असम में कांग्रेस पार्टी को बहुत बड़ा झटका लगा है। अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष और सिलचर से पूर्व सांसद सुष्मिता देव ने पार्टी छोड़ दिया है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की करीबी सुष्मिता देव ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस्तीफा देकर ट्विटर पर कांग्रेस की ‘पूर्व सदस्य’ लिख दिया है। कांग्रेसी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके संतोष मोहन देव की बेटी सुष्मिता असम चुनाव के समय से ही कांग्रेस नेतृत्व से नाराज चल रही थी।
Congress leader from Assam Sushmita Dev identifies herself as “Former Member, Indian National Congress” in her Twitter bio. pic.twitter.com/oQ0GHak2Qx
— ANI (@ANI) August 16, 2021
सुष्मिता देव के पार्टी छोड़ने पर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि युवा नेता कांग्रेस छोड़ते जा रहे हैं और हम बूढ़े नेताओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। कांग्रेस पार्टी आंखें बंद कर आगे बढ़ रही है।
Sushmita Dev
Resigns from primary membership of our Party
While young leaders leave we ‘oldies’ are blamed for our efforts to strengthen it
The Party moves on with :
Eyes Wide Shut
— Kapil Sibal (@KapilSibal) August 16, 2021
देखिए कांग्रेस में उपेक्षा से युवा नेताओं में किस तरह छाई है बेचैनीकांग्रेस में सियासी घमासान मचा हुआ है। पार्टी के अंदर युवा नेता घुटन और उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि पार्टी उनकी योग्यता और क्षमता के मुताबिक भूमिका नहीं दे रही है। इसलिए अब अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि हिमंता बिस्वा शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद जितिन प्रसाद ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया। राहुल गांधी के बेहद करीबियों में शुमार किए जाने वाले चार युवा नेताओं में से दो अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।
जब राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे तब चार नेताओं का अक्सर जिक्र होता था। ये चार नेता हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा। हालांकि भले ही सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा अभी कांग्रेस के साथ दिख रहे हैं, लेकिन कुछ चीजें बड़े घटनाक्रम की तरफ भी इशारा करती हैं। सचिन पायलट राजस्थान विवाद के बाद भले ही शांत हो गए हों लेकिन राज्य लीडरशिप को लेकर उनकी नाराजगी जगजाहिर है। वहीं मिलिंद देवड़ा ने भी कुछ ऐसे बयान दिए जिससे उनकी नाराजगी दिखाई देती है।
सचिन पायलट की नाराजगी दूर करने के लिए एक साल पहले किए गए वादे पर अभी तक अमल नहीं हुआ है। राजस्थान में एक बार फिर वे अपने असंतोष को छिपा नहीं रहे हैं।
महाराष्ट्र में मिलिंद देवड़ा बीते कुछ साल से लगातार कांग्रेस की मौजूदा स्थिति पर सवाल उठाते हुए चिंता जाहिर करते रहे हैं और कुछ मौकों पर तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ भी कर चुके हैं। ऐसे में देवड़ा कब तक कांग्रेस को अपना सियासी घर बनाए रखते हैं इसको लेकर अटकलें तो लगाई ही जा रही हैं। इसी तरह हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाईकमान के साथ समीकरण दुरुस्त नहीं होने के कारण युवा दीपेंद्र हुड्डा भी सियासी बाउंड्री लाइन पर ही खड़े माने जा रहे हैं।
राजस्थान में विद्रोह के मुहाने से लौटे सचिन पायलट, महाराष्ट्र में मिलिंद देवड़ा से लेकर हरियाणा में दीपेंद्र हुड्डा जैसे कांग्रेस के युवा चेहरे पार्टी की मौजूदा दशा-दिशा से परेशान होकर अपने राजनीतिक भविष्य की वैकल्पिक संभावनाओं पर गौर कर रहे हैं। इन नेताओं को कांग्रेस में अपना राजनीतिक भविष्य नहीं दिखाई दे रहा। इस कारण वे बीजेपी को अपना अगला पड़ाव बनाने में कोई संकोच नहीं कर रहे।
पार्टी नेतृत्व के लिए यह बात चिंतनीय है कि जिन युवा चेहरों को कांग्रेस के भविष्य की सियासत के लिए उसने तैयार किया उनका ही आज संगठन व लीडरशिप दोनों में भरोसा दिखाई नहीं दे रहा। वे बीजेपी में अपना राजनीतिक भविष्य देख रहे हैं जबकि 2004 में संप्रग के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने इन सभी युवा चेहरों को न केवल आगे बढ़ाया बल्कि केंद्रीय मंत्रिमंडल से लेकर पार्टी के शीर्ष संगठन में एक दशक तक अहम जिम्मेदारियां दीं।
इस समय राहुल गांधी के सामने ये बड़ी चुनौती बनी हुई है कि कैसे वो अपने पुराने दोस्तों को साथ बनाए रखें।