प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना के शुरुआती दौर में अमेरिका की हर संभव सहायता की थी। चाहे कोरोना से लड़ने के लिए दवा की आपूर्ति हो, या फिर चिकित्सा उपकरण, पीपीई किट जैसी जरूरी चीजों की सप्लाई, भारत ने दिल खोलकर अमेरिका की मदद की थी। कहा जाता है कि निस्वार्थ भाव से की गई मदद से बड़ी कोई चीज नहीं होती है। पीएम मोदी के इस सहायता के भाव का ही नतीजा है कि आज अमेरिका जैसा देश मुश्किल समय में भारत की हर तरह से मदद करने को तत्पर है।
कोरोना के समय में भारत से मिली मदद के लिए अमेरिका ने आभार जताया है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 के शुरुआती दौर में भारत ने जिस तरह से अमेरिका का साथ दिया उसे हम कभी भूल नहीं सकते। हम चाहते हैं कि इसी तरह हम भी अब भारत की मदद करें। अमेरिकी विदेश मंत्री ने यह बात अमेरिका दौरे पर गए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात के दौरान कही। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय की कई अहम चुनौतियों से निपटने के लिए अमेरिका और भारत मिलकर काम कर रहे हैं। कोविड-19 का सामना करने के लिए भी हम एकजुट हैं। साथ ही कहा कि दोनों देशों की पार्टनरशिप मजबूत है और हमें लगता है कि इसके अच्छे नतीजे मिल रहे हैं।
Pleasure to meet @SecBlinken. A productive discussion on various aspects of our bilateral cooperation as well as regional and global issues.
Covered Indo Pacific and the Quad, Afghanistan, Myanmar, UNSC matters and other international organizations. pic.twitter.com/7UDkXsyJdC
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) May 28, 2021
अमेरिकी दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कोरोना से लड़ाई के मुश्किल वक्त में अमेरिका से मिली मदद और एकजुटता के लिए जो बाइडेन प्रशासन का आभार जताया है। श्री जयशंकर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि दोनों देशों के बीच बातचीत के कई मुद्दे हैं। पिछले सालों में हमारे रिश्ते मजबूत हुए हैं और यह सिलसिला आगे भी जारी रहने का भरोसा है।
Also focused on Indo-US vaccine partnership aimed at expanding access and ensuring supply.
Appreciated strong solidarity expressed by US at this time.
Today’s talks have further solidified our strategic partnership and enlarged our agenda of cooperation.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) May 28, 2021
श्री जयशंकर ने कहा है कि अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकेन से मुलाकात में कोरोना वैक्सीन पर चर्चा सबसे अहम रही। अमेरिका की मदद से भारत में वैक्सीन प्रोडक्शन बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा है कि इस मीटिंग में इंडो पैसिफिक, क्वाड, अफगानिस्तान, म्यांमार, UNSC से जुड़े मामलों और दूसरे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को लेकर चर्चा हुई। साथ ही भारत-अमेरिका की वैक्सीन पार्टरनरशिप पर भी फोकस रहा, ताकि वैक्सीन सप्लाई सुनिश्चित हो सके।
आपको बता दें कि कोरोना की पहली लहर में प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के 150 से अधिक देशों की मदद की थी। पीएम मोदी की इसी मदद की वजह से पिछले दिनों तमाम देश भारत की मदद के लिए आगे आए थे। डालते हैं एक नजर-
दुनिया के कई देशों ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत के लिए बढ़ाया मदद का हाथ
नेकी का फल कभी बुरा नहीं होता उसका परिणाम हमेशा अच्छा ही होता है। कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दुनिया के अधिकांश देशों की बगैर कोई भेदभाव मदद और सहयोग करने का ही परिणाम है कि आज जब भारत कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है तो उसकी मदद करने दुनिया के अधिकांश शक्तिशाली देश आगे आया है। रूस से लेकर अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, यूरोपियन यूनियन, ऑस्ट्रेलिया तक शामिल है। भारत अभी दूसरी लहर से पार भी नहीं पाया है कि देश के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के.विजय राघवन ने कोरोना की तीसरी लहर के लिए तैयार रहने को कह दिया है। ऐसे में दुनिया के शक्तिशाली देशों के साथ कई अन्य देशों ने भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए भारत के सामने मदद का हाथ बढ़ाया है।
डेढ़ लाख स्पुतनिक-वी डोज के साथ आगे आया रूस
संकट की इस घड़ी से उबरने के लिए रूस ने स्पुतनिक-वी टीकों की 1,50,000 खुराकों की दूसरी खेप भारत भेजने का फैसला किया है। भारत और रूस के बीज हुई बातचीत के मुताबिक जून तक रूस 50 लाख और जुलाई में एक करोड़ से अधिक स्पुतनिक-वी के टीकों की खुराक भारत भेज रहा है। मालूम हो कि भारत ने रूस की वैक्सीन स्पुतनिक-वी के इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के बाद टीकों की खुराकों की पहली खेप 1 मई को भारत भेजी गई थी। कोरोना वायरस के खिलाफ इस टीके की 90 फीसदी से अधिक प्रभावकारिता है। इसी दिन देश में 18 से 44 वर्ष की आयु वाले लोगों को टीका लगना शुरू हुआ था।
50 हजार लीटर ऑक्सीजन उत्पादन वाला ट्रक भी भेजेगा
इस समय भारत में सबसे अधिक किल्लत ऑक्सीजन की है। ऑक्सीजन की कमी की वजह से देश में हाहाकार मचा हुआ है। रूस ने इसी की भरपाई करने के लिए प्रति घंटे 70 किलोग्राम और प्रतिदिन 50 हजार लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाला चार ट्रक भी भेजेगा। इसकी आपूर्ति इसी सप्ताह के अंत तक हो जाएगी। इस सप्ताह के अंत तक रूस अपने आईएल-76 विमान से ऐसे 4 ऑक्सीजन ट्रक भारत भेजेगा। इससे पहले भारत की मदद करने के लिए रूस ने इससे पहले दिल्ली के एक अस्पताल में 150 बेड के मॉनिटर और कलावती अस्पताल में 75 वेंटिलेटर व 20 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भेज चुका है। वहीं उत्तर भारत के सभी केंद्रीय एम्स में कोरोना के इलाज में इस्तेमाल आने वाली दवाई की 200,000 गोलियों की भी सहायता की है। वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर से लड़ने के लिए रूस के अलावा दुनिया के अन्य कई ताकतवर देशों ने भारत के समर्थन करने के लिए आगे आए। आइए जानते हैं कहां से क्या मदद मिल रही है।
अमेरिका ने ऑक्सीजन सिलिंडरों से की मदद
अमेरिका ने भारत को कोरोना की दूसरी लहर से बचने के लिए ऑक्सीनज गैस की मदद की है। अमेरिका ने 1100 ऑक्सीजन सिलेंडरों की शुरुआती डिलीवरी की है जिसे स्थानीय सप्लाई केंद्रों पर बार-बार रिफिल किया जा सकता है। अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों ने भी ऑक्सीजन सिलेंडर ख़रीद कर मदद के रूप में भारत को भेजा है। इसके अलावा 1700 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स मुहैया कराया है। डेढ़ करोड़ एन-95 मास्क और एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन बनाने के लिए कच्चा माल भारत को भेजने का निर्णय लिया है.
495 ऑक्सीजन कॉन्सेंटेटर्स के साथ आगे आया ब्रिटेन
ब्रिटेन 120 नॉन-इनवेसिव वेंटिलेटर और 20 मैनुअल वेंटिलेटर सहित आपूर्ति के नौ एयरलाइन कंटेनर भेजने जा रहा है। आने वाले दिनों में ऑक्सीजन बनाने की तीन इकाइयां उत्तरी आयरलैंड से भारत भेजी जाएँगी. ये ऑक्सीजन इकाइयाँ प्रति मिनट 500 लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन करने में सक्षम हैं, जो एक समय पर 50 लोगों के उपयोग के लिए पर्याप्त हैं। ब्रितानी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि, “हम एक मित्र और भागीदार के रूप में भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं. सैकड़ों ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स और वेंटिलेटर सहित महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरण अब ब्रिटेन से भारत भेजा जा रहा है जिससे इस भयानक वायरस से लोगों का जीवन बचाया जा सके।
ऑक्सीजन जेनरेटर के साथ फ्रांस ने बढ़ाया मदद का हाथ
फ्रांस ने भारत की मदद के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है। एक फेसबुक पोस्ट में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि फ्रांस भारत को मेडिकल उपकरण, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन और आठ ऑक्सीजन जेनरेटर भेज रहा है। उनका कहना है कि हर जेनरेटर वातावरण में व्याप्त हवा से ऑक्सीजन का उत्पादन कर एक अस्पताल को 10 साल तक के लिए आत्मनिर्भर बना सकता है। मैक्रों ने कहा कि हम जिस महामारी से गुज़र रहे हैं, कोई इससे अछूता नहीं है। हम जानते हैं कि भारत एक मुश्किल दौर से गुज़र रहा है। फ्रांस और भारत हमेशा एकजुट रहे हैं।”
सर्जिकल मास्क से भारत की मदद में जुटा ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया 509 वेंटिलेटर, दस लाख सर्जिकल मास्क, पाँच लाख पी-2 और एन-95 मास्क, एक लाख सर्जिकल गाउन, एक लाख गॉगल्स, एक लाख जोड़े दस्ताने और 20 हज़ार फेस शील्ड देकर भारत की मदद कर रहा है। इतना ही नहीं भारत की मदद करने के लिए ऑस्ट्रेलिया 100 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स भी भेजने में जुटा है।
नीदरलैंड ने दी 449 वेंटिलेटर्स की मदद
नीदरलैंड से 449 वेंटिलेटर्स, 100 कंसन्ट्रेटर्स और अन्य मेडिकल सप्लाई लाने वाली एक फ्लाइट भेजी. विदेश मंत्रालय ने कहा कि आने वाले कुछ दिनों में बाकी मेडिकल उपकरण जहाज से भी भेजे जाएंगे.
स्विटजरलैंड ने भारत को दिया 600 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स
स्विट्जरलैंड से 600 ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर्स, 50 वेंटिलेटर्स और अन्य मेडिकल सप्लाइ लेकर एक फ्लाइट आज सुबह भारत पहुंची है।
पोलेंड ने भेजी 100 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स की खेप
इसके अलावा पोलेंड भी भारत की मदद के लिए सामने आया है। इस देश से महामारी से लड़ने के लिए लगभग 100 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स की खेप भेजी गई है। विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता, अरिंदम बागची ने इस समर्थन के लिए यूरोपीय देश को धन्यवाद कहा है।
बैंकाक से 4 क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनरों की मदद
इन देशों के अलावा बैंकाक से भी भारत को मेडिकल उपकरण भेज गए हैं। भारतीय वायु सेना के सी -17 विमान ने बैंकाक से पनागर एयर बेस (पश्चिम बंगाल) तक 4 क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनरों को एयरलिफ्ट किया है।
भारत की मदद करने को आगे आए दुनिया के शक्तिशाली देशों में शामिल कई देश अपनी क्षमता की बदौलत सहयोग की पेशकश की है। वहीं कई ऐसे देश हैं जिन्होंने पिछले साल मिली सहायता या मदद के ऐवज में मदद की पेशकश की है। विदेश सचिव श्रृंगला का कहना है यदि आज कई देश हमारी मदद करने के प्रयास में जुटा है तो वह हमारी अपनी अंतरराष्ट्रीय सहयोग और वैश्विक सद्भावना की भावना है। जिसकी वजह से आज विश्व के शक्तिशाली देश हमारी मदद को आगे आ रहे हैं।