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मोदी विरोध के नाम पर हिन्दुओं का विरोध, कांग्रेस और पिछलग्गुुओं की कुंठा

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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का विरोध करने के लिए कांग्रेस और बाकी विपक्षी पार्टियां हद से अधिक नीचे गिर चुकी हैं। पीएम मोदी के विरोध में असहिष्णुता की ये स्थिति है कि कांग्रेस और उसकी पिछलग्गू पार्टियां हिंदू विरोध के मौके तलाशती रहती हैं। यहां तक कि अब उन्होंने हिंदुओं का विरोध करने के लिए संविधान और कानून की भी धज्जियां उड़ानी शुरू कर दी हैं। केरल में कांग्रेसी नेता द्वारा सरेआम गोवध करना अचानक उठाया गया कदम नहीं है। इसके लिए पिछले तीन साल से जमीन तैयार की जा रही है। क्योंकि तीन साल में देश की जनता ने देखा और महसूस किया है, कि हिंदुओं के मामले में कांग्रेस, वामपंथी और उनके पालतू बुद्धिजीवियों ने क्या-क्या कांड नहीं किए हैं। ‘SICK’ULAR गैंग की ये प्रवृत्ति बन गई है कि वो हिंदु धर्म, उसकी मान्यताओं, रीति-रिवाजों और परंपराओं पर सोची-समझी रणनीति के तहत हमला करते हैं।

बछड़ा काटने की हिम्मत के पीछे कांग्रेसी सोच ?
सियासत में एक-दूसरे की विचारधारा और सरकारी नीतियों का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करना स्वस्थ लोकतंत्र को मजबूती देता है। लेकिन केरल के कन्नूर में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने विरोध के नाम पर जो सरेआम बछड़ा काटने का घृणित, गैर-कानूनी और देश का माहौल बिगाड़ने वाला काम किया वो मामूली नहीं है। घटना के बाद कांग्रेसी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उस घटना की निंदा करके दाग मिटाने की कोशिश जरूर की है। लेकिन बड़ा सवाल है कि आरोपी कांग्रेस नेता की मानसिकता क्या एक दिन में इतनी खुंखार हो गई ? क्या ये कांग्रेस की नीतियों और उसकी विचारधारा के चलते नहीं हुआ है ? क्या दुनिया के किसी भी देश में कानून और संविधान को ठेंगे पर रखकर बहुसंख्यकों की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ नंगा नाच करने के बारे में कोई सपने भी सोच सकता है ? राहुल गांधी अपना दामन बचाने के लिए उस असामाजिक तत्व को पार्टी से निलंबित करने का ढोल पीट रहे हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि उसने अगर बछड़ा काटने और बीफ फेस्ट मनाने की हिम्मत की है, तो वो आपकी पार्टी की नीतियों और सोच का ही परिणाम है और इसीलिए उसकी गुनहगार भी कांग्रेस है।

कांग्रेस और पिच्छलग्गु करते हैं हिंदुओं का विरोध  
कांग्रेस और उसके पिछलग्गू धर्मनिरपेक्षता का ढोंग सिर्फ हिंदुओं के लिए ही करते रहे हैं। वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे देशभक्त संगठन पर सांप्रदायिकता का लांछन लगाने में नहीं चूकते। लेकिन जाकिर नाइक जैसी खतरनाक सोच वालों पर सवाल उठाने तक की हिम्मत नहीं जुटा पाते। यही वजह है कि जाकिर नाइक जैसा अपराधी राजीव गांधी फाउंडेशन को चंदा देकर आराम से अपने गुनाहों पर पर्दा डाल लेता रहा। इसी तरह जब पीएम मोदी योग को अंतरराष्ट्रीय मंच दिलाने के प्रयासों में जुटे थे, तो उनके सियासी विरोधी उसे हिंदुओं के संस्कार बताकर विरोध के रास्ते तलाशने में जुटे हुए थे। पूर्ववर्ती कांग्रेसी सरकारों की ये कोशिश रहती थी कि राष्ट्रीय संस्थाओं को उन्हीं व्यक्तियों के हवाले करें जो हिंदू परंपरा और धर्म का उपहास उड़ाने में अपना गौरव समझते हों। आरोप तो यहां तक हैं कि ऐसे लोगों को इतिहास लिखने को दिया गया, जिन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के लिए ठेके लिए थे। इसी तरह हिंदू कोड बिल लेकर आने वाली कांग्रेस ने हमेशा कॉमन सिविल कोड का विरोध किया और ट्रिपल तलाक के मसले को साजिश ठहराने की कोशिश की। 2012 में तो तत्कालीन मनमोहन सिंह के चेहरे वाली सोनिया की सरकार ने मुस्लिम आरक्षण विधेयक लाकर अपना असली चेहरा सार्वजनिक कर दिया था। यही नहीं जब पिछले साल मोदी सरकार ने असम में हिंदुओं और गैर-मुसलमानों को नागरिकता देने का फैसला किया, तो कांग्रेस ने उसका विरोध शुरू कर दिया। इतना ही नहीं जबरिया धर्म-परिवर्तन के हर मामले में कांग्रेस और उसके पिछलग्गू गैर-हिंदुओं के साथ खड़े रहे। लेकिन जब कोई हिंदू बना तो इन लोगों ने उसे गलत करार देने में पल भर का भी समय नहीं लिया।

‘SICK’ULAR गैंग मौन क्यों ?
केंद्र सरकार ने पशुओं (गाय, बैल, भैंस, ऊंट) को बाजार में लाकर इनकी हत्या के इरादे से खरीद-ब्रिकी पर रोक लगाई है। लेकिन केरल के कन्नूर में कांग्रेसियों ने इसी कानून का विरोध करने के लिए बीच सड़क पर गोवंश के पशु को काटा और उसके मांस से बीफ फेस्ट मनाया। बड़ा सवाल है कि अवॉर्ड वापसी गैंग कहां गई ? क्या उनकी धर्मनिर्पेक्षता सिर्फ हिंदुओं को गाली देने के लिए है। कानून को हाथ में लेकर हिंदुओं की धार्मिक भावना के साथ खिलवाड़ हो रहा है, तो क्या अवॉर्ड वापसी का दिल नहीं करता, भारत छोड़कर चले जाने का मन नहीं करता ? या फिर वो इसलिए चुप हैं, क्योंकि गोवंश का हत्यारा कांग्रेसी है और केरल की सरकार वामपंथियों की है ? जिनमें से एक से उन्हें वित्त पोषण मिलता है और दूसरे की विचारधारा का रसपान करके अपना उल्लू-सीधा करने के वो आदी बन चुके हैं ?

जल्लीकट्टू पर हंगामा करने वाले चुप क्यों ?
जल्लीकट्टू पर सबसे पहले कांग्रेस ने ही बैन लगाया था। तर्क दिया जाता है कि इस पुरातन पंरपरा के चलते जानवरों के साथ क्रूरता होती है। इस विवाद ने तमिलनाडु के लोगों को सड़कों पर ला दिया था। वो हर हाल में अपनी रीति और परंपरा को जारी रखना चाहते हैं। लेकिन पीपुल फॉर इथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) जैसे संगठन जो पशुप्रेम के नाम पर जल्लीकट्टू पर रोक की मांग करते हैं, कन्नूर की घटना पर मौन क्यों धारण कर लिया है ? सवाल तो उठेंगे ही कि आखिर क्यों हिंदुओं को ही निशाना बनाया जाता है ?

‘शक्तिमान’ कांड पर हो-हल्ला करने वाले चुप क्यों ?
देहरादून में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान एक नेता की हरकत से शक्तिमान नाम के घोड़े को लगी चोट ने कांग्रेस और उसके चाटूकारों को राजनीतिक तौर पर काफी आहत किया था। गहरी चोट के चलते शक्तिमान की कुछ दिन बाद दुखद मौत हो गई थी। लेकिन कुछ दिनों तक इस मामले को कांग्रेस और उसके पिच्छलग्गुओं ने काफी उछालने की कोशिश की थी। उस घोड़े को तो एक दुखद परिस्थिति में चोट लग गई थी, जो कष्ट वो बर्दाश्त न कर सका। लेकिन कन्नूर में तो एक गाय के बछड़े का सिर्फ इसीलिए कत्ल कर दिया गया, क्योंकि एक कानून का विरोध करना था ? सवाल उठता है कि अगर शक्तिमान को लगी चोट ने उन्हें इतना आहत कर दिया था, तो बछड़े के वध के बाद भी वो खामोश क्यों हैं ?

दरअसल कांग्रेस और उसके पिछलग्गुओं की सोच है कि हिंदुओं को जितना गाली देंगे, भला-बुरा कहेंगे, उनका मुस्लिम वोट बैंक उतना बढ़ेगा ? इस रणनीति को अपनाकर कांग्रेस ने करीब 6 दशकों से ज्यादा समय तक देश की जनता को गुमराह करके रखा। लेकिन अब जनता जाग चुकी है और उनकी हिंदु विरोधी यही मानसिकता उनकी विचारधारा के विनाश का कारण बनने लगी है।

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