दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने राजनीतिक विज्ञापनों को सरकारी विज्ञापन के तौर पर प्रकाशित करने के लिए आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपये वसूलने का आदेश दिया है। अरविंद केजरीवाल सरकार पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित विज्ञापन नीति का उल्लंघन करने का आरोप है। 97 करोड़ रुपये भुगतान करने के लिए आप सरकार को 15 दिनों का समय दिया गया है।
उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना का यह आदेश 2015 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश, 2016 के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश और 2016 के सीसीआरजीए के आदेश को देखथे हुए आया है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार इसका लगातार उल्लंघन कर रही थी और सरकारी विज्ञापन के जरिए पार्टी का विज्ञापन कर रही थी। इस मामले में गठित एक निगरानी समिति ने अपनी रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार के विज्ञापनों में ‘आप’ का जिक्र करने, मुख्यमंत्री के विचारों का विज्ञापन जारी करने और विपक्ष को निशाना बनाने का दोषी पाया था।
AAP has spent 97 crores of government money on advertisements which were used for AAP party’s advertisement.
LG has ordered to recover it.
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) December 20, 2022
दिल्ली के उपराज्यपाल ने आप से 97 करोड़ रुपये वसूलने का आदेश दिया. उनका कहना है कि आप ने सरकारी खर्च अपनी पार्टी के लिए ये विज्ञापन दिए.
— Hemraj Singh Chauhan (@Hemrajeditorji) December 20, 2022
दिल्ली उपराज्यपाल @LtGovDelhi का शानदार निर्णय
दिल्ली की जनता के पैसों से अपने झूठे विज्ञापन करने वाले केजरीवाल से हिसाब लेना ज़रूरी
सरकारी पैसों से राजनीतिक विज्ञापन पर नकेल की और एक ऐतिहासिक कदम
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) December 20, 2022
अरविंद केजरीवाल की विज्ञापन वाली सरकार
आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली की हो या पंजाब की, इन्हें यदि विज्ञापनबाजी की सरकारें कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। केजरीवाल दिल्ली में ऐसा कई बार कर चुके हैं कि काम कुछ लाख का होता है और उसके गुणगान के लिए विज्ञापनों पर करोड़ों खर्च कर दिए जाते हैं। अपने राज्य में ही नहीं, बल्कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव के समय छवि बनाने के लिए करोड़ों के विज्ञापन दिए गए।
केजरीवाल की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर
मुख्यमंत्री केजरीवाल की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर है। वो कहते कुछ हैं और दिखावे के लिए करते कुछ और ही हैं। केजरीवाल ने इस साल जनवरी में पंजाब चुनाव प्रचार के दौरान भी कहा था- “कोरोना के चलते चुनाव आयोग ने डोर टू डोर कैंपेनिंग के लिए कहा है और हम तो डोर टू डोर ही करते हैं। दूसरे दल तो खूब पैसे खर्चते हैं। बड़े-बड़े विज्ञापन देते हैं। ऐसे विज्ञापन देना आम आदमी पार्टी को नहीं आता। हमारे पास तो विज्ञापनों के लिए पैसे ही नहीं हैं, क्योंकि हम ईमानदार पार्टी हैं।” केजरीवाल के शब्दों में यदि विज्ञापन न देना ईमानदारी की परिभाषा है तो साफ कह सकते हैं कि दिल्ली और पंजाब की सरकारें बेईमानी पर उतर आई हैं। यदि यह कहें कि उन्होंने तो बेईमानी की नदियां ही बहा दीं हैं तो ज्यादा तर्कसंगत होगा।
काम से कई गुना ज्यादा विज्ञापनों पर खर्च, कहां से आता है केजरीवाल के पास इतना पैसा- यादव
दिल्ली से लेकर पंजाब और अब बिहार तक में नेताओं ने विज्ञापन वाली आप सरकार की आलोचना की है। बिहार की जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री काम तो मुश्किल से 40 करोड़ रुपये का करते हैं, लेकिन इसके विज्ञापन पर 400 करोड़ रूपये खर्च कर देते हैं। समझ में नहीं आता कि उनके पास इतना पैसा आता कहां से है। यादव ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जब भी गुजरात जाते हैं तो 40 लाख रुपये पंजाब का खर्च करवाते हैं।
एक हजार करोड़ से ज्यादा रुपये विज्ञापनों पर फूंके- कुमार
इससे पहले कांग्रेस नेता अजोय कुमार ने आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने केजरीवाल सरकार पर अखबारों और चैनलों को करोड़ों के विज्ञापन देने के नाम पर हमला बोला। कांग्रेस नेता कुमार ने कहा कि साल 2015 में AAP ने टीवी और अखबारों को 81 करोड़ रुपये का विज्ञापन दिया था। जबकि 2017-18 में 117 करोड़ रुपये का विज्ञापन दिया था। वहीं, 2019 में पार्टी ने 200 करोड़ और 2021-22 में 490 करोड़ रुपये के आसपास का विज्ञापन दिया है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार और पंजाब सरकार ने अब तक विज्ञापन पर 1200 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उन्होंने पंजाब की मान सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा, ‘पिछले 6 महीने से पंजाब सरकार कर्मचारियों को सैलरी नहीं दे पा रही है, लेकिन चैनलों और अखबारों को करोड़ों के विज्ञापन दिए जा रहे हैं। चैनलों के मालिक खुश हैं। खासतौर से गुजरात में। पिछले 2 महीनों में भगवंत मान ने गुजरात टीवी चैनलों और अखबारों में विज्ञापन देकर 36 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं।
चुनावी लाभ के लिए करदाताओं के पैसे का बाहरी राज्यों में उपयोग
पंजाब में कांग्रेस नेता परगट सिंह ने कहा है कि दरअसल आप सरकार किसी राजनीतिक दल के रूप में नहीं, बल्कि पीआर एजेंसी की तरह काम कर रही है, जिसका काम सिर्फ लुभावने विज्ञापन देना है। उसको जनता की परेशानियों या राज्य की आर्थिक सेहत से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि भगवंत मान सरकार ने 60 दिन में 38 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए हैं। उन्होंने कहा कि आप पार्टी पंजाब के करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल पंजाब के बाहर के राज्यों में चुनावी लाभ के लिए कर रही है। यह पंजाब और उसके लोगों के साथ विश्वासघात है। पंजाब कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा कि राज्य का खजाना भरने के दावे करके सत्ता में आई आप खुद ही इसे खाली करने में जुटी है।
केजरीवाल साहब इंडिया छोड़ कनाडा तक विज्ञापन पर खर्च कर रहे हैं दिल्ली के लोगों के टैक्स के पैसे को pic.twitter.com/FmcjGlRMoV
— शिव कुमार पंडित जी (@wyAToJb5qpvBfA3) August 19, 2022
68 लाख के काम के लिए विज्ञापन पर खर्च 23 करोड़ रुपये
दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया, जो राजधानी में किसी भी नागरिक के गले नहीं उतर रहा है। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार पराली की समस्या को दूर करने के लिए केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के किसानों के खेतों में बायो डी-कंपोजर छिड़काव पर दो साल में सिर्फ 68 लाख रुपए खर्च किए, लेकिन अपना नाम चमकाने के लिए इस दौरान विज्ञापन पर 23 करोड़ रुपए फूंक डाले। जबकि इस योजना से सिर्फ 955 किसानों को ही फायदा मिला।
2020-21 में खर्च किए 490 करोड़ रुपये
दिल्ली के 3 करोड़ लोगों के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने 2021-22 में 488.97 करोड़ रुपये का विज्ञापन दिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनाव के दौरान विज्ञापन पर कम खर्च करने का दावा तो करते हैं, लेकिन दिल्ली में उनकी सरकार ने कोरोना काल की महामारी के दौरान हर रोज लगभग एक करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए हैं। यह जानकारी सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जरिए सामने आ चुकी है। न्यूज़लॉन्ड्री ने आरटीआई के जरिए पूछा था कि दिल्ली सरकार द्वारा एक मार्च 2020 से 30 जुलाई 2021 तक विज्ञापन पर कितने रुपए खर्च किए गए हैं? इसके जवाब में सूचना एवं प्रचार निदेशालय ने बताया कि मार्च 2020 से जुलाई 2021 के दौरान विज्ञापन एवं प्रचार पर कुल 490 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
दिवाली पूजा के नाम पर 15 करोड़ खर्च किए
पिछले साल 2021 में पूजा के लिए दिल्ली सरकार ने 15 करोड़ खर्च किए लेकिन इनमें से पूजा पर सिर्फ तीन करोड़ रुपये पूजा में खर्च किए गए जबकि 12 करोड़ रुपये पूजा का मीडिया पर लाइव टेलीकास्ट करने के लिए तमाम मीडिया वालों को दिए गए। यानी उन्होंने पूजा को भी उन्होंने एक इवेंट बना दिया और मीडिया प्रचार पर पैसे लुटाए। पैसे लुटाने के इस खेल में केजरीवाल ने दोस्ती भी जमकर निभाई। उन्होंने इस इवेंट का ठेका विजक्राफ्ट कंपनी को दिया जो कि उनके ईसाई दोस्त सब्बास जोसफ की कंपनी है।
वर्ष 2020 में दिवाली पूजा पर हर मिनट 20 लाख रुपये खर्च
इसी तरह वर्ष 2020 में दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा और उसके लाइव टेलीकास्ट कार्यक्रम पर 6 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। एक आरटीआई एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने आरटीआई के जरिये यह जानकारी जुटाई थी। उन्होंने कहा कि दिल्ली की AAP सरकार और अरविंद केजरीवाल द्वारा 14 नवंबर, 2020 को किए गए लक्ष्मी पूजा आयोजन और लाइव टेलीकास्ट पर करदाताओं के पैसे के 6 करोड़ खर्च कर दिए। साकेत गोखले ने कहा कि 30 मिनट की इस पूजा पर कुल 6 करोड़ खर्च, मतलब प्रति मिनट 20 लाख रुपये किए गए। दिवाली की रात मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके कैबिनेट मंत्रियों द्वारा दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में अपने जीवनसाथियों के साथ भाग लेने वाले मेगा इवेंट का लाइव टेलीकास्ट किया गया था।