मोदी सरकार आंदोलन कर रहे किसानों से संवाद का हरसंभव प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में, केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसानों ने नाम एक खुला पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि कृषि सुधारों को लेकर कुछ किसान समूहों के बीच गलतफहमियां पैदा की गई हैं। कृषि मंत्री की तरफ से लिखे गए इस पत्र के बाद पीएम मोदी ने उसको री-ट्वीट करते हुए कहा कि अन्नदाता किसान से इसे जरूर पढ़ें।
तोमर ने खुला पत्र में कहा है- “कई किसान संगठनों ने कृषि सुधारों का स्वागत किया है और वे खुश हैं। कुछ क्षेत्रों के किसानों की तरफ से पहले ही इन सुधारों का फायदा उठाया जा चुका है। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वे उन लोगों की बहकावे में ना आएं जो राजनैतिक स्वार्थ के लिए झूठ फैला रहे हैं।”
सभी किसान भाइयों और बहनों से मेरा आग्रह !
“सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास” के मंत्र पर चलते हुए प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने बिना भेदभाव सभी का हित करने का प्रयास किया है। विगत 6 वर्षों का इतिहास इसका साक्षी है।#ModiWithFarmers pic.twitter.com/Ty6GchESUG
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) December 17, 2020
कृषि मंत्री ने लिखा- “मैं एक किसान परिवार से हूं। मैं कृषि की चुनौतियों को देखते हुए पला-बढ़ा हूं। मैंने असमय बारिश से परेशानी और समय से आए मॉनसून की खुशी देखी है। ये सब मेरे पालन-पोषण के दौरान का हिस्सा रहा है। मैंने फसलों के बेचने के लिए हफ्तों का इंतजार भी देखा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की तरफ से लिखे गए खुले पत्र को अन्नदाता जरूर पढ़ें।
कृषि मंत्री @nstomar जी ने किसान भाई-बहनों को पत्र लिखकर अपनी भावनाएं प्रकट की हैं, एक विनम्र संवाद करने का प्रयास किया है। सभी अन्नदाताओं से मेरा आग्रह है कि वे इसे जरूर पढ़ें। देशवासियों से भी आग्रह है कि वे इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं। https://t.co/9B4d5pyUF1
— Narendra Modi (@narendramodi) December 17, 2020
कृषि मंत्री के पत्र की ये हैं मुख्य बातें-
1-एमएसपी और एमपीएमसी व्यवस्था खत्म नहीं होगी
2-किसानों की जमीन खतरे में नहीं है। समझौता फसलों का होगा ना कि जमीन का।
3-कृषि समझौते में उत्पाद के मूल्य का निर्धारण किया जाएगा।
4-किसान जब चाहेंगे कांट्रैक्ट को खत्म कर सकेंगे
5-कांट्रैक्ट खेती पहले से चली आ रही है। कई राज्यों ने इसे लागू किया है। कई राज्यों में कांट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर कानून हैं।
6-कानून के पास होने से दो दशक तक सलाह-मशविरा किया गया है।