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सोनिया गांधी के करीबी होने के कारण देश की सुरक्षा में सेंध लगा गए अहमद पटेल !

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…तो क्या अहमद पटेल ने देश की गोपनीय जानकारियां लीक की? ये सवाल इसलिए कि चार दिन पहले ही गुजरात भरूच में कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद अहमद पटेल के ISIS के आतंकियों से संबंध होने का खुलासा हुआ है। साथ ही भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनलिसिस विंग के एक पूर्व अधिकारी ने उनपर कई सारे आरोप लगाए हैं। दरअसल देश की सर्वोच्च खुफिया संस्था में बिना किसी हैसियत के वे निर्णायक मामलों में भी किस तरह दखल दे रहे थे, यह किसी को मालूम नहीं। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या सोनिया गांधी के करीबी होने के कारण ही वे RAW के कार्यों में दखल देने के अधिकारी हो गए थे? सवाल यह कि ISIS आतंकियों से संबंध होने के खुलासे के बाद ये सवाल गंभीर नहीं है कि- क्या अहमद पटेल ने देश की सुरक्षा में सेंध लगाई?

अहमद पटेल की अपनी दुकान थी रॉ-पूर्व रॉ अधिकारी
रॉ के पूर्व अधिकारी आरके यादव ने अपनी पुस्तक Mission R&AW में कई हैरतअंगेज खुलासे किये थे जो देश की सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न खड़े करते हैं। पुस्तक में कई ऐसे मामले उजागर किये गये हैं, जो न सिर्फ चौंकाने वाले हैं बल्कि कई सवाल भी खड़े कर रहे हैं। आरके यादव द्वारा लिखित और वर्ष 2014 में प्रकाशित Mission R&AW पुस्तक भी सुर्खियों में है। आरके यादव ने ट्वीट कर कांग्रेस के प्रमुख नेता अहमद पटेल द्वारा RAW को अपनी निजी जागीर बना लेने का खुलासा किया था। अहमद पटेल के ISIS के आतंकियों के कनेक्शन सामने आने के बाद तो यह मामला और भी गंभीर हो जाता है।

रॉ में अधिकारियों की नियुक्ति में पैसे लेने के आरोप
आरके यादव ने यह भी खुलासा किया है कि अहमद पटेल ने किस तरह रॉ को रिश्तेदारों एवं परिचितों का विंग बना दिया था। देश की इस सर्वोच्च संस्था में भाई-भतीजावाद का बोलबाला हो गया था। आरके यादव के अनुसार यूपीए सरकार के दौरान अहमद पटेल ने रॉ को अपनी निजी कंपनी की तरह चलाया। उन्होंने अपनी किताब में वहां चल रही गड़बड़ियों के बारे में भी बताया है। उनके मुताबिक “यूपीए के समय में राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रख दिया गया और अयोग्य किस्म के लोगों को इसका चीफ बनाया गया।” आरके यादव ने अगस्त में गुजरात में राज्यसभा सीट के लिए हुए चुनाव के वक्त ट्विटर पर लिखा था कि “मुझे इससे मतलब नहीं कि गुजरात में राज्यसभा चुनाव में कौन सी पार्टी जीतती है, लेकिन अहमद पटेल का हारना जरूरी है। उन्होंने यूपीए सरकार के 10 सालों में रॉ को कलंकित कर दिया। 3 रॉ चीफ के लिए पैसे लेकर नियुक्तियां कीं।”

बिना पावर के भी सबसे अधिक पावरफुल थे अहमद पटेल
कहने को तो अहमद पटेल की हैसियत सिर्फ सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव की रही है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में हर कोई जानता है कि 2004 से 2014 तक अहमद पटेल की मर्जी के बिना सरकार में एक पत्ता तक नहीं हिलता था। कहा तो यहां तक जाता है कि वो उस वक्त के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी ज्यादा ताकतवर थे। सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव के तौर पर अहमद पटेल तमाम सरकारी कामों में दखलंदाजी देते रहते थे, लेकिन सबसे खास थी उनकी देश की सबसे जिम्मेदार और महत्वपूर्ण खुफिया एजेंसी रॉ के कामकाज में दिलचस्पी। दरअसल रॉ वो एजेंसी है जो दूसरे देशों में अपने ऑपरेशन चलाती है और उसके अधिकारियों के कामकाज को टॉप सीक्रेट रखा जाता है। जाहिर है ऐसी एजेंसी में बिना किसी सरकारी हैसियत वाले व्यक्ति की दखल किस आधार पर थी? क्या इस बात का खुलासा कांग्रेस को नहीं करना चाहिए?

rahul gandhi- ahmed patel

अहमद पटेल को रॉ से इतना ‘लगाव’ क्यों था ?
अहमद पटेल की दखलअंदाजी सरकार में इस स्तर तक थी कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी उनके सामने नतमस्तक थे। दरअसल सोनिया गांधी को राजनीति में अपने हिसाब से सेट करके रखने वाले अहमद पटेल ने सत्ता की कुंजी भी अपने ही हाथ में रखी थी। सोनिया गांधी पर उनका इतना प्रभाव था कि वे जो कहते वही होता था। कांग्रेस की पहली पंक्ति के नेताओं की लाइन अहमद पटेल के नाम से शुरू होती थी। हालांकि आरके यादव ने पहले भी कई खुलासे किए हैं, लेकिन मेन स्ट्रीम मीडिया इसे दिखाता नहीं है। दरअसल कांग्रेस की सरकार के दौरान बड़े चैनलों और अखबारों में सीधे अहमद पटेल की सिफारिश पर रखे गए संपादक और रिपोर्टर अब भी मौजूद हैं। इसलिए शायद इतने गंभीर मुद्दे से भी मीडिया ने मुंह मोड़ लिया है, लेकिन अहमद पटेल के अस्पताल में आतंकवादी पकड़े जाने के के बाद एक बार फिर यह मामला उछला है। 

ISI से अहमद पटेल के लिंक को लेकर संदेह
अब सवाल उठ रहे हैं कि अहमद पटेल आखिर रॉ में अधिक इंट्रेस्ट क्यों रखते थे? ये सवाल तब और महत्वपूर्ण हो जाता है जब अहमद पटेल के अस्पताल से ISIS के आतंकी पकड़े गए हों। हालांकि इन आतंकियों से अभी कई खुलासे होने बाकी हैं और कांग्रेसी नेताओं के दोहरे चरित्र को जनता के सामने लाया जाना अभी बाकी है। बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सही नहीं है कि पाक एजेंसी ISI अपने यहां रॉ के तंत्र को तोड़ने के लिए काफी कोशिश करती रही है? आरके यादव ने अहमद पटेल पर रॉ को ‘कलंकित’ करने का जो आरोप लगाया है उसका कितना नुकसान हुआ? क्या आरके यादव के आरोपों की जांच नहीं होनी चाहिए, ताकि पता चल सके कि ये दावे क्या वाकई सच हैं?

ISIS आतंकियों से क्या था अहमद पटेल का कनेक्शन?
अहमद पटेल से जुड़े अस्पताल में आतंकवादियों को पनाह दिए जाने को लेकर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। जिस तरह से यह मामला सामने आया है उससे सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। पिछले दिनों सूरत में अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी गिरोह आईएसआईएस का एक आतंकवादी मोहम्मद कासिम पकड़ा गया था। कासिम गुजरात के अंकलेश्वर में चल रहे अहमद पटेल से जुड़े अस्पताल में नौकरी करता था। फिलहाल सुरक्षा एजेंसियां कासिम से पूछताछ करके मामले की तह तक जाने की कोशिश में हैं, लेकिन इस घटना ने कांग्रेस नेता अहमद पटेल की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालाांकि जो सबसे बड़ी बात सामने आई है वो ये कि आतंकवादी चुनाव से पहले अहमदाबाद में एक हिंदू धर्म गुरु की हत्या और एक यहूदी धर्मस्थल में घुसकर खूनखराबे की साजिश रच रहे थे। यह बात भी सामने आई है कि आतंकवादी निशाने वाली जगहों की रेकी भी कर चुके थे और चुनाव की तारीखों का एलान होने के बाद किसी भी दिन साजिश को अंजाम देने की तैयारी थी।

हामिद अंसारी पर भी RAW के साथ ‘गद्दारी’ करने के आरोप!
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पर भी रॉ के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करने के आरोप लगते रहे हैं। दरअसल हामिद अंसारी के बतौर ईरानी राजदूत जो मुसीबतें रॉ अफसरों को तेहरान में झेलनी पड़ी थीं, उस पर विशेष रूप से आरके यादव ने अपनी पुस्तक में उल्लेख किया है। ‘बीजार्र रॉ इंसिडेंट्स’ नाम के दो पृष्ठ केअध्याय में आरके यादव ने बताया है कि कैसे रॉ के मिशन पर लगे स्टाफ की पत्नियां हामिद अंसारी के एक रॉ अफसर के ईरानी इंटेलिजेंस एजेंसी के अफसरों द्वारा अपहरण होने पर कोई कारवाई न करने से काफी नाराज थी। दरअसल कई रॉ अफसर अंसारी के स्वभाव से असहज महसूस करते थे। बाद में एक वरिष्ठ रॉ अफसर को नई दिल्ली से जांच करने के लिए बुलाया गया। उन्होंने तत्कालीन रॉ सेक्रेटरी को अपनी भेजी गयी रिपोर्ट में अंसारी के रवैये को साफ साफ दोषी भी ठहराया था।

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