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मोदी सरकार में साकार होते कश्मीरी युवाओं के सपने, ‘कश्मीर सुपर 50’ के 32 छात्रों ने पास किया जेईई (मेंस)

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कश्मीर घाटी में शांति बहाली और वहां युवाओं को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए मोदी सरकार कई स्तर पर काम कर रही है। कश्मीरी के लोगों का विश्वास जीतने के लिए किए जा रहे इन प्रयासों का असर दिख रहा है और आज घाटी का युवा अपने साकार कर देश की प्रगति में हाथ बंटा रहा है। कश्मीर में पटना के ‘सुपर 30’ की तर्ज पर सेना और एक एनजीओ के सहयोग से ‘कश्मीर सुपर 50’ प्रॉजेक्ट चलाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत कश्मीर के 50 छात्रों को इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की मुफ्त कोचिंग दी जाती है। इस वर्ष 32 कश्मीरी छात्रों ने जेईई (मेंस) पास किया है। उन छात्रों में से 7 ने जेईई (एडवांस) क्लियर किया है। कोचिंग के लिए चुने गए कुल 50 छात्रों में से 45 लड़के और पांच लड़कियां थीं। उनको जेईई, जेकेसीईटी और अन्य इंजिनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए मुफ्त रेजिडेंशल कोचिंग मुहैया कराई गई। जेईई मेंस पास करने वालों में 20 अनुसूचित जनजाति श्रेणी, 2 अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के छात्र हैं और 2 लड़कियां है। सुपर 50 का यह पांचवां बैच है।

जेईई (मेंस) क्लियर करने वाले छात्रों ने आर्मी चीफ से की मुलाकात
कश्मीर सुपर 50 के 30 छात्रों के एक ग्रुप ने मंगलवार को आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत से भेंट की। जनरल बिपिन रावत ने इन छात्रों से बातचीत की और अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने छात्रों को कड़ी मेहनत करने और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय योगदान देने के लिए प्रेरित किया। आपको बता दें कश्‍मीर सुपर 50 कार्यक्रम भारतीय सेना, सेन्‍टर फॉर सोशल रिस्‍पोंस्‍बिलिटी एंड लीडरशिप (सीएसआरएल) और पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड (पीएलएल) की संयुक्‍त पहल है। कश्‍मीर क्षेत्र में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बच्‍चों की शैक्षणिक स्थिति में बदलाव करने के उद्देश्‍य से इस कार्यक्रम को 22 मार्च, 2013 को शुरू किया गया था। इसके तहत जेईई, जेकेसीईटी व अन्‍य इंजीनियरिंग परीक्षाओं के लिए छात्रों को आवास सुविधा के साथ कोचिंग की सुविधा दी जाती है। इस कार्यक्रम की अवधि 11 महीने है। इस पहल के हिस्से के तौर पर गरीब वर्ग के उन छात्रों को चुना जाता है जिन लोगों ने 12वीं क्लास में 70 फीसदी से ज्यादा मार्क्स हासिल किया हो। उन छात्रों को फिर एक ऐप्टिट्यूड टेस्ट देना होता है और उनमें से टॉप 50 छात्रों को चुना जाता है।

पिछले चार वर्षों में मोदी सरकार ने कश्मीर घाटी की फिजा बदलने के लिए काफी कुछ किया है। एक नजर डालते हैं।

मोदी सरकार की रणनीति का असर, घाटी में हथियार छोड़ घर लौटना चाहते हैं कई आतंकी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार की स्पष्ट नीति है जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करना। इसके लिए मोदी सरकार विशेष रणनीति बनाकर काम कर रही है और इसी रणनीति का असर है कि आतंकवाद का दंश झेल रहे कश्मीर में कई ऐसे नौजवान, जो बहकावे में आकर आतंकी बन गए थे, अब अपने घर लौटना चाहते हैं। मोदी सरकार के निर्देश पर सेना भी इसकी भरकस कोशिश कर रही है कि घाटी में भटके हुए युवा आतंक का रास्ता छोड़ कर देश की मुख्यधारा में शामिल हों। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले वर्ष लाल किले से साफ लफ्जों में कहा था कि गोली से नहीं, गले लगाने से कश्मीर समस्या हल होगी।

भटके युवाओं को मुख्यधारा में लाने की कोशिश
कश्मीर घाटी में इसके लिए सेना ने व्यापक स्तर पर काम किया है। सेना ऐसे लड़कों के पुनर्वास, शिक्षा को फिर शुरू करने के लिए हर तरह की मदद करने को तैयार है। बताया जा रहा है कि कश्‍मीर में बड़ी संख्या आतंकियों को ढेर करने के बाद सुरक्षाबलों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। इसी रणनीति के तहत आतंक की राह में भटके युवाओं को मुख्‍यधारा में वापस लाने का काम किया जा रहा है। सेना की बदली रणनीति का ही हिस्‍सा है कि घाटी में सेना की तरफ से इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था। इतना ही नहीं सेना यहां पर लगातार आम जनता से जुड़ने का प्रयास कर रही है।

रमजान में संघर्ष विराम इसी रणनीति का हिस्सा
बताया जा रहा है कि मोदी सरकार की ओर से कश्मीर में रमजान महीने के दौरान एकतरफा संघर्ष विराम की घोषणा इसी रणनीति का हिस्सा है। इस रणनीति का असर भी दिखने लगा है, घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं में आश्चर्यजनक रूप से कमी आई है। राज्य पुलिस के अधिकारी भी संघर्ष विराम को सफल बताते हुए इसके लिए केंद्र सरकार का आभार जता रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इसके असर को लेकर राज्य पुलिस द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि कश्मीर घाटी के विभिन्न इलाकों में हिंसक प्रदर्शनों में कमी आई है।

प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर गले लगाने का अभियान
 ”गाली और गोली से नहीं, गले लगाने से कश्मीर समस्या हल होगी।” वर्ष 2017 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जब लालकिले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात कही थी। उनके इस आह्वान का असर ये हुआ है कि कट्टरपंथी कश्मीरी युवा मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। इसी का परिणाम है कि फुटबॉलर से आतंकवादी बने माजिद खान के पिछले वर्ष नवंबर में मुख्यधारा में वापसी के बाद अबतक पांच से अधिक आतंकवादी दहशतगर्दी को अलविदा कह चुके हैं। हाल ही में पकड़े गए लश्कर के आतंकवादी ऐजाज गुजरी यहां तक कहा है कि सेना चाहती तो उसका खात्मा कर सकती थी, लेकिन मुख्यधारा में लौटने की बात कहने के बाद सेना के जवानों ने ही उसकी जान बचा ली।


प्रधानमंत्री मोदी की पहल से कश्मीर में विकास को मिल रही तेज गति
पिछले महीने 19 मई को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वहां कई विकास योजनाओं की शुरुआत की। ये योजनाएं न सिर्फ कनेक्टिविटी को बढ़ाने वाली हैं, बल्कि विकास की गति को नई रफ्तार देने वाली हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने बांदीपुरा जिले में 330 मेगावाट किशनगंगा पनबिजली परियोजना का उद्घाटन कर पड़ोसी देश पाकिस्तान को भी स्पष्ट संदेश दे दिया है कि उसकी आपत्तियों के कारण जम्मू-कश्मीर का विकास बाधित नहीं होने दिया जाएगा। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी नीति से स्पष्ट कर दिया है कि वे आतंक के साये में सांस लेने को मजबूर अपने कश्मीर के नागरिकों को उनकी समस्याओं के साथ अकेला नहीं छोड़ेंगे।

बीते चार वर्षों के कार्यकाल को देखें तो प्रधानमंत्री मोदी की ये बात सत्य साबित हुई है। केंद्र सरकार की ठोस नीतियों की वजह से कश्मीर में हालात बदल रहे हैं। वहां के निवासियों का मिजाज बदल रहा है। एक ओर सेना और केंद्र सरकार पर लोगों का भरोसा और विश्वास बढ़ा है, वहीं विकास कार्यों ने रफ्तार पकड़ ली है।

जम्मू-कश्मीर में विकास की गति को दी तेज रफ्तार
जम्मू-कश्मीर में हर वर्ष 2 लाख से अधिक पर्यटक आते हैं, इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने यहां कनेक्टिविटी की समस्या पर सबसे अधिक ध्यान दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा जम्मू और कश्मीर के बराबर विकास पर ध्यान दिया है। जम्मू-कश्मीर में 80,000 करोड़ के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। इसी क्रम में उन्होंने 19 मई को उन्होंने जम्मू-कश्मीर को लेह-लद्दाख क्षेत्र से जोड़ने वाली एशिया की सबसे लंबी टू-लेन जोजिला सुरंग परियोजना का शिलान्यास किया। इसके साथ ही श्रीनगर शहर के ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए 1860 करोड़ की लागत वाली 42.1 किमी लंबी चार लेन की रिंग रोड का भी आधारशिला रखी। जम्मू में शुरू हो रही 2, 023 करोड़ की लागत से जम्मू रिंग रोड की परियोजना भी महत्वपूर्ण है। 58.25 किमी लंबी रिंग रोड में आठ बड़े ब्रिज, 6 फ्लाइओवर, 2 टनल और 4 डक्ट का निर्माण किया जाएगा।

चार साल में पीएम मोदी ने बदल दी कश्मीर की फिजा
जम्मू-कश्मीर के लोगों में विकास के लिए बदलाव की चाहत थी। पीएम मोदी की पहले से इसे सकारात्मक मोड़ दिया गया। उन्होंने टेररिज्म की जगह टूरिज्म को बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने बिजली की आपूर्ति में सुधार, सड़कों की दशा ठीक करने का कमिटमेंट किया। उन्होंने लोगों को आतंकवादियों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई का जहां भरोसा दिया, वहीं राज्य को विकास की रेस में लाने का वादा भी किया। उन्होंने अप्रैल 2017 में जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर 9 किलोमीटर लंबी चनैनी-नाशरी टनल का उद्घाटन के साथ ही इस रफ्तार देनी शुरू कर दी थी।

जम्हूरियत, कश्मीरियत, इंसानियत हो रही मजबूत
प्रधानमंत्री मोदी के दिल में कश्मीर बसता है। उन्होंने वर्ष 2014 में श्रीनगर के शेरे-ए-कश्मीर स्टेडियम में ये कहा साफ कहा था कि कश्मीर अगर बढ़ेगा तो वह जम्हूरियत, इंसानियत और कश्मीरियत की बदौलत होगा। उन्होंने पहले पीडीपी के साथ सरकार बनाकर जम्हूरियत यानि लोकतंत्र को मजबूत किया। इसके बाद उन्होंने गले लगाने का अभियान चलाकर जहां भटके हुए लोगों को विकास की मुख्यधारा से जुड़ने का आह्वान किया, वहीं कश्मीर के गौरव को बढ़ाने के लिए कई अभियान चलाए।

लोगों को मिल रही सहूलियत, गद्दारों का काम तमाम
अपने पहले ही बजट में मोदी सरकार ने खेल के बुनियादी ढांचों के विकास के लिए राज्य को 200 करोड़ रुपये दिये थे। इसी का असर है कि श्रीनगर की गलियों में सुरक्षा बलों पर पत्थरबाज लड़कियों की अगुवा अफशां आशिक जम्मू-कश्मीर महिला फुटबॉल टीम की कप्तानी कर रही हैं। वहां आज आर्मी गुडविल स्कूल के तहत जरूरतमंदों को शिक्षा भी दी जा रही है। सुपर-40 के जरिये भी सेना प्रतिभाओं को नई धार देने की कोशिश में जुटी रहती है। सेना में भर्ती होने वाले कश्मीरी युवाओं की संख्या भी बढ़ी है। दूसरी ओर चार वर्षों 645 आतंकियों को ढेर कर दिया गया है, वहीं टेरर फंडिंग के आरोप में अलगाववादी नेताओं पर भी सख्त कार्रवाई जारी है।

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