Home झूठ का पर्दाफाश थरूर के बाद राजस्थान के पूर्व मंत्री ने राहुल-इंदिरा को घेरा, आपातकाल...

थरूर के बाद राजस्थान के पूर्व मंत्री ने राहुल-इंदिरा को घेरा, आपातकाल लगाना और राहुल का संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाना गलत

SHARE

कांग्रेस की ऐतिहासिक खामियों को गिनाने के लिए अब विपक्षी नेताओं की जरूरत नहीं रही है। कांग्रेस के अपने नेता ही पार्टी हाईकमान को गलतियों का आईना दिखाने में लगे हैं। कांग्रेस हाईकमान भले ही आंखों पर पट्टी बांधकर ‘दूध पीती बिल्ली’ बना रहे, लेकिन एक के बाद एक नेता कांग्रेस की ‘दादी’ और ’युवराज’ पर निशाना साधने में लगे हैं। तिरुवनंतपुरम के कांग्रेस सांसद शशि थरूर के बाद अब इंदिरा गांधी की इमरजेंसी की पोल राजस्थान के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र व्यास ने खोली है। सुरेंद्र व्यास ने अपनी किताब में इंदिरा गांधी की इमरजेंसी लगाने की भी खुलकर आलोचना की है। बिना कैबिनेट की मंजूरी के आपातकाल लगाने का निर्णय पूरी तरह असंवैधानिक था। यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक दुर्भाग्यपूर्ण अध्याय है। इतना ही नहीं पांच बार विधायक रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता व्यास ने राहुल गांधी के विदेशों में जाकर देश की संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाने को बेहद गैर जिम्मेदाराना कदम बताया है। काबिले जिक्र है कि अभी कुछ दिन पहले ही कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी इंदिरा गांधी के आपातकाल की कटु आलोचना की थी।किताब में पिछले 50 साल की राजनीति की कई घटनाओं का जिक्र
कांग्रेस सरकार में पूर्व मंत्री सुरेंद्र व्यास ने हाल ही लिखी किताब- ‘एक विफल राजनीतिक यात्रा’ में अशोक गहलोत, सचिन पायलट विवाद से लेकर पिछले 50 साल की प्रदेश की राजनीति की कई घटनाओं का जिक्र करते हुए कई खुलासे किए हैं। इसमें उन्होंने इंदिरा-राहुल के अलावा राजस्थान में कांग्रेस के कई पूर्व मुख्यमंत्रियों की नजदीकियों और दूरियों से लेकर राजनीति में हुए षड्यंत्रों और धोखेबाजी के किस्सों के बारे में बताया है। उन्होंने खुलासा किया है कि किस तरह कांग्रेस का राज अपनों के खिलाफ ही साजिशों-षड्यंत्रों से भरा पड़ा है। पायलट-गहलोत राज में ही कांग्रेस नेताओं के बीच राजनीतिक साजिशें नहीं चलीं, बल्कि इससे दशकों पहले भी राजस्थान में कांग्रेस के राज में कांग्रेस नेताओ को ही एक-दूसरे पर विश्वास नहीं था। हालात यह थे कि विधायक पुत्र की जन्मदिन पार्टी को भी सत्ता विरोधी पार्टी करार देकर उसमें शामिल मंत्रियों के इस्तीफे तक ले लिए गए थे।राहुल की संवैधानिक संस्थाओं पर विदेश में टिप्पणियां गैर जिम्मेदार
पूर्व मंत्री सुरेंद्र व्यास ने अपनी किताब में बड़ी बेबाकी से खुलासा कर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा है। उन्होंने राहुल गांधी के विदेशों में जाकर देश की संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाने को बेहद गैर जिम्मेदाराना बताया है। सुरेंद्र व्यास ने किताब में लिखा है- आज जब राहुल गांधी विदेश जाकर यह आरोप लगाते हैं कि सभी संवैधानिक संस्थाएं जिनमें न्यायपालिका भी शामिल है, वो पीएम मोदी की टूल मात्र रह गई हैं, यह न केवल झूठ है अपितु बहुत गैर जिम्मेदाराना भी है। आज केंद्र सरकार के किसी भी निर्णय पर अंकुश लगाने का सामर्थ्य विपक्ष में बिल्कुल नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर सरकार के आदेशों के खिलाफ फैसला जरूर दिया है। ऐसे में राहुल गांधी द्वारा संवैधानिक संस्थाओं पर अंगुली उठाने के बयान बेहद बचकाने हैं।आपातकाल काला अध्याय, यह इंदिरा गांधी का असंवैधानिक निर्णय
उन्होंने अपनी किताब में इंदिरा गांधी की इमरजेंसी लगाने की भी कटु आलोचना की है। व्यास ने लिखा है- आपातकाल लगाने का निर्णय इंदिरा गांधी ने बिना कैबिनेट के निर्णय के अपने स्तर पर किया था। कैबिनेट से इस निर्णय का अनुमोदन बाद में लिया गया, जो की पूरी तरह असंवैधानिक था। उस समय भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक दुर्भाग्यपूर्ण अध्याय लिखा गया। जब सभी वैधानिक और संवैधानिक संस्थाओं ने अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह नहीं करके अपने-आप को इंदिरा गांधी के प्रति समर्पित कर दिया था। यहां तक की सुप्रीम कोर्ट ने जब आपातकाल के खिलाफ और विशेष कर संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों को सस्पेंड किए जाने के खिलाफ पेश की गई याचिकाओं तक की सुनवाई नहीं की, जो एक इसका उदाहरण है। जस्टिस खन्ना ने अपने पद की गरिमा के अनुरूप और संविधान की रक्षा करने के लिए इस निर्णय से असहमति जताई थी और इसकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। उनको चीफ जस्टिस नहीं बनाकर उनसे जूनियर जज को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बना दिया। जस्टिस सिन्हा ने इसके खिलाफ इस्तीफा जरूर दिया। लेकिन इस फैसले के कारण जस्टिस खन्ना वैधानिक इतिहास में सदा के लिए अमर हो गए।

सीएम फेस बनकर भी अब पायलट टोंक से विधानसभा लड़े तो हारेंगे
वरिष्ठ कांग्रेस नेता व्यास ने अपनी किताब में लिखा है कि टोंक घोषित रूप से अल्पसंख्यक वर्ग के लिए आरक्षित माना जाता रहा है, लेकिन सचिन पायलट की क्या गणित है? क्यों वो टोंक से किसी मुस्लिम उम्मीदवार को चुनाव नहीं लड़ाना चाहते, उसे वही ज्यादा समझते हैं। लेकिन इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि यदि 2028 में फिर से सचिन पायलट अगर टोंक से चुनाव लड़ते हैं तो चाहे वह कांग्रेस की ओर से घोषित मुख्यमंत्री का चेहरा भी हों, तो भी चुनाव हार सकते हैं। उन्होंने लिखा है कि साल 2018 में सचिन पायलट का टोंक से चुनाव लड़ने का फैसला करना अचानक लिया गया निर्णय माना जा सकता है। उनके पास चुनाव लड़ने के लिए विधानसभा क्षेत्र की कोई कमी नहीं थी। लेकिन चिह्नित रूप से किसी स्थान विशेष से उन्हें नहीं जोड़ा जा सकता। 2023 में वहां से फिर चुनाव लड़ना इस बात का सबूत है कि पायलट मुस्लिम समुदाय का कांग्रेस के प्रति समर्थन का अनुचित लाभ उठाकर अपने गुर्जर समुदाय की सीट कम नहीं करना चाहते। पायलट गुर्जर विधायकों की किसी भी सीट से लड़ते तो जीतते।मानसिंह के खिलाफ गहलोत ने भ्रष्टाचार का मुकदमा खत्म किया था
कांग्रेस नेता ने खुलासा किया है कि अशोक गहलोत जब 1998 में मुख्यमंत्री चुने गए, तब वो विधानसभा सदस्य नहीं थे, जोधपुर से सांसद थे। उनके लिए तत्कालीन सरदारपुरा विधायक मानसिंह देवड़ा ने सीट खाली करने से पहले खुद के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में एसीबी में चल रहे मुकदमे को खत्म करने की शर्त रखी थी। मुख्यमंत्री रहते गृह विभाग भी गहलोत के पास था। गहलोत ने देवड़ा के खिलाफ केस खत्म करवा दिया। उसके बाद ही मानसिंह देवड़ा ने सरदारपुरा सीट से इस्तीफा दिया। व्यास ने लिखा- मानसिंह देवड़ा के खिलाफ मुकदमा खत्म करने की जानकारी आरटीआई तक में नहीं दी गई। जबकि गहलोत ने खुद यह कानून बनाया था। किसी के खिलाफ संगीन केस खत्म करना यह सीधे तौर से भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है और भ्रष्ट आचरण के दोषी की सदस्यता रद्द होती है, वह 6 साल के लिए चुनाव भी नहीं लड़ सकता।

 

किताब में कई पूर्व मुख्यमंत्रियों से जुड़े कई किस्सों के बारे में खुलासे किए
पूर्व मंत्री ने अपनी किताब में लिखा है कि मुख्यमंत्री बरकतुल्लाह खान ने राज्य के तत्कालीन गृह सचिव सीएल खुराना को मुख्य सचिव बनाकर और पूरा प्रशासन उन पर छोड़ दिया था। बरकत विधायकों से कोई संपर्क नहीं रखते थे और प्रशासन में हस्तक्षेप भी नहीं करते थे। धीरे-धीरे कार्यकर्ताओं और विधायकों का संपर्क सीएम से टूट गया और उनके प्रति असंतोष फैलने लगा। सुरेंद्र व्यास ने लिखा है कि एक अन्य मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का सार्वजनिक रूप से अपमान करने में बड़े आनंद का अनुभव करते थे। पहाड़िया फैसले नहीं ले पाते थे, उनके दफ्तर में फाइलों का अंबार लगा हुआ था, राजस्थान में प्रशासन ठप पड़ गया था। इतना ही नहीं हरिदेव जोशी के मुख्यमंत्री रहते हुए गुटबाजी और इंदिरा गांधी तक शिकायत करने के बाद डांट भी खानी पड़ी थी। व्यास ने लिखा है कि हरिदेव जोशी जनता में लोकप्रिय नहीं थे। वरिष्ठ नेता और भरतपुर विधायक राज बहादुर जोशी उनके खिलाफ थे। एक बार उन्होंने हरिदेव जोशी के खिलाफ एक प्रतिनिधिमंडल को इंदिरा गांधी से मिलवाने भिजवाया। हम सभी जब इंदिरा गांधी से मिलने गए तो वह हमारी तरफ पीठ करके दीवार की ओर देख रहीं थी। वरिष्ठ विधायक पीके चौधरी ने बात रखते हुए उन्हें कहा- अगर हरिदेव जोशी को मुख्यमंत्री पद से नहीं हटाया गया तो राजस्थान में कांग्रेस बहुत कमजोर हो जाएगी। इंदिरा गांधी ने डांटते हुए कहा- आप लोग क्या करते हैं? एक आदमी से पार्टी कमजोर या ताकतवर नहीं होती।शशि थरूर ने पार्टी हाईकमान को खुलकर कराया ‘सच का सामना’

इससे कुछ दिन ही पहले तिरुवनंतरपुरम से सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी हाईकमान को ‘सच का सामना’ कराया है। थरूर ने पहले पीएम मोदी और उनकी सरकार के कामों की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। फिर ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का गुणगान वैश्विक स्तर पर किया। उसके बाद इंदिरा गांधी द्वारा लगाए आपातकाल की खुलकर निंदा की है और इसे भारत के इतिहास का सबसे काला अध्याय बताया। इतना ही नहीं थरूर ने राहुल गांधी के चाचा संजय गांधी पर भी निशाना साधा है। मलयालम भाषा के अखबार ‘दीपिका’ में प्रकाशित अपने एक लेख में शशि थरूर ने कहा कि अनुशासन और व्यवस्था के लिए उठाए गए कदम जब आपातकाल जैसी क्रूरता में बदल जाते हैं, उन्हें किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने अपने लेख में इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी द्वारा चलाए गए जबरन नसबंदी अभियान को ‘क्रूरता का सर्वोच्च उदाहरण’ बताया। उन्होंने लिखा, “गरीब ग्रामीण इलाकों में लक्ष्य पूरा करने के लिए हिंसा और दबाव का सहारा लिया गया, जो क्रूरता की पराकाष्ठा थी।

पहले भी द हिंदू के लेख और एक्स पर पोस्ट कर दिखाया आईना
सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने पिछले दिनों से ‘सत्य का मार्ग’ पकड़ लिया है, जो झूठ के आडंबर पर बैठे कांग्रेस के आला नेताओं को सुहा नहीं रहा है। दरअसल, कांग्रेस में वैसे ही काबिल लोगों की बहुत कमी है। एक-दो बचे हैं, उनकी काबिलियत की कद्र कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को नहीं है। यही वजह है कि उनकी पटरी खरी-खरी और सही बात कहने वाले अपनी ही पार्टी के सांसद शशि थरूर के नहीं बैठ रही है। कांग्रेस सांसद ने पहले द हिंदू में लेख लिखकर कांग्रेस हाईकमान को आईना दिखाया था, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की समझ में नहीं आया। खरगे ने तब थरूर पर तंज करते हुए कहा, “मैं अंग्रेजी पढ़ नहीं सकता, लेकिन थरूर की लैंग्वेज बहुत अच्छी है। हमारे लिए देश पहले है, लेकिन कुछ लोगों के लिए मोदी फर्स्ट हैं।” इसके जवाब में शशि थरूर शानदार तरीके से गेंद कांग्रेस के पाले में ही डाल दी है। खरगे के राजनीतिक बयान पर शशि थरूर की साहित्यिक प्रतिक्रिया दी। दार्शनिक भाव के साथ एक्स पर यह टिप्पणी राजनीतिक रूप से भी एकदम दुरुस्त है। इसमें खरगे ही नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के लिए भी साफ-साफ, मगर सख्त संदेश दे दिया था।

अब राहुल गांधी के साथ उनकी दादी और चाचा संजय को बनाया निशाना
कांग्रेस सांसद ने एक बार फिर मलयालम भाषा के अखबार ‘दीपिका’ में लेख लिखा है। इस बार निशाना मल्लिकार्जुन नहीं, बल्कि राहुल गांधी के साथ उनकी दादी और चाचा बने हैं। उन्होंने साफ-साफ आपातकाल की निंदा करते हुए कहा है कि आज का भारत 1975 का भारत नहीं है। थरूर ने आपातकाल की निंदा की है और इसे भारत के इतिहास का एक काला अध्याय बताया है। शशि थरूर ने कहा कि कैसे आजादी खत्‍म की जाती है, ये 1975 में सभी ने देखा। लेकिन आज का भारत 1975 का भारत नहीं है। कांग्रेस नेता शशि थरूर का यह लेख उनकी पार्टी के नेताओं को फिर असहज कर सकता है। यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी शशि थरूर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों की तारीफ कर चुके हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद अन्‍य देशों में भारत का पक्ष रखने के लिए जो सांसदों की टीम बनाई गई थी, उसमें कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी शामिल थे। शशि थरूर ने विदेशी धरती पर मोदी सरकार का जमकर समर्थन किया था।आपातकाल को भारत के इतिहास का सबसे काला अध्याय बताया
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि आपातकाल को भारत के इतिहास के एक काले अध्याय के रूप में ही याद नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इसके सबक को पूरी तरह से समझा जाना चाहिए। मलयालम दैनिक दीपिका में आपातकाल पर प्रकाशित एक लेख में थरूर ने 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल के काले दौर को याद किया और कहा कि अनुशासन और व्यवस्था के लिए किए गए प्रयास अक्सर क्रूरता के ऐसे कृत्यों में बदल जाते थे, जिन्हें किसी भी सूरत में उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने चेतावनी दी कि सत्ता को केंद्रित करने, असहमति को दबाने और संविधान को दरकिनार करने का असंतोष आपातकाल के दौरान कई रूपों में फिर सामने आया था।

संजय गांधी का जबरन नसबंदी अभियान क्रूरता की पराकाष्ठा
तिरुवनंतपुरम के सांसद ने राहुल गांधी के चाचा संजय गांधी पर भी सीधा निशाना साधते हुए लिखा, “इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया, जो इसका एक कुख्यात उदाहरण बन गया। थरूर के अनुसार, यह अभियान मनमाना और क्रूर फैसला था, जिसने लोगों के जीवन पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डाला। गरीब ग्रामीण इलाकों में, मनमाने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हिंसा और ज़बरदस्ती का इस्तेमाल किया गया. नई दिल्ली जैसे शहरों में, झुग्गियों को बेरहमी से ध्वस्त और साफ़ किया गया। हज़ारों लोग बेघर हो गए। उनके कल्याण पर ध्यान नहीं दिया गया।” शशि थरूर ने कहा कि लोकतंत्र को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। यह एक अनमोल विरासत है, जिसे निरंतर पोषित और संरक्षित किया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा, ‘इसे हर जगह के लोगों के लिए एक स्थायी प्रेरणा स्रोत के रूप में काम करने दें।”

आज का भारत आत्मविश्वासी, विकसित और अधिक मज़बूत
उन्‍होंने कहा कि आज का भारत 1975 का भारत नहीं है। आज हम अधिक आत्मविश्वासी, अधिक विकसित और कई मायनों में अधिक मज़बूत लोकतंत्र हैं। फिर भी आपातकाल के सबक चिंताजनक तरीकों से प्रासंगिक बने हुए हैं। थरूर ने चेतावनी दी कि सत्ता को केंद्रीकृत करने असहमति को दबाने और संवैधानिक सुरक्षा उपायों को दरकिनार करने का लालच कई रूपों में सामने आया था। उन्होंने कहा, “अक्सर ऐसी प्रवृत्तियों को राष्ट्रीय हित या स्थिरता के नाम पर उचित ठहराया जाता है। इस लिहाज से आपातकाल एक कड़ी चेतावनी है। लोकतंत्र के रक्षकों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए।” थरूर ने कहा कि अक्सर ऐसे कार्यों को देशहित या स्थिरता के नाम पर उचित ठहराया जाता है। इस अर्थ में, इमरजेंसी एक चेतावनी के रूप में खड़ी है। उन्होंने निष्कर्ष में कहा कि लोकतंत्र के संरक्षकों को हमेशा सतर्क रहना होगा।

जिसको जो लिखना है लिखे, हम उसमें दिमाग नहीं लगाना चाहते-खरगे
अब कांग्रेस सासद शशि थरूर का क्या होगा? यह सवाल कांग्रेस में कई लोग पूछ रहे हैं। अभी तक कांग्रेस के कुछ प्रवक्ता थरूर पर सवाल उठा रहे थे। कोई उन्हें बीजेपी का प्रवक्ता तो कोई विदेश मंत्री बनाने की बात कह रहा था। तो कोई उन्हें अपने तथ्य ठीक करने की सलाह दे रहा था। मगर, बात अब कांग्रेस अध्यक्ष तक आ चुकी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से जब थरूर के बारे में बार-बार सवाल पूछा गया तो उन्हें थरूर पर अपनी चुप्पी तोड़नी पड़ी। जब खरगे से पूछा गया कि थरूर सरकार की तारीफ कर रहे हैं तो कांग्रेस अध्यक्ष का जवाब था, “हमने तो पहले ही कहा कि देश का मामला है, हम सेना और सरकार के साथ हैं।” जब खरगे से पूछा गया कि थरूर सरकार की तारीफ में लिख रहे हैं तो जबाब मिला कि जिसको जो लिखना आता है, वो लिखेगा। हम उसमें अपना दिमाग नहीं लगाना चाहते… हम क्यों डरेंगे, वो क्या कह रहे हैं..वो अपनी इच्छा के अनुसार बोल रहे हैं। मेरे लिए देश का हित सबसे ऊपर है और हम उसी के अनुसार काम कर रहे हैं।

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और थरूर के तनावपूर्ण रिश्ते 
कांग्रेस के साथ मल्लिकार्जुन खरगे तनावपूर्ण रिश्ता वैसे ही बना हुआ है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ ताजा तकरार भी वैसा ही नमूना है। नीलांबुर उपचुनाव को लेकर शशि थरूर और कांग्रेस की नोक-झोंक देखी जा चुकी है, केरल विधानसभा चुनाव तक तस्वीर और भी साफ हो जाएगी। मल्लिकार्जुन ने एक सवाल के जवाब में बोल दिया कि कुछ लोगों के लिए प्रधानमंत्री मोदी पहले हैं, और देश बाद में आता है। जैसे मल्लिकार्जुन ने अपनी टिप्पणी में थरूर का नाम नहीं लिया। वैसे ही शशि थरूर ने भी एक्स पर की अपनी प्रतिक्रिया में किसी का नाम नहीं लिया। लेकिन खरगे, कांग्रेस और राहुल गांधी को तगड़ा जवाब जरूर दे दिया।

An excellent and remarkably candid discussion with Konstantin Iosifovich Kosachev, Deputy Chairman of the Federation Council (the Upper House). Ranged from #OperationSindoor to regional geopolitics and relations between our Parliaments. A first-rate exchange of views pic.twitter.com/MVESSWERPB

ऑपरेशन सिंदूर पर थरूर की नाराजगी के बाद कोलंबिया ने बदले सुर
ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंक के चेहरे को बेनकाब करने के लिए शशि थरूर के नेतृत्व में जो डेलिगेशन कोलंबिया सहित की देशों में गया था। उसके काफी सकारात्मक परिणाम देखने को मिले। भारत की ओर से पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर के जरिए किए गए हमलों के बाद से कोलंबिया ने पाकिस्तान के प्रति संवेदना जताई थी, लेकिन जब शशि थरूर डेलिगेशन ने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जताई तो कोलंबिया को सुर बदलने पड़े। कोलंबिया की ओर से आधिकारिक तौर पर अपना बयान वापस ले लिया है। पहले इस मामले पर बात करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा था कि हम कोलंबिया सरकार की प्रतिक्रिया से निराश हैं। वहीं, डेलीगेशन से मुलाकात के बाद कोलंबिया की उप विदेश मंत्री योलांडा विलाविसेनियो ने कहा कि हमें सही स्पष्टीकरण मिला है। कश्मीर में जो कुछ हुआ उसके बारे में अब हमारे पास जो जानकारी है, उसके बेस पर हम बातचीत जारी रखेंगे। साथ ही हम अपना पिछला बयान वापस लेते हैं। इस दौरान शशि थरूर ने आगे कहा कि हमें अभी भी महात्मा गांधी की जमीन पर गर्व है। कोलंबिया के बयान वापस लेने के बाद ये संदेश गया है कि ये भारत की यह बड़ी कूटनीतिक जीत है। विदेशी दोरों से वापस आए डेलीगेशन्स ने पीएम मोदी से भी मुलाकात की थी।थरूर का राहुल, मल्लिकार्जुन और कांग्रेस पार्टी को करारा जवाब
कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन को जवाब देने के लिए शशि थरूर ने सोशल साइट एक्स पर एक तस्वीर शेयर की। तस्वीर में एक डाल पर एक पक्षी है। उन्होंने लिखा है, ‘उड़ने के लिए किसी से पूछना नहीं होता… पंख तुम्हारे हैं, आसमान तो किसी का भी नहीं होता। इस साहित्यिक टिप्पणी के साथ ही थरूर ने एक साथ ही सबको जवाब दे दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष को भी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी और मल्लिकार्जुन खड़गे को भी। कांग्रेस को तो साफ संदेश है, जो हो सके कर लो। कांग्रेस अपने लिए भी, और शशि थरूर के खिलाफ भी। इसका सीधा-सा भाव यही है कि शशि थरूर को अब कांग्रेस की परवाह नहीं है। ये पार्टी को तय करना है कि क्या फैसला लिया जाए।कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव में भी खरगे के खिलाफ लड़े थे थरूर
यहां बता दें कि मल्लिकार्जुन खरगे और शशि थरूर कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में आमने-सामने थे। सोनिया-राहुल ने तेजतर्जार शशि थरूर की बजाए कठपुतली अध्यक्ष बनने वाले मल्लिकार्जुन को वरीयता दी। इसलिए खरगे जीत गये और थरूर हार गए। अब खरगे की टिप्पणी पर शशि थरूर तंज भरे लहजे में ये समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि आपके पास पंख है, लेकिन आप उड़ नहीं सकते, क्योंकि कंट्रोल किसी और का है। यानी कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद भी आप वे ही कर पा रहे हैं, जो सोनिया-राहुल चाहते हैं। और दूसरी ओर ऐन इसी वक्त पर शशि थरूर ये भी जता रहे हैं कि वो अपनी मनचाही उड़ान उड़ रहे हैं। उन पर किसी का कंट्रोल नहीं है। वो भले ही निजी यात्रा पर हैं। लेकिन मोदी सरकार के एजेंडे पर चलते हुए देशहित का भी काम कर रहे हैं।शशि थरूर और पार्टी हाईकमान के बीच चल रही खींचतान छिपी नहीं
तिरुवनंतपुरम के कांग्रेस सांसद शशि थरूर और पार्टी हाईकमान के बीच चल रही खींचतान छिपी नहीं है। खरगे की टिप्पणी, थरूर की त्वतित प्रतिक्रिया और रूस की यात्रा में पाकिस्तान के खिलाफ सर्वदलीय डेलीगेशन की मुहिम को आगे बढ़ाने ने यह साफ कर दिया है कि उनके आपसी मतभेद और बढ़ने वाले हैं। इससे माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी में शशि थरूर के गिने-चुने दिन बच गए हैं। पहलगाम हमले के बाद कांग्रेस समेत विपक्ष पीएम मोदी सरकार से इंटेलिजेंस फेल्योर के लिए सवाल पूछ रहा था। कांग्रेस सांसद थरूर ने एक बयान दिया, हमें केवल उन हमलों के बारे में पता चलता है, जिन्हें हम विफल करने में असफल रहे। ये किसी भी देश में सामान्य बात है। इजरायल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी देश के पास फूलप्रूफ इंटेलिजेंस नहीं होता है। केंद्र सरकार को क्लीन चिट देने वाले उनके इस बयान से कांग्रेस में खलबली मच गई। कांग्रेस के कई नेताओं ने उनकी खुली आलोचना की। ऐसे कयास लगे कि शशि थरूर अब कांग्रेस से विदाई लेने वाले हैं। दो दिन पहले थरूर ने एक बार फिर इशारा दिया कि उनका पार्टी नेतृत्व से मतभेद है, जिस पर उपचुनाव के नतीजों के बाद चर्चा करेंगे।

खुर्शीद-तिवारी पर चुप्पी, बस थरूर पर जयराम और उदित राज के तंज
मोदी सरकार ने सफल ऑपरेशन सिंदूर चलाने के बाद कूटनीतिक पहल करते हुए 59 सदस्यों वाले सात प्रतिनिधिमंडल दुनिया के 33 देशों में भेजे। इनमें से एक प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कांग्रेस नेता शशि थरूर को दी गई। थरूर के अलावा कांग्रेस की ओर से पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा, चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी और अमर सिंह को चुना गया। इस लिस्ट में चार नाम ऐसे थे, जिसे कांग्रेस ने नॉमिनेट नहीं किया था। सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी भी कांग्रेस पार्टी हाईकमान की मंशा के विपरीत प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बने। मगर विवाद शशि थरूर को लेकर ज्यादा हुआ, जिन्हें पांच देशों में सांसदों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। थरूर ने बताया कि उन्होंने यह फैसला राष्ट्रहित में लिया है। अपने इस बयान के बाद शशि थरूर एक बार फिर अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ गए। जयराम रमेश ने सांसदों की लिस्ट पर आपत्ति जताते हुए थरूर को टारगेट किया। उन्होंने एक पोस्ट में तंज कसते हुए लिखा कि कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना, दोनों में काफी फ़र्क है। उदित राज ने भी थरूर पर ही निशाना साधा।

राहुल गांधी के अनर्गल आरोपों की शशि थरूर ने ही हवा निकाली
कांग्रेस लंबे समय से विदेश नीति को लेकर मोदी सरकार की आलोचना करती रही है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी यह आरोप लगाती रही है कि केंद्र सरकार की कमजोर कूटनीति के कारण भारत वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ रहा है। लेकिन कांग्रेस के ही सांसद शशि थरूर की इस तारीफ ने पार्टी को ही पिछले पांव पर ला दिया है। शशि थरूर के एक अखबार में लिखे लेख ने खुद उनकी पार्टी में ही हलचल मचा दी है। द हिंदू में प्रकाशित एक लेख में, थरूर ने कहा कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ अभियान में, राष्ट्रीय संकल्प और प्रभावी कम्यूनिकेशन का एक मौका था। पीएम मोदी के ऊर्जावान नेतृत्व में भारत जब एकजुट होता है, तो स्पष्टता और दृढ़ विश्वास के साथ अपनी आवाज उठा सकता है। बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने एक्स पर लिखा कि शशि थरूर ने मान लिया कि पीएम मोदी की वैश्विक सक्रियता और नेतृत्व भारत के लिए रणनीतिक लाभ है। थरूर ने राहुल गांधी को एक्सपोज कर दिया है।

शशि थरूर ने फिर की प्रधानमंत्री की तारीफ, कांग्रेस हुई असहज
अमेरिका जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए उनकी नियुक्ति की खबर के बाद से ही, कांग्रेस के कुछ नेताओं को यह रास नहीं आ रहा है। जबकि थरूर ने साफ-साफ कहा है कि देश किसी दल से ऊपर है और वे इस प्रतिनिधिमंडल में देश की बेहतरी के शामिल हुए हैं। गौरतलब है कि शशि थरूर का प्रतिनिधिमंडल उन सात सर्वदलीय भारतीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक था, जिन्हें 33 वैश्विक राजधानियों में भेजा गया था, ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान की आतंकवाद में संलिप्तता के बारे में अवगत कराया जा सके। शशि थरूर ने शानदार तरीके से भारत का पक्ष रखा और आतंकवाद के आका पाकिस्तान को जमकर एक्सपोज किया। पाकिस्तान के आतंकवाद से घनिष्ठ संबंधों के बारे में भी बताया। थरूर ने आगे कहा कि प्रतिनिधिमंडलों ने दुनिया को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की नपी-तुली सैन्य कार्रवाई को समझाया। थरूर ने इन देशों के समक्ष मोदी सरकार के ऑपरेशन सिंदूर को भी बेहद सफल, शानदार, कूटनीतिक और रणनीतिक कदम बताया।पीएम के आतंकवाद के खिलाफ कदमों की पनामा में भी प्रशंसा
कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य शशि थरूर ने एक बार फिर से पार्टी को असहज करने वाला बयान दिया है। इससे पहले कांग्रेस नेता शशि थरूर ने पनामा में आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए पीएम मोदी और भारत सरकार के कदमों की भूरि-भूरि प्रशंसा की थी। एक बार फिर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें वैश्विक मंच पर भारत का एक प्राइम एसेट बताया है। थरूर ने पीएम की ऊर्जा, गतिशीलता और दूसरे देशों के साथ जुड़ने की उनकी इच्छा को लेकर और अधिक समर्थन दिए जाने की अपील की है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पिछले महीने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और तीन अन्य देशों में सत्तारूढ़ भाजपा के आतंकवाद विरोधी कूटनीतिक अभियान का नेतृत्व किया था। वे विदेशों में भेजे गए सात प्रतिनिधिमंडलों में से एक का नेतृत्व कर रहे थे।

अमेरिका में हमारे तर्कों ने भारत की स्थिति को मजबूत किया
कांग्रेस सांसद थरूर ने विशेष रूप से अमेरिका में भारतीय और पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडलों के एक साथ पहुंचने का भी जिक्र किया और कहा, “जबकि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल भी वहां मौजूद था, हमने पाया कि अमेरिकी प्रतिनिधि, हमारी चिंताओं को दोहरा रहे थे और आतंकवादी समूहों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का समर्थन कर रहे थे। तथ्यों और लगातार वकालत पर आधारित हमारे तर्क भारत की स्थिति को और मजबूत कर रहे थे।” उन्होंने इस आउटरीच को सफल बताते हुए लिखा, “हमने लगातार देश की सीमापार से खतरे की गंभीरता को उजागर किया, जिसका उद्देश्य आतंकवादियों और अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए वैश्विक सहमति बनाना था।”

भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय हितों पर हमारा फोकस
पहलगाम आतंकी हमले के बाद, नरेन्द्र मोदी सरकार के रुख का समर्थन करने के कारण शशि थरूर अपनी ही कुछ पार्टी सहयोगियों के निशाने पर हैं। तिरुवनंतपुरम से सांसद चुने जाने के बाद से ही उनकी और पार्टी के बीच मतभेद बढ़े हैं, दोनों के बीच पहले से ही कई मुद्दों पर असहमति है, जिसमें पीएम मोदी को लेकर लगातार तारीफ के शब्द भी शामिल हैं। पूर्व कांग्रेस सांसद उदित राज ने थरूर पर इसे लेकर निशान साधा था, जबकि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के तहत विदेश दौरे पर गये थरूर ने कहा था कि भारत ने पहली बार 2015 में कार्रवाई के लिए नियंत्रण रेखा पार की थी। शशि थरूर ने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के केंद्र के न्योते को स्वीकार करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए स्पष्ट किया कि जब वह संसद की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष बने थे, तब उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि उनका ध्यान भारत की विदेश नीति एवं उसके राष्ट्रीय हित पर है, न कि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विदेश नीति पर है।

शशि थरूर की सोच ने राहुल गांधी को बेनकाब किया- भाजपा
इस बीच द हिंदू में प्रकाशित उनके लेख के बाद कांग्रेस सदमे में है। थरूर ने लिखा है कि वैश्विक मंच पर पीएम मोदी भारत के लिए “एक प्रमुख संपत्ति” है और इसे और अधिक समर्थन मिलना चाहिए। यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस केंद्र सरकार पर उसकी विदेश नीति को लेकर हमला कर रही है। लेख में थरूर द्वारा कुछ मुद्दों पर अपनी पार्टी कांग्रेस से अलग रास्ता अपनाने और उसमें मतभेदों को भी उजागर किया गया है। थरूर की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कांग्रेस पर निशाना साधा। एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, “शशि थरूर ने माना है कि पीएम मोदी की गतिशीलता और वैश्विक पहुंच भारत के लिए रणनीतिक लाभ है। शशि थरूर ने राहुल गांधी को बेनकाब किया है।”

ऑपरेशन सिंदूर राष्ट्रीय संकल्प और प्रभावी संचार का अद्भुत क्षण
अपने लेख में श्री थरूर ने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद राजनयिक पहुंच राष्ट्रीय संकल्प और प्रभावी संचार का क्षण था। उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऊर्जा, गतिशीलता और जुड़ने की इच्छाशक्ति वैश्विक मंच पर भारत के लिए एक प्रमुख संपत्ति बनी हुई है, लेकिन इसे और अधिक समर्थन की आवश्यकता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद कूटनीतिक पहुंच राष्ट्रीय संकल्प और प्रभावी संचार का एक क्षण था। इसने पुष्टि की कि भारत, जब एकजुट होता है, तो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्पष्टता और दृढ़ विश्वास के साथ अपनी बात रख सकता है।” दूसरी ओर हाल ही में, शशि थरूर ने पार्टी के कुछ नेताओं के साथ मतभेदों को स्वीकार किया, हालांकि इसे उन्होंने सामान्य वैचारिक असहमति बताया।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी शशि थरूर के लेख को किया शेयर
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक्स पर कांग्रेस नेता शशि थरूर के लेख को शेयर किया। लेख को शेयर करते हुए लिखा- “लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. शशि थरूर लिखते हैं – ऑपरेशन सिंदूर की वैश्विक पहुंच से सबक।” वहीं भाजपा ने थरूर के लेख को लेकर कांग्रेस की आलोचना की और कहा कि यह राहुल गांधी के रुख के विपरीत है। भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने थरूर द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी से भारत को होने वाले लाभ को मान्यता दिए जाने के बारे में एक्स पर पोस्ट किया। थरूर ने अपने लेख में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत की कूटनीतिक पहल की सराहना की, जिसे उन्होंने ‘राष्ट्रीय संकल्प और प्रभावी संवाद’ का उदाहरण बताया। थरूर ने इसे एकजुट भारत की ताकत का शानदार प्रतीक भी बताया। उन्होंने कहा कि भारत ने इस अभियान के जरिए न केवल सैन्य दृढ़ता दिखाई, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी अपनी बात प्रभावी ढंग से रखी है।

 

 

 

Leave a Reply