प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को प्रगति के रास्ते पर ले जाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। मोदी सरकार ने पिछले चार वर्षों में किसान, महिलाओं, पिछड़ों, गरीबों की उन्नति के लिए कई योजनाएं बनाईं और उनका असर भी दिखाई दे रहा है। किसान कल्याण के लिए मोदी सरकार ने खरीफ की फसलों की एमएसपी डेढ़ गुना कर दिया है, 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को लेकर सरकार काम कर रही है। अफसोस की बात यह है कि मीडिया के एक धड़े को इससे कोई मतलब नहीं है, विपक्षी पार्टियों के इशारे पर काम करने वाले कुछ एजेंडा पत्रकार मोदी सरकार और उसकी योजनाओं को बदनाम करने में लगे हैं।
कांकेर की किसान चंद्रमणि ने बताई थी सफलता की कहानी
पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने एप के माध्यम से देशभर के किसानों से संवाद किया था और उनके अनुभव सुने थे। इसी संवाद के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के कन्हारपुरी गांव की महिला किसान चंद्रमणि कौशिक से बातचीत की थी। बातचीत के दौरान चंद्रमणि कौशिक ने कहा था कि पारंपरिक धान की खेती में उसे फायदा नहीं होता था। उसने सरकारी मदद से प्रशिक्षण लिया और सीताफल (शरीफा) के पल्प का प्रसंस्करण करने का काम शुरू किया और इससे उसकी आय दोगुनी हो गई। महिला किसान ने कहा था कि उसने एक महिला समूह बनाया है, जिसमें कई महिलाएं जुड़ी हैं और सभी सीताफल के पल्प का प्रसंस्करण कर अच्छी कमाई कर रही हैं। 8वीं तक पढ़ीं चंद्रमणि ने यह भी कहा था कि पहले सीताफल की खेती से 50 रुपये मिलते थे। प्रशिक्षण के बाद इसका प्रसंस्करण करने से अब दोगुनी राशि मिलती है। बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने चंद्रमणि कौशिक की सराहना की थी।
एजेंडा पत्रकारों ने मोदी सरकार के खिलाफ चलाई मनगढ़ंत स्टोरी
हमेशा की तरह मोदी सरकार के खिलाफ एजेंडा चलाने वाले पत्रकारों ने इस कहानी को मनगढ़ंत तरीके से पेश किया। उनकी रिपोर्ट में कहा गया कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में चंद्रमणि की सफलता की गलत कहानी सुनाई गई। दरअसल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के मोदी सरकार के लक्ष्य के बीच जब एक महिला किसान ने पूरे देश के सामने कहा कि उसकी आय तो अभी से दोगुनी हो गई है, तो एजेंडा पत्रकारों को यह हजम नहीं हुआ। बड़ी संख्या में ये एजेंडा पत्रकार कांकेर में उस महिला किसान के पास पहुंच गए और उसके दावे की पड़ताल में लग गए। सबसे हैरत की बात यह है कि चंद्रमणि लगातार अपनी बात पर कायम रही, लेकिन एजेंडा पत्रकारों ने उसकी बात नहीं सुनी और उसकी बातों को तोड़मरोड़ कर प्रधानमंत्री मोदी के विरोध में एक झूठी कहानी बना दी। एजेंडा पत्रकारों ने यहां तक कहा कि महिला पर सरकारी अधिकारियों ने प्रधानमंत्री के सामने कृषि से आय दोगुनी होने की बात कहने का दबाव डाला था। एबीपी के एंकर पुण्य प्रसून वाजपेयी ने महिला के बयान के आधे अधूरे हिस्से का इस्तेमाल कर मनगढ़ंत स्टोरी रच दी और 7 जुलाई को मास्टर स्ट्रोक नाम के कार्यक्रम में इसे प्रसारित भी किया। इसी स्टोरी को सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ट्वीट किया है। इतना ही नहीं कई एजेंडा पत्रकारों ने अखबारों में इसको लेकर खबर भी छापी।
PM जी अपनी मन की बात सुनाते हैं यह तो सभी जानते थे। आज यह मालूम पड़ रहा है कि वह सिर्फ अपने ही मन की बात सुनना भी चाहते हैं । pic.twitter.com/dEqvklqtRR
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) 9 July 2018
Unfortunately no one will ask the real question — whether Chattisgarh farmer Chandramani Kaushik would have been allowed to tell PM that her main crop(paddy) was unprofitable! Because PM doesn’t want to hear anything negative. Even from the poorest.
— M K Venu (@mkvenu1) 9 July 2018
महिला किसान ने झूठी खबरों को खारिज किया
छत्तीसगढ़ की महिला किसान चंद्रमणि कौशिक ने इन ‘झूठी खबरों’ को खारिज कर एजेंडा पत्रकारों की पोल खोल दी है। उसका कहना है कि कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने उसके शब्दों को तोड़मरोड़कर उनका अपने हिसाब से इस्तेमाल किया है। महिला किसान ने अधिकारियों के किसी भी दबाव की बात से भी इनकार किया।
महिला किसान के इस बयान के बाद, एक बार फिर यह साबित हो गया है कि मीडिया का एक धड़ा प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार चला रहा है और इन एजेंडा पत्रकारों का सिर्फ एक ही मकसद है मोदी सरकार को बदनाम करना। लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को बदनाम करने के लिए तथ्यों की जगह मनगढ़ंत कहानियों का सहारा लिया जा रहा है। कई केंद्रीय मंत्रियों, छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह और भाजपा नेताओं ने भी इसके विरोध में ट्वीट कर एजेंडा पत्रकारों और राहुल गांधी को निशाने पर लिया।
It was clear from the first instance that the conversation was about sitaphal cultivation, wasn’t it? The lady farmer Chandramani also picks up the box of sitaphal to show it to the @PMOIndia . Oh, why, why this #UnfortunateJournalism ? https://t.co/JzuNAUkxHo
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) 9 July 2018
ये कैसा journalism है @abpnewstv का? PM @narendramodi के खिलाफ गलत अफ़वाहें फैलाकर देश को गुमराह करना ज़िम्मेदार पत्रकारिता के मूल्यों के ख़िलाफ़ है! कुछ journalists का agenda पहले बनता है, ख़बर बाद में| Will nation trust them aftr such misleading news? #UnfortunateJournalism
— Rajyavardhan Rathore (@Ra_THORe) 9 July 2018
ABP didn’t even visit farm of Chandramani Kaushi and filed a malicious report on prime time. In their enthusiasm to push anti-Modi agenda, they didn’t even do basic fact checks. @milindkhandekar must run an apology on his channel for misleading his viewers. #UnfortunateJournalism pic.twitter.com/yCx5eRmP3q
— Amit Malviya (@amitmalviya) 9 July 2018
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता का काम है सच्चाई सामने लाना न कि सच्चाई को तोड़ना-मरोड़ना। निजी स्वार्थ के लिए श्रीमती चन्द्रमणि जैसे मेहनतकश किसानों को हतोत्साहित करना क्या @abpnewstv जैसे राष्ट्रीय चैनल को शोभा देता है? #UnfortunateJournalism pic.twitter.com/4bUsQccsJi
— Dr Raman Singh (@drramansingh) 9 July 2018
सोशल मीडिया में इन एजेंडा पत्रकारों और कांग्रेस पार्टी के खिलाफ खासा गुस्सा दिखाई दे रहा है। सोमवार को ट्विटर पर #UnfortunateJournalism ट्रेंड करता रहा है और लोगों ने एजेंडा मीडिया के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली।
This is a shameful & cheap attempt of Prasoon Bajpayee to malign Modi Govt’s image through a fake news.Woman told PM Modi that her income had doubled after shifting from traditional paddy-centric agriculture to fruit-pulp processing.#UnfortunateJournalismhttps://t.co/a7MFMhuLoq
— Vineet Tyagi (@vineettyagi08) 9 July 2018
For some Journalist in India Journalism have becm a source of income & a way to get Rajya Sabha seat.
Journalism = Dalaalism = Jihadism pic.twitter.com/GgwZ4MPepu
— ?? Pradeep Kumar ?? (@GudduKumarm2272) 9 July 2018
It is the #UnfortunateJournalism
That is spreading lies and misinformation across the nation to have their own agendaBut as said truth always triumphs https://t.co/InxQ5j3YdH
— Devang Dave (@DevangVDave) 9 July 2018
Rajdeep & Ashutosh have already joined the bailgadi that’s why some others are also trying their best to join it!#UnfortunateJournalism https://t.co/mwgCDI1jQC
— Seema Choudhary (@Seems3r) 9 July 2018
Embedded media or गोदी मीडिया has become a major issue. The Congress has always been the patron of such media groups. pic.twitter.com/bxN761WFPt
— The India Eye (@TheIndiaEye) 9 July 2018
‘Journos’ are hurt if they see a happy farmer https://t.co/qNGPOPZJPV #UnfortunateJournalism
— Suresh Nakhua (@sureshnakhua) 9 July 2018
The face of #UnfortunateJournalism 1990s – 2018. pic.twitter.com/duuzLZoa13
— ṗṻṅȠỏẙ (@MixedRaita) 9 July 2018
For the first time, we are seeing a strange sort of pessimism and irritation among celebrity journalists, when the poor and illiterate of our country are progressing. They are hell bent on proving their success stories wrong. Why? https://t.co/Mb2OhEp6Ka… #UnfortunateJournalism
— Ghanshyam Shukla (@GhanshyamShukl_) 9 July 2018
#UnfortunateJournalism@abpnewshindi @abhisar_sharma krantikari journalist @ppbajpai @romanaisarkhan…. Doing journalist for piddi of congress… pic.twitter.com/U0wu5stFWa
— Amitesh Ranjan (@AmiteshRanjan15) 9 July 2018