जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मुहर लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार का फैसला संविधान सम्मत था। अनुच्छेद-370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला विदेशी मीडिया में भी सुर्खियों में रहा। ज्यादातर विदेशी मीडिया संस्थानों ने इसे मोदी सरकार की जीत बताया और कहा कि इससे अगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बढ़त मिलेगी। वहीं भारत विरोधी एजेंडा चलाने वाले ब्रिटेन के अखबार ‘द गार्जियन’ ने पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए लिखा कि मोदी सरकार ने बगैर किसी राय-मशवरे के इस कानून को निरस्त कर दिया था। पाकिस्तानी मीडिया में तो इस फैसले को लेकर रोना-गाना ही चल रहा है। देश के प्रमुख अखबार ‘द डॉन’ ने ‘भारत की शीर्ष अदालत ने कश्मीर के लिए विशेष दर्जा खत्म करने के फैसले को बरकरार रखा, चुनाव कराने के दिए आदेश’ शीर्षक से खबर छापी है। अखबार ने लिखा कि इस फैसले ने देश के बाकी हिस्सों के लोगों को कश्मीर में संपत्ति हासिल करने और स्थायी रूप से वहां बसने के अधिकार पर अंतिम मुहर लगा दी है। भारत के प्रति नफरत से भरे पाकिस्तानी मीडिया हो चाहे नेता वे कश्मीर के लोगों की भलाई कभी नहीं चाहते इसीलिए वे भारत के फैसले को कभी स्वीकार नहीं करेंगे, यह स्पष्ट है।
ब्लूमबर्ग : भाजपा के लिए उत्साहवर्धक, लोकसभा चुनाव में होगा फायदा
अमेरिकी मीडिया हाउस ब्लूमबर्ग ने लिखा, भारत की शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता खत्म करने के मोदी सरकार के फैसले को बरकरार रखा है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी भाजपा के लिए आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उत्साहवर्धक है।
सीएनएन : कोर्ट ने जल्द चुनाव कराने के लिए कहा
अमेरिकी न्यूज चैनल सीएएन ने लिखा, भारत की सबसे बड़ी अदालत ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने के केंद्र सरकार के 2019 में लिए गए फैसले पर मुहर लगा दी है। मुस्लिम बहुसंख्या वाले कश्मीर को राज्य का दर्जा लौटाया जाए और यहां जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव भी कराए जाएं।
अलजजीरा : अस्थायी था विशेष दर्जा, कोर्ट रद्द कर दिया
कतर की न्यूज चैनल अलजजीरा ने लिखा, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को 2019 में रद्द कर दिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष दर्जा को अस्थायी बताया। मुस्लिम-बहुल क्षेत्र को 1949 से विशेष दर्जा प्राप्त था। अल-जजीरा ने लिखा, भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाए जाने को संविधान के दायरे में लिया गया फैसला बताया। इसके अलावा कोर्ट ने सितंबर 2024 तक राज्य में चुनाव कराने के भी आदेश दिए हैं।
बीबीसी : खास दर्जा नहीं मिलेगा वापस, राज्य का दर्जा बहाल करें
ब्रिटिश मीडिया हाउस बीबीसी ने लिखा, सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म कर विशेष दर्जा हटाए जाने के फैसले पर मुहर लगा दी है। अब खास दर्जा वापस नहीं मिलेगा। मोदी की सरकार ने 2019 में यह दर्जा खत्म कर दिया था। कोर्ट ने राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल करने को कहा।
डायचे वैले : जम्मू-कश्मीर के साथ देश के दूसरे राज्यों की तरह ही बर्ताव
जर्मन मीडिया हाउस डायचे वैले (डी डब्लू) ने लिखा, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जम्मू-कश्मीर के साथ देश के दूसरे राज्यों की तरह ही बर्ताव किया जाना चाहिए। डी डब्लू ने मोदी के बयान को भी रेखांकित किया है, जिसमें कहा-यह फैसला राज्य के बेहतर भविष्य पर मुहर लगाता है।
द गार्जियनः बिना राय-मशवरे के हटाया गया अनुच्छेद 370
ब्रिटेन की अखबार ‘द गार्जियन’ ने लिखा, “आजादी के 70 साल के बाद कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था। नरेंद्र मोदी सरकार ने कश्मीर की जनता से बगैर किसी राय-मशवरे के इस कानून का निरस्त कर दिया था। “ब्रितानी अखबार ने लिखा, “निरस्तीकरण के बाद राज्य में बड़ी संख्या में फौजियों की तैनाती की गई और कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया। इसके अलावा राज्य में 18 महीनों तक इंटरनेट सेवा ठप रही।”
जियो टीवी : जम्मू-कश्मीर से स्पेशल स्टेटस हटाया जाना सही था
पाकिस्तानी टीवी चैनल जियो न्यूज ने कहा, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि 2019 में जम्मू-कश्मीर से स्पेशल स्टेटस हटाया जाना सही था, क्योंकि यह अस्थायी प्रावधान था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दो अहम बातें कही गई हैं। जम्मू और कश्मीर को जल्द से जल्द राज्य का दर्जा दिया जाए। यहां सितंबर 2024 तक चुनाव कराए जाएं।
डॉन : दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में खरीद सकेंगे जमीन
पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार डॉन ने लिखा, फैसले में एक अहम बात यह है कि राज्य में 30 सितंबर 2024 तक चुनाव कराने का आदेश भारत के चुनाव आयोग को दिया गया है। फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगने के बाद यह साफ है कि अब दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन और दूसरी प्रॉपर्टीज खरीद सकेंगे।
अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन: पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ट्वीट कर कहा कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के खिलाफ फैसला देकर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि अदालत ने लाखों कश्मीरियों के बलिदान को धोखा दिया है और इस फैसले को न्याय की हत्या को मान्यता देने के तौर पर देखा जाएगा।
بھارتی سپریم کورٹ نےاقوام متحدہ کی قراردادوں کے منافی فیصلہ دیکر عالمی قوانین کی خلاف ورزی کی ہے۔ بھارتی سپریم کورٹ نے لاکھوں کشمیریوں کی قربانی سے غداری کی ہے۔ بھارتی سپریم کورٹ کے اس متعصبانہ فیصلہ سے تحریک آزادی کشمیر مزید مضبوط ہوگی ۔ کشمیری جدو جہد میں کوئی کمی نہیں آئے گی۔…
— Shehbaz Sharif (@CMShehbaz) December 11, 2023
भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का कोई मूल्य नहीं: पाकिस्तान के विदेश मंत्री
पाकिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने कहा भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का कोई मूल्य नहीं है। जम्मू-कश्मीर का मसला दशकों से संयुक्त राष्ट्र में है। इस तरह से कश्मीरियों का हक नहीं छीना जा सकता।
International law doesn’t recognize India’s unilateral and illegal actions of 5 August 2019. The judicial endorsement by the Indian Supreme Court has no legal value. Kashmiris have an inalienable right to self determination in accordance with the relevant UN SC resolutions.
— Jalil Abbas Jilani (@JalilJilani) December 11, 2023