आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल झूठ पर झूठ बोलकर आम आदमी को मूर्ख बनाने के मामले में पीएचडी कर रहे लगते हैं। केजरीवाल एक के बाद एक झूठ इतनी बेशर्मी और निर्लज्जता से बोलते हैं कि साफ हो जाता है कि उनकी राजनीति झूठ, फरेब, नौटंकी और मुफ्तगिरी पर टिकी हुई है। एक बार फिर केजरीवाल ने कश्मीरी पंडितों के बारे में साफ झूठ बोलकर शेखचिल्ली की तरह अपनी शेखी बखारी, लेकिन अपने ही झूठ के जाल में फंस गए। द कश्मीर फाइल्स को यू ट्यूब पर डालने का बेतुका और बेहूदा सुझाव देने वाले केजरीवाल ने झूठा दावा किया कि उनकी सरकार ने ही कश्मीर से विस्थापित होकर आए कश्मीरी शिक्षकों की नौकरी पक्की की थी। हकीकत में उनकी सरकार ने तो इसमें अड़ंगे लगाए थे और हाई कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार को उन्हें नियमित करना पड़ा था।
झूठ पर झूठ की राजनीति करना सीएम केजरीवाल की पुरानी आदत
दरअसल, झूठ बोलना केजरीवाल का आदतन कमजोरी नहीं, बल्कि राजनीतिक मुद्दों को भटकाने के लिए, मुद्दों को अपने हित में मोड़ने के लिए वो जानबूझकर झूठ बोलते हैं। केजरीवाल के झूठ का पर्दाफाश एक नहीं कई बार हो चुका है। ताजा झूठ कश्मीर से विस्थापित होकर आए शिक्षकों के बारे में बोला है। इससे पहले भी उन्होंने दिल्ली की तरह पंजाब में भी ऑटो पॉलिटिक्स कर लोगों को झांसा देने की कोशिश की। लेकिन लुधियाना में उनकी ऑटो पॉलिटिक्स की सच्चाई सामने आ गई। दरअसल, जिस ऑटो चालक ने केजरीवाल को डिनर के लिए बुलाया था, वो आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता निकला। इसी तरह केजरीवाल ने पुलिस वालों को एक-एक करोड़ की सहायता राशि देने का ट्वीट किया। इस दौरान क्रेडिट लेने के लिए शहीदों को सम्मान राशि देने का करोड़ों रुपये का विज्ञापन छपवा दिया गया, लेकिन आरटीआई में खुलासा हुआ कि 2015, 2018 और 2019 में शहीद होने के बाद भी आजतक किसी को कोई सम्मान राशि नहीं दी गई।
In truth, @ArvindKejriwal govt refused to grant Kashmiri Pandits the benefit of regularisation and called the Impugned regularisation decision ERRONEOUS
No other CM of India has ever lied to such extent or so shamelessly like #ArvindKejriwal @BJP4India @BJP4Delhi https://t.co/o6CTsCWAEo pic.twitter.com/zEUoKA3H6F
— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) March 28, 2022
केजरीवाल सरकार ने कोर्ट में कहा था, शिक्षकों को नियमित नहीं किया जा सकता
केजरीवाल ने अब नया झूठ कश्मीर से विस्थापित होकर आए शिक्षकों के लिए बोला है। केजरीवाल ने निराधार आरोप लगाया है कि कांग्रेस और बीजेपी ने कश्मीरी शिक्षकों को नियमित नहीं किया, जब उनकी सरकार आई तो कश्मीरी शिक्षकों को नियमित किया गया। हकीकत इसके ठीक उलट है। शिक्षकों की नियमितीकरण का यह मामला कोर्ट में विचाराधीन था। केजरीवाल की सरकार ने तो शिक्षकों को नियमित करने के लिए ही मना कर दिया था। सरकार ने दलील दी थी कि शिक्षकों को शुरू से ही कांटेक्चुल आधार पर रखा गया है, इसलिए नियमित नहीं किया जा सकता।
केजरीवाल के समय आया टीचर्स के पक्ष में फैसला, पर सरकार ने नियमित नहीं किया
कश्मीरी शिक्षकों के नियमितीकरण की टाइम लाइन की बात करें तो इन शिक्षकों ने जून 2010 में दिल्ली हाई कोर्ट को अप्रोच किया था। मई-2015 में कोर्ट की सिंगल बेंच ने कश्मीरी माइग्रेंट टीचर्स (केएमटी) के पक्ष मे फैसला दिया और शिक्षकों को नियमित करने के लिए कहा। तत्कालीन केजरीवाल सरकार ने शिक्षकों को नियमित करने के बजाए इसे कोर्ट की डबल बेंच में चुनौती दे दी। कोर्ट की डबल बेंच ने भी मई 2018 में अपने फैसले में शिक्षकों को नियमित करने के लिए सरकार को आदेश दिए। केएमटी शिक्षकों के खिलाफ दीवार बनकर खड़ी केजरीवाल सरकार ने फिर शिक्षकों को नियमित करने के बजाए हाई कोर्ट के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।
High Court ordered Delhi Govt to regularise Kashmiri Migrant Teachers.
Check how Kejriwal is shamelessly taking credit, calling it work of his Govt. pic.twitter.com/1u0EA2plHB
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) March 28, 2022
शीर्ष कोर्ट ने शिक्षकों को नियमित किया, अब केजरीवाल मुफ्त में लेने लगे क्रेडिट
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की याचिका खारिज कर दी। साथ ही शीर्ष न्यायालय ने आदेश दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के अनुरूप शिक्षकों को तत्काल नियमित किया जाए। इसके बाद जनवरी-19 में मजबूरन केजरीवाल सरकार को शिक्षकों को नियमित करना पड़ा। इतनी सारी रोक लगाने के बावजूद अब केजरीवाल निर्लज्जता से कहते हैं कि औरों के लिए कश्मीर फाइल्स महत्वपूर्ण है। मेरे लिए कश्मीरी पंडित ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। जब पंडितों का कश्मीर से पलायन हुआ तो दिल्ली में 233 ने दिल्ली सरकार में कॉन्ट्रैक्ट टीचर के रूप में 1993 में जॉइन किया था। जब हमारी सरकार आई तो हमने 233 को स्थायी किया। हमने उन पर फिल्म नहीं बनाई। गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन (माइग्रेंट) के को-आर्डिनेटर दिलीप भान ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस बयान की घोर आलोचना की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि दिल्ली सरकार ने कश्मीरी शिक्षकों को नियमित किया।
In fact, the government went and file LPA so that they don’t have to make them permanent but hon high court rejected it and hence Delhi govt had to regularise them https://t.co/MS4a9AsGS5
— An Indian (@TrueIndian543) March 28, 2022