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2022 में देश में बने 23 यूनिकॉर्न, दूसरे साल भी भारत ने चीन को पीछे छोड़ा, महानगरों से बड़े और मध्यम शहरों की ओर यूनिकॉर्न का विस्तार

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत स्टार्टअप क्रांति के दौर से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की विजनरी सोच और उद्यमशील युवाओं की मेहनत ने भारत के स्टार्टअप सेक्टर को नई बुलंदियों पर पहुंचा दिया है। मोदी सरकार जिस तरह सुविधाएं और प्रोत्साहन दे रही है। इससे स्टार्टअप और यूनिकॉर्न की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है। स्टार्टअप के यूनिकॉर्न बनने के मामले में भारत ने लगातार दूसरे साल चीन को पीछे छोड़ दिया है। इसके साथ ही भारत के लिए अच्छी खबर यह है कि देश के स्टार्टअप सेक्टर का विस्तार महानगरों से छोटे शहरों में भी हो रहा है। स्टार्टअप और यूनिकॉर्न की संख्या बढ़ने से रोजगार में भी बढ़ोतरी हो रही है।

दरअसल बुधवार (15 मार्च, 2023) को जारी आईवीसीए-बैन एंड कंपनी की रिपोर्ट में बताया गया कि 2022 में भारत में 23 कंपनियों को यूनिकॉर्न का दर्जा मिला। हालांकि इस वर्ष की संख्या 2021 में बनाए गए 44 यूनिकॉर्न की तुलना में आधी है, लेकिन चीन की तुलना में कहीं अधिक है। बीते वर्ष चीन में एक अरब डॉलर के मूल्यांकन वाले ऐसे स्टार्टअप की संख्या महज 11 रही। यह लगातार दूसरा साल है जब यूनिकॉर्न की संख्या के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ा है। अब भारत में उच्च मूल्य वाली इन कंपनियों की संख्या 96 हो गई है। 

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में स्टार्टअप और यूनिकॉर्न महानगरों के अलावा बड़े और मध्यम दर्जे के शहरों में भी बन रहे हैं। 2022 में बने 23 यूनिकॉर्न में से नौ शीर्ष 3 महानगरों के बाहर के शहरों से निकले हैं। इससे पता चलता है कि गैर-महानगरों में स्टार्टअप की कुल फंडिंग में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और अब निवेशक छोटे शहरों में काम करने वाले स्टार्टअप में निवेश कर रहे हैं। इससे युवा उद्यगपति इस क्षेत्र में जोखिम लेने से डर नहीं रहे हैं। इस साल भी कई निवेशकों ने अपना सबसे बड़ा फंड भारत केंद्रित स्टार्टअप से जुटाया है।गौरतलब है कि बेन एंड कंपनी ने यह वार्षिक रिपोर्ट इंडियन वेंचर एंड अल्टरनेट कैपिटल एसोसिएशन (आईवीसीए) के साथ मिलकर तैयार की है। इसमें कहा गया कि 2022 में व्यापक आर्थिक अनिश्चितता और मंदी की आशंका बढ़ने से निवेश की गति प्रभावित हुई। सौदे का मूल्य 2021 के 38.5 अरब डॉलर से घटकर 2022 में 25.7 अरब डॉलर रह गया। इसकी वजह से घरेलू स्टार्टअप परिवेश में सौदे के मूल्य में 33 प्रतिशत का संकुचन आने के बावजूद देश 23 यूनिकॉर्न जोड़ पाया। 

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