंसा की है। हालांकि आरिफ मोहम्मद खान विरोधी खेमे में अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं है जिन्होंने पीएम मोदी की प्रशंसा की हो। कई और धुर विरोधियों ने भी समय-समय पर पीएम मोदी की प्रशंसा की है।

”मुझसे बड़े नेता हैं पीएम मोदी”
”मैं 85 वर्ष का हूं और दोबारा प्रधानमंत्री बनने की मेरी महत्वाकांक्षा नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुझसे बहुत बड़े नेता हैं।” The Economic Times में छपे इस इंटरव्यू में पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने खुले मन से ये स्वीकार किया है कि पीएम मोदी से बड़ा नेता आज देश में नहीं है। दरअसल वर्तमान भारतीय राजनीति में पीएम मोदी वो चेहरा हैं जिनके आस-पास कोई अन्य नेता खड़ा हो पाने की हैसियत नहीं रखता है। 

पीएम मोदी के मुरीद हैं शशि थरूर
चीन के साथ डोकलाम गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान को भारत की कूटनीतिक जीत करार देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने पीएम मोदी की प्रशंसा की। उन्होंने ट्विटर पर कहा कि विदेश मंत्रालय के राजनयिकों और प्रधानमंत्री कार्यालय का कुशल नेतृत्व सभी को इसका श्रेय जाता है।

थरूर पहले भी कर चुके हैं पीएम की तारीफ
शशि थरूर पहले भी पीएम मोदी की कई बार तारीफ की है। थरूर मोदी की ऊर्जा और उत्साह से बेहद प्रभावित हैं। 26 अक्टूबर, 2016 को एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने पीएम मोदी की जमकर प्रशंसा की थी। हालांकि उनकी इसी खुली प्रशंसा के कारण कई बार अटकलें लगाई जाती हैं कि थरूर बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं। इसमें कितनी सच्चाई है ये तो थरूर ही बता सकते हैं। लेकिन इतना तय है कि ये पीएम मोदी का खास अंदाज है कि धुर विरोधी को भी वे अपना बना लेते हैं।

उमर अबदुल्ला ने की पीएम मोदी की प्रशंसा
डोकलाम विवाद में भारत की सफल कूटनीति को नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी सराहा। उन्होंने ट्वीट कर पीएम मोदी और उनकी टीम को बधाई देते हुए लिखा कि ये इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत ने बिना किसी गरज और धमक के चीन पर अपनी श्रेष्ठता साबित कर दी।


मोदी विरोध में विपक्षी एकता Myth है !
इससे पहले भी उमर अब्दुल्ला पीएम मोदी की प्रशंसा कर चुके हैं। यूपी चुनाव के बाद उमर अब्दुल्ला ने साफ कहा था कि विपक्षी एकता के ख्वाब देखने वाले 2019 का सपना देखना छोड़ दें और 2024 की तैयारी करें। इसके बाद उन्होंने सात अगस्त को भी एक ट्वीट किया जिसमें मोदी के विरुद्ध विपक्षी एकता को Myth करार दिया। हालांकि उनकी बात विरोधी दलों को रास नहीं आई थी। लेकिन उमर अब्दुल्ला अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं, सो पीएम मोदी की तारीफ भी उन्होंने खुलकर की।


नीतीश कुमार को भाता है पीएम मोदी का साथ
सितंबर 2013 में बिहार की सियासत ने नई करवट ली थी। ये वही समय था जब बीजेपी ने प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम की घोषणा की थी। इसके बाद नीतीश कुमार ने उनके नाम पर असहमति जताते हुए एनडीए से 17 का अपना नाता ही तोड़ लिया था। लेकिन चार साल बाद नीतीश कुमार की एनडीए में ‘घर वापसी’ हो गई है। इस प्रकरण में सबसे खास यह रहा कि जिन पीएम मोदी के कारण नीतीश कुमार का एनडीए से नाता टूटा था, उन्हीं के कारण फिर से वह नाता वापस स्थापित हो गया है। 31 जुलाई को एक सवाल के जवाब में नीतीश ने खुलकर कहा कि 2019 में भी पीएम मोदी ही प्रधानमंत्री होंगे, उनकी जगह कोई और उस कुर्सी पर काबिज नहीं होगा। नीतीश के अनुसार पीएम मोदी के व्यक्तित्व का कोई मुकाबला करे ऐसी क्षमता आज किसी के पास नहीं है।

पीएम मोदी के दम खम से डरे वामपंथी !
वामपंथियों को बीजेपी और पीएम मोदी का धुर विरोधी माना जाता है। लेकिन बीते 3 अगस्त को वामपंथी नेता प्रकाश करात ने माकपा के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ के संपादकीय में पीएम मोदी की कार्यशैली और नेतृत्व क्षमता की तारीफ की। उन्होंने लिखा, “मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस वर्षों के अपने कुशासन और भ्रष्टाचार की वजह से बदनाम हो चुकी है, इसलिए वामपंथी और लोकतांत्रिक ताकतें देश की सबसे पुरानी पार्टी से गठबंधन करके भाजपा को रोकने की उपलब्धि नहीं हासिल कर सकती है।” उन्होंने कांग्रेस के साथ अन्य क्षेत्रीय दलों को भी कमजोर बताते हुए लिखा है कि अलग-अलग चरित्र वाली धर्मनिरपेक्ष पार्टियां गठबंधन बनाकर भी भाजपा के रथ को नहीं रोक सकती।

पीएम मोदी के ‘पक्ष’ में हैं ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के स्टैंड में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है। नोटबंदी, जीएसटी जैसे मामलों पर पीएम मोदी के खिलाफ सख्त बयानबाजी करने वाली ममता के सुर बदलते दिखाई दे रहे हैं। 19 अगस्त को एक प्राइवेट चैनल के साथ इंटरव्यू में पश्चिम बंगाल की सीएम ने यहां तक कह डाला है कि वह पीएम मोदी के पक्ष में हैं। ममता बनर्जी के स्टैंड में यह शिफ्ट मोदी के व्यक्तित्व व उनकी नीतियों की स्वीकार्यता है, जबकि ममता का यह अंदाज विपक्ष के लिए यह चौंकाऊ है। लेकिन यह जाहिर है कि ममता का यह हृदय परिवर्तन अचानक नहीं बल्कि पीएम मोदी द्वारा राज्य सरकार को किए गए उनके सकारात्मक सहयोग का परिणाम है। 

रामविलास पासवान हैं पीएम मोदी के प्रशंसक
27 फरवरी, 2014 को भी एक ऐसी ही सियासी हलचल हुई थी। रामविलास पासवान ने कांग्रेस और आरजेडी का साथ छोड़ एनडीए में शामिल होने का निर्णय लिया था। रामविलास पासवान एनडीए में आने से पहले नरेंद्र मोदी के विरोध की राजनीति करते रहे थे। लेकिन वर्तमान में पीएम मोदी का अगर सरकार में सबसे बड़े समर्थकों में से नाम चुनने को कहा जाए तो उनमें से रामविलास पासवान भी एक होंगे। दरअसल पीएम मोदी के व्यक्तित्व की विशेषता है कि उनके धुर विरोधियों को भी वे अपना बना लेते हैं।

रामदास अठावले को अच्छे लगते हैं पीएम मोदी
रामदास अठावले की आरपीआई जब 2012 में एनडीए का हिस्सा बनी थी तब प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम की चर्चा तक नहीं थी। लेकिन ऐसा माना जाता था कि रामदास अठावले गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के विरोधी थे। जब नरेंद्र मोदी का नाम पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर आया तो वे उतने उत्साहित भी नहीं थे। लेकिन तीन साल से पीएम मोदी के साथ वे लगातार कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। आज संसद में कोई बहस होती है तो अपने मसखरे अंदाज से पीएम मोदी के समर्थन में सबसे अधिक खड़े रहते हैं। विरोधियों द्वारा पीएम मोदी के हर वार का प्रतिकार करते हैं। साफ है कि पीएम मोदी अपनी सकारात्मक सोच की बदौलत अपने धुर विरोधियों को भी अपना मुरीद बना लेते हैं।

 

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