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पंजाब के बाद राजस्थान कांग्रेस में बगावत के संकेत, पायलट खेमे का सीएम गहलोत को अल्टीमेटम

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पंजाब कांग्रेस का विवाद अभी सुलझा भी नहीं है कि राजस्थान में बगावत के संकेत मिलने लगे हैं। सचिन पायलट खेमे की नजर पंजाब कांग्रेस की उथल-पुथल पर है। संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी अजय माकन से बातचीत कर सचिन पायलट खेमे ने पूछा है कि पंजाब में सक्रियता दिखाने वाला आलाकमान राजस्थान पर ध्यान क्यों नहीं दे रहा है। पंजाब के नेताओं से लगातार बैठक हुई, लेकिन राजस्थान के लिए बनाई गई समिति की एक बार भी बैठक नहीं हुई। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने सवाल किया कि ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया और जितिन प्रसाद के बाद क्‍या ‘सचिन पायलट’ बगावत करने वाले अगले नेता होंगे? 

राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार और कुछ राजनीतिक नियुक्तियां अटकी पड़ी हैं। इसे लेकर पायलट खेमे ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अल्टीमेटम दिया है। पायलट खेमे ने कहा कि अगर मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां नहीं की जाती हैं तो वो आगे फैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं। राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने हाल ही में कहा है कि उनसे किए गए वादे 10 महीने बाद भी पूरे नहीं हुए हैं। पायलट ने यह भी कहा कि पार्टी को सत्ता में लाने वाले कार्यकर्ताओं की सुनवाई न होना दुर्भाग्यपूर्ण है।

पिछले 2 दिन में सचिन पायलट के घर विधायकों की अलग-अलग बैठकें हुई हैं और उन्होंने अपने रुख से कांग्रेस आलाकमान को अवगत कराने का निर्णय लिया है। अगले महीने अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी से मिलने का समय भी मांगा जा सकता है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेन्द्र सिंह, सचिन पायलट के समर्थन में आ गए हैं। उन्होंने कहा है कि पार्टी हाईकमान ने पायलट से जो वादे किए थे वो पूरे करने चाहिए, ताकि पायलट अपने कार्यकर्ताओं को संतुष्ट कर सकें। 

कांग्रेस के लिए अब राजस्‍थान के सीएम गहलोत और सचिन पायलट, दोनों को ही एक साथ खुश रखना, कठिन चुनौती साबित हो रहा है। उधर राज्य के इंटेलिजेंस ब्यूरो ने अशोक गहलोत को एक बार फिर से संभावित बगावत को लेकर आगाह किया है, जिसके बाद दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और गुजरात से सटी सीमाओं पर चौकसी बढ़ा दी गई है। आशंका जताई गई है कि सचिन पायलट फिर दूसरे प्रदेश में विधायकों के साथ जाकर डेरा जमा सकते हैं। वहीं इस बार गहलोत कैम्प के विधायकों के भी उनसे संपर्क में होने की बात कही जा रही है।

गहलोत के विश्वस्त संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल, कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, राज्यमंत्री सुभाष गर्ग, विधानसभा में सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी और उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी को गहलोत कैम्प ने अपने विधायकों का मन टटोलने का काम सौंपा है। कुछ से फोन पर बात हुई, कुछ से व्यक्तिगत मुलाकात की गई। पायलट के विश्वस्त विधायक रमेश मीणा, मुरारी मीणा और वेदप्रकाश सोलंकी अपने खेमे के विधायकों को एकजुट करने में लगे हैं।

गौरतलब है कि इस समय कांग्रेस विधायकों में असंतोष चरम पर है। इसको देखते हुए पायलट खेमा अशोक गहलोत से अपना हिसाब बराबर करना चाहता है। छह बार विधायक रहे पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी ने मई में अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिया था। इसके बाद विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने कहा था कि केवल चौधरी ही पीड़ित नहीं हैं, बल्कि बहुत से विधायकों की ऐसी हालत है। उन्होंने कहा था कि कई विधायक अंदर ही अंदर घुट रहे हैं, लेकिन कई मजबूरी के कारण चुप हैं। उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत की सरकार में कांग्रेस विधायकों की ही सुनवाई नहीं हो रही है।

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