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भ्रष्टाचार के खिलाफ रंग लाती मोदी सरकार की मुहिम, 80 प्रतिशत बैंक खाते आधार से जुड़े

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं, उन्हीं में एक महत्वपूर्ण कदम है आधार कार्ड को बैंक खातों से जोड़ना। मोदी सरकार इसके माध्यम से अघोषित धन संपत्ति पर लगाम लगाना चाहती है। इसी उद्देश्य से PAN नंबर को भी आधार से जोड़ना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके साथ ही मोबाइल कनेक्शनों को भी आधार से जोड़ने की मुहिम चलाई जा रही रही है। आधार योजना का प्रबंध करने वाली एजेंसी यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के आंकड़ों के अनुसार देशभर में 80 प्रतिशत बैंक खातों को आधार से जोड़ जा चुका है। देश में कुल 109.9 करोड़ बैंक खाते हैं और इनमें से लगभग 87 करोड़ खातों को आधार से जोड़ दिया गया है। इनमें से 58 करोड़ बैंक खातों का सत्यापन हो चुका है, जबकि बाकी खातों की सत्यापन की प्रक्रिया जारी है।

इसके साथ ही अबतक 60 प्रतिशत मोबाइल कनेक्शन भी आधार से जोड़े जा चुके हैं। UIDAI के अधिकारियों के अनुसार देश में सक्रिय 142.9 करोड़ मोबाइल कनेक्शनों में से 85.7 करोड़ को पहले ही आधार से जोड़ा जा चुका है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने इस काम के लिए 31 मार्च 2018 तक का समय रखा है। जाहिर है कि देश में 120 करोड़ से अधिक नागरिकों को 12 अंकों का आधार नंबर जारी किया जा चुका है।

आधार भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा हथियार बन चुका है। आपको बताते हैं किस आधार कार्ड से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में किस तरह मदद मिल रही है।

फायदा नंबर 1- 1.30 लाख फर्जी शिक्षकों का खुलासा
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बीते साल सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से कहा था कि वे अपने यहां कार्यरत शिक्षकों की जानकारी देते समय उनका 12 अंकों का आधार नंबर भी जरूर उपलब्ध कराएं। आधार नंबर के जरिये शिक्षकों के बारे में पता करने की प्रक्रिया के दौरान एक बड़ा खुलासा सामने आया है कि देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत बताए जा रहे 1,30,000 शिक्षक असल में हैं ही नहीं। livemint की खबर के अनुसार देश के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की संख्या करीब 14 लाख है। यानी अब आधार से पहचान के पुष्टिकरण के बाद इनमें से 10 प्रतिशत ऐसे निकले हैं जो असल में थे ही नहीं। 

फायदा नंबर 2- मिड डे मील योजना में भी फर्जी छात्रों का पर्दाफाश
यह एक बड़ा खुलासा है जो आधार के जरिये पहचान कन्फर्म करने की प्रक्रिया से सामने आया है। इससे पहले मध्यान्ह भोजन यानी मिड डे मील योजना में भी ऐसी ही गड़बड़ियां सामने आई थीं। पिछले वर्ष अप्रैल में पता चला था कि इस योजना में 4 लाख 40 हजार छात्रों का रजिस्ट्रेशन फर्जी तरीके से हुआ है। यह आंकड़ा भी सिर्फ तीन राज्यों-आंध्र प्रदेश, झारखंड और मणिपुर के बच्चों का था। ऐसे में अनुमान ही लगाया जा सकता है कि गड़बड़ी किस स्तर पर हो रही होगी और आधार लिंकेज इसका पर्दाफाश करने में कितना कारगर है। मोदी सरकार अपने सुधारवादी कार्यक्रमों में आधार लिंकेज को शामिल कर भ्रष्टाचार पनपाने वाले लीकेज को खत्म करने को लेकर प्रतिबद्ध है।

फायदा नंबर 3- राशन कार्ड से आधार जुड़ा तो मिले 3 करोड़ फर्जी 
आधार नंबर से राशन कार्ड को जोड़ने की योजना से भी सरकारी खजाने को राहत मिली है। खाद्य सब्सिडी में सालाना 17 हजार करोड़ रुपये की चोरी रुक गई है। आधार लिंकिंग से देश भर में कुल 3 करोड़ फर्जी और नकली राशन कार्ड रद्द किए जा चुके हैं। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में 23.20 करोड़ राशन कार्ड हैं जिसे शत प्रतिशत डिजिटल किया जा चुका है। अब तक 19 करोड़ यानी 82 फीसदी राशन कार्ड को आधार से जोड़ा जा चुका है। इसमें 2.95 करोड़ राशन कार्ड फर्जी मिले। इन फर्जी राशन कार्डों को रद्द करने से सालाना 17 हजार करोड़ की बचत हो रही है।

फायदा नंबर 4- पौने चार करोड़ फर्जी गैस कनेक्शन खत्म 
सरकार ने रसोई गैस कनेक्शन से आधार लिंक करना अनिवार्य कर दिया। इसके साथ ही गैस सब्सिडी आधार लिंक्ड बैंक खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर बेनिफिट के तहत जाने लगा। इससे नकली कनेक्शन और चोर-बाजारी की समस्या पर रोक लगाने में मदद मिली है। 1 दिसंबर, 2017 तक के ताजा सरकारी आंकडों के मुताबिक आधार से लिंक करने की वजह से कुल 3,77,94,000 गैस कनेक्शन रद्द किए जा चुके हैं। इनमें फर्जी, एक नाम से अलग-अलग कंपनियों में कनेक्शन और निष्क्रिय गैस कनेक्शन शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा फर्जी गैस कनेक्शन रद्द किए गए हैं। वहीं एलपीजी कनेक्शन को आधार नंबर और बैंक खाते के जोड़ने के बाद से अब तक सरकार 29,668 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी की बचत कर चुकी है।

राज्य रद्द किए गए एलपीजी कनेक्शन 
उत्तर प्रदेश 55.87 लाख
महाराष्ट्र 36.15 लाख
आंध्र प्रदेश 28.72 लाख
बिहार 11.42 लाख
झारखंड 4.89 लाख

 

वित्त वर्ष सब्सिडी में बचत की रकम
2014-15 14,818 करोड़
2015-16 6,443 करोड़
2016-17 4,608 करोड़
2017-अब तक 3,799 करोड़

 

फायदा नंबर 5- मनरेगा के एक करोड़ फर्जी जॉब कार्ड रद्द 
मनरेगा में अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतों को देखते हुए आधार नंबर को इस योजना के लिए अनिवार्य कर दिया। आधार नंबर लिंक होने पर मनरेगा में देश भर में एक करोड़ से ज्यादा जॉब कार्ड फर्जी मिले। सरकार ने तत्काल प्रभाव से फर्जी जॉब कार्ड को रद्द कर दिया।

फायदा नंबर 6- DBT से हुई 75,000 करोड़ की बचत
सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का पैसा सीधे खातों में भेजकर यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) से मोदी सरकार ने 2014 से लेकर अबतक करीब 75 हजार करोड़ रुपये की बचत की है। नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक डीबीटी पेमेंट इस वित्त वर्ष में 1,00,144 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। सरकार ने 2016-17 में डीबीटी के जरिए 74,707 करोड़ जारी किए थे जबकि 2013-14 में यूपीए के कार्यकाल के दौरान 7,367 करोड़ रुपये का डीबीटी हुआ था। ग्रामीण रोजगार योजना और सब्सिडी वाली रसोई गैस के लिए इस वित्त वर्ष में 63 करोड़ से ज्यादा लोगों को डीबीटी पेमेंट मिला है जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 35 करोड़ का था। इस तरह डीबीटी से देश की आधी आबादी को बिना किसी बिचौलिए या लीकेज के सीधे भुगतान का फायदा मिल रहा है। खबर के अनुसार अनुसार योजना और सब्सिडी का पैसा गलत हाथों में जाने से रुकने से सरकार की कुल बचत लगभग 75,000 करोड़ रुपये तक हो सकती है।

फायदा नंबर 7- बिछड़े परिजनों को मिलाया
आधार सिर्फ भ्रष्टाचार रोकने में ही नहीं, लापता परिजनों को खोजने में भी कारगर साबित हुआ है। आधार कार्ड पहचान का आधार होने के साथ-साथ अपनों को मिलाने का जरिया भी बन रहा है। आधार कार्ड बने होने की वजह से अपनों से बिछड़ गए सैकड़ों लोगों को वापस अपना परिवार मिल गया है। आधार नंबर की बदौलत 500 गुमशुदा बच्चों का पता लगाया गया। इसका सबसे बड़ा मानवीय पक्ष यह है कि अगर आधार न होता तो सैकड़ों व्यक्ति गुमनामी के अंधेरे खो गए होते।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने संसद में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए Prevention of Money-Laundering (Maintenance of Records) पारित किया। इस कानून के तहत सरकार ने कई योजनाओं और सेवाओं के साथ आधार नंबर से लिंक करना अनिवार्य कर दिया है। जाहिर है सरकार के इस कदम से सब्सिडी बिचौलिए की जेब में न जाकर लाभार्थियों के खाते में जा रही है। 

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