देश के जाने-माने फिल्मकार मधुर भंडारकर के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं, मारने की धमकी दी जा रही है और उनकी प्रेस कांफ्रेंस रद्द करवा दिया जा रहा है। ये सब कर रहे हैं देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के कार्यकर्ता। इंदु सरकार का सच सामने नहीं आए इसके लिए कांग्रेस कार्यकर्ता गुंडागर्दी पर उतर आए हैं। पुणे के बाद नागपुर प्रेस कांफ्रेंस को रद्द करवाकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने साफ संदेश दे दिया है कि वो फिल्म को रिलीज नहीं होने देंगे। लेकिन यहीं से सवाल भी उठते हैं, क्या कांग्रेस पार्टी अभिव्यक्ति की आजादी में विश्वास नहीं रखती? क्या कांग्रेस पार्टी अपने गुंडों को इस विरोध प्रदर्शन से नहीं रोक सकती? दरअसल ये सवाल फिल्मकार मधुर भंडारकर ने कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी से पूछे हैं जो बीते तीन साल से अभिव्यक्ति की आजादी और असहिष्णुता का मुद्दा उठाते रहे हैं।
Dear @OfficeOfRG after Pune I have 2 cancel today's PressCon at Nagpur.Do you approve this hooliganism? Can I have my Freedom of Expression? pic.twitter.com/y44DXiOOgp
— Madhur Bhandarkar (@imbhandarkar) July 16, 2017
मधुर भंडारकर ने इसलिए पूछे सवाल
मधुर ने राहुल से ये सवाल इसलिए पूछे हैं कि वे एक रचनाशील व्यक्ति हैं और उन्होंने अपनी सारी पूंजी इस फिल्म में लगा दी है। वे आहत हैं कि उन्हें उनके ‘फ्रीडम ऑफ स्पीच’ के अधिकार से वंचित क्यों किया जा रहा है? ये सवाल इसलिए भी मौजू हैं कि यही राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर यह आरोप लगाते रहे हैं कि वह अभिव्यक्ति की आजादी में विश्वास नहीं रखते। लेकिन आज राहुल गांधी क्यों चुप हैं? वे फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेसन के फेवर में क्यों नहीं बोल रहे?
अभिव्यक्ति पर कांग्रेस का आपातकाल क्यों?
1975 की 25 जून की रात को देश में लगे आपातकाल में संचार माध्यमों पर सेंसरशिप लगा दी गई थी। अभिव्यक्ति पर ग्रहण छा गया था, जनता की आवाज उठाने वाले साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी, राजनेता, समाजसेवियों को जेल में डाल दिया गया था। आज देश में आपातकाल तो नहीं है, लेकिन कांग्रेस के गुंडों ने क्या एक फिल्मकार पर आपातकाल नहीं लगा दिया है? आखिर मधुर भंडारकर को अपनी बात तक कहने से क्यों रोका जा रहा है? क्या कांग्रेस ने अब तक इतिहास से सबक नहीं लिया है?
फ्रीस्पीच गैंग की क्यों हो गई बोलती बंद ?
मधुर भंडारकर ने हमेशा सामाजिक मूल्यों को झकझोरने वाली फिल्में बनाई हैं। वे देश के एक जिम्मेदार नागरिक हैं और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त भी हैं। मधुर भंडारकर पद्मश्री भी हैं, लेकिन इन सबके होने का मतलब क्या है? उनकी अभिव्यक्ति की आजादी छीन ली गई है, लेकिन तथाकथित फ्री स्पीच गैंग की बोलती बंद हो गई है! जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने वाले उमर खालिद और कन्हैया कुमार की पैरोकारी में आवाज उठाने वाले आज कहां हैं? पुण्य प्रसून वाजपेयी, बरखा दत्त, रवीश कुमार, राहुल कंवल और राजदीप सरदेसाई कहां हैं? फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेसन के नाम पर पुरस्कार लौटाने वाले लेखक, साहित्यकार, कवि और संस्कृतिकर्मी सच से मुंह क्यों चुरा रहे हैं ? आज कांग्रेस की गुंडागर्दी पर जुबान पर ताला क्यों है?
मधुर के मौलिक अधिकार पर क्यों चुप हैं वामपंथी?
अभिव्यक्ति की आजादी संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत मौलिक अधिकार में आता है। लेकिन राजनीतिक-सामाजिक पक्ष अपने हिसाब से इसका इस्तेमाल करता है। मधुर भंडारकर पर कांग्रेसी गुंडों की ज्यादती उन वामपंथियों और उदारवादियों को क्यों नहीं दिख रहा है? आज प्रकाश करात, वृंदा करात, सीताराम येचुरी कहां हैं? क्या कांग्रेस की गुंडागर्दी का विरोध न कर वे उनका मौन समर्थन नहीं कर रहे हैं? जिस आपातकाल के खिलाफ देश की जनता ने संघर्ष किया और इंदिरा सरकार को चुनावों में हराया, क्या उसपर बनी फिल्म को ये वामपंथी भी रोकना चाहते हैं?
आपातकाल का काला सच जानने से क्यों रोक रहे कांग्रेसी?
मधुर भंडारकर की फिल्म ‘इंदु सरकार’ इमरजेंसी पर आधारित है। ये भी सच है कि 1975 में इंदिरा गांधी की सरकार ने आपातकाल लगाई थी। ये भी सच है कि कांग्रेस पार्टी ही इसके लिए जिम्मेदार है। यह सबकुछ इतिहास का हिस्सा है। उस दौरान कैसे लोगों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए। कैसे आवाज उठाने वालों पर जुल्म किए गए। कितने ही निर्दोष लोगों को जेल में ठूंस दिया गया था, क्या ये जानने का हक लोगों को नहीं है? आखिर उस दौर की काली सच्चाई को सामने लाने से कांग्रेसी क्यों रोक रहे हैं?
क्या हुआ था आपातकाल में ? सच जानने का सबको हक
25-26 जून 1975 की दरम्यानी रात को भारत में आपातकाल घोषित किया गया था। आज की पीढ़ी आपातकाल के बारे में सुनती जरूर है, लेकिन उस दौर में क्या-क्या हुआ, इसका देश और तब की राजनीति पर क्या असर हुआ, इसके बारे में बहुत कम ही पता है। यही कुछ बताने का प्रयास है फिल्म इंदु सरकार में। नई पीढ़ी को अपना ज्ञानवर्द्धन करने का हक है या नहीं? आखिर कांग्रेस के गुंडे इस फिल्म को क्यों रोकना चाहते हैं? स्वतंत्रता पर लेक्चर देने वाले कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह, कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद को यह बताना चाहिए कि फिल्म रिलीज होनी चाहिए या नहीं? आज ये सारे के सारे अभिव्यक्ति की आजादी के पैरोकार चुप क्यों हैं? आखिर क्या वजह है जो राहुल गांधी मधुर भंडारकर के सवालों का जवाब नहीं दे पा रहे हैं?