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PM MODI के विजन पर चलकर महाराष्ट्र के बाद यूपी ने भी गुलाम मानसिकता की एक और पहचान मिटाई, CM Yogi ने अंग्रेजों के जमाने की काला पानी की सजा खत्म की, जेल में पैदा बच्चों का होगा नामकरण संस्कार

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी लालकिले की प्राचीर से अपने ऐतिहासिक भाषण में पांच प्रणों को पूरा करने आह्वान किया था। इसमें भारत के पुनर्जागरण का दूसरा प्रण था- गुलामी की मानसिकता का संपूर्ण त्याग! पीएम मोदी ने बताया कि हमने सन सैंतालीस में गुलामी की बेड़िया भले तोड़ दीं, लेकिन पराधीनता की अनेक बेड़ियां आज भी भारतीय समाज को जकड़े हुए है। विकसित राष्ट्र बनने के लिए अब गुलामी की मानसिकता का एक छोटा सा भी अंश हमारे भीतर नहीं होना चाहिए। पीएम मोदी के इसी विजन पर चलते हुए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अंग्रेजों की गुलामी के जमाने के जेल नियमों में बदलाव कर कालापानी की सजा खत्म कर दिया है। इससे पहले महाराष्ट्र में भी गुलामी के प्रतीक Hello की जगह वंदे मातरम बोलने का आदेश जारी किया गया है।योगी सरकार ने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे जेल मैनुअल में किए बड़े बदलाव
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे जेल मैनुअल में 100 साल बाद बड़ा सुधार हुआ है। इस बदलाव के लिए कई बार बैठक की गई, जिसके बाद ये बड़े कदम उठाए गए हैं। उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि योगी सरकार पॉजिटिव दिशा में काम करना चाहती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जेल मैनुअल में बदलाव किया गया है। अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे काले पानी की सजा को समाप्त कर दिया गया है। इतना ही नहीं अब जेल में जो बच्चा पैदा होगा, उसका नामकरण संस्कार वहीं होगा। नामकरण उसके धर्म के मुताबिक धर्मगुरु करेंगे। सरकार उसकी पढ़ाई-लिखाई और खानपान की व्यवस्था भी करेगी।योगी मंत्रिमंडल ने उप्र जेल मैनुअल-2022 को जारी करने के प्रस्ताव को दी मंजूरी
उत्‍तर प्रदेश कैबिनेट ने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रही जेल नियमावली में बदलाव करते हुए उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल-2022 को जारी किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। नयी व्यवस्था में बंदियों, विशेष तौर से महिला बंदियों को विशेष सुविधाएं देने का फैसला किया गया है और कालापानी की सजा के लिए ट्रांसफर की व्यवस्था अब समाप्त कर दी गई है। काबिलेगौर है कि अंग्रेजों के जमाने में आजादी आंदोलन में शिरकत करने वाले सैनानियों को काला पानी की सजा देने का भी प्रावधान था। लोकभवन में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद फैसले की जानकारी देते हुए कारागार और होमगार्ड राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति ने पत्रकारों को बताया कि मंत्रिमंडल ने उप्र जेल मैनुअल-2022 को जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

कालापानी की सजा के लिए अंडमान निकोबार की जेल में कैदी नहीं होंगे ट्रांसफर
उन्होंने बताया कि कालापानी की सजा के लिए ट्रांसफर की व्यवस्था अब समाप्त कर दी गई है। (अंग्रेजों के जमाने से कालापानी की सजा के बाद बंदी को अंडमान निकोबार की जेल में भेजने का प्रावधान था।) उन्होंने कहा कि नये मैनुअल में लॉकअप जेल की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है और इसके अलावा यूरोपीय बंदियों के लिए अलग जेल, रजवाड़ों के बंदी के लिये निर्धारित रिहाई और ट्रांसफर और नेपाल, भूटान, सिक्किम और कश्‍मीर के बंदियों की रिहाई और स्थानांतरण की पुरानी व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। उन्होंने बताया कि नई नियमावली के अनुसार बंदियों की सहभागिता के लिए बंदी पंचायत आयोजित करने की व्यवस्था की गई है। मंत्री ने कहा कि जेलों से सीधे कैदियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हो सके ऐसी व्यवस्था की जाएगी।

महिला कैदियों को विशेष सुविधाएं, सुहाग की निशानी मंगलसूत्र पहनने की इजाजत
उन्होंने कहा कि ई-प्रिजन प्रणाली के अंतर्गत बंदियों से सम्बंधित सभी सूचनाओं का अनिवार्य कंप्यूटरीकरण किया जाएगा और कारागार मुख्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ की स्थापना की जाएगी और इसके तहत कमांड सेंटर और वीडियो वाल स्थापित होगा। इसके अलावा महिला बंदियों को सलवार सूट पहनने और मंगल सूत्र धारण करने की इजाजत दी गई है। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं और माताओं के लिए पुष्टाहार और मेडिकल सर्विसेस का प्रावधान किया गया है। बयान के अनुसार जेल मैनुअल-2022 में प्रस्तावित व्यवस्था के तहत कारागार में महिला बंदी के साथ रह रहे तीन से छह साल तक की आयु के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये शिशु सदन, समुचित शिक्षा, चिकित्सा, टीकाकरण और चार साल से छह साल तक की उम्र के बच्चों को, उनकी माता की सहमति प्राप्त करने के बाद कारागार के बाहर किसी शिक्षण संस्थान में प्रवेश दिलाया जाएगा।जेल में पैदा बच्चे का धर्मगुरु करेंगे नामकरण संस्कार, सरकार उठाएगी पढ़ाई का जिम्मा
बंदियों की मानवीय आवश्यकताओं के मद्देनजर उनके परिवारजन और पति/पत्नी की मृत्यु होने पर अंतिम दर्शन का भी प्रावधान किया गया है। प्रत्येक जेल में एक बंदी कल्याण कैंटीन और बंदी कल्याण कोष होगा। बयान में कहा गया है कि नई नियमावली के तहत जेल में जो बच्चा पैदा होगा उसका नामकरण संस्कार वहीं होगा और नामकरण उसके धर्म के मुताबिक धर्मगुरु करेंगे। इसमें कहा गया है कि इतना ही नहीं सरकार इन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और खानपान की व्यवस्था भी करेगी।हिंदू और मुस्लिम धर्म के अनुसार जेल के कैदियों को त्योहारों पर मिलेगा विशेष खाना
मंत्री ने बताया कि जेल में त्योहार के मौके पर खीर और सेवइयां भी बनाई जाएगी। एक अधिकारी ने बताया कि अगर हिंदू धर्म का कोई त्यौहार होगा तो खीर और इस्लाम धर्म के लोगों को त्यौहार पर सेवई, खजूर और फल दिए जाएंगे। नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश रक्षा एवं एयरोस्पेस इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2018 (यथासंशोधित) में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। जेलों में प्रयुक्त होने वाले असलहों के बदलाव की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि जेलों में अब थ्री नॉट थ्री की राइफल की जगह नाइन एमएम की कारबाइन, पिस्टल और इंसास राइफल का उपयोग किया जाएगा।

वंदे मातरम के रूप में महाराष्ट्र से नई पहल, बाद में इसे दूसरे राज्यों में भी लागू किया जाएगा

योगी सरकार से पहले महाराष्ट्र में  शिंदे-देवेन्द्र सरकार ने ऐसा ही कदम उठाया है। यह कदम न सिर्फ अंग्रेजों की गुलामी के समय के चलन से मुक्ति दिलाएगा, बल्कि इस देशप्रेम से ओतप्रोत नई पहल को आज नहीं तो कल, कई अन्य प्रदेश भी अपने राज्यों में लागू कर सकते हैं। दरअसल, महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के पतन के बाद से नई सरकार में कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं। अब सांस्कृतिक मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने ऐलान किया है कि महाराष्ट्र के सरकारी कार्यालयों में अब फ़ोन उठाने पर हेलो की जगह सभी सरकारी कर्मचारी ‘वंदे मातरम’ ही बोलेंगे।शिंदे-फडणवीस सरकार के कैबिनेट मंत्रियों के विभागों के बंटवारे में सुधीर मुनगंटीवार को वन विभाग के साथ सांस्कृतिक मामलों का विभाग सौंपा गया है। शिंदे-देवेन्द्र सरकार की भावना के अनुरूप मुनगंटीवार ने पहला आदेश यही निकाला है। सांस्कृतिक मामलों के मंत्री बनने के कुछ ही देर बाद मुनगंटीवार ने यह अहम फैसला लिया है। मुनगंटीवार ने यह भी कहा कि आज वंदेमातरम के रूप में इस नई पहल की शुरुआत महाराष्ट्र से हो रही है। बाद में इसे देशभर कई राज्यों में लागू किया जाएगा। हालांकि मदरसों में राष्ट्रगान, धार्मिक स्थलों से लाउड स्पीकर हटाने और माफिया के खिलाफ बुलडोजर इस्तेमाल करने जैसे नवाचार यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने किए थे, लेकिन इस मामले में महाराष्ट्र ने बाजी मार ली।

जब देश गुलाम था तो Hello शब्द मिला था, अब आजाद भारत में सभी वंदे मातरम बोलेंगे
सांस्कृतिक मंत्री ने कहा कि आज तक अंग्रेजों द्वारा दिए गए शब्द का प्रयोग किया जाता रहा है। फोन उठाते ही लोग ‘हैलो’ बोलते हैं। जब यह देश गुलाम था तो उन्होंने यह शब्द दिया था। स्वतंत्रता सेनानियों ने वंदे मातरम कहते हुए तिरंगा अपने हाथों में लिया और मंगलकलश के रूप में इस देश को आजादी दिलाई, लेकिन अंग्रेजों की छाप अभी भी कम नहीं हो रही है। इसलिए आज संस्कृति मंत्रालय के मंत्री के तौर पर मैं पहले फैसले की घोषणा कर रहा हूं। अब कोई हैलो नहीं कहेगा, बल्कि इसकी जगह वंदे मातरम बोलेगा।गुलाम मानसिकता का एक छोटा सा कण भी अब हमारे भीतर नहीं रहना चाहिए-पीएम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसी 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से दिए अपने ऐतिहासिक भाषण में गुलामी की मानसिकता का संपूर्ण त्यागने का आह्वान किया था। पीएम मोदी ने कहा कि पराधीनता की अनेक बेड़ियां आज भी भारतीय समाज को जकड़े हुए है। विकसित राष्ट्र बनने के लिए हमें सबसे पहले अपनी गुलामी की मानसिकता को छोड़ना होगा, अपने आप पर विश्वास करना होगा। गुलामी की मानसिकता का एक छोटा सा भी अंश हमारे भीतर नहीं होना चाहिए। हम आत्मविश्वास से भरे हों, भारत को लेकर स्वाभिमान से भरे हों। हमें उस आत्मविश्वास को फिर से जिंदा करने की जरूरत है।अपने खुद के मानक स्थापित करना सीखेंगे, तभी पूरी तरह से आजाद होंगे
पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा कि जब हम अपनी सच्चाई को लेकर हीनभावना का शिकार हो जाते हैं, तो ये गुलामी की मानसिकता का नतीजा होता है। जब हम ये सोचने लगते हैं कि दूसरों की तरह दिखना, उनके जीवन की नकल करना ज्यादा बेहतर है, तो ये गुलामी की मानसिकता का नतीजा होता है। हम गुलामी की इन मानसिक बेड़ियों को तोड़कर ही आजाद हो सकते हैं। हम तभी पूरी तरह से आजाद हो सकते हैं जब हम दूसरों के मानकों पर खुद के आंकलन की जगह अपने खुद के मानक स्थापित करना सीखेंगे। जब हम इस मानसिक गुलामी को छोड़ते हैं तब हमारे भीतर आत्मविश्वास पैदा होता है।

महाराष्ट्र के हर जिले में 26 जनवरी तक लागू हो जाएगा वंदे मातरम बोलना
प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप महाराष्ट्र ने गुलामी के परिचायक और बहु-प्रचलित हैलो शब्द को अलविदा कह दिया है। सांस्कृतिक मंत्री मुनगंटीवार कहा कि इस बाबत आधिकारिक सरकारी नोटिफिकेशन 18 अगस्त तक आ जाएगा। मंत्री ने कहा कि मैं चाहता हूं कि राज्य के सभी सरकारी अधिकारी अगले साल 26 जनवरी तक फोन उठाने पर वंदे मातरम कहें। उन्होंने कहा कि इस संकल्प का आगाज आजादी दिवस से शुरू हो गया है। अब आप भी संकल्प लें कि इसके बाद हम मोबाइल पर वंदे मातरम बोलेंगे। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक विभाग के माध्यम से हम इस अभियान को 15 अगस्त से 26 जनवरी तक लागू करेंगे। महाराष्ट्र के हर जिले में इसकी जल्द ही शुरुआत की जाएगी।

 

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