जिस वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के भय से पूरी दुनिया कांप रही है। जिसके प्रसार के आगे ताकतवर देशों के शासनाध्यक्ष घुटने टेक चुके हैं। जिस कोरोना महामारी के आगे पूरी दुनिया नतमस्तक हो चुकी है। इतनी विपरीत परिस्थिति के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दूरदृष्टि से कोविड-19 पर लगाम लगाने में सफल रहे। जहां दुनिया के अधिकांश सबल देश इस महामारी से त्राहिमाम कर रहे थे वहीं भारत में इसकी रफ्तार इतनी धीमी थी कि लगता ही नहीं था कि यहां कोरोना अपना पैर ठीक से पसार भी पाएगा। क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना को हराने का संकल्प ले लिया। समय साक्षी है कि मोदी ने आज तक जो संकल्प लिया है उसे उसे पूरा कर के छोड़ा है। इसी बीच देश की राजधानी दिल्ली के बीचोंबीच स्थित निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात की जो करतूत देश के सामने आई इससे सवाल उठना लाजिमी है कि कहीं पीएम मोदी के संकल्प को विफल करने की यह एक आतंकी साजिश तो नहीं?
आतंकी संगठनों के साथ रहा है तबलीगी जमात का इतिहास
यह सवाल यूं ही हवा में नहीं उठा है या उठाया गया है। निजामुद्दीन मरकज हो या फिर तबलीगी जमात, दोनों का इतिहास आतंकी सगठनों से जुड़ा रहा है। जिस प्रकार भारतीय विजा कानून का उल्लंघन कर तबलीगी जमात से जुड़े लोग दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में जमा हुए, इससे उनकी मंशा जगजाहिर हो जाती है। निजामुद्दीन मरकज की जमात में कोरोना वायरस से संक्रमित लोग मिले हैं। इससे स्पष्ट है कि ये लोग एक सोची समझी रणनीति के तहत देश में कोरोना वायरस का संक्रमण पूरे देश में फैलाना चाहते थे। तबलीगी जमात का इतिहास अलकायदा और तालिबानी जैसे आतंकी संगठनों के साथ रहा है।
तबलीगी जमात के साथ आतंकी संगठन अलकायदा के संबंध होने का खुलासा विकिलिक्स ने अमेरिका को जारी अपने गुप्त दस्तावेज के तहत 2011 में किया था। उन्होंने अपने दस्तावेज में बताया था कि अलकायदा के आतंकवादी पाकिस्तान जाने और फंड जुटाने के लिए तबलीगी जमात के लोगों का आवरण का सहारा लिया था। विकिलिक्स के जारी दस्तावेज से तबलीगी जमात का आतंकी संगठन से संबंध की पुष्टि होती है।
याद रहे कि बांग्लादेश की लेखिका तसलीमा नसरीन ने तबलीगी जमात को खुले तौर पर आतंकी संगठन करार दिया है। तसलीमा नसरीन ही नहीं बल्कि दुनिया भर में जिओपोलिटिकल इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म के रूप में प्रतिष्ठित स्ट्रैटफ़ोर ने भी ग्लोबल जिहाद के साथ तबलीगी जमात के संबंध का खुलासा किया है। स्ट्रैटफोर की प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि तबलीगी जमात, शिया विरोधी समूहों, कश्मीरी आतंकियों और तालिबान के बीच भी कनेक्शन रहे हैं। तभी तो कहा जा रहा है कि निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के लोगों का कोरोना वायरस से संक्रमित होना देश के खिलाफ इस्लामिक जेहाद की ही नई चाल है, जो काफी खतरनाक है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि तबलीगी जमात संगठन इस्लामिक चरमपंथियों के लिए और नए सदस्यों की भर्ती के लिए अलकायदा जैसे समूहों के लिए एक वास्तविक समूह के रूप में कार्य करता है।
कोरोना के प्रसार के लिए तबलीगी जमात संदेह के घेरे में
आतंकी संगठनों के साथ संबंध की पुष्टि होने के बाद कोरोना वायरस को फैलाने के लिए भी तबलीगी जमात संदेह के घेरे में आ गया है। इस आतंकी संगठन ने न केवल भारत में कोविड-19 के प्रसार की रफ्तार को बढ़ाया है, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में फैलाने का काम किया है। दिल्ली स्थित निजामुद्दीन मरकज की घटना सामने आने के बाद यह साफ हो गया है कि तबलीगी जमात ने ही पाकिस्तान, मलेशिया के साथ-साथ भारत में भी अपने धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से कोरोना वायरस फैलाया है। तबलीगी जमात के मैनेजमेंट ने जानबूझ कर दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में विदेश से आए संक्रमित मेहमानों की जानकारी और पहचान छिपाई।
कोरोना वायरस के डर से जहां अधिकतर देश दूसरे देश के नागरिकों के जान-आन से परहेज कर रहे थे। वहीं दिल्ली स्थित निजामुद्दीन मरकज में दुनिया भर के इस्लामिक धर्म प्रचारक इकट्ठा हो रहे थे। कहा गया है कि ये सारे लोग देश के विजा कानून का उल्लंघन कर के भारत में दाखिल हुए। विदेश से आए इन मेहमानों को जहां मिशनरी विजा के तहत आना चाहिए लेकिन इनलोगों ने विजा मानदंड का उल्लंघन कर टूरिस्ट विजा के तहत आ गए। इससे साफ है कि इनकी मंशा भारत में कोरोना वायरस की रफ्तार को बढ़ाना था। जब देश में जनता कर्फ्यू और संपूर्ण लॉकडाउन का ऐलान हुआ तब ये लोग समूह में एक राज्य से दूसरे राज्य जाकर धार्मिक कार्यक्रम कर रहे थे।
तबलीगी जमात के मौलवी अलग-अलग जगह छिपे क्यों?